राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास, प्रमुख विशेषता एवं घटनाक्रम. भारत सदैव से हिंदू राष्ट्र रहा है भारत में प्रभु श्रीराम आस्था का केंद्र माने गए हैं। उनसे करोड़ों भक्तों की भावना तथा आस्था जुड़ी हुई है। बीते 500 वर्ष पूर्व उनके मंदिर को खंडित कर मस्जिद का निर्माण कराया गया। जो लाखों-करोड़ों हिंदुओं के मान-मर्यादा तथा आस्था पर चोट था।
500 वर्ष पूर्व युगीन समस्या से भारत देश सामना कर रहा था। वैमनस्य का भाव लोगों के बीच व्याप्त था। जिसका दुष्परिणाम हमें देखने को मिला। आज जब हम राम मंदिर का निर्माण कर रहे हैं , तो उसके संपूर्ण पृष्ठभूमि पर एक नजर डाल लेते हैं।
राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास, प्रमुख विशेषता एवं घटनाक्रम
मंदिर निर्माण की प्रमुख विशेषता
राम मंदिर का जो प्रचारित रूप हमने देखा था। जिस मंदिर से हम अब तक परिचित थे , अर्थात प्रत्येक आंदोलन में जिस राम मंदिर को हम देखा करते थे। वह मंदिर की रूपरेखा लगभग सौ वर्ष पूर्व की थी। सौ वर्ष पूर्व लोगों के पास ना मोबाइल हुआ करते थे और ना ही गाड़ी।
आज जहां लोग संपन्न है तो मंदिर भी भव्य बनना चाहिए।
इसका विशेष आग्रह किया गया था।
इसी आग्रह पर ध्यान करते हुए मंदिर को और भव्य बनाने का एक मत से निर्णय लिया गया। जिसमें पूर्व मंदिर में तीन गुबंद थे , उसे विस्तार करके पांच कर दिया गया है।
मंदिर से संबंधित प्रारूप निम्न प्रकार के हैं –
कुल क्षेत्रफल | 2.7 एकड़ |
कुल मंदिर निर्मित क्षेत्र | 57400 वर्ग फीट |
मंदिर की कुल लंबाई | 360 फीट |
कुल चौड़ाई | 235 फीट |
कुल शिखर सहित ऊंचाई | 161 फीट |
कुल तल | 3 |
भूतल के स्तंभों की संख्या | 160 |
प्रथम तल में स्तंभों की संख्या | 132 |
द्वितीय तल में स्तंभों की संख्या | 74 |
मंदिर प्रांगण की महा योजना 67.3 एकड़ में –
- संग्रहालय
- ग्रंथालय
- 360 डिग्री रंगभूमि
- यज्ञशाला
- सम्मेलन केंद्र
- सत्संग भवन
- धर्मशाला
- अभिलेखागार
मंदिर प्रांगण की महायोजना 67.3 एकड़ में –
- अतिथि भवन
- अनुसंधान केंद्र
- प्रशासनिक भवन
- आवासीय परिषर
- प्रदर्शनी
- तीर्थ यात्री सुविधा
- पार्किंग
- संगीत फव्वारे
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण कार्य –
- मंदिर के वास्तुकार – चंद्रकांत सोमपुरा
- निर्माणकर्ता लार्सन एंड टर्बो
- निर्माण प्रबंधन परामर्श टाटा कंसलटिंग इंजीनियर
राम मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम
राम मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय ने ईसा से लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व कराया था ऐसी मान्यता है। विक्रमादित्य भारत के शक्तिशाली राजा थे उन्होंने भारत में ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण कराया था।
- 1528 में –
बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को खंडित करके मस्जिद का रूप दे दिया था। ऐसा करके उसने अपनी शक्ति और भय का परिचय ‘भारत में प्रस्तुत करने का प्रयास किया था।
- 1853 –
राम मंदिर तथा भूमि को लेकर हिंदू और मुसलमानों में पहला विवाद हुआ था , जिसके साक्ष्य आज इतिहास में उपलब्ध है। हिंदू और मुसलमान जमीन पर अपना-अपना दावा पेश कर रहे थे।
- 1859 –
यह विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। भारत में उस समय अंग्रेजी हुकूमत थी , अंग्रेजों ने विवाद को शांत करने के लिए मंदिर के भीतर नमाज पढ़ने तथा पूजा करने के लिए बाहर की जगह तय कर दी थी।
1949 –
राम को अपना आराध्य मानने वाले मस्तानों ने राम की मूर्ति को मंदिर के भीतर स्थापित कर दिया। जिसके कारण पूरे देश में तनाव बढ़ गया था। प्रशासन ने तनाव को रोकने के लिए मंदिर को ताला लगा कर दोनों पक्ष को वहां से दूर रखने का प्रयास किया।
- 1986 –
अयोध्या के जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं के पक्ष को रखते हुए वहां पूजा-अर्चना करने की अनुमति प्रदान की। जिला न्यायाधीश के इस आदेश के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध तथा आपत्ति दर्ज कराई।
- 1989 –
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने विवादित जमीन के बाहर राम मंदिर निर्माण की कार्यशाला आरंभ की।
- 6 दिसंबर 1992 –
यह वह दिन था जब राम के मस्तानों की एक टोली विवादित ढांचे की ओर बढ़ती गई और देखते ही देखते मस्जिद को विध्वंस करते हुए गुजर गई। इस मस्जिद के विध्वंस के उपरांत देशभर में दंगा फैल गया।
जिसके कारण लगभग दो हजार जान देशभर में गई।
यह वह आंकड़े हैं जो सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है।
16 दिसंबर 1992 –
बाबरी मस्जिद विध्वंस की निष्पक्ष रुप से जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन किया गया जिसमें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त रिटायर जज को अध्यक्ष बनाया गया। इस आयोग को 16 मार्च 1993 तक अपना रिपोर्ट सरकार को सौंपना था किंतु जांच में निरंतर देरी होती रही।
- 1993 –
सरकार ने राम मंदिर विवादित क्षेत्र को अधिग्रहण का कार्य आरंभ किया तो , मोहम्मद इस्माइल फारूकी ने इस अधिग्रहण के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- 1996 –
राम जन्मभूमि न्यास ने जमीन अपने पक्ष में मांग की जिसे सरकार ने मांग को ठुकरा दिया।
- 1997 –
राम जन्मभूमि न्यास भूमि की मांग को लेकर हाईकोर्ट में गए , वहां भी उनकी मांग को खारिज कर दिया गया।
2010 –
तमाम साक्ष्यों , सर्वे , उत्खनन आदि को पुख्ता प्रमाण मानते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बहुमत से जमीन राम मंदिर बनाने के लिए हिंदू पक्ष को दे दिया जाए ऐसा आदेश पारित किया। इस आदेश को मुस्लिम पक्षकारों ने नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट की शरण में आ गए।
- 9 नवंबर 2019 –
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्य की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में विवादित जमीन जिसका क्षेत्रफल 2.77 एकड़ था हिंदू को मंदिर बनाने के लिए देने का आदेश पारित किया। साथ ही मुस्लिम पक्षकारों को मस्जिद या उनके इच्छा अनुसार निर्माण के लिए 5 एकड़ की जमीन देने का भी आदेश दिया।
- 5 अगस्त 2020 –
यह वह दिन था जो बहुप्रतीक्षित लगभग 500 वर्ष की आशा और संघर्ष का परिणाम था।
- जब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी ,
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ,
- योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ,
- आनंदीबेन पटेल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ,
- महंत नृत्य गोपालदास जी
आदि की मौजूदगी में विधि-विधान के साथ तीन दिवसीय शुद्धिकरण कर भूमि पूजन किया गया।
श्री राम कौन थे?
राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। पृथ्वी पर आसुरी शक्ति निरंतर बढ़ती जा रही थी , यह शक्तियां अनियंत्रित थी जो समाज के लिए हितकारी नहीं थी।
ऋषि-मुनियों तथा मानव को यह शक्तियां निरंतर परेशान कर रही थी।
उनका अत्याचार इतना बढ़ गया था कि पृथ्वी त्राहि मान कर उठी।
इन शक्तियों के बोझ से पृथ्वी निरंतर झुकी जा रही थी। देवताओं ने रक्षा के लिए विष्णु जी की आराधना की , परिणाम स्वरूप राम अवतार में विष्णु प्रकट हुए और उन आसुरी शक्तियों को एक साधारण मानव की भांति दूर करते हुए लोगों को जीवन के उच्च आदर्शों से परिचय कराया। मानव अपने उच्च आदर्श के माध्यम से सभी शक्तियों से स्वयं समाधान तथा मुक्ति पा सकता है
रामराज्य जो आज भी मिसाल है ऐसे राज्य की स्थापना कर प्रभु श्री राम ने अमिट छाप छोड़ी है। जिस रामराज्य में प्रजा पुत्र की भांति रहा करती थी , एक-दूसरे के प्रति राग-द्वेष नहीं था। सदाचार , पूजा-पाठ आदि का बोलबाला था , लोग स्वतंत्रता से एक जगह से दूसरी जगह जा सकते थे।
ऋषि-मुनि भय मुक्त हो गए थे , ऐसे रामराज्य की कल्पना आज प्रासंगिक है।
श्री राम ने राजा दशरथ जो अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट थे।
उनके घर जेष्ठ पुत्र के रूप में अवतार लेकर मानव कल्याण की नींव रखी। उनके साथ लक्ष्मण , भरत , शत्रुघ्न भी अवतरित हुए। लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना गया।
भरत धर्मात्मा थे , वही शत्रुघ्न शत्रु का मर्दन करने वाले निर्भीक योद्धा थे।
अयोध्या
अयोध्या का जिक्र वेद-पुराण में पावन नगरी के रूप में किया जाता है। यह पावन नगरी प्रभु श्री राम की जन्मस्थली है। प्रभु श्री राम के जन्म लेने के पश्चात अनेकों देवी-देवता उनके दर्शन करने अयोध्या आया करते थे। यहां इक्ष्वाकु कुल के राजा रघु ने अपनी नगरी बस आई थी , तब से यह राज्य रघुकुल वंशीयों का है।
वर्तमान समय में अयोध्या भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत आता है।
यह वही अयोध्या है जहां मीर बाकी ने राम मंदिर को खंडित कर मस्जिद का निर्माण कराया था और अपने आक्रांत छवि को स्थापित किया।
जिस अयोध्या नगरी में अनेकों प्रतापी राजा हुए उस राज्य की ऐसी दुर्दशा पिछले पांच सौ वर्ष पूर्व हुई। जिसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता था। आज जब पुनः भक्त जागृत हुए हैं , राष्ट्र जागृत हुआ है तो अयोध्या को पावन धाम बनाने की पुनः कोशिश है।
राम नाम का जयकारा चारों ओर गूंजे ऐसा कार्य किया जा रहा है।
जहां पूर्व पांच सौ वर्ष प्रभु श्रीराम निर्वासित हुए , आज उनको उनके पावन धाम में स्थापित करने का समय आ गया है।
राम मंदिर का निर्माण
भारत सदैव से दानी स्वभाव का रहा है , यहां के राजा रजवाड़े भी धर्म कार्य में पीछे नहीं रहा करते थे। वह अपने प्रजा के सभी सुख सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करने में अपनी प्रसन्नता मानते थे। भारत में ईसा से लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व ऐसे ही यशस्वी सम्राट विक्रमादित्य द्वितीय हुए जिन्होंने राम मंदिर का निर्माण कराया था।
राम मंदिर खंडित
राम मंदिर को मीर बाकी ने 1528 में खंडित कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया था। मीर बाकी बाबर का सेनापति था। अपने राजा की प्रसन्नता के लिए उसने इस प्रकार का कार्य किया था। उसकी स्पष्ट मंशा थी दूसरे धर्मों की भावनाओं को आहत करना और अपना धर्म प्रचार करना।
इसी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु राम मंदिर को आधुनिक तोप का प्रयोग करते हुए खंडित किया था।
मंदिर के दो पक्ष प्रथम विवाद
जैसा कि स्पष्ट है राम मंदिर को खंडित करके मस्जिद बनाया गया था। एक ही स्थल पर दो धर्म समुदाय के पूजा स्थल होना और उस पर अपना अपना दावा करना विवाद को जन्म देता है।क्योंकि दोनों पंथ की पूजा पद्धति भिन्न है , इसलिए यह विवाद 1853 में प्रथम बार मजबूती से देखने को मिला।
इसके उपरांत निरंतर विवाद गहराता गया , जिसका समाधान 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से हुआ।
बाबरी मस्जिद विध्वंस
राम भक्तों ने दीर्घ काल से मंदिर की मांग करते अपने सहनशीलता का परिचय दिया। किंतु कोर्ट , प्रशासन कोई उनकी बात सुनने को त्यार नहीं हुआ। अपनी आवाज को प्रशासन तथा कोर्ट तक पहुंचाने के लिए बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया गया।
6 दिसंबर 1992 यह इतिहास में शौर्य पराक्रम का दिवस माना गया है। इसी दिन बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर अपने शांत स्वभाव के साथ अपनी शक्ति और सामर्थ्य का परिचय भी दिया गया।
इसके उपरांत प्रशासन तथा कोर्ट सभी राम मंदिर के विषय में बात सुनने को तैयार हुए।
पांच सौ वर्ष का संघर्ष
राम मंदिर को मीर बाकी ने खंडित कर हिंदू मान्यता पर जो ठेस पहुंचाया था। उसकी क्षतिपूर्ति के लिए निरंतर संघर्ष किया गया। आज लगभग 500 वर्ष हो गए जिसमें सैकड़ों बड़े आंदोलन तथा अनगिनत छोटे-छोटे आंदोलन किए गए। यह संघर्ष अयोध्या से बाहर निकल कर पूरे देश और विश्व में फैल गया। राम को अपना आराध्य मानने वाले भक्तों ने इस आंदोलन में हंसते-हंसते अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए , तब जाकर प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर निर्माण संभव हो सका।
इस आंदोलन में हिंदू धर्म तथा राम को मानने वाले लोग शामिल हुए बच्चे , बूढ़े , महिलाएं सभी उम्र के लोगों का समर्थन रहा। समय-समय पर संत महात्माओं ने आंदोलन के लिए आह्वान किया। जिसमें विशाल जनसमूह ने भाग लेते हुए आंदोलन को सफल बनाया। विश्व हिंदू परिषद आदि ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाते हुए निरंतर राम मंदिर के लिए अलख जागते रहे।
प्रथम कारसेवक का आंदोलन
कारसेवक शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसमें कर अर्थात हाथ , सेवक , सेवा है। अर्थात वह सेवा जो खुद के हाथ से की गई हो। यह वॉलंटरी बेस पर होता है यह निशुल्क सेवा की जाती है विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में लाखों कारसेवकों ने राम मंदिर के लिए अपना तन-मन-धन-सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।
21- 30 अक्टूबर 1990 को लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंच गए और मंदिर निर्माण की मांग को उठाने लगे। यह वह समय था जब सत्ता में समाजवादी पार्टी बैठी थी। कारसेवकों के उग्र मांग को देखते हुए प्रशासन पहले से ही सतर्क था। चारों ओर पुलिस तथा सेना की किलेबंदी थी जगह-जगह बेड़िगेटिंग से कारसेवकों को रोका गया था , मगर कारसेवकों की टोली अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही।
कारसेवकों को रोकने के लिए प्रशासन ने गोलियां चलाई जिस पर सैकड़ों कारसेवकों की जान चली गई। शायद ही ऐसा कोई आंदोलन या अभियान होगा जिसमें धार्मिक मांग के लिए गोली चलानी पड़ी हो यह इतिहास में काला दिन के समान था।
बाबरी मस्जिद विध्वंस कर कोठारी बंधुओं ने भगवा फहराया था।
उसके 3 दिन बाद उन बंधुओं की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी।
राम रथ लाल कृष्ण आडवाणी
भारतीय जनसंघ में लालकृष्ण आडवाणी मुख्य नेता के रूप में उभरे। इनका कद राजनीति में निरंतर बढ़ता जा रहा था , साथ ही उन्होंने राम मंदिर का विषय उठाकर राम को मानने वाले जन समुदाय को अपने पक्ष में कर लिया था।
लालकृष्ण आडवाणी 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ लेकर निकले।
यह रथयात्रा बेहद विशाल थी , यात्रा ने सफलतापूर्वक सभी पड़ाव लगभग पार कर लिए थे।
जब यह यात्रा बिहार के समस्तीपुर में पहुंचा , वहां लालू प्रसाद यादव की सरकार थी 23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर रथयात्रा को रुकवा दी गया गया। इस रथयात्रा ने जनाक्रोश को और बढ़ा दिया , जिसका परिणाम 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के रूप में देखने को मिला।
राम मंदिर – जमीन खुदाई में प्राप्त साक्ष्य तथा अवशेष
राम मंदिर अयोध्या में बेहद प्राचीन था , यह कोई एक विचार या बोलने की बात तक सीमित नहीं है। इसके साक्ष्य वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किए हैं। उत्खनन में ऐसे साक्ष्य मिले हैं , जो मंदिर होने का पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। भूमि के गर्भ में भी राम मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए सभी साक्ष्यों को कोर्ट के सामने रखा गया।
उन साक्ष्यों पर विचार करते हुए कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला 9 /11 /2019
सुप्रीम कोर्ट ने दीर्घ प्रतिक्षित फैसला 9 नवंबर 2019 को सुनाया। इस फैसले के लिए राम भक्तों ने 500 वर्ष की प्रतीक्षा की। मंदिर निर्माण के लिए असंख्य बलिदान दिए तब जाकर यह दिन आया था।
कई दिन पूर्व से चर्चाएं चारों ओर फैली हुई थी , पूरा देश कोर्ट के प्रत्येक शब्दों और मिनट पर गौर कर रहा था। देखते-देखते वह अंतिम शब्द भी कोर्ट से बाहर आया जो रामलला के हित में था। अर्थात मंदिर निर्माण का। पांच जजों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में यह फैसला सुनाकर इतिहास में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी।
राम मंदिर भूमि पूजन 5 अगस्त 2020
5 अगस्त 2020 को तीन दिवस का शुद्धिकरण के उपरांत भूमि पूजन का कार्यक्रम किया गया। शुद्धिकरण का आयोजन इसलिए किया गया था क्योंकि विधर्मीयों ने पवित्र स्थल को दूषित कर दिया था। हमारे धर्म तथा शास्त्र में शुद्धिकरण का व्यापक वर्णन मिलता है। राम मंदिर को खंडित करने वाले विधर्मी ओ तथा वहां पर हो रहे अनेकों क्रियाकलाप से मुक्ति पाने तथा उस को शुद्ध करने के लिए शुद्धिकरण यज्ञ तथा पूजा-पाठ किया गया।
5 अगस्त 2020 को भारत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ तथा उत्तर प्रदेश की उपराज्यपाल आनंदीबेन पटेल और महंत श्री नृत्य गोपाल दास जी के माध्यम से भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कल्पवृक्ष लगाकर समाज में सुख-शांति , धन-समृद्धि आदि का संदेश दिया। कोरोना जैसी महामारी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इतने बड़े भव्य पूजन में भाग लिया और वर्षों से चली आ रही मांग को पूरा करने का प्रण लिया।
राम मंदिर निर्माण कमिटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर निर्माण की अनुमति देते हुए , मंदिर निर्माण के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया। राम मंदिर जन्मभूमि तीर्थ स्थली के लिए निम्न कार्यकर्ता चयन किए गए –
- अध्यक्ष – पूज्य श्री महंत स्वामी नृत्यगोपालदास जी महाराज
- महामंत्री – श्री चंपत राय जी
- कोषाध्यक्ष – पूज्य श्री स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज
राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह
राम सबके हैं तथा सब राम के हैं। राम मंदिर के निर्माण के लिए किसी एक व्यक्ति ने संघर्ष नहीं, बल्कि पूरे समाज ने संघर्ष किया। जिसका परिणाम आज सुखद है। अनेकों धनाढ्य लोगों ने मंदिर निर्माण में पूरा धन अकेले देने का प्रस्ताव रखा।
किंतु साधु-संतों ने यह कहते हुए उनके धन को अस्वीकार कर दिया की –
‘राम सबके हैं , और राम मंदिर के लिए सभी ने संघर्ष किया है। ‘
अतः प्रत्येक घर से कुछ ना कुछ सहयोग लेकर राम मंदिर का भव्य निर्माण किया जाएगा।’
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए , राम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए साधु संतों ने देश भर से प्रत्येक घर जा-जाकर धन संग्रह करने का आग्रह किया। इस आग्रह पर विचार करते हुए सभी हिंदू विचारधारा के लोगों ने घर-घर संपर्क अभियान टोली बनाकर किया। और राम मंदिर के लिए धन को एकत्रित का प्रण लिया । किसी एक व्यक्ति के द्वारा मंदिर बनाने पर उस व्यक्ति का नाम मंत्र के साथ जुड़ जाता। जबकि राम मंदिर का निर्माण प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा थी।
इस इच्छा की पूर्ति हेतु धन संग्रह के लिए समाज के बीच जाने का निर्णय लिया गया।
रामो विग्रहवान धर्मः
श्री राम धर्म के मूर्तिमंत स्वरूप है , वह भारत की आत्मा है। श्रीराम जन्मभूमि भूमि पर भव्य राम मंदिर भारतीय मन की शाश्वत प्रेरणा है। इसके लिए राम भक्तों ने 492 वर्षों तक अनवरत संघर्ष किया है।
अतीत के 76 संघर्षों में 400000 से अधिक राम भक्तों ने बलिदान दिया।
लगभग 36 वर्षों के सुशित्र श्रृंखलाबद्ध अभियानों के फल स्वरुप संपूर्ण समाज में
- लिंग ,
- जाति ,
- वर्ग ,
- भाषा ,
- संप्रदाय ,
- क्षेत्र
- आदि भेदों से ऊपर उठकर एकात्मभाव से श्रीराम मंदिर के लिए अप्रतिम त्याग और बलिदान किया
परिणाम स्वरूप 9 नवंबर 1989 को श्री राम जन्मभूमि पर शिलान्यास पूज्य संतों की उपस्थिति में अनुसूचित समाज के बंधु श्री कामेश्वर चौपाल में किया। यद्यपि आस्था का विषय न्यायालयों की लंबी प्रतीक्षा सत्र न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक में फस गया था। तथापि पौराणिक साक्ष्यों , पुरातात्विक उत्खनन , राडार तरंगों की फोटो प्रणाली तथा ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर उच्चतम न्यायालय की पांच 10 सदस्य पीठ ने ,
9 नवंबर 2019 को सर्वसम्मति से एकमत होकर निर्णय देते हुए कहा –
‘ यह 14000 वर्ग फिट भूमि श्रीराम लला की है।
सत्य की प्रतिष्ठा हुई , तथ्य और प्रमाण के साथ श्रद्धा आस्था और विश्वास की विजय हुई।
भारत सरकार ने 5 फरवरी 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से न्यास का गठन किया और भूमि अधिग्रहित 70 एकड़ भूमि श्रीराम जन्म तीर्थ क्षेत्र को सौंप दी। तदुपरांत 25 मार्च 2020 को श्री राम लला त्रिपाल के मंदिर से अपने अस्थाई नवीन कास्ट में विराजमान हुए। 5 अगस्त 2020 को सदियों के स्वप्न संकल्प सिद्धि का व अलौकिक मुहूर्त उपस्थित हुआ।
जब पूज्य महंत नृत्य गोपालदास जी सहित देशभर की विभिन्न आध्यात्मिक धाराओं के प्रतिनिधि पूज्य , आचार्य , संत एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी के पावन सानिध्य में भारत के जनप्रिय एवं यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण का सूत्रपात किया।
इस शुभ मुहूर्त में देश के 3000 से भी अधिक पवित्र नदियों एवं तीर्थों का जल , विभिन्न जाति-जनजाति श्रद्धा केंद्रों तथा बलिदानी कारसेवकों के घर से लाई गई मिट्टी ने संपूर्ण भारतवर्ष को आध्यात्मिक रूप से भूमि पूजन में उपस्थित कर दिया। पूज्य संतों ने यह आह्वान किया कि राम जन्मभूमि में भव्य मंदिर बनाने के साथ-साथ जनसंपर्क के हृदय मंदिर में श्रीराम एवं उनके जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा हो।
श्रीराम 14 वर्षों तक नंगे पैर में घूमे।
समाज के हर वर्ग तक पहुंचे उन्होंने वंचित , उपेक्षित समझे जाने वाले लोगों को आत्मीयता से गले लगाया।
अपनत्व की अनुभूति कराई , सभी से मित्रता की।
जटायु को भी पिता का सम्मान दिया , नारी की गरिमा को पुनर्स्थापित किया।
असुरों का विनाश का आतंकवाद का समूल नाश किया।
रामराज्य में परस्पर
- प्रेम ,
- सद्भाव ,
- मैत्री ,
- करुणा ,
- दया ,
- ममता ,
- क्षमता ,
- बंधुत्व ,
- आरोग्य ,
- त्रिविध ताप वहीं सर्व समृद्धि पूर्ण जीवन सर्वत्र था
हम सब को पुनः अपने दृढ़ संकल्प एवं सामूहिक पुरुषार्थ को ऐसा ही भारत बनाना है।
समर्पण का दान भारतीय सनातन समाज की पुरातन विशेषता रही है।
विद्यार्थी , वानप्रस्थी , सन्यासी , भिक्षु आदि को जीवन यापन हेतु संसाधन उपलब्ध कराना। मंदिर एवं तीर्थों में धर्मशाला तथा अन्य समाज उपयोगी स्थानों का निर्माण कराना।
सहयोग करना समाज के श्रीमंतों का शाश्वत स्वभाव रहा है।
यह सामाजिक कर्तव्य भी माना गया है , इसी प्राचीन परंपरा के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण हेतु समस्त समाज के सात्विक दान का आग्रह एवं सहयोग का आह्वान करता है। महासागर पर सेतुबंध के समय गिलहरी की भांति इस पुनीत यज्ञ में यथाशक्ति योगदान कर पुण्य के भागी बने।
कण-कण देना , क्षण-क्षण देना , यह जीवन का अर्थ है
जो जैसा मन से देता है , वह उतना अधिक समर्थ है। ।
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राम मंदिर निष्कर्ष –
प्रभु श्रीराम प्रत्येक हिंदू के आस्था का केंद्र हैं। उनसे करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। भारत की संस्कृति प्रभु श्री राम के नाम से जानी जाती है। भारत जो राजा भरत के नाम से जाना जाता है , उस देश में प्रभु श्रीराम का ऐसा अपमान तथा इस प्रकार के आंदोलन शोभा नहीं देते।
प्रभु श्रीराम की पुनः अयोध्या में अपने धाम वापसी हो रही है।
जिसका हर्षोल्लास चारों ओर दिखाई पड़ रहा है। इस संघर्ष में लाखों नव युवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। कितने ही प्रकार के आंदोलन किए गए , दीर्घ प्रतीक्षा के बाद पुनः वह पावन दिन आया है। राम मंदिर निर्माण में प्रत्येक घर तथा व्यक्ति से सहयोग मिले इस अपेक्षा के साथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। धन संग्रह के लिए भी प्रत्येक घर तक संपर्क किया जा रहा है।
जिससे उनके संघर्षों को राम मंदिर के साथ जोड़ा जा सके।
जैसा एक गिलहरी का उदाहरण देखने को मिलता है जो राम काज में अर्थात सेतुबंध में अपने शरीर से चिपकाकर रेत लाती और सेतु निर्माण में योगदान देती। इस प्रकार का छोटा सा योगदान भी उसे अमर बनाता है। आज वैसा ही कार्य हमारे समक्ष करने को आया है। हम भी अपने तन-मन-धन आदि से श्री राम प्रभु के कार्य में भागीदार बने।
इसी आशा के साथ राम भक्तों को राम राम।
राम भजन के ऊपर बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने. इसमें बहुत सारे गीत उपलब्ध है परंतु ऐसे भी गीत है जो यहां उपलब्ध नहीं है और मैंने सोचा था कि आप यहां पर डालेंगे. परंतु कोई बात नहीं आपने बहुत अच्छा संग्रह किया है राम भजन पर. बोलो सिया राम चन्द्र की जय।