Kajri geet – Ram siya ke madhur milan se lyrics

Read and listen to kajri geet named Ram Siya ke madhur milan se phool bagiya muskaye. You can also watch kajri geet video in end of this post.

कजरी गीत राम सिया के मधुर मिलन – प्रस्तुत गीत में सीता और राम के प्रथम मिलन का वर्णन है। जहां वाटिका में राम पुष्प लेने जाते हैं , वही सीता अपने कुल माता / कुलदेवी गिरिजा की पूजा करने आती है। संयोगवश दोनों एक – दूसरे को देख लेते हैं , और दोनों के मिलन से उत्पन्न सौंदर्य का वर्णन किया गया है।

किस प्रकार सीता के साथ आई हुई सखियां राम को देखकर मुस्कुराती है , शर्माती है। यह सभी भाव इस गीत के माध्यम से उकेरना का प्रयत्न किया गया है –

 

Kajri geet – राम सिया के मधुर मिलन से

 

सिया राम के मधुर मिलान से
सिया राम के मधुर मिलान से
फूल बगिया मुस्काये कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये

सिया राम के मधुर मिलान से
सिया राम के मधुर मिलान से
फूल बगिया मुस्काये कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये

तोड़ रहे थे फूल राम जी ,गिरिजा पूजन आई जानकी
तोड़ रहे थे फूल राम जी ,गिरिजा पूजन आई जानकी
छम – छम नूपुर बाजे ,
छम – छम नूपुर बाजे अब अंग अंग फड़काये
कोयलिया कजरी गाये रे
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये

सिया राम के मधुर मिलान से
सिया राम के मधुर मिलान से
फूल बगिया मुस्काये कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये

सिया मुख चंदा देख सामने भुला दिया सब शान राम ने
सिया मुख चंदा देख सामने भुला दिया सब शान राम ने
नैनन बाण चलाके ,
नैनन बाण चलाके ,सखियों का मन हर्षाये
कोयलिया कजरी गाये रे
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये

सिया राम के मधुर मिलान से
सिया राम के मधुर मिलान से
फूल बगिया मुस्काये कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये

छबि देखि ऐसी मिथिला में राम सिया में सिया राम में
छबि देखि ऐसी मिथिला में राम सिया में सिया राम में
अति आनंद समाये
अति आनंद समाये , सखियों का मन ललचाये
कोयलिया कजरी गाये रे
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये

सिया राम के मधुर मिलान से
सिया राम के मधुर मिलान से
फूल बगिया मुस्काये कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये , कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये

कोयलिया कजरी गाये ,
कोयलिया कजरी गाये
कोयलिया कजरी गाये।

 

Kajri geet video

किसी भी क्षेत्र की सांस्कृतिक विशेषता रहती है , जिसके कारण उस क्षेत्र को विशेष रूप से जाना जाता है। कजरी अर्ध – शास्त्रीय गायन की विधा है। जिसका केंद्र उत्तर प्रदेश और बिहार या यों कहें कि पूर्वांचल है।
कजरी का गायन विशेष रूप से सावन में किया जाता है। यह शृंगार रस से परिपूर्ण गीत होता है , जिसमें बिरह अवस्था की टीस। इसकी उत्पत्ति मुख्य रूप से मिर्जापुर से मानी गई है।  जिसमें वर्षा ऋतु के आगमन पर कजरी गीत गाया जाता है , और राधा कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया जाता है।

आज कजरी की प्रसिद्धि देश ही नहीं अपितु विदेश में भी है। भारतीय परंपरा में प्रत्येक ऋतु के अनुसार गायन – वादन का विधान है।

‘ बारहमासा ‘ में पद्माकर ने प्रत्येक ऋतु के अनुसार नायिका के मनोदशा शारीरिक दशा का वर्णन किया है। किस प्रकार व विरह वर्णन में जल रही थी और अपने प्रियतम के आने की प्रतीक्षा कर रही थी। यह सभी भाव कजरी गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

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