Read the best bedtime stories in Hindi with moral value for kids.
प्रस्तुत कहानी में नाहरगढ़ के राजा विक्रम सिंह की कहानी के माध्यम से दुख ,संकट के समय को उजागर करते हुए यह कहानी लिखी गई है। उन्होंने किस प्रकार सत्य पर अडिग रहते हुए अपने सुख , संपत्ति , वैभव , यश आदि को प्राप्त किया , इसका विस्तार से लिखने का प्रयास किया गया है।
राजा विक्रम सिंह सत्य और धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति थे। राजा इंद्र के छल में आकर उन्होंने अपनी राज्य लक्ष्मी , यज्ञ , यश कीर्ति आदि को गंवा दिया। किंतु उन्होंने सत्य का साथ नहीं छोड़ा , राजा विक्रम सत्य पर चलते हुए सभी चीजों को पुनः प्राप्त करते हैं और सुख के साथ अपने राज्य का विकास करते हैं।
Bedtime stories in Hindi with moral value
इस कहानी में एक जीवन को चलाने वाली शिक्षा छिपी हुई है, जिसका पालन करते हुए व्यक्ति अपने जीवन को नई बुलंदियों तक ले जा सकता है।
1. सच्चाई की ताकत
एक समय की बात है नाहरगढ़ के राजा विक्रम सिंह ने अपने राज्य में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए जनता से दुकान लगाने वह किसी भी प्रकार का सामान बेचने की घोषणा की। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि किसी भी व्यक्ति का सामान शाम को बच जाएगा वह राजा के द्वारा खरीद लिया जाएगा। राजा विक्रम सिंह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे , और उनका समाज सेवा करना अपने राज्य का ही नहीं अपितु पड़ोसी राज्य का भी उत्थान करना लक्ष्य था।
उनके सत्य वचन से दूर देश के राजा भी प्रभावित थे और उनका सम्मान करते थे।
राजा विक्रम की घोषणा के बाद राज्य में लोगों ने अपनी-अपनी दुकानें खोली और सामान की खरीद बिक्री करने लगे। राजा के मान सम्मान और उनकी योजनाओं के चर्चे दूर देश में भी होने लगे। देवताओं के राजा इंद्र को यह बात सही नहीं लगी और उन्होंने राजा की परीक्षा लेने के लिए साधारण व्यक्ति का वेश बनाकर कूड़े की दुकान लगा कर बैठ गए।
सुबह से शाम हो गई किंतु उसका कूड़ा कोई भी व्यक्ति नहीं खरीदा।
जब राज महल के सिपाही बाजार का निरीक्षण कर रहे थे , तब उन्होंने पाया कि इस व्यक्ति का कूड़ा किसी भी व्यक्ति ने नहीं खरीदा। सिपाहियों ने तुरंत इसकी सूचना राजा विक्रम सिंह तक पहुंचाई। राजा अपने वचन के पक्के थे उन्होंने वचन के अनुसार उस व्यक्ति का सहारा कबाड़ा खरीद लिया और अपने महल में लाकर रखवा दिया। अगले दिन उन्होंने पाया कि उनके महल से एक सुंदर दिव्य रूप धारण किए शुभ्र वस्त्र में एक स्त्री महल से बाहर जा रही है।
राजा ने हाथ जोड़कर उस स्त्री से परिचय पूछा –
स्त्री ने जवाब में कहा !
मैं राज्य लक्ष्मी हूं , मैं गंदगी में बास नहीं कर सकती इसलिए मैं आपका महल छोड़कर जा रही हूं।
ऐसा कहते हुए राज्य लक्ष्मी राज महल से चली गई।
कुछ समय पश्चात एक दिव्य रूप धारण किए पुरुष महल से जाते दिखे , राजा ने हाथ जोड़कर उनका परिचय पूछा तो उन्होंने कहा मैं यज्ञ देव हूं जहां राज्य लक्ष्मी होती है , वही मेरा काम होता है। इसलिए मैं भी आपका महल छोड़कर राज्य लक्ष्मी के पास जा रहा हूं। ऐसा करते करते कई सारे देवी देवता राजा विक्रम सिंह की महल को छोड़कर चले गए , जिनमें – यश – कीर्ति आदि देव भी शामिल थे।
अंत मैं राजा ने एक और आखिरी देव को जाते देखा , उन्होंने हाथ जोड़कर उनका भी परिचय पूछा देव ने कहा मैं सत्य हूं मैं भी तुम्हारे महल को छोड़कर जा रहा हूं। राजा विक्रम सिंह ने तुरंत ही सत्य के चरणों में गिर कर उन्हें महल से जाने के लिए मना कर दिया। राजा ने कहा मैं सत्य के लिए अपनी सारी विपत्तियों को झेल रहा हूं और आप ही मुझे छोड़ कर चले जाएंगे तो मेरा क्या अस्तित्व रहेगा ?
मेरा कौन सहारा रहेगा ?
सत्य देव ने कुछ समय सोच – विचार किया और राजा के वचनों को ध्यानपूर्वक समझा तो उन्हें मालूम हुआ कि उनकी सत्य के प्रति दृढ़ता के कारण ही यह सभी स्थितियां उत्पन्न हुई है। क्योंकि राजा सत्य का पालन करते हुए ही इंद्र के छल में फंसे हैं , इसलिए सत्य देव ने महल से जाने का विचार छोड़ दिया और महल में ही रुक गए। सत्य को महल में रुका हुआ देख राज्य लक्ष्मी , यज्ञ देव , यश – कीर्ति तथा सभी देवी देवता महल में पुनः वापस लौट आए।
क्योंकि जहां सत्य है वहां सभी देवी देवता वास करते हैं , बिना सत्य के सभी अधूरे हैं।
Moral value of this bedtime stories in Hindi –
अर्थात व्यक्ति को दुख और संकट की स्थिति में भी निराश नहीं होना चाहिए , बल्कि उनसे डटकर सामना करना चाहिए और सत्य पर अडिग रहकर वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। राजा विक्रम सिंह सत्य पर अडिग रहे जिसके कारण उनकी सारी संपत्ति , यश ,धन कीर्ति सभी समाप्त हो रही थी , किंतु सत्य पर अडिग रहते हुए उन्होंने सभी चीजों को पुनः प्राप्त कर लिया।
इसलिए किसी भी व्यक्ति को विपत्ति के समय सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
2. कछुए का कवच – Bedtime story for increasing knowledge for kids
कछुआ कवच वाला परिचित प्राणी है। उसका कवच उसकी पीठ पर है , यह पीठ कछुए की रीड की हड्डी तथा शरीर को सुरक्षित रखता है। कवच का अंदरूनी भाग हड्डियों का बना हुआ होता है , और ऊपरी भाग हमारे नाखूनों जैसे कैरोटीन से। खतरे का आभास होते ही कछुआ अपना सिर चारों पैर और पूछ कवच के अंदर कर लेता है।
जैसे – जैसे कछुआ बड़ा होता है , वैसे – वैसे उसका कवच बड़ा हो जाता है।
कवच नदी तथा समुद्र किनारे रहने वाले केकड़े का भी होता है , लेकिन वह अलग प्रकार का होता है। केकड़े के बड़े होने पर उसका कवच बड़ा नहीं होता। उसे कवच निकालना पड़ता है , केकड़े का अपना पैर , सिर और आंख पुराने कवच से छुड़ाने पढ़ते हैं इसलिए वह कवच में पानी भरकर उसे फूलाना पड़ता है और धीरे-धीरे खुद को छुड़ाता है।
इस तरह उसकी पीठ पर नया मुलायम कवच तैयार होता है।
कवच थोड़ा सख्त होने पर वह पानी में छिपा रहता है।
पानी में रहने वाला एक और जीव है सिर्फ पानी में रहकर भी मछली नहीं होता। अंडे से बाहर आकर यह नन्हा जीव चारों तरफ कवच तैयार करता है। उसी कवच में वह जिंदगी भर रहता है।
कवच के वजन की वजह से शिप यहां से वहां बहकर नहीं जाता।
अपने कवच के साथ जन्म लेने वाले जीव है , घोंघा।
अंडे से बाहर निकलते ही उसपर कवच होता है , लेकिन यह कवच बहुत ही मुलायम होता है। उसे सख्त बनाने के लिए घोंघा जिस अंडे से निकलता है उसी के छिलके को खा जाता है। घोंघे का कवच उसके साथ – साथ बड़ा होता है। जन्म के समय जो कवच होता है वह घोंघे की पीठ के बीच में रहता है।
बाकी कवच उसके चारों ओर बढ़ता है , प्रकृति ने उसे यह वरदान दिया है।
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लेखक – रामाधार वर्मा प्रवक्ता हिंदी ( दिल्ली शिक्षा विभाग )
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Aapne bahut hi achhi kahaniyon ka sangrah kiya hai
Aapki post mujhe bahut achhi lagi