Best Tenali Rama stories in Hindi with moral values. तेनालीराम की कहानियां हिंदी में नैतिक शिक्षा व महत्वपूर्ण सन्देश के साथ।
तेनालीराम प्रखर बुद्धि के थे, वह मुख्य रूप से हास्य विनोद के लिए जाने जाते हैं। किंतु उनके सभी क्रियाकलाप किसी ना किसी संदेश को देते नजर आते हैं। विद्वता के लिए भी तेनालीराम जाने जाते हैं, माना जाता है उनकी विद्वता के लिए स्वयं साक्षात काली मां का आशीर्वाद था।
कर्ज से मिली मुक्ति
( Tenali Rama stories with moral value )
तेनालीराम की पत्नी काफी दिनों से बीमार थी , यह बीमारी धीरे-धीरे गंभीर रूप लेती जा रही थी। तेनालीराम के पास इतना धन नहीं था कि वह ठीक प्रकार से अपनी पत्नी का इलाज करवा सके। इलाज के लिए उसे खूब सारे धन की आवश्यकता थी।तेनालीराम ने महाराज से कर्ज लेने का विचार किया और दरबार में उपस्थित हो गया।
तेनालीराम – महाराज की जय हो ! मुझे अपनी पत्नी के इलाज के लिए धन की आवश्यकता है। आप मुझे राजकोष से उधार दे देते तो कृपा होती।
महाराज- तेनालीराम तुम हमारे प्रिय मंत्री हो और दरबार के श्रृंगार। तुम्हें जितना धन अपनी पत्नी के इलाज के लिए चाहिए वह राजकोष से ले लो।
तेनालीराम – धन्यवाद महाराज आपका सदैव आभारी रहूंगा।
तेनालीराम को राजकोष से जरूरत अनुसार धन प्राप्त हो गया। पत्नी का इलाज ठीक प्रकार से होने के बाद तेनालीराम की पत्नी स्वस्थ और कुशल हो गई। अब तेनालीराम के सामने यह बड़ा प्रश्न था कि वह महाराज को धन कहां से लौटाएगा इस विचार में वह महाराज से दूरियां बनाता रहा। महाराज तेनालीराम के विचार को संभवत जान गए थे इसलिए वह तेनालीराम से निरंतर राजकोष का धन लौटाने को कहते रहते। मगर तेनालीराम उस धन को कहां से लौटाता।
महाराज जब भी तेनालीराम से मिलते धन लौटने की बात किया करते। तेनालीराम के धन न लौटाने पर महाराज ने उस पर ब्याज लगाना आरंभ कर दिया था। तेनालीराम बुद्धि का कुशाग्र था उसने युक्ति लगाई और विचार किया, महाराज को धन नहीं लौटाऊंगा और उनके मुख से ही धन की माफी का वचन भी ले लूंगा।
Tenali Rama stories Part 2
ऐसा ही हुआ – योजना अनुसार तेनालीराम बिस्तर पर लेट गए और अंतिम समय निकट आने की बात महाराज को कहला भेजा। महाराज तेनालीराम के अस्वस्थ होने की खबर सुनकर तत्काल तेनालीराम के सामने उपस्थित हुए। तेनालीराम की पत्नी ने महाराज से कहा अब इनका समय निकट आ गया है, ना कुछ खाते हैं, ना कुछ पीते बस इन्होंने मरणासन्न ग्रहण कर लिया है।
तेनालीराम से हालचाल पूछने पर उसने कहा महाराज मेरा समय निकट आ गया है।
आपसे लिया हुआ धन मुझे मरने नहीं दे रहा है। यह मेरे ऊपर बोझ के समान है। जब तक मैं आपके धन को राजकोष में जमा नहीं करूंगा तब तक मुझे मृत्यु नहीं आएगी। महाराज ने तत्काल तेनालीराम को आश्वासन दिया – मैं तुम्हें मजाक करने के लिए धन मांगा करता था, मुझे वह धन नहीं चाहिए। महाराज के मुख से ऐसा वचन सुनते हुए तेनालीराम झटपट उठ खड़ा हुआ। महाराज ने आश्चर्यचकित होकर तेनालीराम को देखा और पूछा –
‘अरे तेनालीराम तुम्हारी तबीयत तो खराब थी तुम मरने वाले थे’
तेनालीराम ने तत्काल जवाब दिया हां महाराज आपसे लिया गया कर्ज मुझे मरने नहीं दे रहा था,
अब वह कर्ज सिर से हट गया तो मैं स्वस्थ हो गया।
मेरी बीमारी दूर हो गई, आप धन्य है महाराज! आपने मुझे नया जीवन प्रदान किया।
तेनालीराम की बात को सुनकर महाराज अपने आप को ठगा हुआ महसूस करने लगे।
नैतिक शिक्षा ( Moral value of this Tenali Rama stories )
- किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए बल्कि धैर्य और संयम पूर्ण बर्ताव रखते हुए कार्य करना चाहिए। जैसा कि तेनालीराम संकट में गिरने के बाद भी अपने बुद्धि विवेक से उन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करता है।
- जिस परिस्थिति में साधारण मनुष्य घबरा जाते हैं और हार मान कर बैठ जाते हैं वहां तेनालीराम अपने बुद्धि विवेक से जीत जाते हैं।
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तेनालीराम का संक्षिप्त जीवन परिचय
तेनालीराम का जन्म 16वीं शताब्दी में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका आरंभिक नाम तेनाली रमन था। माना जाता है आरंभ से वह शैव धर्म को मानते थे , बाद में उन्होंने वैष्णव धर्म को अपनाकर अपना नाम तेनाली रामकृष्णा रख लिया था। तेनालीराम कभी विधिवत शिक्षा ग्रहण करने नहीं गए , उन्होंने संत महात्माओं का सानिध्य प्राप्त किया और स्वयं स्वाध्याय के द्वारा शिक्षा ग्रहण की।
राजा कृष्णदेव राय के दरबार में हास्य कवि तथा मंत्री के रूप में कार्यरत थे। राजा कृष्णदेव राय तथा तेनालीराम के बीच हास्य विनोद की कहानियां बहुत ही सुनहरी तथा समाज को शिक्षित करने वाली है।
निष्कर्ष
तेनालीराम दरबारी मंत्री थे वह अपने विद्वता के कारण सदैव दरबार में हास्य विनोद तथा ज्ञान की चर्चा किया करते थे। विपरीत परिस्थितियों में भी उनके कार्य सटीक हुआ करते थे। इतना ही नहीं उनके कार्य हास्य विनोद तथा शिक्षा से परिपूर्ण हुआ करते थे।
जहां साधारण मनुष्य हार मान जाया करते थे वहां इनकी युक्ति अधिकतर कार्य किया करती थी। इसलिए यह दरबार में अधिक प्रसिद्ध हुए, स्वयं राजा का इन्हें आश्रय प्राप्त था। अन्य मंत्रियों से अलग यह राजा के अधिक निकट थे।
भाई आपने तेनाली राम की कहानी हिंदी आर्टिकल को बहुत ही अच्छे तरीके से लिखा हुआ है। मुझे आपके द्वारा लिखा हुआ यह आर्टिकल बहुत अच्छा लगा।
धन्यवाद
आपका दिन शुभ हो
आपके शब्द हमारे लिए बहुत प्रभावशाली एवं प्रेरणादायक है, हम इसी प्रकार यहां पर कहानियां लिखते रहेंगे और आप से आग्रह करेंगे कि आप आकर इसी तरह पढ़ते रहिए