Gopal Krishna Gokhale Story in Hindi गोपाल कृष्ण गोखले कहनियाँ

गोपाल कृष्ण गोखले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उन्होंने महात्मा गांधी जी के निर्देश में अनेकों सफल आंदोलन किए। उनके आदर्शों को आज युवा पीढ़ी अपने जीवन में अपनाना चाहती है।इस लेख में हम गोपाल कृष्ण गोखले से संबंधित कहानी का संकलन कर रहे हैं। आशा है यह आपके जीवन के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हो।

Gopal krishna gokhale story in hindi

गोखले को मिला प्रथम पुरस्कार

गणित के अध्यापक काफी कठोर थे,वह जब भी कक्षा में जाते हाथ में एक मोटी लाठी लिया करते। उनकी लाठी का भय इतना था कि सभी विद्यार्थी भयभीत रहने के साथ-साथ विद्यालय के नियम-कानून को माना करते थे। वह किसी भी नियम को तोड़ने से पहले उस लाठी का स्मरण कर लिया करते थे।

एक दिन जब गणित की कक्षा थी अध्यापक ने कठिन प्रश्नों का एक संकलन विद्यार्थियों को हल करने के लिए दिया और कहा जो भी विद्यार्थी इसे हल करेगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा।प्रश्न पत्र इतना कठिन था कोई भी विद्यार्थी हल नहीं कर सका। सभी विद्यार्थी निराश होकर अपनी उत्तर पुस्तिका अध्यापक के पास जमा कराने लगे।

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कुछ देर के पश्चात एक विद्यार्थी उत्तर पुस्तिका लेकर आया और अध्यापक को सौंपते हुए कहा उसने सभी प्रश्नों को हल कर लिया है।कक्षा के सभी विद्यार्थी आश्चर्यचकित रह जाते हैं,क्योंकि उन विद्यार्थियों को एक भी प्रश्न का हल नहीं समझ आया था। इस विद्यार्थी ने सभी प्रश्नों को हल कर लिया था जो सभी विषय में कमजोर था।

अध्यापक ने उत्तर पुस्तिका देखी सभी प्रश्नों के हल ठीक थे,अध्यापक प्रसन्न हुए हैं और उसे पुरस्कार दिया। अगले दिन पुनः गणित की कक्षा थी। अध्यापक कक्षा में उपस्थित होते हैं।

वह बालक उठ कर अध्यापक के चरणों में गिर जाता है और जोर जोर से रो कर माफी मांगने लगता है। अध्यापक पूछते हैं तुम्हें तो खुश होना चाहिए क्योंकि तुम्हें पुरस्कार मिला था। वह विद्यार्थी रो कर कहता है मुझे माफ कीजिए ,मैंने सभी प्रश्नों के हल किताब से चोरी करके किए थे।अध्यापक ने पर उस विद्यार्थी को समझा-बुझाकर अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा।कुछ देर बाद अध्यापक ने उसे अपने पास बुलाया और कहा तुमने नकल अवश्य की किंतु तुम्हें धोखा देना नहीं आया।

मुझे इस बात की खुशी है कि तुमने झूठ नहीं बोला अपनी गलती को स्वीकार किया और उसे सुधार करने का मन बनाया। मैं तुम्हारे इस कार्य से बहुत प्रसन्न हूं। तुम अवश्य ही बड़े होकर खूब नाम कमाओगे। ऐसा ही हुआ बड़े होकर यही गोपाल कृष्ण गोखले के नाम से प्रसिद्ध हुए।

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निष्कर्ष

गोपाल कृष्ण गोखले बचपन से ही भारत माता की सेवा करना चाहते थे। उन्होंने कम उम्र में ही स्वाधीनता संग्राम में भाग लेना आरंभ किया।  महात्मा गांधी के साथ जुड़कर उन्होंने अनेक ऐसे आंदोलनों में भाग लिया जिससे अंग्रेजों को मानसिक रूप से काफी दबाव का सामना करना पड़ा।

गोखले उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार हैं जिन्होंने अंग्रेजों की हुकूमत को व्यक्तिगत रूप से चुनौती दी थी।

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