Today we have brought to you Mohan Bhagwat Quotes, Suvichar, and Anmol Vachan in Hindi with images.
मोहन भागवत विश्व के सबसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक है। यह संघ राष्ट्रहित में नित्य निरंतर विभिन्न क्षेत्रों में निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहा है। देश की उन्नति हो इसका एकमात्र लक्ष्य है।
यहां आप मोहन भागवत जी के सुविचार , अनमोल वचन और उनके मार्गदर्शन का संकलन प्राप्त कर सकेंगे। अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन को आदर्श के मार्ग पर उन्मुख कर सकेंगे।
Mohan Bhagwat Quotes – मोहन भागवत के सुविचार
मोहन भागवत वर्तमान समय में किसी परिचय के मोहताज नहीं है। कैसी भी आपदा हो कैसी भी स्थिति हो सरकार और प्रशासन कि मदद पहुंचने से पहले भागवत जी का संगठन वहां कार्य आरंभ कर चुका होता है। जब राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया भागवत जी वहां मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। उनकी मौजूदगी से पूरा देश ही नहीं विश्व भी आश्चर्यचकित रह गया। कितने ही लोगों ने यह प्रश्न किया वह किस क्षमता व अधिकार से भूमि पूजन में मुख्य अतिथि थे।
ऐसे लोगों के लिए भारतीय जनता पार्टी की तरफ से स्पष्ट किया गया भागवत जी का विश्व में सबसे बड़ा संगठन है। आदिवासी कल्याण से लेकर जनसामान्य के बीच बड़ी भूमिका में संघ अपना कार्य निस्वार्थ भाव से कर रहा है।
राम मंदिर का निर्माण हो इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिन रात संघर्षरत रहा। यहां तक कि विश्व हिंदू परिषद की स्थापना कर एक मुहिम की शुरुआत की। समय-समय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ही राम मंदिर के मुद्दे को उठाया जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
50+ Mohan Bhagwat Quotes in Hindi
१
राष्ट्र की उन्नति में प्रत्येक व्यक्ति को
सम्मिलित होना पड़ेगा बिना
संगठित हुए राष्ट्र कभी
परम वैभव पर नहीं पहुंच सकता। ।
२
चारों तरफ से विरोधियों में घिर जाने पर भी
जो हिम्मत से कार्य करता है
वही विजय श्री को प्राप्त करता है। ।
३
जाती -पाती वर्ग भिन्नता अगड़ा – पिछड़ा
इन सब में समाज पडकर अपना
अस्तित्व खो बैठता है
समय की मांग है इन सभी पूर्वाग्रह से
बाहर निकल कर भारतीय बनाने का
देशभक्त बनाने का। ।
४
स्वयंसेवक जिस भी क्षेत्र में जाता है
वह वहां के अनुशासन का पालन
अवश्य करता है यह उसके संस्कार हैं
यही स्वयंसेवक को विशिष्ट बनाता है। ।
५
पूर्व में क्या हुआ बिना इस पर विचार किए
वर्तमान में सभी को सामान्य दृष्टि से
अपनाना होगा और उन्हें हुआ सम्मान तथा
दायित्व देना होगा जिनके वह अधिकारी हैं। ।
Mohan Bhagwat Quotes on Unity
६
संगठित समाज ही
भाग्य परिवर्तन की कुंजी है
संगठित होकर ही व्यक्ति तथा
राष्ट्र का भाग्य बदला जा सकता है। ।
७
बिना किसी आलोचना पर ध्यान दिए
अनेकों जख्मों को सहते हुए हमें निरंतर
आगे बढ़ते रहना होगा
लोग फलदार वृक्ष को ही पत्थर
मारते हैं यह समझना होगा। ।
८
सैकड़ों साल देश गुलाम रहा ,
गुलामी की मानसिकता होना समझा जा सकता है
किंतु अब ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम
गुलामी की मानसिकता से बाहर ना निकले
पारंपरिक रूढ़ीवादी विचारों को
दरकिनार करते हुए नए भारत के लिए कदम बढ़ाए। ।
९
समाज के लोगों को एकजुट करना
तराजू में मेंढक तोलने के बराबर है
समाज के चार लोग तभी एक साथ होते हैं
जब पांचवा कंधे पर हो।
इस प्रकार समाज का विकास संभव नहीं है
आपसी वैमनस्य की भावना से
राष्ट्र का कभी भला नहीं हो सकता। ।
१०
संघ को किसी विशेष विचारधारा मे
बांधने की कोशिश व्यर्थ है
यह किताब और पत्र की सीमाओं में
बंधने वाला नहीं है यह जीवन जीने का मार्ग बताता है
जीवन और भविष्य का निर्माण करता है
राष्ट्र का उद्धार हो इसके लिए
संघर्ष करता है यह विचारधारा से परे है। ।
११
भारत हिंदू राष्ट्र है ,और यह सत्य है
कोई इसे झुठला नहीं सकता
जब तक इस देश में एक भी हिंदू है
तब तक यह हिंदू राष्ट्र ही रहेगा। ।
१२
मीडिया हमारे विषय में कितना भी कुछ भी लिखें
यह एक दो महीने की छींटाकशी होती है
किंतु वास्तविकता तो वास्तविकता ही रहती है। ।
१३
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति लोगों ने
गलत प्रचार प्रसार समाज के बीच जाकर किया
यह वह लोग हैं जो समाज को संगठित होते नहीं देखना चाहते
यह लोग संघ में एक साल रहकर देखें
सारी मानसिक विकृतियां शांत हो जाएंगी । ।
१४
ना किसी ने हिंदू को बनाया और ना ही किसी ने भारत को
यह तो अनंत काल से ऐसा ही चला आ रहा है
हिंदू सनातन का प्रतीक है और भारत का निवासी। ।
१५
समर्थ की उपेक्षा विश्व में कोई नहीं करता
इसीलिए सामर्थवान होना आवश्यक है। ।
Mohan Bhagwat Quotes full of motivation
१६
कभी-कभी विरोधियों का सामना
करके भी लक्ष्य की प्राप्ति की जाती है। ।
१७
भारत भूमि पर अपनी आस्था प्रकट करने वाला
और भारत की भूमि को मातृभूमि मानकर
उसकी पूजा करने वाला
एक भी हिंदू अगर इस भूमि पर है
तब तक यह हिंदू राष्ट्र है। ।
१८
भारत किन्ही काल परिस्थितियों के कारण विघटित हुआ
अफगानिस्तान , ईरान , भूटान , बांग्लादेश ,पाकिस्तान
यह सब भारत के अंग है और रहेंगे
वहां आज भी अपनी संस्कृति को लेकर समाज चल रहा है
मेरा दृढ़ विश्वास है एक दिन हम पुनः संगठित होंगे
और एक अखंड भारत का पुनः निर्माण करेंगे। ।
१९
विशिष्ट गुण वाले स्वयंसेवक एक प्रतिशत देहात में
तथा तीन प्रतिशत शहरों में अगर हो जाए
उस दिन समाज का वातावरण बदल जाएगा
और समाज सभ्य शिक्षित और समृद्धिशाली हो जाएगा। ।
२०
हमारे लिए सभी अपने हैं , कोई पराया नहीं है
चाहे वह किसी भी जाति , पंथ , मजहब
या राजनीति से संबंध रखता हो। ।
२१
जिस प्रकार शिवाजी को भी
औरंगजेब की मांद में जाना पड़ा था
उसी प्रकार हमारे स्वयंसेवक
कठिन परिस्थितियों में जाकर भी
राष्ट्र निर्माण का कार्य करने को तत्पर है। ।
२२
मेरा किसी राजनैतिक पार्टी से
कोई रिश्ता नहीं है
मेरा रिश्ता केवल स्वयंसेवकों से है। ।
Mohan Bhagwat Quotes and Amrit vachan
२३
जो भी स्वयंसेवक जिस भी क्षेत्र में जाता है
वह वहां के लिए निष्ठावान होता है
किसी प्रशासनिक सेवा या राजनीतिक सेवा
के क्षेत्र में जाता है , तो वह वही के प्रति
निष्ठावान होता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के प्रति जवाबदेही नहीं होती। ।
२४
किसी भी आतंकवादी संगठन को
हिंदू समर्थन नहीं होता है इसलिए
हिंदू आतंकवाद का नाम लेकर
एक सभ्य समाज को बदनाम
करने की साजिश की जा रही है। ।
२६
आतंकवाद व्यक्तिगत होता है
किंतु कुछ धर्म के लोग धर्म का
आश्रय पाकर उसकी दुहाईयां देकर
आतंकवाद फैला रहे हैं
जिससे उनका धर्म आतंकवाद के
नाम से चिन्हित हो रहा है। ।
२७
संघ का स्वयंसेवक स्वेच्छा से अपने संपूर्ण कार्य करते हैं
वह किसी के दबाव में या किसी के दिशा निर्देशों का
अनुपालन नहीं करते वह स्वयं के विवेक से ही कार्य करते हैं। ।
२८
किसी भी स्वयंसेवक के चाल-चलन की
जिम्मेदारी संघ की जवाबदेही बन जाती है
इसे नकारा नहीं जा सकता। ।
२९
अपना राष्ट्र आत्मवित्त , ब्रह्मा वित , वेदवित्त
रूप से संपन्न हो
इस प्रयोजन से कार्य किया जाना चाहिए। ।
३०
विश्व को सुपंथ पर लाना और
उनके प्रयोजन को ध्यान दिलाना
यह दायित्व भारत का है और
उसके समाज का है इसलिए
भारत के समाज में यह
गतिविधियां नित्य चलनी चाहिए। ।
३१
कार्य के पथ पर हमेशा कठिनाइयां रहती है
उपेक्षा , निराशा , आत्मविश्वास
इसके प्रभाव से व्यक्ति का
लक्ष्य निर्धारित होता है
प्रभाव में आने से लक्ष्य से चूकता है। ।
३२
विरोध में भी लोगों के पास वह वृत्ति होनी चाहिए
जो हमने संकल्प किया , वह सत्य है और
वह जग हित में है
फिर वह किसी भी विरोध से विचलित नहीं होता। ।
Mohan Bhagwat Quotes and Suvichar
३३
सामर्थवान की सदैव पूजा होती है
किंतु यह वह समय होता है
जब समर्थवान की शक्तियां उसे
भ्रमित कर गलत मार्ग दिखाती है। ।
३४
मनुष्य का पतन उसके अहंकारों तथा
अपार शक्तियों पर निर्भर करता है
शक्ति संपन्न होने पर भी वह
अहंकार और निंदा का शिकार हो जाता है। ।
३५
अधिक लोगों का विनाश
उत्थान के समय होता है
संघर्ष के समय नहीं
इसलिए कहा जाता है
उन्नति विनाश का बीज
अपने साथ छुपा कर लाती है। ।
३६
जब तक शक्ति साथ होती है तब
तक आप विजय श्री का साक्षात करते हैं
कृष्ण के साथ अर्जुन के रहते अर्जुन को
सदैव विजयश्री प्राप्त होती रही
बड़ी बड़ी सैन्य टुकड़ियों का सामना किया
किंतु शक्ति रुपी कृष्ण के ना रहते हुए
छोटे जंगली डकैतों से भी हार गया और
अपने परिवार की रक्षा नहीं कर सका। ।
३७
किसी प्रकार की सहायता , सम्मान और सराहना
व्यक्तिगत नहीं होती बल्कि
जिस कार्य को हम कर रहे हैं उसके लिए होती है। ।
३८
सुख के लिए बाहर की दौड़ लगाना व्यर्थ है
सुख अपने भीतर है
उसे ढूंढने का प्रयत्न करना चाहिए। ।
३९
सृष्टि की सारी विविधता में एकता का रूप है। ।
४०
अपनी-अपनी श्रद्धा पर पक्के रहो
मिलजुल कर चलो क्योंकि
अकेला व्यक्ति सुख प्राप्ति नहीं करेगा। ।
४१
स्वयं त्तर कर अन्य को तारा
ऐसा साधु संतों का व्यवहार होता है। ।
४२
व्यक्ति का आचरण परिवर्तित तभी होता है
जब कहने वाला स्वयं तपस्वी होता है
सत्य , करुणा , सुचिता और उसके लिए
तपस्या जिसके जीवन में होता है
उसके कहने से समाज और धर्म परिवर्तित होता है। ।
Best Mohan Bhagwat Quotes in Hindi
४३
हमारी नाकामी और जाति , पंथ विभिन्नता ने
दूसरों को फलने फूलने का बल दिया
उनकी हैसियत नहीं थी
वह हमारे इस कृत्य से बड़े होने लगे। ।
४४
परमात्मा की इच्छा है कि
संपूर्ण जगत के कल्याण के लिए
सनातन धर्म का उत्थान हो सके
इसके लिए भारत का उत्थान होना चाहिए। ।
Mohan Bhagwat Quotes for India
४५
भारत देश का प्रयोजन ही विश्वकल्याण का है। ।
४६
एकांत में योग साधना , लोकांत में
सेवा परोपकार की भावना
प्रत्येक व्यक्ति में होने चाहिए। ।
४७
समाज की स्थिति को बदलने के लिए
स्वयं को कृष्ण होना पड़ेगा
कृष्ण किसी के वशीभूत नहीं होते
वह स्वतंत्र हैं
ऐसा ही समाज को होना पड़ेगा
जनता ही जनार्दन होता है। ।
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मोहन भागवत जी संछिप्त परिचय
मोहन भागवत पेशे से डॉक्टर हैं उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर राष्ट्रहित में कार्य करने की प्रतिज्ञा धारण की है। उस प्रतिज्ञा का निर्वाह व सुचारू रूप से कर रहे हैं। आज देश ही नहीं अपितु विदेश में भी इनकी छवि उजागर हुई है। एक देशभक्त किस प्रकार अपने देश की सेवा कर सकता है आज मोहन भागवत इसका जीवंत उदाहरण है।
संघ का सदैव से विचार रहा है सभी को साथ लेकर विकास करने का। इसलिए यह ऊंच-नीच , जाती-पाती को नहीं मानता। संघ में किसी भी व्यक्ति का परिचय केवल नाम से होता है , उसके उपनाम से नहीं। उपनाम का संघ में कोई स्थान नहीं होता है। परिचय पूछे जाने पर केवल नाम बताने का ही रिवाज है।
संघ पर न जाने कितने ही दिन रात आरोप-प्रत्यारोप किए जाते हैं ,
किंतु संघ उन सब बातों को अनसुना कर अपने लक्ष्य और मार्ग की ओर सदैव अग्रसर रहता है। किसी भी प्रकार की समाजिक मजबूती स्थापित रहे , यह सदैव स्मरण रखता है। बाढ़ , भूकंप या अन्य प्रकार की आपदा में संघ अपना कार्य सर्वप्रथम पहुंचकर आरंभ करता है , बिना किसी प्रशासन आदि के सहायता लिए।
कितने ही ऐसे अवसर देखने को मिले हैं जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रशासन से पहले पहुंच कर लोगों की सहायता आरंभ कर चुका होता है। लोगों को भी यह विश्वास हो चुका है जब तक संघ के लोग नहीं आते हमारा कार्य नहीं हो सकता।
आज संघ की विस्तृत शाखाएं विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही है विद्या के क्षेत्र में विद्या भारती , समाज के बीच सेवा भारती , वनवासी कल्याण , हजारों संघ की शाखाएं आज देश हित में अपने कार्य कर रही है।