3 चिड़िया की कहानी नैतिक शिक्षा के साथ

बाल मनोरंजन पर आधारित कहानीयां बालकों के विकास के लिए कारगर होता है। इस लेख में आप चिड़िया की कहानी का संकलन प्राप्त करेंगे, जिन्हें पढ़कर आप इनके जीवन तथा उनसे जुड़ी हुई घटनाओं को पढ़कर प्रेरणा प्राप्त करेंगे। यह लेख नन्हे मेहमानों को समर्पित है जो हिंदी विभाग के स्पेशल मेहमान है।

आशा है हिंदी विभाग के नन्हे मेहमानों की बौद्धिक क्षमता का निरंतर विकास होता रहेगा हम आपके लिए और रुचि की कहानियां लिखते रहेंगे।

पहली कहानी

चिड़िया की कहानी

( चिड़िया और किसान की कहानी )

राधेश्याम ने धान काटने में मस्त था, उसने इस धान की फसल को उपजाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। तब जाकर उसे धान की लहराती हुई फसल प्राप्त मिली। खेत के किनारे नीम का पेड़ था, जिस पर चुनमुन अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ घोसला बनाकर रहती।

रात के सन्नाटे में उसकी आवाज दूर गांव तक पहुंच जाया करती थी। चुनमुन की कुशलता लोग उसकी आवाज से जान लिया करते थे। आज चुनमुन के खुशी का ठिकाना नहीं था, उसे आज खूब सारा अनाज राधेश्याम के खेत से मिलने वाला था। उसके बच्चे भी खूब सारा खाना खाने और भंडार करने की खुशी में चहचहा रहे थे।

राधेश्याम और उसका परिवार चुनमुन के खुशी से और खुश हो रहा था। उसकी खुशी दोगुनी हो गई थी।

आज चुनमुन का परिवार और राधेश्याम के परिवार में खुशी की बहार थी।

एक और राधेश्याम का परिवार बोरियों में धान भर रहा था, तो दूसरी ओर चुनमुन अपने चौंच में धान के दाने बटोर घोसले में ले जा रही थी। कुछ दिनों के लिए चुनमुन ने अपना खाना जमा कर लिया था, शायद बरसात के दिनों में उसके काम आ सके।

दूसरी कहानी

राजा और चिड़िया की कहानी

राजा वीरेंद्र सिंह का उद्यान बहुत ही आकर्षक और मनमोहक था, उसमें अनेकों किस्म के पौधे, फूल और पेड़ थे। उस उद्यान में ढेर सारे पशु-पक्षी रहा करते थे। उस उद्यान के बीच पेड़ों से घिरा हुआ एक तालाब भी था जिसमें रंग-बिरंगी मछलियां रहा करती थी।

उस उद्यान में जो व्यक्ति जाता, वहां की खूबसूरती में खो जाता वहां से लौटने का ध्यान तक नहीं रहता।

राजा के महल में भी खूब सारे पक्षियों को रखा गया था।

राजा इन पक्षियों से बेहद प्यार करते थे, इसलिए उनके खाने-पीने की व्यवस्था वह खुद देखा करते थे। अपने हाथों से पक्षियों को दाना-पानी दिया करते थे। एक समय की बात है राजा वीरेंद्र सिंह आवश्यक कार्य के लिए दूर किसी राज्य में गए हुए थे। उनके जाते ही महल में पक्षी मायूस हो गए उन्होंने चहकना बंद कर दिया जैसे किसी दुखद घटना की अनुभूति हो।

नौकर ठीक प्रकार से पशु-पक्षियों का ध्यान नहीं रख सके।

राजा जिस पिंजड़े को सिंहासन के नजदीक रखा करते थे उस पिंजरे की चिड़िया ने तो कुछ खाया पिया भी नहीं।

तीन दिन में उसकी हालत ऐसी हो गई जैसे कुछ ही क्षण में मरने वाली हो। राजा वीरेंद्र सिंह अपने महल पहुंचे तब जाकर चिड़िया के जान में जान आई। उसने खुशी मनाते हुए दाना-पानी खाना आरंभ किया।

राजा ने जब पूरी घटना की जानकारी ली तो उन्हें भीतर से मासूम पशु-पक्षियों को सताने का आभास हुआ। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके कारण यह सभी बेजुबान जीव परेशान हुए। इन सभी की परेशानी का कारण मैं स्वयं हूं, उन्होंने तत्काल आदेश दिया और उन्हें पिंजरे से आजाद कर दिया गया।अब सभी पशु पक्षी आजाद होकर राजा के उद्यान तथा आसपास के जंगलों में रहने लगे।

पक्षियों को महल और उद्यान से इतना लगाव था कि वह मरते दम तक राजा के नजदीक ही रहे।

खासकर वह चिड़िया जो सिंहासन के पास रहती थी, उसने अपना डेरा भी सिंहासन के ऊपर ही बना लिया था, जिसमें उसके बच्चे भी रहा करते थे।

तीसरी कहानी

छुटकी की उड़ान ( चिड़िया की कहानी )

छुटकी अब अपने बच्चों को उड़ना सिखा रही थी, इसके लिए वह एक एक कर बच्चों को आसमान में ले जाती। धीरे-धीरे उसे उड़ने के सभी बारीकियां सीखा रही थी।

बच्चे डरे-डरे चीं चीं करते सीख रहे थे। छुटकी आज उड़ने में परिपक्व बनाना चाह रही थी।

अचानक, आसमान में उड़ता हुआ एक पतंग डोर सहित अनजान दिशा में जा रही थी। छुटकी अपने बच्चों के साथ वहां पहुंची और पतंग की डोर पकड़े आसमान की ऊंचाइयों में उड़ने लगी।

बच्चे निर्भीक हो गए, उड़ते-उड़ते उन्हें एहसास हुआ कि अब वह उड़ने में परिपक्व हो गए।

पतंग की डोर छोड़ वह पतंग से ऊपर की उड़ान भरने लगे, छुटकी अपने बच्चों की उड़ान देख खुशी से चहकने लगी।

आज मां के रूप में छुटकी का दायित्व भी पूरा हो रहा था।

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निष्कर्ष

उपरोक्त कहानियों को पढ़ने से सभी प्रकार के उम्र के व्यक्ति लाभान्वित हो सकते हैं विशेष पर छोटे बच्चे जो अपने निरंतर बौद्धिक विकास के लिए तत्पर रहते हैं। उनके बौद्धिक क्षमता को विकसित करने के लिए कहानी, पहेलियां विशेषकर कारगर होती है। यह उन्हें सोचने निर्णय लेने और सही गलत के विषय में सजग सतर्क और जागरूक करती है। जिसके कारण वह स्वयं अपने भीतर कई प्रकार की संकल्पना बनाते हैं और विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण को अपनाते हुए उचित निर्णय लेने के लिए प्रेरित होते हैं।

हमें किस्से कहानी और पहेलियों के माध्यम से अपने बच्चों के बौद्धिक विकास का ध्यान रखना चाहिए और उन्हें इस दिशा में प्रेरित करना चाहिए ताकि आधुनिक तकनीक से दूर वह अपने बौद्धिक क्षमता का उचित प्रयोग करना सीख सकें।

आशा है आपको उपरोक्त कहानियां पसंद आई हो, अपने सुझाव विचार हमें कमेंट बॉक्स में लिखें हम आपके सुझाव की सदैव प्रतीक्षा करते हैं।

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3 thoughts on “3 चिड़िया की कहानी नैतिक शिक्षा के साथ”

    • Thank you Ashfak. To read more stories you can access our category section. We have hundreds of other Hindi stories published here.

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