सबसे पुराना वेद कौन सा है? महत्वपूर्ण तथ्य सहित संपूर्ण जानकारी

इस लेख के माध्यम से आपको ज्ञात होगा कि सबसे पुराना वेद कौन सा है तथा उससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य कौन-कौन से हैं। वैदिक कालीन साहित्य भारत की प्राचीनतम साहित्य मानी गई है। जिसमें प्रमुख 4 वेद , 108 उपनिषद, 6 वेदांग, स्मृति, 18 पुराण आदि है।  भारतीय साहित्य आज भी अध्ययन का विषय है।

इन साहित्य का अध्ययन विश्व की सर्वोच्च संस्थान नासा भी कर रही है और उसके अक्षरसः करने की ओर अग्रसर भी है।

सबसे पुराना वेद कौन सा है?

प्रश्न – सबसे पुराना वेद कौन सा है ?

उत्तर – ऋग्वेद को सबसे पुराना वेद माना गया है। यह प्राचीनतम वेद है जिसमें 10 मंडल, तथा 1028 सूक्त है। इसी वेद में गायत्री मंत्र का उल्लेख मिलता है जो सूर्य से संबंधित देवी सावित्री को संबोधित है इसकी भाषा पद्यात्मक है।

अन्य जानकारी –

  • ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति के लिए मंत्र लिखे गए हैं।
  • यज्ञ पूजा-पाठ आदि का विस्तृत विधान लिखा गया है।
  • वेद को सनातन धर्म का संहिता भी कहा गया है।
  • ऋग्वेद काल में छोटे-छोटे समूहों में आर्य रहा करते थे, जिन्हें कबीले कहा जाता था।
  • साहित्य में कबीले को जन के नाम से संबोधित किया गया है
  • इन कबीलो के सरदार को राजन जो शासक हुआ करता था।
  • इसमें सबसे छोटी राजनीतिक इकाई परिवार को माना गया है।
  • कई परिवार मिलकर ग्राम बनते थे, उनका प्रधान ग्रामीण होता था।
  • कई ग्राम मिलकर विश बनता था, उसका प्रधान विशपति होता था।
  • यह कई विश मिलकर एक जन बनते थे, जिसका प्रधान राजा होता था।
  • ऋग्वेद काल का समाज पितृसत्तात्मक था। अर्थात पुरुषों की भागीदारी अग्रणी थी।
  • इस समय समाज में वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित मानी गई है।  जिसमें प्रमुख चार वर्णों का उल्लेख ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य शूद्र देखने को मिलता है।
  • सोम इनका पेय पदार्थ हुआ करता था।
  • ऋग्वेद कालीन समाज में स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी मानी गई है। जिसमें पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा, आदि का प्रचलन नहीं था।
  • इस समय इंद्र को प्रमुख देवता माना गया था। उसके पश्चात अग्नि और वरुण देव को स्थान दिया गया था।
  • ऋग्वेद में इंद्र अर्थात पुरंदर के लिए मुख्यता 250 सूक्त है।

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निष्कर्ष

भारतीय साहित्य निश्चित रूप से काफी प्राचीन है। इसके समकक्ष विश्व की अन्य कोई साहित्य नहीं है। इसके अध्ययन से स्पष्ट होता है कि भारत का ज्ञान वैदिक काल में भी विश्व में सर्वोपरि था। यही कारण है कि भारत में शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यार्थी दूर देश विदेश से आया करते थे। तक्षशिला का महाविद्यालय जिसमें एक है।

वैदिक काल में गुरुकुल हुआ करते थे, जिसमें गुरु के सानिध्य में शिष्य युवावस्था तक रहकर शिक्षा ग्रहण किया करता था। यह शिक्षा व्यवस्था एकल नहीं थी बल्कि विद्यार्थी के जीवन को जीने की पद्धति बताती थी।

उसे अनुसंधान तथा आत्मा परमात्मा और अंत में मोक्ष को प्राप्त करने की शिक्षा हुआ करती थी।

गुरु अपने विषयों का चयन खुद किया करते थे, वह शिक्षार्थियों के चयन करने में काफी सावधानी रखते थे जो विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने का पात्र था केवल उन्हें ही शिक्षार्थी रूप में गुरु स्वीकार करते थे।

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