मां पृथ्वी पर ममता की मूरत है अगर मातृत्व शक्ति इस पृथ्वी पर ना हो तो जीवन संभव नहीं है। यह भी सत्य है ममता और प्रेम मां जैसा कहीं और नहीं मिल सकता। आज हम मां के लिए यह कहानी लिख रहे हैं यह मातृशक्ति को समर्पित है। आशा करते हैं आपको यह लेख पसंद आए-
Mother short story in Hindi – 1
कोयंबटूर के एक सुदूर गांव में वेंकटेश नाम का एक लड़का अपनी इकलौती मां विजया के साथ रहता था। उसकी मां विजया काफी समय से गंभीर बीमारी से ग्रसित थी वह जब अंतिम सांस अपने जीवन के गिन रही थी तभी उसने अपनी बेटे वेंकटेश की और देखते हुए भीगी आंखों से। कहा
बेटा मैंने तुझे जीवन भर शिक्षा नहीं दे पाई मेरी सेवा करते तेरी इतनी उम्र हो गई और अब मैं ज्यादा दिन भी तुम्हारे साथ नहीं रह सकती मुझे माफ कर देना। और तुम्हें जीवन में जहां कहीं से भी शिक्षा मिले उसे ग्रहण करना यह संसार शिक्षा से भरा हुआ है। इतना कहते ही विजया ने अपनी अनंत काल के लिए आंखें मूंद ली।
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manavta ki kahani मानवता पर आधारित कहानिया
वेंकटेश अपनी मां का अंतिम संस्कार कर अपने परिवार में दूर के चाचा के पास जाकर रोजगार की तलाश में घूमता रहा। चाचा मछली पालन का कार्य करते थे यही उनकी आजीविका का साधन था। वेंकटेश अपने चाचा का हाथ बटा था और खाली समय में वह तैराकी सीखता। तैराकी के अभ्यास से वह वह एक अच्छा तैराक बन गया था। ब्लॉक स्तर पर तैराकी प्रतियोगिता हुई जिसमें चाचा की प्रेरणा से उस प्रतियोगिता में वेंकटेश ने भी भाग लिया और प्रथम स्थान प्राप्त किया।
ब्लॉक अधिकारी ने वेंकटेश का आभार व्यक्त किया और ब्लॉक में प्रथम आने की बधाई देते हुए उसे और ऊंचे स्तर पर तैराकी के लिए आगे भेजने की बात कहकर चले गए।
ऐसा ही हुआ वेंकटेश को जिला और राज्य स्तर पर भी तैराकी का न्योता मिला और वहां जाकर भी उसने अपनी तैराकी का सर्वश्रेष्ठ परिचय दिया। वेंकटेश का नाम अब दूर-दूर तक फैलने लग गया था। अब वेंकटेश का परिचय किसी का मोहताज नहीं था वह जहां भी निकलता लोग उसे पहचान जाते। ऐसा देख वेंकटेश को गर्व की अनुभूति होती और अपने मां की अंतिम दिनों में दी हुई शिक्षा की याद आती।
वेंकटेश तैराकी में इतना प्रसिद्धि हासिल कर चुका था कि अब वह देश विदेश तक अपने तैराकी के लिए जाना जाने लगा। वेंकटेश ने अपने उन सूक्ष्मा अध्ययनों को अब लिखना आरंभ कर दिया और उस अनुभव को अपने तक सीमित न रखकर अन्य तैराक को भी तैयार करना आरंभ कर दिया। ताकि वेंकटेश जैसे और भी तैराक बन सके और देश का मान बढ़ सके। यही उद्देश्य से उसने एक निशुल्क कार्यशाला का उद्घाटन किया जिसमें वह गरीब और असहाय छात्रों को प्रशिक्षण देता। वह छात्र भी बड़े बड़े स्तर पर पदक हासिल करते यह पदक वेंकटेश अपनी मां को समर्पित करता और उनका धन्यवाद करता।
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आज वह अपनी मां की शिक्षा के कारण ही इतना प्रसिद्धि हासिल कर पाया था। मां नहीं शिक्षा दिया था संसार में कहीं भी शिक्षा मिले ग्रहण कर लेना किताबी ज्ञान से सटीक जानकारी संसार से ही मिलेगी। बस क्या था वेंकटेश ने अपनी मां की बातों को गांठ बांध लिया था और उस महत्वपूर्ण शिक्षा को चरित्रतार्थ करके दिखाया।
Mother short story in Hindi – 2
इलाहाबाद के फैजल पुर गांव में कई दिनों से अराजक तत्वों ने वहां के लोगों को परेशान किया हुआ है। चोरी-चकारी और अपहरण आए दिन अखबारों में देखने और सुनने को मिलता रहता है। लोग प्रशासन की लापरवाही और सुस्ती के कारण बेहद ही परेशान है। इसके विरोध में वहां के नागरिक आए दिन पुलिस थाने और वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करते। किंतु प्रशासन न जाने किस आदेश की प्रतीक्षा में चुप और मौन बैठा रहता।
चुनाव प्रचार का जोर चल रहा था, क्योंकि विधानसभा के चुनाव अगले महीने होना सुनिश्चित किया गया था। सभी पार्टी अपना अपना मुद्दा लेकर जनता के बीच जा रही थी। सुरक्षा की व्यवस्था प्रशासन पर बनाने का दबाव बढ़ गया था। दूरदराज से सुरक्षा संभालने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बल की तैनाती भी निरंतर की जा रही थी। संवेदनशील इलाकों पर कड़ा पहरा किया जा रहा था, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
लूट-पाट जैसे घटनाएं घटने का नाम नहीं ले रही थी, प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती थी। इस प्रकार की छवि से अब बदनामी होने लगी थी। प्रशासन ने जगह-जगह नाकेबंदी की और सघन तलाशी आरंभ किया।
रात के कोई 7:30-8:00 बजे होंगे चारों ओर अंधेरा होने लगा दुकान के शटर भी गिरने लगे धीरे-धीरे बाजार में वीरान होने लगा और सन्नाटा पसर ने लगा।
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वसीर जो उसी बाजार में टेलर का काम करता था। वह अपना दुकान बंद कर घर के लिए रवाना हुआ।
रास्ते में अचानक एक सफेद रंग की मोटरसाइकिल आकर खड़ी हुई तीन लड़के बैठे थे, वह वसीर के आगे आकर उसे रोक लिया। जो कुछ उसके पास मौजूद था वह देने की बात करने लगे। वसीर के पास दिन भर की कमाई के पैसे थे, एक घड़ी थी और एक साधारण सा मोबाइल। वसीर काफी देर तक उन तीनों से बातचीत करता रहा किंतु वह तीनों लड़के बेहद जल्दी में थे और लूटपाट कर वहां से निकलने की फिराक में थे, इसलिए उन्हें देर करना उचित नहीं लगा।
पीछे बैठे लड़के ने धारदार चाकू दिखाते हुए उसे सभी सामान देने के लिए कहा। वसीर अब ज्यादा उलझना ठीक न समझते हुए उन तीनों को अपने पास मौजूद पैसे, घड़ी और मोबाइल दे दिए।
तभी पीछे से दो मोटरसइकिल सायरन बजाती हुई उनकी ओर बढ़ती आई तीनों घबरा गए मोटरसाइकिल से भागना उचित न समझा। दो लड़के गली में होकर भाग गए। एक जो मोटरसाइकिल चला रहा था, शायद उसी की मोटरसाइकिल होगी इसीलिए वह अपनी मोटरसाइकिल से भागने लगा।
पीछे पुलिस पूरा मंजर समझ चुकी थी, अब उन्होंने धर दबोचने की जद्दोजहद आरंभ की। आगे वायरलेस पर सूचना हो गई मोटरसाइकिल और लड़के का पुरा हुलिया बता दिया गया। नाकेबंदी और बढ़ा दी गई करीब एक किलोमीटर लुकाछिपी का खेल जारी रहा। किंतु अंत में मोटरसाइकिल सहित उस बदमाश को पुलिस अपने गिरफ्त में ले लेती है।
जब थाना लाया जाता है तो उसकी पहचान हामिद उर्फ हमजा के रूप में किया जाता है। उसके दो साथी सलीम और सोनू उन्हें भी गिरफ्तार किया जाता है। हामिद काफी समय से पुलिस से छुप रहा था उसके ऊपर लगभग 35 अपराधिक मामले और 12 छीन झपट के मामले अलग-अलग थानों में दर्ज थे।
पुलिस को हामिद के रूप में बड़ी कामयाबी मिल चुकी थी। चार्ज शीट और अन्य कानूनी कार्यवाही के बाद अदालत ने उसे 500000 का जुर्माना तथा 9 साल कैद की सजा सुनाई।
पुलिस जैसे ही उसे कैद के लिए जेल की ओर ले जा रही थी तभी उसने अम्मी/मां से मिलने की इच्छा जताई। पुलिस ने जेल में मां से मिलने का प्रबंध किया। हामिद की मां फातिमा अपने बेटे से मिलने तय समय पर जेल में उपस्थित हो गई। हामिद मां को देखकर जोर-जोर से रोने लगा। ऐसा करते देख फातिमा भी रोने लगी।
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हामिद रोते हुए अपना मुंह अम्मी/माँ की ओर बढ़ाते हुए उसकी नाक दांतों से काट दिया। तुरंत पूरे जेल में अफरा-तफरी मच गई हामिद को पुलिस ने वापस जेल में डाल दिया और फातिमा को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
हामिद पर फिर अदालती कार्यवाही आरंभ हुई हामिद ने अपनी ओर से अदालत को बताया कि मैं बचपन में छोटे-मोटे चोरी किया करता था तो मेरी अम्मी ने कभी नहीं रोका। मैं अपने साथियों के किताब, कॉपी, पेन आदि चुरा कर लाता था तो अम्मी कहती थी अच्छा करता है कम से कम मेरा खर्चा बचता है। इसके कारण मैं नित्य निरंतर चोरी करता रहा और आज इस अंजाम पर आ गया हूं।
अदालत ने उसे इस कृत्य के लिए दंड दिया।
फातिमा को भी अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था। आज उसकी छोटी लापरवाही से उसने अपने बेटे को खो दिया था, जिसके जिम्मेदार वह स्वयं थी। फातिमा आज अपने बेटे के लिए तरस रही है जबकि उसका बेटा उससे काफी दूर जा चुका था।
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