Today we are writing the best Motivational Kahani with powerful moral values.
विश्वास रखना या होना बुरा नहीं हैं। परन्तु चाणक्य कहते हैं अति सर्वत्र वर्जते। अति से हमेशा दूर रहना चाहिए। आइये पढ़ते हैं एक बेहतरीन मोटिवेशनल कहानी।
गुरु गोविंद साहब का बाज – Best motivational kahani in Hindi
मुरली दुबला – पतला और शांत स्वभाव का लड़का था। उसके सहपाठी उसे खूब चिढ़ाते और कभी-कभी लड़ाई झगड़ा भी किया करते थे। मुरली इन सभी अन्याय को चुपचाप सह जाता था।
एक दिन की बात है मुरली स्कूल से घर की ओर लौट रहा था , तभी कुछ लड़कों ने छोटी – मोटी कहासुनी पर मुरली की पिटाई कर दी।मुरली रोता – रोता घर आया। किंतु बात ना बढ़े इसलिए मां-बाप को लड़ाई – झगड़े की बात नहीं बताई।
अब मुरली को विद्यालय जाना यहां तक कि घर से बाहर निकलना भी अच्छा नहीं लगता था।
एक दिन मुरली बैठा हुआ टेलीविजन देख रहा था। तभी गुरु गोविंद सिंह के बाज के बारे में सुना जो हजारों चिड़ियों पर भारी था।
मुरली ने गुरु गोविंद सिंह जी के बाज से प्रेरणा लेते हुए अपने दुबले – पतले शरीर पर ध्यान देना शुरू किया।
छह-सात महीने बीते होंगे मुरली अब हट्टा – कट्टा शरीर का हो गया था। अब जिम भी जाने लगा था। जो दोस्त उसे चिढ़ाते थे और लड़ाई – झगड़ा करते थे वह भी अब मुरली से डरने लगे थे।
मोरल –
अपने मन में इरादे पक्के हो तो किसी भी समस्या पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।
Moral values hidden in this motivational story
- Don’t fall prey to weakness intentionally.
- Because people will make fun of you and would try to take advantage.
- If you have time and facility then make yourself so powerful that no one can oppress you.
- Do workout and exercise to make yourself strong.
गुरु गोविंद साहब का बाज कहानी पढ़ने के बाद अब आप पढ़ेंगे दूसरी कहानी वक्त पर तैयारी आवश्यक है।
वक्त पर तैयारी आवश्यक है
This motivational kahani is best for students who are studying in schools.
मोहन अंग्रेजी स्कूल में पड़ता है , वह पढ़ने लिखने में बेहद ही होनहार है। उसकी गणना विद्यालय के मेधावी छात्रों में की जाती है , वह अपनी कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है और पूरे विद्यालय में अधिक अंक प्राप्त करने का भी हौसला रखता है।
एक दिन की बात है
विद्यालय में पर्यावरण पर एक निबंध प्रतियोगिता होने की घोषणा हुई , और समय एक महीने आगे का रखा गया। सभी विद्यार्थी उत्साहित थे कि उन्हें निबंध प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना है और अन्य छात्रों से अधिक अंक प्राप्त करना है।
किंतु मोहन उत्साहित नहीं था , वह इसे विद्यालय के द्वारा की गई गलती समझ रहा था क्योंकि निबंध लिखना उसके लिए बेहद ही आसान काम था। जिसके लिए विद्यालय ने एक महीने आगे का समय रखा है यह केवल समय की बर्बादी है।
मोहन कुछ कर भी नहीं सकता था , इसलिए वह चुपचाप रहा और एक महीने बीतने का इंतजार करने लगा।
जब महीना बीतने में दो दिन मात्र शेष रहे , मोहन को अब लगा कि उसे कुछ तैयारी कर लेनी चाहिए ताकि वह अन्य छात्रों से अधिक अंक लाकर प्रथम स्थान प्राप्त कर सके।
मोहन ने झटपट सारी पुस्तकें निकाली और अन्य स्रोतों के माध्यम से निबंध की तैयारी करने का पूरा सांचा तैयार किया।
किंतु इस तैयारी में उसे दो दिन भी कम पड़ गए।
विद्यालय में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ , जब परिणाम की घोषणा की गई तो प्रथम पुरस्कार रोहित को मिला जो कक्षा में सबसे कम अंक प्राप्त करता था।
ऐसा देखकर मोहन को काफी दुख हुआ।
वह निराशा के साथ रोने लगा और उसने किसी भी मित्र से कुछ बात नहीं की।
मोहन रोते-रोते अपने घर पहुंचा जहां उसकी बहन ने उसके रोने का कारण पूछा किंतु वह अपनी बहन से भी अपने रोने की बात साझा नहीं किया।
किंतु उसकी बहन समझ गई कि मोहन को पुरस्कार नहीं मिला है जिसके कारण रो रहा है।
क्योंकि मोहन की बहन सारी परिस्थितियां जानती थी उसने मोहन को अपने पास बिठाया और उसे ध्यान से समझाया कि जब प्रतियोगिता के लिए एक महीने का समय मिला था तुमने उसमें कुछ तैयारी नहीं की। यह तुम्हारा अधिक विश्वास है , जो तुम्हें धोखा दे गया। इसलिए किसी भी तैयारी के लिए उसमें पूरा समय और अपना समर्पण देना होता है , तभी जाकर सफलता हाथ लगती है।
बड़ी बहन की बातों में अधिक विश्वास और प्यार था जिसके कारण मोहन ने रोना बंद कर अपनी बहन से वादा किया कि वह कभी भी किसी काम को आसान नहीं समझेगा उसमें अपना पूरा समर्पण और मेहनत से कार्य करेगा।
कुछ समय बाद जब मोहन की शिक्षा पूरी हुई
वह एक बड़े अस्पताल में एक प्रतिष्ठित डॉक्टर के रूप में कार्य करने लगा। उसके कार्य से मरीज अधिक प्रसन्न रहते और मोहन से इलाज करवाने के लिए लंबी संख्या में मरीजों की पंक्तियां खड़ी रहती थी।
नैतिक शिक्षा
१. कभी घमंड मत करो।
२. समय से पहले ज्यादा मत सोचो। अभी पर ध्यान दो और कोशिश में जुट जाओ।
३. अति का त्याग करना चाहिए।
Moral of this motivational kahani in hindi
1. We should always focus on upcoming things from the beginning.
2. We should utilize every time given to us for any particular work.
3. To get the best results we have to focus on more and more practice.
4. Do not be arrogant for no reason.
5. Stop overthinking.
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Thanks nisha.
Keep reading and motivating us with your comments.
bahut hi acchi motivational kahani di hai sir aapne. yah overconfidence ka behtareen udahran hai.
Thank you.
Keep reading and telling us your valuable views.
Very nice story
Thanks mohan