माना जाता है जिसे मजबूत परिवार तथा समाज की आवश्यकता होती है उसे रामायण अवश्य पढ़ना चाहिए। रामायण के माध्यम से उनके पात्र चरित्र आदि से यह अनुभव प्राप्त होता है।किस प्रकार एक भाई के लिए दूसरे भाई ने त्याग किया। रामायण त्याग, समर्पण, निष्ठा, प्रेम आदि से ओतप्रोत है। जो व्यक्ति नियमित रूप से रामायण का पाठ करता है रामायण जी की आरती करता है वह दीर्घायु तथा निरोगी होता है। उसके घर परिवार आदि सदस्य सकुशल अपने मनोवांछित फल को पाते हैं। प्रस्तुत लेख में आप रामायण जी की आरती पढ़ेंगे।
आरती श्री रामायण जी की (Aarti Ramayan Ji Ki Lyrics)
आरती श्री रामायण जी की
कीरति कलित ललित सिय पी की॥
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥
शुक सनकादिक शेष अरु शारद
बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥
आरती श्री रामायण जी की..
गावत बेद पुरान अष्टदस
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस॥
मुनि जन धन संतान को सरबस।
सार अंश सम्मत सब ही की॥
आरती श्री रामायण जी की..
गावत संतत शंभु भवानी
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की॥
आरती श्री रामायण जी की..
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की॥
दलनि रोग भव मूरि अमी की
तात मातु सब बिधि तुलसी की॥
आरती श्री रामायण जी की
कीरति कलित ललित सिय पी की॥
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समापन
रामायण जी की आरती की मान्यता बहुत बड़ी है जो रामायण सुंदरकांड का पाठ करा कर उसके बाद रामायण जी की आरती करता है उसे हजारों यज्ञ का फल प्राप्त होता है। सुंदरकांड, तथा रामायण की संपूर्णता बिना रामायण जी की आरती के संभव नहीं है अतः रामायण जी की आरती का होना आवश्यक है। आपको यह लेख कैसा लगा अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें।