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Love Stories in Hindi – Happy sad and emotional
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1. प्रेम की पहली निशानी – Love stories in hindi
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मोहन M.A. की परीक्षा पास कर के व्यवसाय ढूंढ रहा था। घर वालों ने उम्र का ध्यान करते हुए मोहन के रिश्ते की बात चलाई , रिश्ता तय हो गया और निश्चित हुआ मोहन स्वयं जाकर अपनी होने वाली बहू को देख आये। मोहन को पहली बार इस प्रकार की रिश्तेदारी में जाना था।
उसे रस्मों – रिवाजों की अधिक समझ नहीं थी। किंतु फिर भी वह चाहता था अपने होने वाली धर्म पत्नी के लिए एक छोटी सी भेंट अवश्य लेकर जाए।
किंतु वह भेंट क्या हो ? इसके लिए वह काफी परेशान था।
मोहन का मित्र शाम को मिला और उसने पूछा तो मोहन ने अपनी समस्या मित्र के सामने रखी। मित्र ने आश्वासन दिया कि वह अपने होने वाले ससुराल खाली हाथ न जाए , बल्कि एक बढ़िया रेशम की साड़ी खरीद ले , क्योंकि रेशम की साड़ी महिलाओं को अधिक पसंद है।
मोहन अब पहले से ज्यादा और चिंतित हो गया कि यह रेशम की साड़ी वह कहां से खरीदेगा।
असहयोग आंदोलन के लिए कार्यकर्ता जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे हैं , और उन्हें रेशमी वस्त्र कोई खरीदते देखेगा तो बदनामी होगी। अपनी समस्या पुनः अपने मित्र के सामने जाहिर किया मित्र ने झटपट सुझाव दिया कि वह बाजार में स्थित नुक्कड़ वाली दुकान से रेशमी साड़ी खरीद ले। वहां सस्ती और बढ़िया साड़ी उपलब्ध है , किंतु वहां कार्यकर्ताओं का आंदोलन भी चल रहा है.
इसलिए वह दुकान में पीछे के रास्ते से जाए जिसके कारण उसे कोई पहचान न सके।
मोहन को सुझाव अच्छा लगा
वह साड़ी की दुकान पर कई चक्कर लगा चुका है , किंतु कोई ना कोई व्यक्ति उसे जानकार दिखाई दे जाता। सामने के दरवाजे पर कार्यकर्ताओं का आंदोलन भी अस्थाई रूप से चलता रहता। सुबह से शाम हो गई किंतु दुकान के भीतर जाने का कोई उचित समय ना मिला। कुछ समय बाद हल्का अंधेरा होने लगा धीरे – धीरे आंदोलन करने वाले कार्यकर्ता भी इधर – उधर हो गए। मोहन पीछे के रास्ते मौका पाकर दुकान में दाखिल हुआ और झट-पट एक रेशमी साड़ी खरीद कर वहां से निकल गया।
वह इतनी हड़बड़ी में था कि उसे कोई पहचान न ले और कोई जानकार ना मिल जाए , वरना जग हंसाई होगी। इस डर से वह तेज कदमों से बढ़ता जा रहा था , दुकान से जैसे ही कुछ दूरी पर पहुंचा होगा वह एक बूढ़ी अम्मा से टकरा जाता है।
बूढ़ी अम्मा जमीन पर गिर जाती है इस स्थिति में मोहन नहीं जा सकता था।
उसने अम्मा को सहारा देकर खड़ा किया अम्मा खड़ा होते होते कुछ 2- 4 डांट लगाती है। इस दौरान मोहन के हाथ से थैला नीचे जमीन पर गिर जाता है और साड़ी बाहर निकल आती है।
मोहन घबराते हुए साड़ी समेटता है और ज्यों ही खड़ा होता है कि कुछ स्वयंसेवक देख लेते हैं। स्वयंसेवक निकट आकर मोहन को रोककर अपने आंदोलन के उद्देश्यों को बताते हैं , और विदेशी सामानों का बहिष्कार करने के लिए कहते हैं। किंतु मोहन इस समय उनकी बातें नहीं मानना चाहता है। क्योंकि यह उसका निजी मामला है , मोहन कहता है यह मेरा निजी मामला है मैं विदेशी वस्तुएं खरीदी या नहीं , इस पर आप मुझे अपनी राय नहीं बता सकते।
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धीरे – धीरे स्वयंसेवकों की भीड़ वहां जमा होने लगी और बात काफी आगे बढ़ गई , यहां तक की धक्का-मुक्की पर। किसी स्वयंसेवक ने झट से मोहन के हाथ से थैला छीना और थैला भीड़ में अदृश्य हो गया। मोहन का गुस्सा और बढ़ता गया , बात जब काफी आगे बढ़ गई और नौबत थाना – पुलिस की आ गई। तभी भीड़ में से एक महिला स्वयंसेवक सामने आई और इस भीड़ के कारणों का जायजा लिया। उस महिला ने मोहन को बड़े ही शांत और धैर्य पूर्वक समझाया और उसे आभास दिलाया कि यह आंदोलन कोई व्यक्तिगत आंदोलन नहीं है।
यह आंदोलन हर एक देशवासियों के लिए है।
मोहन को आत्मग्लानि हो रही थी किंतु यह उपहार किसी और उद्देश्य के लिए था। मोहन ने अपनी बातें उस महिला के सामने प्रकट की।
मोहन ने बताया कि यह मैं भी समझता हूं कि मैं अनुचित कर रहा हूं , किंतु यह मैं अपने लिए नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं अपनी पत्नी के लिए यह उपहार ले जा रहा हूं।
महिला ने कहा कि आपकी पत्नी को आप समझाइएगा तो वह भी समझ जाएंगी।
महिला ने उसकी पत्नी का नाम पूछा तो मोहन ने बताया –
‘ मेरी शादी अभी नहीं हुई है , किंतु तय करने के लिए मैं पहली बार जा रहा हूं और मेरी होने वाली पत्नी का नाम मृणाली है। ‘
उस महिला ने पुनः पूछा किस गांव में मृणाली रहती है ?
मोहन – रायगढ़ में
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महिला के मुख पर एक लज्जा का भाव आ गया उसने अपना घुंघट सिर पर लिया और कहा कि , आपकी होने वाली पत्नी इस विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करती है , अब आप निश्चित रूप से विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर सकते हैं।
मोहन को संकोच हुआ उसने एक स्वयंसेवक से इस महिला का परिचय पूछा तो , उस स्वयंसेवक ने उस महिला का परिचय रायगढ़ की मृणाली के रूप में कराया। मोहन लज्जा और शर्म के मारे मृणाली से आंख भी नहीं मिला पाया , उसे संकोच हो रहा था कि मृणाली उसके बारे में कैसे विचार रखेगी ? वह महिला होकर इस प्रकार के आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रही है और मैं पुरुषों कर देश के अहित के लिए कार्य कर रहा हूं।
मोहन को आत्मग्लानि हुई और उसने भी एक कार्यकर्ता की भांति असहयोग आंदोलन में भाग लिया।
कई दिनों तक विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए अनशन किया।
अनसन तुड़वाने समाप्त करवाने अंग्रेजों के कारिंदे / पुलिस आती है और हिरासत में सभी अनशनकारी को लेती है। सभी स्वयंसेवक भारतमाता की जय का नारा लगाते हुए अपनी गिरफ्तारी देते है। तभी भीड़ से मृणाली प्रकट होती है , उसके हाथ में पुष्पों की माला थी।मृणाली माला मोहन के गले में डाल कर उसके आने की प्रतीक्षा के लिए वचन देती है यही दोनों के प्रेम की पहली निशानी थी।
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2. एक प्यार ऐसा भी – Happy love stories in Hindi
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” हुए थे आंखों के क्या इशारे , इधर हमारे उधर तुम्हारे।
चले थे अशकों के क्या फव्वारे , इधर हमारे उधर तुम्हारे।।”
Story begins
दिल्ली शहर दिल वालों का है , यहां कोई भी व्यक्ति आकर शरण पाता है और यही का हो जाता है। न जाने इस दिल्ली की क्या खूबी है कि लोग यहां एक अनजान में भी जान पहचान ढूंढ लेते हैं। दिल्ली देश की राजधानी है , और यह सभी के दिलों पर राज करने वाला राज्य भी है। यहां छोटे से क्षेत्रफल में जितने संसाधन है वह किसी और राज्य में दुर्लभ है।
शायद इसीलिए दिल्ली को दिलवालों का शहर कहा गया है।
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अंशिका दिल्ली जैसे खूबसूरत शहर में रहती है ,
और इसका भी दिल खुशनुमा और वेवाक , बेफिक्र , और मस्तमौला है।
अंशिका जिस स्कूल में पढ़ती है उसमें उसके ढेर सारे दोस्त लड़के और लड़कियां है।
अंशिका प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है , इसलिए उसका वार्ताओं और व्यवहार में दिखावा भी है। अंशिका के स्कूल के बराबर एक सरकारी स्कूल है , जो लड़कों का स्कूल है। अंशिका के घर के पास रूद्र नाम का एक लड़का रहता है , जो उस सरकारी स्कूल में पड़ता है। रूद्र , अंशिका को मन ही मन चाहता है , उसका स्कूल आते-जाते पीछा भी करता है , और सोचता है कभी अंशिका को उसके मन की बात समझ आए।
किंतु अंशिका इन सब बातों से बेपरवाह अपने आप में मस्त रहने वाली लड़की है।
रूद्र अब दिन – प्रतिदिन उसका पीछा करता
कभी पैदल तो कभी बस में , और जब मौका मिलता वह उसके सामने आ जाता।
अंशिका पड़ोस में रहने के कारण उसे जानती थी , और मुस्कुराकर चल देती थी , इससे रूद्र उसके प्रति और आकर्षित होने लगा। दिन – प्रतिदिन यह आकर्षण और बढ़ता गया धीरे – धीरे अंशिका को भी आभास होने लगा कि रूद्र उसके प्रति आसक्ति की भाव रखता है। वह मुझसे मन ही मन प्रेम करता है किंतु अंशिका , रुद्र के सामने नजरअंदाज करती। अंशिका ने रूद्र को काफी समय नजरअंदाज किया , फिर अंशिका का हृदय भी मानव हृदय है , धीरे – धीरे अंशिका के हृदय में रुद्र ने घर बना लिया।
अब वह कभी कभी चाट – पकौड़ी खाते नजर आते , तो कभी आइसक्रीम , और कभी पार्क में बैठे। धीरे-धीरे दोनों की पढ़ाई चलती रही दोनों ने बोर्ड का पेपर दिया और इतने अंको से पास नहीं हुए जितने की आवश्यकता बड़े कॉलेज में दाखिला लेने की होती है। दोनों ने ओपन कॉलेज में दाखिला लिया दोनों का दाखिला एक ही कॉलेज और एक ही क्लास में हो गया।
अब इसके कारण दोनों में नजदीकियां और बढ़ती गई।
एक दिन की बात है दोनों पार्क में बैठे हुए थे , तभी एक बच्चा उनके पास आया , जो गुलदस्ता बेच रहा था। वह बड़ी जिद करने लगा कि यह गुलदस्ता वह खरीद ले , काफी समय बाद जब अंशिका ने गुलदस्ता खरीदने के लिए रूद्र को कहा।
रूद्र ने झटपट व गुलदस्ता खरीद लिया , और लड़का अपने पैसे लेकर वापस चला गया।
काफी समय बैठे बैठे दोनों में बात होती रही।
बात करते – करते अचानक एक क्षण ऐसा आता है , जब रूद्र अचानक उठता है और अंशिका के कदमों में अपने दोनों घुटने टेककर , वह गुलदस्ता अंशिका के सामने बढ़ा देता है। भविष्य में उससे शादी करने का प्रस्ताव रखता है , अंशिका ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं सोचा था। जिसके कारण वह फैसला नहीं कर पा रही थी , किंतु हां मन ही मन वह रूद्र को भी दोस्ती से आगे समझने और चाहने लगी थी।
इसलिए कुछ क्षण बाद अंशिका ने उसका यह निवेदन स्वीकार किया।
दोनों अब चुपचाप बैठ गए , दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि अब इस प्रकार के वाक्या के बाद अब क्या बात करें ?
5 मिनट , 10 मिनट , 15 मिनट से आधा घंटा हो गया , किंतु दोनों में से कोई एक शब्द नहीं बोला।
अचानक सामने आइसक्रीम वाला आता है , दोनों चुप्पी तोड़ते हुए एक स्वर में बोलते हैं –
” आइसक्रीम खाओगे “?
ऐसा कहते हुए दोनों एक स्वर से हंसते हैं ,
और फिर एक दूसरे के मन के भावों को सम्मान करते हुए एक दूसरे का आदर करते हैं।
रूद्र और अंशिका दोनों ने आपस में शादी करने का निर्णय तो ले लिया , किंतु अब घर वालों से बात कैसे किया जाए यह बड़ी समस्या दोनों के सामने आ गई। अंशिका ने धीरे – धीरे मां का रसोई घर में हाथ बंटाने लगी उसी दौरान अंशिका ने अपने मन की बात अपनी मां से बताइ।
अंशिका की मां ने सब बातें सुनी और कुछ जवाब नहीं दिया।
इधर रुद्र की हालत अंशिका से भी ज्यादा खराब थी , वह यह नहीं सोच पा रहा था कि अपने मन की बात माता-पिता तक कैसे कहें ? रूद्र ने इसका एक तोड़ निकाला – उसका भाई हर्ष जो प्राइवेट नौकरी करता था उसके माध्यम से यह बात माता – पिता के सामने रखा गया।
माता-पिता पारंपरिक सोच वाले थे वह इस प्रकार के विवाह को स्वीकार नहीं करना चाहते थे।
उन्हें गांव समाज का भय था इसलिए उन्होंने इस विवाह के लिए अपनी सहमति नहीं दी।
रुद्र जो अब अपना भविष्य अंशिका के साथ देखता था।
न जाने उसके साथ जीवन के कितने सपने देख डाले थे , वह किसी भी हालत में अंशिका के बिना नहीं रहना चाहता था। इसलिए रूद्र ने घर से विद्रोह किया , रूद्र ने भी ठान लिया कि जब तक वह अपनी बात घरवालों से नहीं मनवा लेगा खाना नहीं खाएगा। घरवाले भी अड़ गए और रुद्र भी घरवालों के सामने रुद्र भूखा रहने का नाटक करता और बाहर में अपने मित्रों के घर खाना पीना खा लेता।
किंतु घर वालों के सामने ऐसा व्यवहार करता जैसे वह भूखा है , और उसने खाना – पीना नहीं खाया।
दो दिन बीत गए , रुद्र ने घरवालों के सामने खाना नहीं खाया।
अब घर वालों को चिंता होने लगी कि वह कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाएं ?
इसलिए घरवाले रूद्र की बातों को मानने की सहमति जताते हैं।
अब रुद्र के हर्ष और आशा की कोई सीमा नहीं थी , जैसे अभी – अभी सुखी बंजर भूमि पर बसंत का आगमन हुआ हो !
जैसे किसी प्यासे को भरपेट जल और भोजन मिल गया हो , ऐसी अनुभूति होने लगी।
समय और लगन देखकर दोनों का विवाह करवाया गया।
दोनों अपने वैवाहिक जीवन में काफी खुश रहने लगे और लोगों के लिए एक आदर्श बन गए।
लोग और समाज दोनों के प्यार को देखते हुए उनका आदर और सम्मान करते।
3. College love – A Romantic love story in Hindi
कॉलेज का पहला दिन था , सभी विद्यार्थी उत्साहित थे क्योंकि आज उनका परिचय नए नए मित्रों से होने वाला था।
कोई विद्यार्थी महंगी बाइक लेकर आता , तो कोई महंगी गाड़ी।
कई छात्र ऐसे भी थे जो सर्वजनिक वाहन से कॉलेज पहुंचे थे , आज का दृश्य देखते ही बनता था।
महेश कॉलेज के गेट पर खड़ा – खड़ा कॉलेज का यह दृश्य निहार रहा था।
उसे भी एक क्षण ऐसा लगा काश मेरे पास भी अपना निजी वाहन होता तो मैं भी इन लोगों की तरह कॉलेज पहुंचता , किंतु कोई नहीं भाग्य सबका पलटता है।
महेश ने बी.ए राजनीति शास्त्र में दाखिला लिया था।
वह अपनी कक्षा में जाकर बैठ गया , वहां और भी विद्यार्थी मौजूद थे।
सभी से परिचय हुआ किंतु जिस प्रकार अन्य सभी मिल – जुल कर हंसी बोली कर रहे थे , महेश से कोई उस प्रकार का आकर्षण नहीं हुआ। महेश एक बेंच पर जाकर बैठ गया और अपने साथियों को देखता रहा।
यहां भी उसे आभास हुआ की अन्य विद्यार्थी रुचि पूर्वक और उत्साह पूर्वक मेरा परिचय नहीं कर रहे हैं।
रिया संपन्न परिवार से है , वह अपने ऊंचे स्वाभिमान और दिखावे में जीने वाली एक नए जमाने की युवती है।
रिया अपने से नीचे और कम पैसे वालों से बात करना उचित नहीं समझती ,
इसलिए वह कक्षा में महेश और उस जैसे लोगों से बात नहीं करती।
महेश भले ही आर्थिक रूप से संपन्न ना हो , किंतु वह कक्षा में अन्य छात्रों से अधिक जानकार और पढ़ने में होनहार है।
प्रोफेसर द्वारा किए गए हर एक प्रश्न का उत्तर वह सटीक और जल्दी देने का प्रयास किया करता है।
समय दर समय बीतता गया जैसा कि पहले ही स्पस्ट हे कि महेश और रिया एक ही क्लास में है।
First attraction in love
प्रोफेसर द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट को बनाने में सभी छात्रों को कठिनाई हो रही थी |
किंतु महेश को अधिक कठिनाई नहीं हुई।
उसने लाइब्रेरी से किताबों का अध्ययन कर प्रोजेक्ट के कार्य को पूरा कर लिया।
अब रिया के समझ में नहीं आ रहा था कि वह महेश से किस प्रकार बात करें , क्योंकि महेश से बात करना उसके संपन्नता और उसके विचारों के विरुद्ध था। किंतु फिर भी उसने रॉबदार लहजे में महेश से बात करना चाहा , किंतु महेश शांत और महिलाओं के प्रति आदर रखने वाला व्यक्ति था। उसने रिया के सभी प्रश्नों के जवाब शालीनता से दिए।
रिया को आभास हो गया कि वह गलत कर रही है , उसकी आत्मा उसे ऐसा करने से रोक रही है।
रिया ने पुनः अपना स्वभाव बदला और महेश से आग्रह किया कि वह उसकी प्रोजेक्ट में मदद कर दे।
महेश ने आश्वासन दिया कि वह यथासंभव प्रोजेक्ट बनाने में उसकी मदद करेगा।
ऐसा ही हुआ महेश ने रिया का प्रोजेक्ट बनाने में यथासंभव मदद की और सही समय पर रिया का प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो गया। अब रिया का हृदय परिवर्तन हो चुका था वह धीरे-धीरे महेश को अन्य लड़कों से अलग समझ रही थी और उसके प्रति एक आदर और सम्मान का भाव जागृत हुआ। अब रिया पहले से अधिक बदल गई थी , धीरे-धीरे वह महेश से बात करने लगी थी और उस के स्वर में एक मधुरता का समावेश भी देखने को मिलता था।
इस प्रकार दिन – महीने और साल निकलते रहे ,
छुट्टियों में दोनों एक दूसरे से मोबाइल पर बात करते ,
और अब ऐसा हो गया था कि दोनों अगर दिन में एक बार ना मिले तो कुछ खोया – खोया सा महसूस हुआ करते थे।
Conversion of friendship to love
समय बीतता गया अब दोनों कॉलेज के आखिरी दिनों में विचार-विमर्श करने लगे और अपने इस प्रकार की दोस्ती को एक रिश्ते में बदलने की बात करने लगे।
किंतु रिया संपन्न परिवार की थी और महेश कमजोर और अधिक साधन संपन्न परिवार से नहीं था।
इसलिए यहां तालमेल बिठाना दोनों के लिए एक चुनौती का विषय बन गया।
रिया ने अपने घर में मां से महेश के बारे में बताया और उससे विवाह करने की बात भी कही , माँ ने पहले रिया को डांटा और फिर काफी बहस के बाद माँ ने समझाया अगर पिताजी को यह बात पता चल जाए तो अच्छा नहीं होगा इसलिए इन सब बातों को यही दबा दो और खत्म कर दो। किंतु रिया और महेश का प्यार अब किसी के समझाएं और बहकावे में नहीं आने वाला था। कुछ समय बाद रिया के पिताजी को भी यह बात पता चली और उन्होंने स्पष्ट ऐलान कर दिया कि इस प्रकार का रिश्ता नहीं हो सकता है।
मैं इस रिश्ते को सहमति नहीं देता हूं।
रिया ने धीरे-धीरे अपने परिवार से दूरियां बनाने शुरू कर दी , कभी वह खाना खाती कभी नहीं खाती।
इस प्रकार वह अपने परिवार को अपने पक्ष में करना चाहती थी किंतु परिवार उसके झांसे में नहीं आया ।
Friendship to marriage
एक दिन अचानक महेश को रिया का फोन आया , रिया ने मिलने के लिए एक जगह पर बुलाया और वहां पर दोनों मिले। रिया ने अपनी सारी बातें महेश को बताई उसके परिवार वाले इस शादी को राजी नहीं हो रहे हैं , इसलिए अब वह अपने परिवार के साथ नहीं रहना चाहती है। वह तुरंत कहीं भाग जाना चाहती है। महेश ने काफी समझाया किंतु रिया घर से ठान कर आई थी कि वापस अपने घर नहीं जाएगी। अब महेश के लिए आफत की बात यह थी कि वह अपने भी घर नहीं ले जा सकता था , इसलिए उसने अपने दोस्तों से कुछ पैसे उधार लेकर और रिया के द्वारा लाए गए पैसों के आधार पर दोनों गोवा भाग गए।
रिया के परिवार भले ही संपन्न हो किंतु वह रिया के बगैर जीना नहीं चाहते थे , इसलिए उन्होंने खोजबीन चालू किया। उन्होंने पुलिस कंप्लेंट भी किया और महेश के घर भी पता करवाया किंतु महेश के घर भी कोई जानकारी नहीं थी कि दोनों कहां गए हैं।
इस प्रकार दिन प्रतिदिन बितता गया।
कुछ समय बाद रिया ने अपनी मां को फोन किया और बताया कि उन दोनों ने मंदिर में शादी कर ली है।
अब वह सात जन्म साथ निभाने की कसमें खा चुके हैं ,
मां ने काफी समझाया किंतु रिया कुछ समझने को राजी नहीं हो रही थी।
एक दिन की बात है
रिया के माता-पिता खोज खबर लेते हुए गोवा पहुंच गए |
और वहां पहुंच कर उन्होंने महेश और रिया का पता लगाया |
दोनों मां बाप ने रिया को और महेश को समझा-बुझाकर घर लाया और बताया इस प्रकार के कृत्य से समाज में बदनामी होगी।
तुम्हारी शादी हम रिती रिवाज और सबकी सहमति से करेंगे।
तुम्हारी शादी को मेरी सहमति है , इस प्रकार सभी खुशी-खुशी अपने घर लौट आए।
Struggle ended
समय और लगन निकालकर रिया और महेश की शादी हुई दोनों वैवाहिक जीवन को सुख में ढंग से जीने लगे।
दोनों को प्रेम की निशानी के रूप में एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ,
जिसे पाकर दोनों एक अनोखी खुशी महसूस कर रहे थे।
महेश पढ़ाई में अच्छा था , उसने सरकारी परीक्षा पास कर एक उच्चस्तरीय नौकरी प्राप्त कर ली ,
रिया प्राइवेट कंपनी में ऊंचे पद पर स्थाई रूप से कार्य करने लगी।
इस प्रकार दोनों साथ रहते और अब धन-संपत्ति की भी कोई कमी नहीं थी।
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