भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी, को बधाई तथा सोहर के रूप में गाया जाता है यह श्री राम जी के जन्म उपरांत गाया गया था इसका संदर्भ बालकांड से है। आज भी भक्त बड़े ही उत्साह पूर्वक ढंग से इसका पाठ करते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भी इसका पाठ किया जाता है।
Bhaye Pragat Kripala Lyrics (भए प्रगट कृपाला दीनदयाला)
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥
दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित,
लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु,
माया गुन गो पार ॥
– तुलसीदास रचित, रामचरित मानस, बालकाण्ड-192
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समापन
जैसा कि हम जानते हैं प्रभु श्री राम श्री हरि विष्णु के अवतार हैं, उन्होंने अयोध्या में अपना अवतार लिया था युगीन परिस्थितियां यह थी कि पृथ्वी पर आसुरी शक्तियों ने सत्य को चुनौती दी थी। वह ऋषि-मुनियों को हवन करने पूजा पाठ करने से रोकते थे। मनुष्यों को चीटियों की भांति कुछ समझ कर उनका मान मर्दन किया करते थे। प्रभु श्री राम ने मनुष्य रूप में अवतार लेकर इन बड़ी आसुरी शक्तियों का पृथ्वी से सफाया किया पुनः धर्म की स्थापना कर ऋषि-मुनियों संतों को अभय दान दिया। मनुष्य पुनः अपने धार्मिक कार्य कर सकें ऐसी व्यवस्था स्थापित की गई।
उपरोक्त स्तुति को बालक के जन्म उपरांत गाया जाता है, इसलिए श्री राम जन्म तथा श्री कृष्ण जन्म के समय इसका पाठ किया जाता है। उत्तर भारत में इसे सोहर के रूप में गाया जाता है जो बच्चे के जन्म उपरांत गाए जाने वाला गीत है।