हल्दीघाटी का युद्ध कौन नहीं जानता? इसका कण-कण वीरता के गीत गाता है। यहां के राणा, महाराणा प्रताप जिन्होंने अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया। शत्रुओं को जीते जी अपने मातृभूमि की तरफ बढ़ने नहीं दिया, मातृभूमि की रक्षा के खातिर उन्होंने जो त्याग और समर्पण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया वह वंदनीय है। प्रस्तुत लेख में आप महाराणा प्रताप के शौर्य और वीरता का संदेश पढ़ेंगे।
महाराणा प्रताप शुभकामना संदेश (Maharana Pratap)
1
अपनी मां और मातृभूमि में तुलना करना
कायरता की निशानी है
मातृभूमि तो मां से बढ़कर होती है।
2
अपने बाहुबल पर विश्वास करो
कर्म की कुदाली चलाओ
अपने मार्ग का स्वयं निर्माण करो
यही समय की मांग है।
3
मातृभूमि की रक्षा के लिए
सर्वस्व न्योछावर करने का अवसर भी आए
तो किंचित विचलित ना होना
यह सुर वीरों के हिस्से ही होते हैं।
5
चाहे कितनी परिस्थितियां विपरीत हो
स्वयं को हर परिस्थितियों के लिए तैयार रखना
परिस्थितियां बदलते समय नहीं लगता।
6
जो साहस और ताकतवर होता है
समय उसी के हाथों अपनी विरासत सौपता है
धैर्य और साहस से कार्य करो विजय श्री तुम्हारी है।
7
सब समय पर छोड़ो
अपने कर्म को मजबूत करो
यही तुम्हें विजय होने का साहस देगा।
8
मनुष्य का गौरव उसका आत्मसम्मान
जीवन भर की कमाई होती है
जिसकी रक्षा सदैव करनी चाहिए।
9
विश्वास को जगा कर अपने डर को भगाओ
यह तुम्हारे विजय के मार्ग में बाधा उत्पन्न करेगी
साहस और धैर्य से तुम
बड़े लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकोगे।
महाराणा प्रताप एटीट्यूड शायरी
10
चेतक पर चढ़ जिसने
दुश्मनों के मस्तक काटे थे
उस राणा ने मातृभूमि की खातिर
जीवन कठिनाइयों में काटे थे।
11
वीरों के लिए डर जैसी
कोई चीज नहीं
यह तो कायरों का आभूषण है।
12
नकारात्मक बातें वह करते हैं
जिन्हें स्वयं पर विश्वास नहीं होता।
13
जिन्होंने अपने जीवन को
अनुशासन में बांध लिया
वह फिर बड़े-बड़े कार्यों को
सुगमता से कर लेते हैं।
14
दुश्मन के मनोबल को
इतना झकझोर दो
कि वह तुम्हारे
नाम से भी थरथर कांपे।
15
लड़ाई चाहे सम्मान की हो
या अस्तित्व की
वीरता पूर्वक लड़ना ही श्रेष्ठ है।
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समापन
मेवाड़ की माटी ने बड़े-बड़े सुर वीरों को जन्म दिया। हल्दीघाटी के कण-कण से उन रणबांकुरे के शौर्य की सुगंध आती है। इन योद्धाओं ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर मातृभूमि की रक्षा की। महाराणा प्रताप आज भी मेवाड़ के देवता माने जाते हैं। कम संख्या में होने के बावजूद भी बड़ी शक्तिशाली सेना कहीं जाने वाली टुकड़ियों को भी अपने शौर्य और पराक्रम के आगे घुटने टेकने पर मजबूर किया। अपने धर्म, समाज तथा मातृभूमि की रक्षा कर अपने संस्कृति को अमर बनाया। घास-फूस की रोटियां खाना स्वीकार किया लेकिन गुलामी कभी स्वीकार नहीं की। उपरोक्त लेख में आपने महाराणा प्रताप के कुछ प्रसिद्ध उपदेश, सुविचार, अनमोल वचन आदि को पढ़े हैं आशा है, आपको पसंद आया हो अपने सुझाव कथा विचार कमेंट बॉक्स में लिखें।