अगर किसी मनुष्य को जीवन में सफलता हासिल करनी है तो उन्हें गौतम बुध की जीवन कथा तथा कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए। वह एक ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने जीवन का ऐसा ज्ञान प्राप्त किया जो मानवता का कल्याण करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। बच्चों को इनकी कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए ताकि कम उम्र में ही तार्किक शक्ति एवं बौद्धिक स्तर का विकास हो सके।
आज आपको गौतम बुध की कुछ ऐसी कहानियां पढ़ने को मिलेंगी जो नैतिक शिक्षा से परिपूर्ण है। इन कहानियों को पढ़ें और अपने प्रिय मित्र जनों के साथ भी शेयर करें।
गौतम बुद्ध और शिकारी
एक समय की बात है, महात्मा बुद्ध अपनी तपस्या में लीन थे, उन्हें तपस्या में बैठे हुए कई दिन बीत चुके थे। तभी एक शिकारी उस रास्ते जा रहा था उस शिकारी ने महात्मा बुद्ध को पहचान लिया। शिकारी ने महात्मा बुद्ध के बारे में बहुत बढ़ाई सुनी थी, किंतु वह महात्मा बुद्ध की बडाई से संतुष्ट नहीं था उसने परीक्षा लेने के लिए सोचा – शिकारी पहले तो महात्मा बुद्ध को एक छोटा सा पत्थर फेंककर मारता है, किंतु महात्मा बुद्ध कोई प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। क्योंकि उनका मानना था शरीर को तकलीफ होती है, आत्मा को नहीं।
अतः शिकारी द्वारा फेंके गए पत्थर के कारण शरीर को कष्ट हुआ, किंतु आत्मा को नहीं।शिकारी कुछ समय सोचता रहा महात्मा बुद्ध कुछ प्रतिक्रिया करेंगे, किंतु महात्मा बुद्ध अपनी तपस्या में लीन थे, उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।पुनः शिकारी ने पत्थर फेंका वह पत्थर महात्मा बुद्ध के आंखों के ऊपर लगा और उस जगह से खून बहने लगा।
महात्मा बुद्ध को आभास हुआ उनके शरीर से रक्त बह रही है, किंतु वह फिर भी अपनी तपस्या से नहीं उठे। शिकारी को गुस्सा आया और उसने पुनः एक पत्थर और महात्मा बुद्ध की ओर फेंका। महात्मा बुद्ध के शरीर से अब खून अधिक बहने लगी, इतनी पीड़ा महसूस कर महात्मा बुद्ध के आंखों से आंसू निकलने लगा । शिकारी ने महात्मा बुद्ध के पास जाकर पूछा आपको जब मैंने पत्थर मारा तो आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, महात्मा बुद्ध ने बड़े ही सरलता के साथ कहा क्योंकि इससे मेरे शरीर को कष्ट हुआ है, मेरे मन मस्तिष्क को नहीं।शिकारी अचंभित रह गया उसने पूछा फिर आपके आँखों से आंसू क्यों बह रहे हैं ?
इस पर महात्मा बुद्ध ने पुनः कहा तुम्हारे द्वारा किए गए अनुचित कार्य के परिणाम के बारे में मेरा मस्तिष्क मेरी आत्मा विचार कर रो रही है।
तुमने इतना बड़ा पाप किया है, तुम्हें कैसी सजा मिलेगी।
बुद्ध की बातों को सुनकर शिकारी महात्मा बुद्ध के चरणो में नतमस्तक हुआ और उनसे क्षमा याचना की। महात्मा बुद्ध क्षमाशील व्यक्ति थे, उन्होंने तुरंत शिकारी को क्षमा क्र दिया और अपना आशीर्वाद दिया। वह शिकारी महात्मा बुद्ध का आशीर्वाद पाकर एक महान व्यक्ति और साधक के रूप में जीवन व्यतीत करने लगा।
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2. ज्ञान से हुई मोक्ष की प्राप्ति – Gautam budh ki kahani
एक दिन की बात है, महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कुटिया में बैठे थे और ज्ञान चर्चा का विषय आरंभ था।
शिष्यों के आग्रह पर उन्होंने एक कहानी आरंभ की-
समीर नाम का एक जल्लाद मगध राज महल के पीछे बने कस्बे में रहता था। वह मगध साम्राज्य का प्रमुख जल्लाद था। उसका सारा जीवन दोषियों को फांसी देने में बीत गया। अब वह लगभग 60 वर्ष की आयु का हो गया था। समीर अब राजकीय सेवा से मुक्त हो चुका था और अपना अंतिम जीवन वह अपने घर में व्यतीत करता था। अपने जीवन काल में किए गए सभी घटनाओं को याद करता और पश्चाताप करता।
मेरे हाथों इतने जीवो की हत्या हुई!
यही सोच विचार करते हुए वह नहा धोकर तैयार हुआ।जैसे ही वह खाना खाने के लिए बैठा दरवाजे पर आवाज आई। समीर बाहर निकल कर देखता है तो, एक भिक्षुक उनके द्वार पर खड़ा है जो जान पड़ता है काफी दिनों की तपस्या के बाद उठा है और भूख से व्याकुल है।समीर तत्काल अपना वह भोजन जो स्वयं के लिए था, वह भिक्षुक को समर्पित कर दिया।
भिक्षुक की भूख शांत हो गई भिक्षुक प्रसन्न हुए।
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भोजन के पश्चात भिक्षुक और समीर दोनों बैठे हुए थे, तभी समीर ने अपने जीवन में किए गए कार्यों को भिक्षुक के सामने प्रकट किया।समीर ने बताया वह राजकीय सेवा के दौरान अनेकों कैदियों अथवा अपराधियों को मृत्युदंड दिया। जिसके कारण मुझे अपने पर अपराध बोध होता है और ग्लानि के भाव में सदैव ग्रस्त रहता हूं।भिक्षुक बड़े ही शांत चित्त भाव से समीर की बातों को सुन रहे थे और रह-रहकर मुस्कुरा रहे थे।
समीर ने अपने जीवन के प्रत्येक घटनाओं को भिक्षुक के सामने रख दिया।
समीर की सभी बातें समाप्त होने के बाद भिक्षुक ने उसे दोनों हाथों से उठाया और हृदय लगा लिया।
कहा वत्स तुमने यह सब क्या स्वयं से किया या फिर किसी के आदेश के कारण?
समीर बोल पड़ा यह सब सिद्ध होने के बाद राजा के आदेश पर यही मैंने मृत्युदंड दिया।
वत्स फिर तुम दोषी कैसे हुए? तुमने तो अपने स्वामी के आदेशों का पालन किया है ।
ऐसा कहते हुए भिक्षुक ने समीर को धम्म के उपदेशों को सुनाया।
उपदेश पूर्ण कर भिक्षुक वापस लौट गए, समीर जैसे ही भिक्षुक को विदा कर वापस आता है उसकी मृत्यु हो जाती है। जिसके उपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।कहानी अंत कर महात्मा बुद्ध शांत हुए। महात्मा बुद्ध के शिष्य इस पूरी घटना को ध्यान पूर्वक सुन रहे थे, उन्होंने महात्मा बुद्ध से पूछा जिसने जीवन भर अनेकों हत्या की थी, वह मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकता है? महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और अपने शिष्यों को समझाया जिसने जीवन में पहली बार ज्ञान की प्राप्ति की हो।
अंत समय जिसका निकट हो और ज्ञान के शब्द उसके कानों में पड़े हो वह मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। महात्मा बुद्ध ने बताया – हजारों-हजार शब्दों के उपदेश व्यर्थ हैं, जब तक व्यक्ति का मन शांत ना हो, मन शांत होने पर एक शब्द से भी ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है।
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3. पुष्प के बदले शरण – Mahatma budh ki kahani
एक समय की बात है महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ मगध आए हुए थे। वहां एक चंदौसा नाम का मोची गांव के बाहर अपनी कुटिया बनाकर रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और 4 बच्चे रहा करते थे। चंदौसा की कुटिया के बाहर एक बड़ा सा तालाब था, जिसमें बरसात का पानी जमा हुआ करता था।
चंदौसा सवेरे उठकर जब तालाब पर गया तो उसे एक कमल का पुष्प दिखाई दिया जो दिव्य था। चंदौसा ने अपनी पत्नी फुलौरी को उस पुष्प के बारे में बताया। फुलौरी शांत स्वभाव की थी और पतिव्रता भी थी। फुलौरी ने तत्काल बताया महात्मा बुध यहां आए हुए हैं, शायद वह इस तालाब के पास से गुजरे होंगे जिसके कारण यह फूल हुआ है। चंदौसा के मन में अमीर बनने का स्वपन जागृत हुआ। वह झटपट तालाब में कूद गया और उस पुष्प को तोड़कर ले आया और अपनी पत्नी से आगे की रणनीति बताता है।
मैं यह पुष्पा राजा को देकर इसके बदले ढेर सारा मूल्य प्राप्त करूंगा और हम लोग अपना जीवन आराम से व्यतीत करेंगे।
फुलौरी – यह तो अच्छी बात है यह पुष्प हमारे किस काम का? यह राजा को ही दे आइए।
चंदौसा – ठीक है, मैं शीघ्र ही लौट कर आता हूं! कहते हुए वह राजमहल की ओर तेज कदमों से निकल पड़ा।
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रास्ते में चंदौसा को तेज कदमों से जाते हुए एक व्यापारी देख लेता है।उसके हाथों में दिव्य पुष्प देखकर व्यापारी के मन में उस पुष्प को प्राप्त करने की अभिलाषा जागृत होती है। व्यापारी आवाज देकर चंदौसा को बुलाता है और उस पुष्प का मूल्य पूछता है। व्यापारी उस पुस्तक का मूल्य 2 स्वर्ण मुद्रा देने को तैयार हो जाता है। किंतु अंत समय में चंदौसा यह सोचता है व्यापारी जब इस पुष्प का मूल्य 2 स्वर्ण मुद्रा दे रहा है तो राजा अवश्य ही इसके अधिक मूल्य देगा।
व्यापारी को ना करते हुए वह राजमहल की ओर दौड़ता हुआ निकल गया।
राह में राजा रत्नेश आते दिखाई दिए, चंदौसा ने उस पुष्प को राजा को दिखाया राजा उस पुष्प का मूल्य 5 स्वर्ण मुद्रा देने को शीघ्र तैयार हो गए। चंदौसा सोच में पड़ गया कि इस पुष्पों में ऐसी क्या खास बात है, जो व्यापारी और राजा इसकी प्राप्ति करना चाहते हैं। और मेरे पास यह पुष्प है जिसका मैं प्रयोग या मूल्य नहीं जानता यह कितना मूल्यवान है इसकी समझ मुझे नहीं है।
एकाएक चंदौसा के दिमाग में बिजली सी कौंध जाती है, वह राजा को भी ना करते हुए वह महात्मा बुद्ध के शरण में पहुंच जाता है। महात्मा बुद्ध के चरणों में गिरकर वह पुष्प उन्हें समर्पित कर देता है और अपने शरण में संरक्षण मांगता है। महात्मा बुध चंदौसा को उठाकर हृदय से लगा लेते हैं और उसे अपने शरण में लेते हैं। चंदौसा को ज्ञान प्राप्त होता है फिर वह अपने समाज में ज्ञान के माध्यम से समाज की पीड़ा हरने का प्रयत्न करता है और आजीवन महात्मा बुद्ध का शिष्य बन जाता है।
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समापन
गौतम बुद्ध ने समाज के उन्नति तथा अध्यात्म की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए जीवन के परम उद्देश्य को समाज के बीच साक्षात्कार कराया।उपरोक्त कहानी के माध्यम से अपने सामाजिक तथा जीवन के नैतिक शिक्षा का साक्षात्कार किया। उक्त लेख आपको कैसा लगा अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में लिखें।
गौतम बुद्ध कहानियां पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता है और आपने यह कहानी लिखकर मेरा हृदय परिपूर्ण कर दिया है. मुझे यह कहानी पढ़कर बहुत अच्छा लगा और मैं अपने दोस्तों और फैमिली में भी इसको जरूर शेयर करूंगा और आपसे आशा भी करूंगा कि आप आने वाले दिनों में और कहानियां यहां पर जरूर जुड़ेंगे
गौतम बुद्ध की कहानी मुझे बहुत अच्छा लगा।
और आत्मा भर गया इस कहानी को सुन कर।
मैं अपने दोस्तों के भी इस कहानी के बारे मे बताउगा।
गौतम बुद्ध की एक कहानी का शीर्षक था- “तू बोला क्यो ?”
1972 के आसपास किसी किताब में पढ़ी थी । उसकी तलाश में हूँ ।
bahut hi gyanvardhak kahaniya hai
बहुत अच्छी कहानियां हैं
मुझे बहुत पसंद हैं गौतम बुद्ध की कहानियां पढ़ना ।
मेरे प्रिय भगवान हैं गौतम बुद्ध
उनके सभी उपदेश बहुत ज्ञान कारक हैं
जीवन में अगर सफल इंसान बनना हो तो बुद्ध की बाते सुनो
भगवान बुद्ध की कहानियां पढ़कर मुझे बहुत शांति मिलती हैं।कृपया ओर कहानी शेयर करें।धन्यवाद
गौतम बुद्ध ने क्यों दिया मौत की दवा.