Maha purush ki kahani – महापुरुषों की कहानी

हमारे जीवन में महापुरुषों का और उनकी उनकी कही हुई बातों का बहुत ज्यादा प्रभाव होता है। इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे भारत के महान पुरुषों की बेहतरीन कहानियां जिससे आपको जीवन का महत्व पूर्ण ज्ञान प्राप्त होगा और आप सफलता की ओर आगे बढ़ेंगे।

Maha purush ki kahani – महापुरुषों की कहानी

सबसे पहली कहानी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के बारे में है

पंडित दीनदयाल उपाध्याय

कोलकाता के भीड़ भरी सड़क पर एक महिला कुछ बड़ – बड़ाते हुए तेज कदमों से चली जा रही थी। एक सज्जन व्यक्ति महिला के इस प्रकार के कृत्य और परेशानी को देखकर महिला के सामने आए , और परेशानी का कारण पूछा। महिला अनमने ढंग से उसे वहां से जाने के लिए कहती है , किंतु काफी अनुनय विनय और विश्वास दिलाने के बाद महिला ने अपनी परेशानी सज्जन पुरुष के सामने रखी।

मेरा पति काफी समय से बीमार है , उसके इलाज में सारा धन समाप्त हो गया है , यहां तक कि घर को गिरवी रखना पड़ा , किंतु पैसे की पूर्ति नहीं हुई। अब समझ में नहीं आ रहा है कि मैं अपने पति का इलाज कैसे करवाऊं ? कोई मुझे कर्ज भी नहीं दे रहा है। सज्जन काफी देर तक धैर्यपूर्वक महिला की बात सुनते रहे और कुछ समय ठहरे और कहा – “जितना धन / पैसा आपको इलाज के लिए चाहिए वह मैं दे सकता हूं।” जब आपके पास पैसे हो जाएं तो मुझे लौटा देना। ‘महिला पैसा लेने के लिए मना करती रही किंतु सज्जन के आग्रह पर महिला पैसे को लेने से इनकार नहीं कर पाती।

दो  महीने तक महिला ने अपने पति का इलाज करवाया , महिला का पति दो महीने में स्वस्थ और चलने – फिरने लायक हो गया। महिला अपने पति के साथ उस सज्जन के बताए पते पर राशि लौटाने पहुंचे। महिला और उसके पति को स्वस्थ देखकर उस सज्जन व्यक्ति को अपार प्रसन्नता हुई।

यह देख कर सज्जन काफी प्रसन्न हुए , उन्हें लगा आज उनका जीवन सफल हो गया। उन्होंने किसी मनुष्य की सहायता की , जिससे उसके प्राण बचे ऐसा महसूस करते हुए वह दिव्य अनुभूति को प्राप्त हो रहे थे। महिला और उसके पति ने सज्जन व्यक्ति के पैरों को स्पर्श करते हुए उन्हें खूब धन्यवाद कहा और जीवन में सफल होने का आशीर्वाद दिया साथ ही पूरे पैसे सज्जन व्यक्ति के हाथों में सुपुर्द किया और कहा आप जैसे देवता इस समाज में हो तो समाज कभी दुखी ना हो।

बाद में दोनों को पता चला वह व्यक्ति कोई और नहीं वह स्वयं पंडित दीनदयाल उपाध्याय थे।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की प्रेरणादयक कहानी

ईश्वर चंद्र विद्यासागर बेहद ही साधारण और मिलनसार व्यक्ति थे। वह समाज सेवा और गरीबों की भलाई में अपने जीवन की सार्थकता देखते थे , इसलिए कोलकाता के लोग आज भी ईश्वर चंद्र विद्यासागर को अपना आदर्श मानकर पूजते हैं।

एक समय की बात है 

एक वृद्ध महिला कोलकाता के भीड़ भरी सड़क पर कुछ बड़बड़ाते हुए जा रही थी।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने उस महिला को देखा और कुछ सोचते हुए उन्होंने उस महिला को रोका और उसके व्यथा का कारण जानना चाहा। वृद्ध महिला पहले ईश्वर चंद को अपना दुख सुनाने के लिए मना करती है , किंतु ईश्वरचंद उन्हें भरोसा देते हैं। हो सकता है मैं आपके किसी काम आ जाऊं इसलिए मुझे अपना बेटा समझकर मुझे अपनी पीड़ा और कष्ट का कारण बताइए , महिला ने आश्वासन भरे स्वर को सुना और अपनी पूरी व्यथा ईश्वर चंद्र विद्यासागर को सुनाई।

महिला ने बताया कि उसका पति कुछ समय पहले इलाज के दौरान मर गया। 

जिसमें उसके घर की सारी जमा पूंजी निकल गई , लोगों से कर्जा भी लेना पड़ा और अब बेटी की शादी करवानी है। उसके लिए एक साहूकार से पैसा लिया किंतु समय पर ना चुका पाने के कारण उसने कोर्ट कचहरी कर दी है , जिसके कारण अब मैं काफी परेशान हूं , मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इतने पैसों का प्रबंध कहां से करूं ?

ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने धैर्यपूर्वक महिला की सभी बातों को सुना उसके पीड़ा के कारण को जाना और आश्वासन दिया – कि वह निश्चिंत रहें कुछ ना कुछ हल अवश्य निकलेगा। ईश्वर सभी की मदद करता है इसलिए वह तुम्हें निराश नहीं करेगा , उन्होंने महिला के केस ( मुकदद्मे ) की सारी जानकारी ले ली।

महिला मुकदमे वाले दिन कचहरी के बाहर बैठे अपने नाम पुकारे जाने का इंतजार कर रही थी , उसके पास पैसे नहीं थे कि वह वकील का प्रबंध भी कर सके ।

इसलिए वहा मायूस और भारी हृदय से कचहरी के बाहर दीवार से पीठ लगाकर बैठी हुई थी।

काफी समय बीत जाने पर जब उसका नाम नहीं बुलाया गया तो वृद्ध महिला ने नाम पुकारने वाले कर्मचारी से अपना नाम ना पुकारे जाने की जानकारी ली। इस पर उस कर्मचारी ने खोजबीन कर जानकारी दी कि उसका मुकदमा खारिज हो गया है। किसी व्यक्ति ने उसका सारा कर्ज अदालत में जमा करवा दिया है जिसके कारण अब मुकदमा खारिज कर दिया गया है।

महिला के खुशी का कोई ठिकाना नहीं था आज जैसे उसने जीवन में कोई दिव्य खुशी प्राप्त कर ली थी। आज उसे एक अपार खुशी का आभास हो रहा था , किंतु यह धन किसने अदालत में जमा कराया , यह सोच विचार करने लगी कुछ दिन बाद उस महिला को पता चला कि यह धन उसी व्यक्ति ने जमा कराया है जिसने बाजार में उसका हालचाल लिया था।

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5 thoughts on “Maha purush ki kahani – महापुरुषों की कहानी”

  1. महापुरुषों की कहानी मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि ऐसी कहानियों को पढ़कर अंदर से प्रेरणा आती है कि जीवन में कुछ ऐसा करें कि लोग हमें याद रखें. महापुरुषों की कहानी में मुझे सबसे ज्यादा स्वामी विवेकानंद और आचार्य चाणक्य की कहानियां पढ़ना बहुत अच्छा लगता है.

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  2. ईश्वर चंद्र विद्यासागर के जीवन की कहानी बोहोत प्रेरणादायी और मानवता की भावना सीखने के लिए उत्साहित करती है! आपका बहुत शुक्रिया, इतनी सुंदर कहानी से रूबरू कराने के लिए!
    महान वैज्ञानिक मैडम क्यूरी, आइंस्टीन, ओर अन्य, महान लेखको, महान क्रांतिकारी नेताओं भगत सिंह , नेताजी शुभाष चंद्र बोस आदि के जीवन के प्रेरनाडाई प्रसंग भी उपलब्ध कराएं!

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  3. Manan purusho ki kahaniyo ka bhndar kha mil skta hai ….muje koi esi kitab btaye online jiski downloaded pdf mil ske

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