महात्मा गांधी जी ने स्वाधीनता संग्राम में जिस प्रकार अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी वह सराहनीय है। उनके सराहनीय कार्य को पूरे देश ने समर्थन किया था, छोटी सी कद-काठी और साधारण वेशभूषा वाले इस महान व्यक्ति ने भारत देश में अपने जड़ जमा चुके अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का कार्य किया था। अनेकों ऐसे सफल आंदोलन जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया था।इस लेख में आप महात्मा गांधी जी के जीवन से परिचय हो सकेंगे।
महात्मा गाँधी की जीवनी – Mahatma Gandhi biography
नाम – मोहनदास करमचंद गांधी ( महात्मा गांधी )
जन्म – 2 अक्टूबर 1869
माता – पुतलीबाई
पिता – करमचंद गांधी
पत्नी – कस्तूरबा गांधी
पुत्र – हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी।
- मोहनदास करमचंद गांधी को आम जनता महात्मा गाँधी के नाम से जाना जाता है। यही नाम प्रचलित है।
- राष्ट्रपिता की उपाधि उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दी थी।
- महात्मा गाँधी की उपाधि उन्हें रवीन्द्रनाथ टेगौर ने दी थी।
- उनकी मातृ भाषा गुजरती थी।
- महात्मा गांधी का विवाह 13 साल की उम्र में कस्तूरबा माखनजी से हुआ था।
- महात्मा गांधी प्रतिदिन करीब 18 किलोमीटर पैदल चलते थे, यानी जिंदगी भर जितना चले उसमें पृथ्वी के दो चक्कर लग जाते।
- पहली बार दक्षिण भारत में नागरिक अधिकारों की वकालत की।
- 1914 – 1919 तक प्रथम विश्व युद्ध हुआ जिसमे ब्रिटिश हुकूमत ने भारतीय सैनिकों से शर्त आधारित सहायता मांगी। वह शर्त थी युद्ध के पश्चात वह भारत को स्वतंत्र कर देंगे। किन्तु यह केवल छलावा साबित हुआ, जिसे गाँधी जी हतास हुए और आंदोलन का मार्ग चुना।
- 1920 में कांग्रेस की कमान संभाली।
- 1921 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की बागडोर को संभाला।
- 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया।
- 4 महाद्वीप 12 मुल्कों में नागरिक अधिकारों से जुड़े आंदोलनों का श्रेय उन्हें जाता है।
- ब्रिटेन ने उनकी मृत्यु के 21 वर्ष पश्चात उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किए।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी की जीवनी । B R AMBEDKAR
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल lyrics | देशभक्ति गीत।Mahatma gandhi best song’
महात्मा गाँधी जी का प्रारंभिक सत्याग्रह 1917
- चंपारण सत्याग्रह उस समय किसानों को एक अनुबंध 3/20 वें ( 20 कट्ठा में 3 कट्ठा ) भाग पर नील की खेती करने के लिए बाध्य किया गया , उसे तीन कठिया पद्धति कहते हैं।
- किसान इससे छुटकारा चाहते थे इसके लिए राजकुमार शुक्ल ने महात्मा गाँधी जी को आमंत्रित किया।
- तब महात्मा गाँधी जी ने सत्याग्रह शुरू किया।
- सरकार जो की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया , तब इस पद्धति को समाप्त किया गया।
- कर वसूली का 25% हिस्सा किसानों को वापस किया गया।
- महात्मा गाँधी जी के कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी।
- आगे चलकर ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि उन्हें सुभाष चंद्र बोस द्वारा प्राप्त हुई।
महात्मा गाँधी का चंपारण सत्याग्रह –
- सत्याग्रह की प्रेरणा महात्मा गाँधी ने डेविड थोरो के निबंध डिसऑबेडिएंस से ली थी।
- महात्मा गाँधी जी ने सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में किया था।
- 9 जनवरी 1918 गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए।
- राजनीतिक गुरु गांधी जी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
- भारत में प्रथम सत्याग्रह चंपारण बिहार में हुआ।
- गोखले जी की सलाह पर 1915 – 1916 दो वर्ष गांधीजी ने भारत भ्रमण किया।
- उसके बाद 1917 से 1918 के बीच तीन प्रारंभिक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
स्वामी विवेकानंद के सुविचार एवं अनमोल वचन
खेड़ा सत्याग्रह 1918 –
- 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में भीषण अकाल पड़ा।
- बावजूद उसके सरकार ने मालगुजारी प्रक्रिया बंद नहीं की।
- अपितु 23% और वसूली बढ़ा दी , जबकि राजस्व व्यवस्था के अनुसार यदि फसल का उत्पादन कुल उत्पादन से एक चौथाई से कम हो तो किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ कर देना चाहिए।
- इस पर महात्मा गाँधी जी ने घोषणा की यदि सरकार गरीब किसानों का कर्ज माफ कर दे तो सक्षम किसान स्वयं इच्छा से ‘कर’ ( टेक्स ) का भुगतान करेंगे।
- सरकार ने गुप्त रूप से अपने अधिकारियों से कहा कि जो किसान सक्षम है उन्हीं से कर लिया जाए।
भगत सिंह के प्रेरणादायक सुविचार
चंद्रशेखर आजाद के महान सुविचार
अहमदाबाद मिल हड़ताल –
- यह आंदोलन भारतीय कपड़ा मिल मालिकों के विरोध में था।
- यहां पर मजदूरों के बोनस को लेकर महात्मा गाँधी जी ने भूख हड़ताल करने को कहा तथा स्वयं भी भूख हड़ताल की।
- यह उनकी पहली भूख हड़ताल थी , उसके फलस्वरूप मिल मालिक समझौते को तैयार हो गए।
- इस मामले को एक ट्रिब्यूनल को सौंपा गया , जिसने मजदूरों का पक्ष लेते हुए 35% बोनस देने का फैसला सुनाया।
खिलाफत आंदोलन –
- 1919 से 1924 तक पुणे में तुर्की में खलीफा के पद की स्थापना करने के लिए अंग्रेजों पर दबाव बनाना।
- रोलेट बिल जलियांवाला बाग के फलस्वरूप अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी ने खिलाफत आंदोलन का संगठन किया।
- 1919 में कांग्रेस की स्थिति बेहत दयनीय थी उसकी स्थिति को सुधरने के लिए गाँधी जी ने कांग्रेस का दामन संभाला।
- गाँधी जी ने हिन्दू मिस्लिम को एक साथ करने का सफल प्रयास किया।
- महात्मा गाँधी जी के प्रभाव से खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन एकमत हो गए।
सुभाष चंद्र बोस के सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन
सावित्रीबाई फुले कोट्स, सुविचार, एवं अनमोल वचन
खलीफा पद की समाप्ति –
- राष्ट्रीयतावादी मुस्तफा कलाम ने 3 मार्च 1924 को समाप्त कर दिया।
- महात्मा गाँधी जी धर्म के ऊपरी आवरण को दरकिनार करते हुए हिंदू – मुस्लिम एकता के आधार को पहचाना।
- उसके बीच आपसी झगड़ा था लेकिन सभ्यता , मुल्क , एकता भी थी।
असहयोग आंदोलन 1920 –
- असहयोग आंदोलन में शांति और अहिंसा को मुख्य रूप से हथियार बनया गया।
- किन्तु जलियावाला बाग़ कांड से आहत महात्मा गाँधी जी ने यह आंदोलन वापस ले लिया।
- श्री चिमनलाल सीतलवाड़ के अनुसार – वायसराय लॉर्ड रीडिंग कुर्सी पर हताश बैठ गया और अपने दोनों हाथों सिर थाम कर फूट पड़ा।
- उस आंदोलन ने ब्रिटिश राज्य की जड़ों पर प्रहार किया।
- उद्देश्य ब्रिटिश भारत की राजनीतिक आर्थिक तथा सामाजिक संस्था का बहिष्कार करना और शासन की मशीनरी को बिल्कुल ठप करना।
- आरंभ 1920 में राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन से।
महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन को सफल बनाने हेतु किए गए प्रयास –
- सरकारी उपाधियां , अवैतनिक तथा अवैतनिक पदों का त्याग।
- सरकारी उत्सवों तथा दरबारों में सम्मिलित ना होना।
- 1919 के अधिनियम के अंतर्गत होने वाले चुनावों का बहिष्कार।
- सरकारी एवं अर्ध सरकारी स्कूलों का त्याग।
- सरकारी आंदोलनों का बहिष्कार।
- विदेशी सामानों का बहिष्कार।
Lala lajpat rai quotes in hindi ( लाला लाजपत राय के सुविचार )
आंदोलन समाप्ति एवं उसका कारण –
- महात्मा गाँधी जी ने कहा था आंदोलन पूरी तरह अहिंसक होना चाहिए , किंतु फरवरी 1922 चौरी – चौरा कांड की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया।
चोरी चोरा कांड –
- यह आंदोलन १९२० से आरम्भ हुआ।
- चौरी – चौरा उत्तर प्रदेश में , 4 फरवरी 1922 गोरखपुर के पास एक कस्बा है।
- गाँधी जी ने आग्रह किया था की यह आंदोलन पूर्ण रूप से अहिंसक होना चाहिए।
- यहां 4 फरवरी 1922 में भारतीय आंदोलनकारियों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी।
- जिससे उसमें छिपे हुए 22 पुलिसकर्मी जिंदा जल गए।
- इस घटना को चोरी – चोरा कांड के नाम से जाना जाता है।
- इससे दुखी तो कर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
मदन लाल ढींगरा की जीवनी। Madan lal dhingra biography।
बाजीराव पेशवा प्रथम। हिन्दू सम्राट। बाजीराव की जीवनी।Bajirao peshwa 1 notes in hindi
असहयोग आंदोलन के पश्चात –
- नेहरू रिपोर्ट 1928 लॉर्ड बर्कन हेड भारत सचिव ने राष्ट्रीय नेतृत्व को एक ऐसा संविधान बनाने की चुनौती दी जिसे सभी स्वीकार करें
1927 के मद्रास अधिवेशन में यह तय किया गया कि अन्य राजनीतिक दलों की सहमति से संविधान का मसौदा बनाया जाए
19 मई 1928 को डॉ अंसारी की अध्यक्षता में सम्मेलन हुआ इसमें मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई जिसे संविधान का मसौदा तैयार करने का कार्य सौंपा
नेहरू समिति ने 28 अगस्त 1928 को अपनी रिपोर्ट सौंपी से लखनऊ में आयोजित सभा में स्वीकार कर लिया गया
नेहरू समिति रिपोर्ट की सिफारिशें –
- भारत को डोमीनियन स्टेट का दर्जा दिया जाए।
- संप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को समाप्त किया जाए।
- संयुक्त निर्वाचन प्रणाली अपनाई जाए।
- भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य होगा किंतु अल्पसंख्यकों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक हितों का पूर्ण संरक्षण होगा।
- केंद्र एवं प्रांत में संघीय आधार पर शक्ति विभाजन।
- भारत में उच्चतम न्यायालय की स्थापना।
- संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय।शिक्षक दिवस | Teachers day special
साइमन कमीशन –
- 1919 के भारत शासन अधिनियम की समीक्षा के लिए इस आयोग का गठन 1927 में किया गया।
- अध्यक्ष – सर जॉन साइमन थे।
- विरोध का कारण – इस आयोग में एक भी भारतीय नहीं था , इसलिए भारतीयों को लगता था कि इसकी रिपोर्ट में पक्षपात होगा और अंग्रेजो के हितों का ध्यान रखा जाएगा।
- बहिष्कार का निर्णय – कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन 1927 में एम. ए. अंसारी की अध्यक्षता में।
- भारत आगमन – 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन मुंबई भारत पहुंचा।
साइमन कमीशन से जुड़े कुछ तथ्य –
- जब लाहौर आंदोलन में लाठी चार्ज में लाला लाजपतराय घायल हुए तो उन्होंने कहा – ” मेरे ऊपर लाठियों से किया गया एक एक बार अंग्रेज शासन की ताबूत की आखिरी कील साबित होगी “
- 1928 से 1929 के बीच कमीशन दो बार भारत आया। और मई 1930 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिस पर लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन पर विचार होना था।
साइमन कमीशन की प्रमुख सिफारिशें –
- प्रांतों में द्वैध शासन खत्म हो।
- अखिल भारतीय संघ के विचारों को ना माना जाए।
- वर्मा को ब्रिटिश भारत से अलग किया जाए उसका अलग संविधान हो।
महात्मा ज्योतिबा फुले | jyotiba foole | biopic jyotiba foole |
मनोहर पर्रीकर जीवन परिचय व दिलचस्प बातें | Manohar parrikar bio and facts
महात्मा गाँधी द्वारा दांडी मार्च नमक सत्याग्रह –
- महात्मा गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से 78 अनुयायियों के साथ 24 दिनों की पदयात्रा की ।
- वह 5 अप्रैल को दांडी पहुंचकर 6 अप्रैल को नमक का कानून तोड़ा।
- सुभाष चंद्र बोस ने इसकी तुलना नेपोलियन के 23 मार्च व मुसोलिनी के रोम मार्च से की थी।
- धरसना में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व सरोजिनी नायडू , इमाम साहब मणिलाल महात्मा गाँधी जी के बेटे ने किया।
- उत्तर पूर्व में इस आंदोलन का नेतृत्व 13 वर्षीय नागा महिला ने किया।
- जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें ‘ रानी ‘ की उपाधि दी।
- इन्हें नागालैंड की जॉन ऑफ आर्क भी कहा जाता है।
गोलमेज सम्मेलन –
- साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार विमर्श के लिए 1930 में लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ।
- सदस्य 89 सदस्यों ने भाग लिया किंतु कांग्रेस ने नहीं।
महात्मा गाँधी इरविन समझौता –
- ब्रिटिश राजनीति कांग्रेस व गांधी जी का साथ चाहते थे इसी के चलते गांधीजी और वायसराय के बीच वायसराय इरविन समझौता हुआ।
महात्मा गाँधी इरविन समझौते का उद्देश्य –
- इसके तहत कांग्रेस की ओर से द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने तथा सविनय अवज्ञा बंद करने की बात मान ली गई।
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन –
- 1931 में द्वितीय गोल में सम्मेलन हुआ , जिसमें महात्मा गाँधी जी ने कांग्रेस के सदस्य के रूप में भाग लिया।
- लेकिन सांप्रदायिक समस्या के विवाद के कारण असफल रहा।
सविनय अवज्ञा आंदोलन –
- 1930, 6 अप्रैल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं मुख्य रूप से महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में चलाया गया।
- यंग इंडिया समाचार पत्र लिख द्वारा सरकार से एक ग्यारह सूत्रीय मांगें की और उनके मांगे जाने पर सत्याग्रह की चर्चा बंद करने को कहा।
- व 31 जनवरी 1930 तक का समय दिया।
- सरकार ने मांगे नहीं मानी तब सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया।
- प्रमुख कार्यक्रम नमक कानून तोड़ना, कर भुगतान न करना, विदेशी सामानों का बहिष्कार, सरकारी सेवाओं का त्याग आदि।
लाल बहादुर शास्त्री के सुविचार
सविनय अवज्ञा आंदोलन के उद्देश्य –
- कुछ विशिष्ट प्रकार के गैर कानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना।
- प्रभाव- ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए सख्त कदम उठाए और गांधी जी समेत अनेक नेताओं को जेल में डाल दिया।
भारत छोड़ो आंदोलन –
- भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को आरंभ हुआ। भारत को जल्दी आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक बड़ा फैसला था।
- मूल मंत्र करो या मरो ( डू एंड डाई )
- परिणाम – यह आंदोलन भारत को स्वतंत्र भले ना करवा पाया हो , लेकिन इसका दूरगामी परिणाम निकला।
- इसलिए इसे ” भारत की स्वाधीनता के लिए किया जाने वाला अंतिम महा प्रयास। ” कहा गया।
- माउंटबेटन की घोषणा लॉर्ड माउंटबेटन को फरवरी 1947 में भारत का वायसराय नियुक्त किया गया।
- तब उसने ऐलान कर दिया कि ब्रिटिश भारत को स्वतंत्रता दे दी जाए लेकिन उसका विभाजन भी होगा।
महात्मा गांधी से जुड़े आंदोलनों की विशेषता –
- सामाजिक व जमीनी स्तर से जुड़े होते थे।
- समाज से जुड़े समस्याओं के प्रति आंदोलन का रूप हुआ करता था।
- महात्मा गांधी के द्वारा प्रायोजित आंदोलन पूर्ण रूप से अहिंसक ( शांति रूप से ) हुआ करते थे।
- हिंसा होने पर उस आंदोलन को तुरंत समाप्त कर दिया करते थे।
- आंदोलन में साधारण किसान व साधारण लोग मुख्य रूप से शामिल हुआ करते थे।
महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन
अब हम चर्चा करेंगे महात्मा गांधी के सामाजिक जीवन पर
- महात्मा गांधी साधन संपन्न होते हुए भी एक साधारण व्यक्ति की भांति जीवन व्यतीत करते थे।
- महात्मा गांधी ने लंदन से वकालत की पढ़ाई की , वहां के परिवेश में रहे, किंतु भारत आने पर वह पूर्ण रूप से भारतीय जीवन ही व्यतीत किया करते थे।
- उनके वस्त्र पहनावा – ओढावा बड़े ही सादे और साधारण से भी साधारण हुआ करता था।
- वह सत्य – अहिंसा के पुजारी थे।
- उन्होंने ईश्वर-अल्लाह सभी को समान रूप से स्वीकार किया, और सब को सुखी संपन्न रहने की प्रार्थना की।
लालकृष्ण आडवाणी जी की संपूर्ण जीवनी
सामाजिक बराबरी के पक्षधर –
- महात्मा गांधी समाज में ऊंच-नीच के बंधन को तोड़ना चाहते थे।
- उन्होंने कई आंदोलनों में ऊंच-नीच भेद – भाव छुआ – छूत आदि को त्याग कर सबको एक समान रूप से स्वीकार करने की बात कही।
बलि प्रथा पर रोक –
महात्मा गांधी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे , इसलिए वह समाज में फैले बाह्य आडंबर आदि को और स्वीकार करते हुए उस पर आपत्ति भी दर्ज की।
एक समय की बात है गांधीजी चंपारण जिले में आंदोलन के दौरान रुके हुए थे , वहां उन्होंने देखा के एक जनसमूह देवी माता की पूजा करने के लिए मंदिर की ओर जा रहा था।
उस भीड़ में से एक बकरे की आवाज बड़े जोर से आ रही थी। वह बकरा कराह रहा था यह सुनते हुए गांधी जी ने आश्चर्य किया कि यह भीड़ पूजा करने के लिए जा रही है और बकरे की आवाज आ रही है। इस पर आश्चर्य करते हुए उन्होंने अपने सहयोगी साथी से जानकारी मांगी। गाँधी जी के सहयोगी ने बताया कि वह काली माता की पूजा करने जा रहे हैं , और उनकी प्रसन्नता के लिए बकरे की बलि दी जाने वाली है।
इस पर महात्मा गांधी जी तुरंत मंदिर पहुंचे और उन्होंने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा ! कि ” यदि काली माता बकरे की बलि से प्रसन्न होती है , तो मनुष्य रूप से में बलि देने पर और प्रसन्न होंगी , इसलिए बकरे के स्थान पर मेरी बली स्वीकार की जाए ! ” सभी ने आश्चर्य किया और वास्तविकता को समझते हुए गांधी जी से क्षमा मांगते हुए बकरे को आजाद कर दिया।
इस प्रकार की अनेक घटनाओं से पता चलता है कि वह धार्मिक बाहरी आडंबर ओं के विरोधी थे।
यह भी पढ़ें –
महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय संपूर्ण जानकारी | वाल्मीकि जयंती
बिपिन रावत जीवन परिचय ( CDS Bipin Rawat Biography )
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ सम्पूर्ण जीवनी
सौरव गांगुली का संपूर्ण जीवन परिचय ( जन्म, पढ़ाई, आरंभिक जीवन )
राकेश झुनझुनवाला जीवनी ( आरंभिक जीवन, शेयर मार्किट, संघर्ष )
अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी तो इसे खूब शेयर करें | और अगर आपको पढाई में मदद हुई हो तो अपने कक्षा या इंस्टिट्यूट में शेयर करें | हमने इसमें लगभग सभी महत्त्वपूर्ण कार्यों को लिखा है | जो upsc के students और अन्य सरकारी नौकरी की तयारी कर रहे बच्चों के लिए एक महत्त्वपूर्ण नोट्स की तरह काम करे
कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है अगर आप किसी भी तरीके की मदद चाहते हैं हिंदी नोट्स के छेत्र में तो , जरूर यह नीचे कमेंट करके बताएं की आगे आप किस टॉपिक से जुडी हैं | हमारा दावा है , हम तक जरूर पहुंचेंगे और वो नोट्स अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराएंगे |
Please provide Upsc uppcs all notes in hindi language for us students