सभी देवों में गणेश जी की पूजा अग्रणी मानी जाती है। इनकी पूजा के बिना कोई भी पूजा-पाठ, हवन आदि संपूर्ण नहीं होती इसलिए गणेश जी की पूजा का विधान है। गणेश जी अपने भक्तों पर सदैव कृपा बरसाते हैं। यह जिन पर अपनी कृपा बरसाते हैं उन पर रिद्धि-सिद्धि भी प्रसन्न रहती हैं। अपने भक्तों को भक्ति का लाभ देकर उसे सुखी-संपन्न तथा निरोगी बनाते हैं। जो भक्त गणेश जी की निष्ठा पूर्वक वंदना करता है, उसे मनोवांछित वर प्राप्त होता है। प्रस्तुत लेख में आप गणेश जी की आरती पढ़ेंगे।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा (गणेश जी की आरती)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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समापन
गणेश जी भगवान शिव शंकर और मां गौरी के पुत्र हैं इन्हें विभिन्न नामों से जाना जाता है लंबोदर वक्रतुंड सिद्धिविनायक आदि प्रमुख है। यह अपने भक्तों पर अत्यंत भक्ति लुटाते हैं। गणेश जी भगवान शिव शंकर तथा मां गौरी के लाडले है जिसके कारण हर एक देवता इन पर अपनी कृपा बरसाते हैं और जिस पर गणेश जी प्रसन्न होते हैं। वह फिर सभी देवों के प्रिय हो जाते हैं इसलिए आप भी भगवान श्री गणेश की निष्ठा पूर्वक बंदना कीजिए और भक्ति का लाभ लीजिए। यह अत्यंत सरल भाव से स्मरण करने पर भी प्रसन्न होकर अपने भक्तों के पास तत्काल उपस्थित होते हैं और अपने भक्तों के मनोवांछित कामनाओं की सिद्धि करते हैं। आपको भगवान श्री गणेश की भक्ति प्राप्त हो।