व्यक्ति के जीवन में प्रेरणा/मोटिवेशन की सदैव आवश्यकता होती है। समय-समय पर अगर व्यक्ति प्रेरणा प्राप्त करें और अपने लक्ष्य को सदैव ध्यान में रखें तो उसके लिए कोई भी कार्य दुष्कर नहीं होता वह उन सभी कार्यों को सुगमता से पूरा कर लेता है अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जिसे वह चाहता है। इसी उद्देश्य से कि आप भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें इसी प्रमुख लक्ष्य के साथ हम यह प्रेरणात्मक कहानी लिख रहे हैं, जो आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकेगा।
राजा का पुरुषार्थ एक कहानी
हरनंदी राज्य के राजा हरि सिंह एक नेक दिल और सच्चे विचारों वाले व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे। वह अपनी प्रजा के सुख-सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा करते थे। उनका मानना था कि हरनंदी राज्य में कोई भी व्यक्ति दुखी, पीड़ित और बेरोजगार न रहे। इसके लिए उन्होंने सभी व्यक्तियों के योग्य रोजगार की व्यवस्था की हुई थी। कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार राज-दरबार से रोजगार प्राप्त कर सकता था।
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महाराज हरि सिंह ने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए अपने राजकोष खोले हुए थे। कोई भी जरूरतमंद और गरीब व्यक्ति किसी भी समय राजकोष से सहायता प्राप्त कर सकता था। हरि सिंह के राज्य में सब कुछ सामान्य चल रहा था, किंतु महामंत्री को महाराज के व्यवस्था को देखकर चिंता होती थी, कि कोई भी व्यक्ति राजकोष तक आसानी से पहुंच जाता है और यहां से धन ले जाता है।
किंतु महामंत्री अपने राजा से उनके निर्णय पर सवाल नहीं उठा सकता था, इसलिए उसने बड़े ही सोच विचार कर एक युक्ति निकाली और राजकोष की दीवार पर मोटे अक्षरों में लिख दिया – ” आपातकाल के लिए राजकोष में धन होना चाहिए, जो आपातकाल की स्थिति में सहायक होती है। ”
अगले दिन महाराज हरि सिंह जब राजकोष की दीवारों पर लिखे हुए अक्षरों को पढ़ते हैं तो वह समझ जाते हैं कि यह उनके महामंत्री द्वारा लिखा गया है। महाराजा ने कुछ नहीं कहा और उस लाइन के नीचे अपने कुछ लाइन जोड़ दिए जो इस प्रकार थे – ” भाग्यशाली व्यक्ति को आपातकाल और आपत्ति कहां गिरती है।”
अगले दिन उनके महामंत्री ने राजा द्वारा दिए गए उत्तर को पढ़ा और उसके नीचे एक लाइन और जोड़ दी – ” भाग्य का लेख कोई नहीं जानता। ”
महाराज ने अपने महामंत्री द्वारा लिखे गए लाइन को पुनः पड़ा और एक शब्द उसके नीचे और जोड़ दिया – ” भाग्यशाली व्यक्ति और पुरुषार्थ के समक्ष कोई भी विपत्ति नहीं टिकती और अगर किसी प्रकार की आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है तो हम प्रचंड पुरुषार्थ से उसका सामना करेंगे। ”
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ऐसा देख महामंत्री क्यों समझ में आ गया और उसने स्वयं पर गर्व अनुभव किया कि वह एक सच्चे पुरुषार्थ और भाग्यशाली राजा के साथ कार्य कर रहा है। यह वाक्या में उसे अपार खुशी दे रही है, उसके जैसा कोई भी भाग्यशाली नहीं है जो ऐसे राजा के साथ काम कर रहा है।

महात्मा के शब्दों का चमत्कार
रामप्रसाद बड़े ही धार्मिक और मिलनसार व्यक्ति थे, वह धर्म के कार्यों में रुचि लिया करते थे जिसके कारण वह निरंतर सत्संग में जाते थे। रामप्रसाद को इन सब कार्यों में सुखद अनुभूति होती थी इसलिए उनके चेहरे पर सदैव चमक रहती थी।
कुछ समय से रामप्रसाद के चेहरे से वह चमक गायब थी जो दैनिक रहा करती थी। कथा वाचन करने वाले महाराज कुछ दिनों से रामप्रसाद के चेहरे से चमक गायब देखकर रामप्रसाद से पूछ पड़े- ‘आखिर क्या समस्या है जिसके कारण तुम विचलित हो ? रामप्रसाद ने कहा मेरे समस्या का कारण बहु है जिसके कारण घर में अशांति का वातावरण है, बात-बात पर मनमुटाव और झगड़े की नौबत आ जाती है जिसके कारण मैं ही नहीं पूरा परिवार चिंतित और परेशान है।
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महाराज ने बहू को कथा सुनने का निमंत्रण भिजवाया। बहु महाराज के विषय में परिचित थी वहां पहुंचते बहु ने शांति और स्थिर मन से कथा श्रवण किया, उसके उपरांत महाराज जी के समक्ष बैठक हुई महाराज ने बताया इस संसार में स्त्री का चार रूप होता है, बधिकसमा, चोरसमा, मात्रीसमा और भगिनीसमा इनमें से आप कौन से हैं ?
बहु ने कहा महाराज आप क्या कह रहे हैं ? मुझे समझ नहीं आ रहा, कृपया स्पष्ट कहने का कष्ट करें। महाराज ने बहु को बताया शास्त्रों के अनुसार स्त्री का चार रूप होता है, जो स्त्री हमेशा क्रोध करती है, पति का अपमान करती है उसे शास्त्रों में बधिकसमा कहा गया है। जो संपत्ति का दुरुपयोग करती है उसे उपयोग के अतिरिक्त दुरुपयोग करती है, उसे चोरसमा कहा गया है। जो स्त्री परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सद्भाव-सौहार्द का व्यवहार करती है उसे मात्रसमा कहा जाता है। जो स्त्री प्रिय भाई के समान व्यवहार करती है वह भगिनीसमा होती है। यह सब उपदेश सुनकर बहू लज्जा से झुक गई।
बहू को इन सब बातों का मतलब समझ में आ गया था इसलिए उसकी आंखें नम थी। बहु ने हाथ जोड़कर महाराज से क्षमा याचना की और वचन दिया कि वह भविष्य में मात्री समा व्यवहार करेगी और किसी को भी कष्ट नहीं देगी।
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निष्कर्ष
प्रेरणादायक कहानियां सकारात्मक विचारों को जन्म देती है। यह लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने का सबसे सरल और सुगम मार्ग है, बशर्ते आप सकारात्मक विचार के हो, सहृदय हो। उपरोक्त प्रेरणादायक कहानियां हमने इसी उद्देश्य से लिखा है ताकि आप इन कहानियों के माध्यम से उस में छुपे हुए रहस्य को पहचान सके और अपने जीवन में सकारात्मक विचार रखते हुए कार्य कर सकें। कोई भी सकारात्मक विचार के साथ किया गया कार्य अधूरा नहीं रहता, उसका उद्देश्य अवश्य पूर्ण होता है। आशा हे आपको उपरोक्त कहानियां पसंद आई हो, अपने सुझाव और विचार हमें कमेंट बॉक्स में लिखें हमें आपके सुझाव की सदैव प्रतीक्षा रहती है।