मनमोहन सिंह किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
उन्होंने भारत के लिए जो अपना योगदान दिया है , वह सराहनीय है। भारत की अर्थव्यवस्था को प्रगति की राह पर लाने में मनमोहन सिंह जी का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। हम यह नहीं भूल सकते कि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एल.पी.जी का फार्मूला संजीवनी का कार्य कर चुकी है।
प्रस्तुत लेख में मनमोहन सिंह जी के आरंभिक जीवन से लेकर संपूर्ण जीवन परिचय प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह लेख निजी अनुभव तथा विभिन्न स्रोतों के माध्यम से तैयार किया गया है। शिक्षा , जीवन , पारिवारिक , राजनीतिक आदि का विवरण विस्तार सहित दिया गया है –
डॉ. मनमोहन सिंह जी का संपूर्ण जीवन परिचय
Image source – Wikipedia
नाम – डॉक्टर मनमोहन सिंह
जन्म – 26 सितम्बर 1932
स्थान – पंजाब प्रान्त (वर्तमान पकिस्तान)
धर्म – सिख (पंजाबी)
माता का नाम – अमृत कौर
पिता का नाम – गुरुमुख सिंह
पत्नी – गुरशरण कौर
शिक्षा – स्नातक , स्नातकोत्तर , P.hd , D.phil
पुस्तक – इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ
पुत्री – उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह
पार्टी – नेशनल कांग्रेस पार्टी
प्रधान मंत्री कार्यकाल – 22 मई 2004 – 26 मई 2014
मनमोहन जी का आरम्भिक जीवन
मनमोहन सिंह जी का आरंभिक जीवन पंजाब के सिंध प्रांत में गुजरा था। यह शहर अभी पाकिस्तान के अंतर्गत आता है। भारत विभाजन के उपरांत उन का परिवार भारत के पंजाब शहर आ गया था ।
डॉ. मनमोहन सिंह जी की शिक्षा
मनमोहन सिंह की आरंभिक शिक्षा पंजाब के सिंध प्रांत जो पाकिस्तान का वर्तमान में भाग है वही आरंभिक संघर्षों के साथ पूर्ण हुई। वह बचपन से ही पढ़ने में काफी रुचि रखते थे। वह अन्य विद्यार्थियों से बिल्कुल अलग थे , इनकी रुचि सदैव खोज प्रवृत्ति की रही। शिक्षा के जगत में अपने जिज्ञासा को कभी कम नहीं होने दिया। विद्यालय शिक्षा ग्रहण करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक तथा परास्नातक की शिक्षा हासिल की।
पी.एचडी करने के लिए वह कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। इसके पश्चात उन्होंने डी.फील ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से किया।
मनमोहन जी एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्र के अध्यापक भी थे। सिन ने पंजाब विश्वविद्यालय में काफी समय तक शिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दी। उसके पश्चात व दिल्ली चले आए।
दिल्ली में उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी शिक्षक के तौर पर काफी समय तक अपने ज्ञान का छात्रों में वितरण किया।
मनमोहन सिंह की प्रसिद्धि देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी थी।
यही कारण है कि उन्हें विदेशों से निरंतर निमंत्रण मिला करते थे। वह देश के लिए समर्पित थे , इसलिए उन्होंने अपना समर्पण देश के प्रति व्यक्त किया और विदेशी लुभावनों को नकार दिया।
डॉ. मनमोहन सिंह जी अर्थशात्री के रूप में
वह पेशे से अर्थशास्त्री थे। उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टर की उपाधि हासिल की थी। उनकी किताब ” इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ” से सिंह जी की ख्याति और बढ़ गई थी।
डॉक्टर सिंह साहब की किताब ने वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था का सटीक अनुमान लगाने में उपलब्धि हासिल की थी।
जिसके कारण मनमोहन सिंह बड़े अर्थशास्त्री के रूप में उभर कर सामने आए।
- मनमोहन जी ने पंजाब विश्वविद्यालय तथा दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर का कार्य भी किया।
- इन्होंने अर्थशास्त्र की शिक्षा इन विश्वविद्यालयों में दी।
- सिंह जी मेधावी छात्र थे जिसके कारण उन्हें 1956 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इतना ही नहीं उन्होंने संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन के सचिवालय में सलाहकार के रूप में भी कार्य किया।
- 1987 से 1990 जेनेवा साउथ कमीशन में सचिव के रूप में कार्य किया।
- इसके उपरांत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक में भी अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया।
- वह महान अर्थशास्त्री के रूप में भारत में प्रसिद्ध हो चुके थे।
- राजनीति में उनके आने का यही मार्ग था।
- उन्होंने आर्थिक जगत में भारत की आधिकारिक रूप से सेवा 1982 से 1984 में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में की
- उसके उपरांत उन्होंने योजना आयोग का अध्यक्ष पद भी संभाला।
- अनेकों ऐसे पद जिस पर उन्होंने अपने अर्थशास्त्री होने का पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत किया।
- जिस समय भारत आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के संकट से जूझ रहा था , उस समय मनमोहन सिंह ने उदारीकरण की नीति सरकार के समक्ष प्रस्तुत की।
- निजीकरण , वैश्वीकरण तथा उदारीकरण की नीति मनमोहन सिंह की देन है।
इस राह पर चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था ने नई और मजबूत राह को पकड़ा था।
राजनीति में आगमन
मनमोहन सिंह का अन्य नेताओं की भांति कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। वह पढ़ने में मेधावी छात्र थे , उनकी योग्यता उनके व्यक्तित्व को बताती है। राजनीति शास्त्र में आधुनिक युग के गुरु के रूप में पहचान प्राप्त करो वह अपने जैसे छात्रों को तैयार कर रहे थे।
उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय तथा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
उनकी लिखी पुस्तक “इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ “ ने राजनीति के वास्तविक रूप को प्रकट किया था।
उनकी ख्याति दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।
राजनीति के लोग मनमोहन सिंह से प्रेरित हो रहे थे। उनकी योग्यता के कदरदान विदेशी भी थे , अतः उन्हें निरंतर विदेश आने का निमंत्रण मिला करता था।
उन्हें बाहरी देशों में काम करने का भी न्योता कम नहीं मिलता था।
इस समय तक वह महान अर्थशास्त्री के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे।
राजनीति के क्षेत्र में यह उतार-चढ़ाव का समय था। कभी विपक्ष के आंदोलन और संघर्ष करती कांग्रेस पार्टी इन दोनों के बीच काफी टकराव हुआ करता था।
- भारत की अर्थव्यवस्था आजादी के बाद निरंतर गिरती जा रही थी।
- भारत में रोजगार तथा आर्थिक संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा था।
- विपक्षी पार्टियों के लिए यह किसी महत्वपूर्ण हथियार से कम नहीं था।
- अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए मनमोहन सिंह ने उदारीकरण की नीति सरकार के समक्ष रखी।
- यह नीति सरकार ने लागू की जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला।
- भारतीय अर्थव्यवस्था को नया बल प्राप्त हो गया था।
- इसके कारण मनमोहन सिंह की प्रसिद्धि और बढ़ने लगी।
- राजनीतिक गलियारे में उनके चर्चे खूब होने लगे।
- यही कारण है उनको कांग्रेस पार्टी ने आर्थिक जगत में अहम योगदान निभाने के लिए आमंत्रण किया।
- वह देश हित में कांग्रेस द्वारा दिए गए प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सके।
उन्होंने राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने राजनीति में निरंतर बने रहने के लिए असम से पहली बार चुनाव जीता और राज्यसभा पहुंचे।
कांग्रेस के प्रति समर्पण
कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद की सबसे मजबूत और बड़ी पार्टी थी। भारत की आजादी में कांग्रेस पार्टी ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। भारतीय समुदाय ने कांग्रेस में अपनी आस्था प्रकट की। ऐसे व्यक्तियों में मनमोहन सिंह भी एक थे।
मनमोहन सिंह का राजनीति में कोई लगाव नहीं था। राजनीति में अर्थशास्त्री के रूप में उनकी मांग बढ़ने लगी। उन्होंने देश हित में कार्य करने के लिए कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। मनमोहन सिंह आरंभिक जीवन से ही कांग्रेस के प्रति अपनी श्रद्धा भाव रखते थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने कई राजनीतिक प्रलोभन के बावजूद भी वफादारी नहीं छोड़ी।
कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने आजीवन अपना योगदान दिया। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी में आर्थिक सलाहकार के रूप में आगमन के बाद उनकी श्रद्धा को देखते हुए प्रधानमंत्री भी बनाया गया।
डाक्टर सिंह पर आरोप लगता है कि वह गांधी परिवार के इशारों पर कार्य करते हैं। यहां भूलने की आवश्यकता नहीं है कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार के नाम से ही जानी जाती है। इसलिए कांग्रेस पार्टी के प्रति श्रद्धा , गांधी परिवार के प्रति श्रद्धा एक समान की बात है।
फिर भी मनमोहन सिंह जी ने भारत के प्रधानमंत्री होने के नाते , पार्टी को विशेष महत्व नहीं दिया। उन्होंने सदैव प्रधानमंत्री के गौरव को बनाए रखा। उन्होंने जो निर्णय लिए , वह पार्टी हित से ऊपर उठकर , राष्ट्रहित में थे ।
प्रधानमंत्री के लिए चयन
कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद से निरंतर संघर्ष और चुनौतियों से लड़ रही थी। आजादी के समय की एकमात्र मजबूत पार्टी जिसने लाल बहादुर शास्त्री , सरदार बल्लभ भाई पटेल , जवाहरलाल नेहरू , इंदिरा गांधी जैसे मजबूत नेताओं को जन्म दिया। वह निरंतर विघटन की ओर बढ़ती जा रही थी।
जिसका एकमात्र कारण था पार्टी के अंदर एकमत का ना होना।
- 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जीत हासिल की।
- जब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात राजनीतिक गलियारे में जोर पकड़ने लगी।
- विपक्षी पार्टी ने विदेशी मूल का बताकर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने नहीं दिया।
- अन्य कोई कांग्रेस पार्टी का प्रधानमंत्री बनने के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं था।
- कांग्रेस ने समय की मांग को पहचाना और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के लिए योग्य उम्मीदवार मानते हुए, ऐलान किया।
- इसके पीछे एक कारण 1984 सिख दंगे के बाद सिखों समुदाय की नाराजगी दूर करने का प्रयास भी था।
- यह वोट बैंक को साधने का माध्यम बनकर प्रकट हुआ।
- 22 मई 2004 को डॉ मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया।
- मनमोहन सिंह के योगदान से कांग्रेस पार्टी ने खोई हुई शक्ति को एकत्र किया और 2009 का लोकसभा चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे।
- मनमोहन सिंह को पुनः 2009 में प्रधानमंत्री बनाया गया।
- कांग्रेस पार्टी में कई बड़े नेता मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने से खुश नहीं थे।
- इनमें गांधी परिवार के करीब रहे नेताओं की संख्या अधिक थी।
पुरस्कार और सम्मान
डॉ मनमोहन सिंह किसी पुरस्कार के मोहताज नहीं है उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जो कार्य किया है वह दुर्लभ है। मनमोहन सिंह का नाम विश्व स्तर पर महान अर्थशास्त्री के रूप में बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
उन्हें कुछ प्रसिद्ध पुरस्कार प्राप्त है जो इस प्रकार है –
- 1956 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार
- 1987 पद्म भूषण
- 1993 और 1994 का एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेन्स मिनिस्टर ऑफ द ईयर
- 1994 में इण्डियन साइंस कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार
- 2002 – सर्वश्रेष्ठ सांसद
- 1994 का यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेन्स मिनिस्टर आफ़ द ईयर
डॉ. मनमोहन सिंह जी के प्रमुख जीवन कालखंड
1957 – 1965 – चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
1969 – 1971 – दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
1976 – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा मानद प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गई
1982 – 1984 – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे।
1984 – 1987 – योजना आयोग मे अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
1987 – 1990 में जेनेवा साउथ कमीशन के सचिव रहे।
1990 – 1991 प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया।
1991 – नरसिम्हा राव सरकार के वित्त मंत्री रहे।
1991 – असम से पहली बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए।
1994 – असम से दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए।
1996 दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा मानद प्रोफेसर उपाधि प्रदान की गई।
1998 – 2004 – संसद में विपक्ष के नेता रहे
1999 – दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़े किंतु हार गए।
2001 – तीसरी बार राज्य सभा के सदस्य चुने गए
2004 – भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत किए गए।
2009 – लोकसभा का चुनाव जीत कर पुनः प्रधानमंत्री की शपथ ली।
मनमोहन जी के स्वास्थ्य समबन्धी जानकारी
मानव के शरीर में उम्र के साथ कुछ बीमारियां आना स्वाभाविक है , इससे मनमोहन सिंह भी नहीं बच सके। 10 मई 2020 रात लगभग 9:00 बजे दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस AIIMS में भर्ती कराया गया। अचानक उनके सीने में दर्द की शिकायत महसूस हुई थी , जिसके कारण उन्होंने अस्पताल की ओर रुख किया।
शुरुआती जानकारी के अनुसार उनके कुछ नई दवाओं के प्रयोग के कारण यह शिकायत आई थी।
कांग्रेस के उच्च नेताओं से मनमोहन सिंह के सम्बन्ध
मनमोहन सिंह कर्मठ और योग्य व्यक्ति है , उन्होंने अपनी योग्यता पर किसी को हावी होने नहीं दिया। कांग्रेस पार्टी में निश्चित रूप से कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मनमोहन सिंह से खुश नहीं थे।
फिर भी उन्होंने अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा कम होने नहीं दिया।
उन्होंने पार्टी के आलाकमान के प्रति अपना सदैव निष्ठा व्यक्त की।
उनके प्रति अन्य नेता क्या सोच रखते हैं , इस बात का उन्होंने कभी प्रवाह नहीं किया।
यही कारण है कि मनमोहन सिंह पर आरोप लगते रहे कि वह सदैव सोनिया गांधी या राहुल गांधी के इशारों पर कार्य करते हैं। निश्चित रूप से वह पार्टी के आलाकमान है , उनको अपने निर्णय बताना सिंह जी कर्तव्य बनता है। किंतु जहां देश हित की बात हो वहां पार्टी तथा निजी हित को भूलाकर वह राष्ट्र के प्रति निर्णय लेने में पीछे हटते नहीं दिखे।
डॉक्टर मनमोहन सिंह से जुड़े प्रमुख विवाद
मनमोहन सिंह जैसे शांत और शील स्वभाव का व्यक्ति कहीं भी मिलना दुर्लभ है। उन्होंने कभी किसी का अहित नहीं किया , उनके पास जो भी सहायता के लिए उपस्थित हुआ उसकी निश्चित रूप से सहायता की गई। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इसी बात का फायदा उठाया करते थे। माना जाता है कि उनके कार्यकाल के दौरान जहां उनकी जवाबदेही प्रधानमंत्री के प्रति होनी चाहिए थी। वही वह पार्टी के आलाकमान को अपनी जवाबदेही मानते थे , यह गंभीर आरोपों सिंह जी पर लगते रहे।
मनमोहन सिंह पर यह आरोप सदैव लगता रहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए भी स्वयं के विवेक से कार्य नहीं किया।
उन्होंने पार्टी आलाकमान के इशारों पर सभी निर्णय लिए , जो सदैव गलत साबित हुए।
देश में हुए बड़े घोटालों में भी उनके नाम को जोड़ा गया , क्योंकि वह प्रधानमंत्री थे।
उनकी सहमति के बिना कोई भी फाइल का आगे बढ़ना मुश्किल था। मनमोहन सिंह जैसा ईमानदार व्यक्ति कोई घोटाला नहीं कर सकता। कितनी ही जांच और कोर्ट केस हुए किंतु मनमोहन सिंह पर कोई दाग आज तक नहीं लग पाया है। पार्टी के आलाकमान तथा राजनीति के कारण कुछ घोटाले उनके कार्यकाल में अवश्य हुए।
किंतु मनमोहन सिंह के साथ उस घोटाले को जोड़ना तर्कसंगत नहीं है।
नरेंद्र मोदी से मनमोहन जी का सम्बन्ध
नरेंद्र मोदी जी , डॉक्टर मनमोहन सिंह के बाद प्रधानमंत्री चुने गए। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को बेहद ही अधिक मतों के अंतर से हराया। नरेंद्र मोदी का आगमन होने के कारण , कांग्रेस पार्टी पूरे देश में हासिये की स्थिति पर चली गई। नरेंद्र मोदी को कई बार सीधे तौर पर डॉ मनमोहन सिंह पर आरोप लगाते देखा गया है।
चुनाव रैली में उन्होंने मनमोहन सिंह को मौन रहते हुए कार्य करने पर व्यंग भी किया।
वास्तविक रूप से नरेंद्र मोदी डॉ मनमोहन सिंह के प्रशंसक है। चुनाव और राजनीति के कारण कुछ समय आलोचना करना पड़ता है। नरेंद्र मोदी जैसा व्यक्तित्व प्रत्येक व्यक्ति में होना दुर्लभ है। वही मनमोहन सिंह भी नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं , किंतु उनकी सराहना करने से भी पीछे नहीं हटते। देश को नरेंद्र मोदी के रूप में एक सशक्त नेतृत्व मिला , यह बात स्वयं मनमोहन सिंह भी स्वीकार करते हैं।
दोनों एक – दूसरे के जहां आलोचक हैं , वही प्रबल प्रशंसक भी हैं।
राजनीति में आलोचना और प्रशंसा का दौर चलता रहता है।
यहां आपको भ्रम में पडने की आवश्यकता नहीं है , कि वह एक – दूसरे के आलोचक हैं।
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Dr. Manmohan Singh is now discharged from the hospital. However, this article is very informative.
Thanks, Ruchika
it is good to know that he is well now.
यह पोस्ट डॉक्टर मनमोहन सिंह जी के बारे में जानने वालों के लिए बहोत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।
कल ही दोस्तों के साथ इनके बारे में बात हुए थी लेकिन हमें इतनी ज्यादा इन्फॉर्मेशन नही थी इनके बारे में।
मैं यह पोस्ट उनको शेयर करके नॉलेज एकत्र करूँगा।
यह शिक्षा की दृष्टि से बहोत ज्यादा अच्छा पोस्ट है।
धन्यवाद
इस प्रकार की टिप्पणियां हमारी टीम के लिए काफी प्रेरणादायक होती हैं।
आप इसी प्रकार हमारा समर्थन करते रहे और अपने विचार हम तक पहुंचाते रहे।
परम आदरणीय मनमोहन सिंह जी के सदैव उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ ||
आपसे एक बार मिलने की इच्छा रही है |