माता संतोषी की आरती सरल भाषा में Santoshi Mata Ki Aarti Lyrics

माता संतोषी की पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है यह गणपति महाराज की पुत्री हैं। यह स्वभाव से बेहद संतोषी हैं, जिसके कारण इनका नाम संतोषी पड़ा। शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा की जाती है। इन्हें गुड़ और चने का भोग अति प्रिय है। जो भक्त गुड़ और चने का भोग लगाकर गाय को उसका प्रसाद खिलाता है मां ऐसे भक्तों पर अपनी कृपा अवश्य बनाए रखती हैं। प्रस्तुत लेख में आप माता संतोषी की आरती पड़ेंगे।

मां संतोषी की आरती लिखी हुई (Santoshi Mata Ki Aarti Lyrics)

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥

सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥

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समापन

सभी देवताओं में गणेश जी की पूजा अग्रणी मानी गई है। गणेश जी की पूजा से सभी कार्य, अनुष्ठान सफल होते हैं। ऐसे भगवान की पुत्री मां संतोषी है। यह अपने संतोष भाव के कारण ही संतोषी कहलाई हैं। इनकी भक्ति बेहद सुलभ और सरल है, इन्हें गुड़ और चने का भोग लगाकर सच्ची भक्ति से प्रसन्न किया जा सकता है। यह अपने भक्तों पर सदैव कृपा बरसाती हैं। बुरी शक्तियों तथा अकाल मृत्यु से रक्षा कर अपने भक्तों के घर सुख-समृद्धि, वैभव धन आदि की वर्षा करती है। जिस घर मां संतोषी का वास होता है वहां जीवन आनंद मय होता है। माता संतोषी की पूजा अर्चना के उपरांत विधि-विधान के साथ आरती करने पर माता अवश्य प्रसन्न होती हैं। इनकी पूजा का विशेष रूप से शुक्रवार के दिन विधान किया गया है। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से माता संतोषी की आराधना करता है उन्हें माता की भक्ति अवश्य प्राप्त होती है। आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।

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