संचार माध्यमों के लिए मीडिया लेखन Media lekhan
लिखना एक कला है , और यह कला मनुष्य को जन्मजात प्राप्त नहीं होती। इसे मनुष्य प्रगाढ़ साधना के द्वारा ही ग्रहण कर सकता है। इस दृष्टिकोण के आधार पर यदि जन संचार के विभिन्न रूपों की और दृष्टि डाली जाए तो इन्होंने सृजनात्मकता को एक दिशा दी है। समाचार , फीचर , चित्रवृत्ति , साक्षात्कार , वार्ता , कमेंट्री आदि के लिए या लेख अथवा पटकथा लेखन में लेखक सृजनात्मकता को एक नई पहचान दी है। मीडिया के विभिन्न माध्यमों की विभिन्न विधाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
१ समाचार Samachar –
समाचार लेखन मीडिया का सबसे अधिक प्रचलित और महत्वपूर्ण प्रकार है। समाचार किसी नव्यतम और असाधारण घटना की ऐसी अविलंब जिसमें नवीनता और साधारणता , व्यापकता और स्पष्टता आदि गुण हो। यह बहुसंख्यक लोगों में जिज्ञासा और रुचि बनाकर उसकी मानसिक भूख को शांत करने में सक्षम है समाचार विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।
२ संपादकीय sampadkiya –
संपादकीय लेखन का अपना विशिष्ट महत्व होता है। समाचार पत्र में विस्तार तत्व की अभिव्यक्ति के लिए संपादकीय लिखा जाता है। यह लेख संपादकीय विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। यह समाज में घटने वाली प्रमुख घटनाओं का समग्र विश्लेषण कर उनके दूरगामी प्रभाव का भाष्य रूप में व्यक्त करते हैं। मुख्य रूप से संपादकीय लेख विभिन्न समसामयिक एवं तात्कालिक घटनाओं और समस्याओं की समीक्षा या उन पर उठने वाले प्रश्नों पर तर्क पूर्ण टिप्पणियां होती है।
३ फीचर Feature –
फीचर पत्रकारिता की नवीनतम विधा है। फीचर किसी स्थान , परिवेश या घटना का ऐसा शब्द बंद रूप होता है जो भावात्मक संवेदना से परिपूर्ण , कल्पनाशीलता से युक्त और जिसे मनोरंजक और चित्रात्मक शैली में , सरल रूप से अभिव्यक्त किया जाता है। यह यथार्थ की अभिव्यक्ति अथवा अनुभूति है।
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४ साक्षात्कार Shakshatkaar –
पत्रकारिता में साक्षात्कार एक प्रमुख और प्रभावशाली विधा है। साक्षात्कार द्वारा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व और उसके विचारों का साक्षात अनुभव किया जाता है। सामान्य शब्दों में कहा जाए जिसमें किसी विशिष्ट व्यक्ति से भेंट कर उसके विचारों , भावनाओं और जीवन दर्शन को गहराई से समझा जाता है।
५ विज्ञापन Vigyapan –
विज्ञापन व्यवसायिक संचार का महत्वपूर्ण अंग है , यह समाज को किसी वस्तु या संदेश के विषय में विशिष्ट सूचना देता है। वस्तु विशेष के प्रति एक व्यक्ति के दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप में बदलने के लिए विज्ञापन से उपयोगी कुछ हो ही नहीं सकता। सरकारी , गैर – सरकारी संस्थाओं द्वारा विभिन्न विषयों सूचनाओं को समाज तक संप्रेषित करने के लिए विज्ञापन का सहारा लिया जाता है। मुद्रित विज्ञापन जहां प्रसिद्ध हस्तियों , चित्रों का उल्लेख किया जाता है , वही रेडियो , टेलीविज़न , ध्वनि संगीत और वृतों के प्रयोग से उसे लयात्मक रूप के प्रभावशाली रूप से प्रसारित किया जाता है।
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६ समीक्षा Samiksha –
समीक्षा लेखन पत्रकारिता विधा में से एक है। समीक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता , यह एक बौद्धिक चिंतन की प्रक्रिया है। समीक्षा के विभिन्न क्षेत्र जैसे पुस्तक समीक्षा फिल्म नाटक आदि होने के कारण उनके विषय में विशिष्ट जानकारी रखने वाले ही इस विषय पर कार्य करते हैं।
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७ परिचर्चा Paricharcha –
परिचर्चा की पत्रकारिता एक विशिष्ट विधा है। समसामयिक विषयों पर लोगों की रूचि और प्रतिक्रिया जानने के लिए विभिन्न समाचार माध्यम नियमित रूप से आयोजन करते हैं। इसके द्वारा किसी महत्वपूर्ण विषय पर लोगों की राय को समाज तक लाया जाता है , जिससे जनमत का निर्माण होता है। सामान्य और विवादास्पद विषयों पर होने वाली परिचर्चाओं पर लोगों की भागीदारी चुनाव के माहौल से भी परिचर्चा के द्वारा विभिन्न वर्गों के प्रति विधियों से अनेक राजनीतिक विषयों पर गंभीर परिचर्चा में की जाती है।
८ भेंटवार्ता Bhentvaarta –
सामान्य रूप से यह विधा रेडियो वार्ता के निकट है , किसी महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत की जाती है। यह बातचीत साक्षात्कार की तरह ही होती है , लेकिन भेंटवार्ता में सामान्यता प्रश्न कर्ता सामाजिकओं से संबंधित विषय पर अनेक प्रश्न एकत्रित कर लेता है , जिसके कारण वह भेंट वार्ता कार से उन प्रश्नों के उत्तर जानता है।
९ लेख Lekh
किसी भी विषय पर विचार प्रधान अभिव्यक्ति को लेख कहा जाता है। फीचर विषयों पर समय-समय पर समाज के गंभीर मसलों पर समाचार पत्र – पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। यह लेख विभिन्न विषय हो सकते हैं जैसे – खेल , कृषि , शेयर बाजार , शिक्षा , संगीत आदि।
१० कविता , कहानी , लघु कथा , नाटक , यात्रा वृतांत आदि –
वर्तमान में सृजनात्मक साहित्य की विधाएं अब सूचना तक नहीं रहा बल्कि साहित्य का भी अंग बन चुकी है। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में नियमित रूप से स्थान सुनिश्चित होते हैं। रेडियो में कहानियों और नाटक के प्रसारण तथा टेलीविजन में विभिन्न धारावाहिकों के रूप में सृजनात्मक विधाओं की उपस्थिति से साहित्य क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए विभिन्न अवसर उपलब्ध हो गए हैं।
उपर्युक्त विधाओं के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वार्ता , धारावाहिक , टेलीविजन , रूपक आदि विधाओं पर भी लेखन कार्य किया जाता है।
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जनसंचार की भाषा
जन संचार के विभिन्न माध्यमों के लिए भाषा ही ऐसा आधार है , जिसके द्वारा सूचनाओं को संप्रेषित किया जाता है। जनसंचार की भाषा को उसके माध्यम के अनुसार होना चाहिए , जनसंचार के माध्यमों के अनुरूप ही उसकी भाषा के प्रयोग का स्तर भी बदलता रहता है। समाचार पत्र पत्रिकाओं को पढ़ा जाता है , रेडियो को सुना जाता है , टेलीविजन को देखा और सुना दोनों जाता है , कंप्यूटर को देखा जाता है। इस तरह जन संचार के माध्यमों के अनुसार ही भाषा का स्तर इन्हीं दृष्टि के ऊपर बदल जाता है। जन संचार के माध्यमों की भाषा के लिए विशेष रूप से भाषा का लोगों के अनुरूप हो आवश्यक है।
सहज बोल
कोई भी भाषा सहज और सरल होने से ही पाठक और श्रोता के लिए बोधगम्य होना चाहिए ऐसा ना हो कि भाषा क्लिष्ट और जन सामान्य से परे हो। भाषा सहज बोध होना चाहिए जो श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करें।
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