लोरी एक ऐसा माध्यम है जिसके कारण एक बालक अपने परिवार से अधिक जुड़ पाता है। बालक की भावनाएं, मस्तिष्क उचित दिशा में कार्य करने लगती है। यह वह समय होता है जब सोचने समझने और मस्तिष्क को कुशाग्र बनाने का बीज बालक के मस्तिष्क में बोया जाता है। हमने महसूस किया होगा जिन बालकों को दादी-नानी का बचपन में साथ मिला हो और उन्होंने उनके साथ समय व्यतीत किया हो उनका मस्तिष्क अन्य बालकों से अधिक विकसित होता है।
भारत में लोरी का विशेष महत्व है इसी विशेषता के कारण आज का लेख हम लिख रहे हैं जिससे आप अपने बालकों में एक संस्कार के बीज आज ही बो सकें।
बच्चों के लिए लोरी एवं गीत
1
सुंदर सी प्यारी सी निंदिया रानी
आजा सुना दे एक कहानी।
जाग रही है गुड़िया रानी
संग में है बैठी दादी नानी।
सुंदर सी प्यारी सी निंदिया रानी
आजा सुना दे एक कहानी।
छोटा सा प्यारा सा एक खिलौना
मेरा राजा बाबू सलोना
बिना कहानी न होता सोना।
सुंदर सी प्यारी सी निंदिया रानी
आजा सुना दे एक कहानी।
एक दिन अफसर बन जाएगी
देश का तब, मान बढ़ाएगी
दीन दुखियों की सेवा करके
मात-पिता का नाम कमाएगी
सुंदर सी प्यारी सी निंदिया रानी
आजा सुना दे एक कहानी।(हिंदी विभाग)
2
चंदा मामा आएंगे सपनों में ले जाएंगे
सपनों की दुनिया में वह खूब घुमाएंगे
मिलकर चंदा मामा संग धूम खूब मचाएंगे
नाचेंगे और गाएंगे खूब मिठाई खाएंगे।(हिंदी विभाग)
चंदा मामा लोरी गीत बच्चों को सुलाने के लिए
3
चंदा मामा दूर के, पुए पकाए गुड़ के
आप खाए थाली मे, मुन्ने को दे प्याली मे
प्याली गयी टूट, मुन्ना गया रूठ
लाएँगे नयी प्यालिया, बजा-बजा के तालिया
मुन्ने को मनाएँगे हम दूध मलाई खाएँगे
चंदा मामा दूर के, पुए पकाए गुड़ के
आप खाए थाली मे, मुन्ने को दे प्याली मे
उड़नखटोले बैठ के मुन्ना चंदा के घर जाएगा
तारो के संग आँख मिचौली खेल के दिल बहलाएगा
खेल कूद से जब मेरे मुन्ने का दिल भर जाएगा
ठुमक-ठुमक मेरा मुन्ना वापस घर को आएगा
चंदा मामा दूर के, पुए पकाए गुड़ के
आप खाए थाली मे, मुन्ने को दे प्याली मे
चंदा मामा दूर के, हो पुए पकाए गुड़ के। ।
भावार्थ –
यह गीत लोरी के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। बच्चों को सुलाने के समय इस लोरी को अधिक गाया जाता है, जिसमें चंदा जिसे बच्चों का मामा कहा जाता है उसका आधार बनाकर यह गीत गाया गया है। बच्चे को सबसे ज्यादा लाड प्यार और दुलार नानी के घर मिलता है। वहां उसकी सभी शैतानियां माफ हो जाती है सभी उससे दुलार करते हैं प्यार करते हैं। वह अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति नानी के घर कर लेता है इसलिए बच्चों को नानी घर प्रिय होता है। यहां उसे दोस्त के रुप में मामा मिल जाते हैं।
इस गीत में उसी मामा के रूप में चंदा को दर्शाया गया है, जहां उसके स्वागत के लिए पूरे पकवान बनाए गए हैं और मुन्ने को मनाने से संबंधित पूरा गीत लिखा गया है।
Krishna Lori Lyrics in Hindi
1
गोपाल प्यारे मांगत माखन रोटी
अपन गोपाल जी को झंगुआ सिला देबइ
हिरवा जाड़ा लागी टोपी
गोपाल प्यारे मांगत माखन रोटी। ।(हिंदी विभाग)
भावार्थ – यह गीत मगही जो बिहार के क्षेत्रीय भाषा है मैं लिखा गया है जिसमें अपने बाल गोपाल की छवि और उसके बालपन का वर्णन किया गया है गोपाल अपने माता-पिता से माखन रोटी मांग रहे हैं। उसके मां-बाप अपने लाल अपने गोपाल के लिए वस्त्र बनाने की बात कह रहे हैं। साथ में सर्दियों के लिए टोपी भी बना ले के लिए कह रहे हैं।
2
तु मेरा लल्ला है, तु मेरा कान्हा
तु मेरा बेटा है राज दुलारा
चंदा से प्यारा, तू सूरज से प्यारा
लाखों में एक तू मेरा दुलारा
खाये तू माखन, लागे हे प्यारा
ओ मेरे लल्ला, तू ब्रज का दुलारा
ना देखे अंखिया, जो एक पल तुझको
जिया घबराये, न मिले सहारा
तु मेरा लल्ला है, तु मेरा कान्हा
तु मेरा बेटा है राज दुलारा।(हिंदी विभाग)
Lori in Hindi Lyrics for bf / Lori Lyrics for gf in Hindi
1
चलो रात हो गई फिर मिलते हैं
तन्हाई में अपने प्यार की गहराई में
तेरे केशों तले जो अंधकार पलता है
वही मेरे अरमानो का दीया जलता है।
बहुत रात हुई आओ तुम्हे सुला दूँ
हवाएं छेड़े तराने मैं लॉरी गुनगुना दू।
Akshara Lori Lyrics in Hindi
सुन सुन नन्हे लोरी की धुन
हो जा मीठे सपनों में गुम
सुन सुन नन्हे लोरी की धुन
हो जा मीठे सपनों में गुम
तू मेरा सूरज है
तू मेरा चंदा है
मेरी आँखों का तारा है सुन
सुन सुन नन्हे लोरी की धुन
हो जा मीठे सपनों में गुम
मेरे लाडले तुझको ओढाऊँ आँचल
आ थपकियों से सुलाऊँ तुझे
मैं तारों की नगरी से निंदिया बुलाऊँ
अंखियों में तेरी छुपाऊँ उससे
निंदिया क्या तेरे लिए तारे लाऊँ मैं
माँ का तू नन्हा दुलारा है सुन
सुन सुन नन्हे लोरी की धुन
हो जा मीठे सपनों में गुम
सुनो ऐ हवाओं ना तुम शोर करना
टूटे ना नन्हे की निंदिया कहीं
बड़े भाग से है मिली है ऐसी रातें
मैं गाती रहूंगी लोरी यूँही
सोते हुए निंदिया तुझको हसती है
ऐसे ही मीठे सपनों को चुन
सुन सुन नन्हे लोरी की धुन
हो जा मीठे सपनों में गुम। ।
इस लोरी का भावार्थ
\मां अपने नन्हे से बालक को गोदी में झूलाते हुए मीठे मीठे गीत सुना रही है और उसे सोने के लिए दुलार कर रही है। ऐसा प्रयत्न करते हुए वह कहती है – सुन सुन नन्हे लोरी की धुन इसे सुनते हुए तो अपने सपनों में अपने नींद में गुम हो जा। बालक अपने मां-बाप के लिए सब कुछ होता है उसका पूरा संसार होता है, ऐसा ही अगली पंक्ति में कहा गया है।
मां अपने बेटे को सूरज चंदा और विश्व की जितनी भी अनमोल चीजें हैं दुर्लभ चीजें हैं उसको अपने बालक में पाती है। उस बालक में संपूर्ण सुख को पाती है। मां अपने बच्चे को यह लोरी सुनाते हुए अपने आंचल की ठंडी छांव शरीर पर ओढ़ा देती है और हल्के हाथों से थपकिया देते हुए सुलाती है। इस सुख को पाना देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इस सुख की प्राप्ति के लिए वह पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।
जितने भी बच्चों के लिए प्रयत्न हो वह मां करने को तत्पर रहती है, इसी का अगली पंक्ति में झलक मिलती है। वह तारों को तोड़ कर लाने की बात भी करने लगती हैं कि किस प्रकार अपने बच्चे को वह एक सुकून भरी नींद दे सके। वह अपने ममता की छांव में रख सके यहां तक कि वह हवाओं को भी धीरे-धीरे बहने शीतल बहने के लिए कहती है. जिससे उसके नन्हे से बालक की नींद में कोई बाधा ना आए। मां की ममता ऐसी होती है जो सभी कष्टों को अपने ऊपर लेकर अपने बालक को सुख यही देना चाहती है।
संबंधित लेख का भी अध्ययन करें
स्वामी विवेकानंद जी की कहानियां
समापन
उपरोक्त लोरी का संकलन हमने पाठकों के अनुरोध पर तैयार किया, आशा है आप इस लेख से जुड़ पाए होंगे। लोरी का महत्व हम निश्चिंत रूप से जानते हैं क्योंकि हमने अपने दादी-नानी का प्यार पाया। उन्होंने जिस प्रकार की परवरिश दी वह हमारे मस्तिष्क के विकास के लिए आवश्यक थी। वर्तमान समय या आगामी पीढ़ी को शायद यह परंपरा ना प्राप्त हो, क्योंकि आजकल मनोरंजन और ज्ञान-विज्ञान आदि का माध्यम मोबाइल और इंटरनेट ने ले लिया है।
कुछ वर्षों पूर्व तक जहां बालक मोबाइल इंटरनेट या मनोरंजन के अभाव में अपने दादी-नानी बड़े बुजुर्गों के पास समय व्यतीत किया करता था, वही आज नन्हें बालकों के हाथ में भी मोबाइल मिल गया है, जिसके कारण उनका जिस प्रकार से मस्तिष्क विकसित होना चाहिए उसकी कमी देखी जा सकती है। जब यह पीढ़ी लोरी से दूर हो जाएगी तो आगामी पीढ़ी निश्चित ही इन लोरी के माध्यम से मिलने वाले संस्कारों से दूर हो जाएगी।
आशा है आप कुछ हद तक इस परंपरा संस्कृति को बचाने का प्रयास करेंगे। अपने नन्हे-मुन्ने बालकों के हाथों मोबाइल ना देकर उन्हें मानसिक रूप से मजबूत करेंगे। आने वाले भावी जीवन के लिए तैयार करेंगे। अपने सुझाव विचार नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें हमें आपके विचारों की सदैव प्रतीक्षा रहती है।