डॉ हर्षवर्धन बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। वह किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन में अध्यक्ष पद पर भी बेहद सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उनके जीवन से युवा प्रेरणा लेता है वह पढ़ाई के साथ अपने व्यवसाय में भी अनुकरणीय है।
डॉ हर्षवर्धन ने पढ़ाई में सफलता हासिल करते हुए डॉक्टरी शिक्षा ली।
उन्होंने समाज कल्याण के लिए यह व्यवसाय चुना। हर्षवर्धन समाज कल्याण हेतु प्रतिबंध है इसलिए वह राजनीति में भी शुद्ध विचार से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष कार्य किया है जिसके लिए विदेशों से सराहना मिलती है। पोलियो उन्मूलन जैसे कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सिद्ध किया।
यह उनकी प्रतिभा को दर्शाता है।
आज के लेख में डॉ हर्षवर्धन के जीवन पर प्रकाश डालने का प्रयत्न कर रहे हैं। किसी प्रकार की त्रुटि मानवीय त्रुटि मानी जाएगी –
डॉ हर्षवर्धन जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय
डॉ हर्षवर्धन जैसी महान शख्सियत वर्षों में एक होती है। उनका व्यक्तित्व सरल और सीधा है। उनसे कोई भी साधारण व्यक्ति मिलकर प्रसन्न होता है। उनमें औरों की भांति दिखावा नहीं है , वह सीधे और सरल प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं।
यही कारण है उनके साथ कोई भी साधारण व्यक्ति सहज महसूस करता है।
समाज के प्रति समर्पित भावना उन्हें महान बनाती है।
उनके व्यक्तित्व को निखारती है। समाज कल्याण के लिए वह , प्रतिबद्ध हैं।वह प्रतिदिन सामाजिक कार्यों में अपना सहयोग सुनिश्चित करते हैं। महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी , वह सामाजिक कार्यों को नहीं छोड़ते। दिल्ली के एक साधारण परिवार से उठकर उन्होंने , वह मोकाम हासिल किया , जो साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं है.
जन्म – 13 दिसम्बर 1954
स्थान – दिल्ली
नाम – हर्ष वर्धन
पिता का नाम – श्री ओमप्रकाश
माता का नाम – श्रीमति स्नेह लता
धर्म – हिन्दू
पत्नी का नाम – नूतन
पुत्र-पुत्री – मयंकभर , सचिन , इनाक्षी
शिक्षा – MBBS , MS
व्यवसाय – डॉक्टर (विशेष नाक ,कान , गला )
डॉ हर्षवर्धन जी का आरंभिक जीवन
डॉ हर्षवर्धन बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। आरंभिक जीवन से ही वह उच्च आदर्शों का पालन करते रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने उनके चरित्र को और निखारा। डॉक्टर हर्षवर्धन बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित थे , अतः संघ से जुड़ गए।
आज भी हर्षवर्धन अपना परिचय स्वयंसेवक के रूप में देते हैं।
आरंभिक जीवन में उन्होंने समाज सेवा करते हुए उच्च आदर्शों को ग्रहण किया।
उनके शिक्षा एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई। जो भारतीय तथा पाश्चात्य शिक्षा देती है।
आर एस एस से जुड़कर उन्होंने समाज की सेवा करने का मंत्र सीखा।
दिल्ली में रहते हुए हर्षवर्धन ने भारत की राजनीति को बड़े करीब से देखा। जिस समय दिल्ली में सिख समुदाय का नरसंहार किया जा रहा था , उस समय डॉक्टर हर्षवर्धन युवा थे। उन्होंने राजनीति के तोड़-जोड़ और घटिया मानसिकता को भी सुख स्वरूप से पहचाना था।
उनकी सदैव इच्छा थी राजनीति में आकर वह समाज के लिए स्वच्छ राजनीति करेंगे।
इसलिए उन्होंने जीवन में जब सब कुछ प्राप्त कर लिया तब वह राजनीति के क्षेत्र में आये।
डॉ हर्षवर्धन जी की शिक्षा
डॉक्टर हर्षवर्धन के शिक्षा दिल्ली के दरियागंज से आरंभ हुई। वहां उन्होंने एंगलो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शिक्षा हासिल की। इसके बाद उन्होंने कानपुर के जी.एस.वी.एम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस (MBBS) तथा एमएस(MS) की डिग्री हासिल की। उन्होंने इस क्षेत्र में शल्य चिकित्सा में दक्षता हासिल की।
डॉक्टर हर्षवर्धन नाक कान गला के शल्य चिकित्सक हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान को देखते हुए लोग उन्हें डॉक्टर साहब कहकर पुकारते हैं। डॉक्टर साहब ने चिकित्सा और शिक्षा तथा पर्यावरण के क्षेत्र में अनूठा योगदान दिया।
आज भी वह इन क्षेत्रों में अपनी अहम भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।
वर्तमान समय में वह केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री के पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने 22 मई 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यकारी सदस्य में अध्यक्ष पद को संभाला।
इससे पूर्व डॉक्टर साहब ने कितने ही चैरिटेबल और सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर समाज के लिए अपनी शिक्षा का प्रयोग किया। उन्होंने अपने शिक्षा को कभी व्यवसाय नहीं बनाया। व्यवसाय से मेरा आशय यह है , उन्होंने चैरिटेबल संस्थाओं के साथ मिलकर निशुल्क धर्मार्थ कार्य किए।
व्यक्तित्व
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व और उसका चरित्र उसका परिचय होता है। डॉक्टर हर्षवर्धन बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह कार्य के प्रति लगनशील , दृढ़ निश्चय और प्रबल इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति हैं। वह किसी भी कार्य को अधूरा छोड़ने पर विश्वास नहीं करते।
उन्होंने पोलियो उन्मूलन जैसे कार्यक्रम को सफल बना कर यह सिद्ध किया है।
डॉ हर्षवर्धन का सौम्य स्वभाव ही है जिसके कारण विपक्षी भी उनका आदर करते हैं।
डॉक्टर साहब का व्यवहार , उनकी सादगी , समाज में उनको श्रेष्ठ बनाती है। 1993 में उन्होंने दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के लिए नामांकन किया था। उस विजय के बाद वह कोई चुनाव नहीं हारे। यह उनके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है।
वह जनता और सामान्य व्यक्ति के कितने निकट है यह जीत उसका प्रमाण है।
आज भी डॉक्टर हर्षवर्धन समाज के प्रिय नेता है।
समाज के प्रति दृष्टिकोण
डॉ हर्षवर्धन समाज के प्रति कितने समर्पित हैं , आर एस एस से जुड़कर सिद्ध किया। उन्होंने बिना किसी प्रचार-प्रसार के व्यक्तिगत मेहनत से समाज की सेवा की। यह सेवा आज भी निरंतर जारी है। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों से जुड़कर तथा बड़े-बड़े ऑर्गनाइजेशन से जुड़कर समाज कल्याण के लिए कार्य किया।
उनका मानना था समाज उनका परिवार है , पूरा विश्व उनका कुटुंब है।
इसलिए वह समाज की सेवा करने से कभी पीछे नहीं हटेंगे। जो समाज से ग्रहण किया है , उस पर समाज का अधिकार है। ऐसा मानते हुए उनकी सेवा करेंगे।
डॉक्टर हर्षवर्धन चिकित्सा के क्षेत्र में रहते हुए भी , उन्होंने गरीब और असहाय लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा की। चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने सामाजिक कार्य किए। जिसका उन्होंने कभी शुल्क लेना स्वीकार नहीं किया। स्वयं की क्षमता अनुसार जगह-जगह कैंप लगाकर , लोगों को जागरूक किया और उचित परामर्श देकर उनका इलाज किया।
पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में भी जब उन्होंने बारह लाख बच्चों को पोलियो का वैक्सीन पिलाकर भारत की प्रतिबद्धता को सिद्ध किया। तब उन्होंने समाज कल्याण की भावना से गैर सरकारी संगठनों , आर एस एस और स्कूली बच्चों के साथ मिलकर सिपाहियों की भीड़ जमा की। यह सिपाही समाज में जाकर बच्चों को पोलियो की दवा पिलाते।
आज भारत पोलियो मुक्त बन सका इसका पूरा श्रेय डॉ हर्षवर्धन को जाता है।
डॉ हर्षवर्धन जी का राजनीति में आगमन
डॉ हर्षवर्धन आरंभिक जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उनमें समाज के प्रति सम्मान और कल्याण की भावना संघ से प्राप्त हुई थी। उन्होंने अपने शिक्षा को सर्वप्रथम विद्यालय तथा विश्वविद्यालय से ग्रहण किया। तदुपरांत उन्होंने अपने व्यवसाय के क्षेत्र को चिकित्सा रूप में अपनाया। समाज कल्याण की भावना उन्होंने यहां भी नहीं छोड़ा।
वह गरीबों तथा असहाय व्यक्तियों की सहायता किया करते थे।
डॉक्टरी करते हुए उन्होंने पहली बार 1993 में चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया। इस विधानसभा चुनाव में उन्हें विजय प्राप्त हुई। यह सिलसिला – 1998 , 2003 , 2008 मे भी चलता रहा।
हर्षवर्धन केंद्रीय सरकार में मंत्री हुए थे। उस समय प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी।
2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर घोषणा की गई थी।
अन्ना आंदोलन ने पूरे देश में जन समूह का समर्थन प्राप्त किया था। दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे का सफल आंदोलन हुआ। अरविंद केजरीवाल उसमें अहम भूमिका निभा रहे थे।
- उनके साथियों ने मिलकर आम आदमी पार्टी का गठन किया।
2013 में आम आदमी पार्टी मजबूत रूप से अपना वर्चस्व सिद्ध कर रही थी। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार जो पिछले पंद्रह साल से दिल्ली में स्थापित थी।
कांग्रेस पार्टी 2013 के चुनाव में समाप्त हो गई , बीजेपी को लगभग 31 सीटें प्राप्त हुई।
स्वयं डॉक्टर हर्षवर्धन ने कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र से बहुमत हासिल किया। कृष्णा नगर विधानसभा पर पहले से अरविंद सिंह लवली का वर्चस्व था। जिसे चुनौती देना डॉ हर्षवर्धन के लिए जोखिम भरा था।
त्रिकोणीय संघर्ष के बाद डॉ हर्षवर्धन ने भारी मतों से विजय हासिल की।
2014 में बनी केंद्र की सरकार में डॉ हर्षवर्धन को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। अपने नेतृत्व में उन्होंने भारत को शीर्ष नेतृत्व प्रदान किया।
उनकी कर्मठता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ , विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि ने निरंतर सराहना की।
22 मई 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष पद को संभाला।
यह उनके समर्पण और योग्यता का पारितोषिक था।
जय-विज्ञान , जय-अनुसंधान का नारा
भारत का स्थान विकासशील देशों में सर्वोपरि है। भारत अपने सर्वोत्तम कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है। पूर्व समय से ही भारत विश्व गुरु रहा है वर्तमान समय में किसी कारण , यह कमी आ गई है। किंतु उसे दूर करने का प्रयत्न किया जा रहा है।
डॉक्टर हर्षवर्धन 2014 से मुख्य रूप से केंद्रीय सरकार में कार्यरत हैं।
उन्होंने केंद्र में कार्य करते हुए अपने जिम्मेदारियों का निर्वाह प्रतिबद्धता के साथ किया।
वह भारत को वैश्विक शक्तियों से आगे ले जाना चाहते हैं। उनका मानना है किसी भी क्षेत्र में भारत , विदेशों से कम ना हो। चाहे वह टेक्नोलॉजी हो , चिकित्सा हो , या किसी भी प्रकार का अनुसंधान।
इसको और आगे ले जाने के लिए डॉक्टर हर्षवर्धन ने जय-विज्ञान , जय-अनुसंधान का नारा दिया।
जय-विज्ञान से उनका आशय विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उन्नति करना ।
जय अनुसंधान से भारत द्वारा किए जा रहे नए-नए अनुसंधानों को प्रोत्साहित करना।
आज भारत नए-नए अविष्कार और संसाधनों का प्रयोग कर रहा है।
भारत का नाम विश्व पटल पर बड़े आदर के साथ लिया जा रहा है।
भारत की राजनीति में ऐसी शख्सियत का शामिल होना जो , विश्व नेतृत्व की क्षमता रखता है, सौभाग्य की बात है। नरेंद्र मोदी की ख्याति एक मजबूत नेता के रूप में जहां विश्व स्तर पर है। वही डॉक्टर हर्षवर्धन भी विश्व स्तर पर अपने कर्मों के साथ जाने जाते हैं।
उनकी प्रेरणा से आज नैनो टेक्नोलॉजी में भारत का विश्व स्तर पर तीसरा स्थान है।
1209 सरकारी संस्थाओं में भारत नौवां स्थान रखता है।
मौसम पूर्वानुमान की टेक्नोलॉजी भारत में नहीं हुआ करती थी। टेक्नोलॉजी के अभाव में बड़ी-बड़ी आपदा भारत को अत्यधिक क्षति पहुंचाती थी। उससे निबटने के लिए भारत ने मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में नए-नए टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया।
जिसके कारण आज भारत विश्व में चौथे स्थान पर स्थापित हो गया।
इतना ही नहीं भारत साइंस पब्लिकेशन में छठे स्थान पर है।
नित्य नए अविष्कार भारत करता है , और उसे विश्व स्तर पर प्रकाशित करता है।
आज विश्व के लोग भारत में अपना सर्वोत्तम इलाज करवाने आते हैं। बायोफ्यूल का इजाद कर भारत ने एक और कीर्तिमान हासिल किया। उससे विमान उड़ाकर वह शक्तिशाली देशों की श्रेणी में आंख खड़ा हुआ।
इन सभी उपलब्धियों के लिए डॉ हर्षवर्धन ने अपने अदम में नेतृत्व का साहस प्रकट किया।
पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम
पोलियो वैश्विक समस्या थी , जिसके प्रभाव में बच्चे आ रहे थे। बच्चों में पोलियो के कारण अपंगता का प्रसार हो रहा था। यह वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुकी थी। इससे निपटने के लिए विश्व स्तर पर कार्य किया जा रहा था। भारत में डॉक्टर हर्षवर्धन स्वास्थ्य मंत्री थे। इनके सामने पोलियो से निपटने की एक गंभीर चुनौती थी।
डॉ हर्षवर्धन ने हार नहीं माना , चुनौती को स्वीकार किया।
2 अक्टूबर 1994 महात्मा गांधी के जयंती पर इन्होंने पोलियो उन्मूलन का कार्यक्रम आरंभ किया। इस दिन बारह लाख बच्चों को पोलियो की वैक्सीन देकर , इस अद्वितीय कार्य को शुभारंभ किया।
आज से पूर्व इतनी बड़ी संख्या में पोलियो की वैक्सीन या दवाई नहीं दी गई थी।
डॉ हर्षवर्धन ने इसके लिए विद्यालय के छात्रों को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने इस मुहीम में सैनिक की भूमिका निभाई। सरकारी , गैर-सरकारी संगठन के साथ पोलियो उन्मूलन में मिलकर भूमिका निभाई। गैर सरकारी संगठन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , रोटरी क्लब ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इनके स्वयंसेवकों ने बड़े स्तर पर घर-घर जाकर लोगों को पोलियो की दवा और वैक्सीन दिया।
वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में थी। प्रधानमंत्री के रूप में श्री अटल बिहारी बाजपेई थे। उन्होंने डॉ हर्षवर्धन के कार्य की सराहना करते हुए स्वास्थ्य वर्धन कहकर पुकारा था। यह उनके कार्य को सम्मान था।
इस मुहिम से संयुक्त राष्ट्र तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन काफी प्रभावित हुआ।
इस मॉडल को प्रेरणा मानते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों को अपनाने के लिए कहा।
पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम
पर्यावरण संरक्षण के लिए डॉक्टर हर्षवर्धन प्रतिबद्ध हैं। वह धरती को अपनी मां मानते हुए , सेवा करते हैं। पर्यावरण रक्षा के लिए देशव्यापी कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्वव्यापी आंदोलन खड़ा किया , जिससे अनेकों लोग जुड़े। आज उनकी शख्सियत विश्व के सौ प्रभावशाली व्यक्तियों में है। विश्व के बड़े-बड़े संगठन डॉक्टर हर्षवर्धन के कार्यों की सराहना करते हैं।
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को चैंपियन ऑफ द अर्थ का अवार्ड दिया।
यह अवार्ड संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने स्वयं दिल्ली आ कर दिया।
इसके पीछे प्रधानमंत्री की पर्यावरण के प्रति स्वच्छ मनसा थी।
वह भारत की राजनीति में जब से आए हैं। उन्होंने स्वच्छता के प्रति एक आंदोलन जागृत किया है। इस आंदोलन के साथ डॉक्टर हर्षवर्धन जुड़े और विश्वव्यापी कार्य करने में जुट गए। डॉक्टर हर्षवर्धन ने अपने शहर को स्वच्छ रखते हुए , भारत को स्वच्छ बनाने का प्रण लिया है।
इसके लिए वह युवाओं को अपने साथ जोड़ रहे हैं।
वह नित्य प्रतिदिन ग्रीन गुड डीड ( हरित शुभ कार्य) करते हैं।
डॉ हर्षवर्धन जी का राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ RSS से सम्बन्ध
डॉक्टर हेडगेवार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से वह प्रभावित है। उन्होंने विद्यालय जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लगाओ स्थापित किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए , समर्पित भाव से निस्वार्थ सेवा करता है।
यह मुख्यतः दक्षिणपंथी संगठन माना जाता है।
वर्तमान समय में आर एस एस देश ही नहीं विदेश में भी अपने सराहनीय योगदान दे रहा है।
कोई भी आपदा या राष्ट्र को सहायता होती है , आर एस एस सहायता के लिए उपलब्ध रहता है। वह किसी आदेश आदि की प्रतीक्षा नहीं करता , अपनी निष्ठा के साथ कार्य में लग जाता है।
ऐसे संगठन से कौन व्यक्ति प्रभावित नहीं होगा ?
डॉ हर्षवर्धन भी इस संगठन से प्रभावित हुए। एक घटक के रुप में बचपन से ही कार्य कर रहे हैं।
आर एस एस के प्रति समर्पण , उनकी निष्ठा और व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है।
डॉ हर्षवर्धन समय क्रमवार
13 दिसम्बर 1954 – हर्ष वर्धन का जन्म
1993 – चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से विजयी हुए।
1994 – आई एम ए IMA प्रेसिडेंट स्पेशल अवार्ड ऑफ इंस्पिरेशनल को प्राप्त किया
1994 – अग्रवाल रत्न अवार्ड से नवाजा गया
1995 – लायंस इंटरनेशनल ने लायंस इंटरनेशनल सर्विस अवार्ड से नवाजा
1996 – इटली के मिलान स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पैथोलॉजी से उन्हें फेलो ऑफ पैथोलॉजी के लिए नामित किया गया
1996 – में अहिंसा सम्मान से जैन महासभा ने सुशोभित किया
1995 और 1996 सर्वोच्च उपलब्धियों के लिए IMA ने विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया
1996 -पर्यावरण के लिए किए गए परिश्रम के लिए वर्ल्ड एनवायरमेंट कांग्रेस ने नेशनल एनवायरमेंट सेवा सम्मान से विभूषित किया
1996 – अखिल भारतीय हिंदी सम्मेलन की ओर से डॉ गंगा शरण सिंह राष्ट्रीय सम्मान मिला
1998 – दिल्ली विधानसभा के लिए विजयी हुए।
1998 – तंबाकू मुक्त भारत के लिए डब्ल्यूएचओ WHO के.डी.जी कमेंडेशन मेडल अवार्ड
2001 – जनवरी – रोटरी इंटरनेशनल का पोलियो इरेडिकेशन चैंपियन अवार्ड अटल बिहारी वाजपेई द्वारा प्रदान किया गया। इस अवार्ड को प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बने।
1 जुलाई 2002 – डॉक्टर डे के दिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उन्हें आदर्श मेडिकल कंपेनॉर मानते हुए। डॉक्टर ऑफ द लास्ट डिकेड स्वास्थ्य रत्न से सम्मानित किया
2003 – निरंतर दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता।
2013 – विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी। चुनाव जीते किंतु मुख्यमंत्री ना बन सके।
26 मई 2014 – 09 नवम्बर 2014 – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
31 मई 2019 (अब तक 22 मई 2020) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
22 मई 2020 – विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यकारी के अध्यक्ष पद पर विराजमान हुए।
उपरोक्त अवार्ड के अलावा गालिब अकादमी अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया गया। समय-समय पर और अन्य अवॉर्ड से भी इन्हें अलंकृत किया गया। देश ही नहीं अपितु विदेश से भी इन्हें पुरस्कार और सम्मान की प्राप्ति होती रही।
उन्होंने देश के अतिरिक्त विदेश में भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशियाई के सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
उन्हें कई ऐसे दायित्व मिले जो किसी महान प्रतिभा को ही हासिल होता है।
22 मई 2020 को उन्हें पुनः विश्व स्वास्थ्य संगठन में कार्यकारिणी अध्यक्ष पद पर सेवा देने का मौका मिला।
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Congratulations Harsh Vardhan Ji for joining the office of the executive chairperson of WHO
Aapne Dr harsh vardhan sir ke bare me bahut hi achhe tarike se bataya hai. thanks share krne ke liye
Sir aap ka blog mujhe bahut achha laga, aap bahut achha likhte ho, mai chahta hu ki aap ayese hi likhte rahe or hume achhi achhi jankari milti rahe
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