Read the Best Chandra Shekhar Azad Quotes in Hindi with images.
प्रस्तुत लेख में हम परम क्रांतिवीर स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद जी के उच्च विचारों को इस लेख में समाहित कर रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में आजाद रहने की जो घोषणा की वह अंत तक निभाया।
अपने देश , भारत माता की सेवा में उन्होंने अपने प्राण की आहुति देने से पीछे नहीं हटे। उनकी प्रेरणा से आज युवा शक्ति प्रेरित होती है। उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयत्न करती है।
Best Chandra Shekhar Azad Quotes – चंद्रशेखर आजाद के सुविचार
1
मैं आजाद हूँ
दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे
आजाद हैं , आजाद ही रहेंगे। ।
चंद्रशेखर ने अपने नाम के साथ आजाद इसलिए जोड़ लिया था , क्योंकि वह आजाद रहते हुए जीना चाहते थे। वह भले ही दुश्मन की गोलियों के सामने हो किंतु वह आजाद ही रहना चाहते थे।
2
दूसरे अपने से बेहतर कर रहे हैं यह नहीं देखना चाहिए
हर दिन अपने ही नए कीर्तिमान स्थापित करने चाहिए
क्योंकि
लड़ाई खुद से होती है दूसरों से नहीं। ।
आजाद चंद्रशेखर का यह मानना था कि , वह इस विचार में ना उलझे कि दूसरे उनसे बेहतर कर रहे हैं। किंतु प्रत्येक दिन उन्हें कुछ ऐसा करना चाहिए जो पिछले दिन से बेहतर हो। क्योंकि लड़ाई दूसरों से नहीं स्वयं से होती है। इसी पर चलकर लक्ष्य की प्राप्ति होती है।
3
चिंगारी आजादी की सुलगेगी मेरे जश्न में है
इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में है
मौत जहां जन्नत हो ये बात मेरे वतन में है
कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है। ।
चंद्रशेखर स्वयं आजाद ख्यालों के मानते थे। वह यह मानते थे जीवन भर स्वतंत्र आजाद रहेंगे , किसी दुश्मन के हाथ नहीं आएंगे। मेरी कुर्बानी अगर होगी तो वतन के नाम होगी और इसी सर जमीन पर अपने लहू का एक-एक कतरा बहा देंगे। मेरे विचार और क्रांति से एक ऐसे दीवानों की टोली उठेगी जो दुश्मनों को वतन से दूर खदेड़ देंगे।
Motivational Chandra Shekhar Azad Quotes
4
अगर आपके लहू में रोष नहीं है , तो यह पानी है
जो आपकी रगों में बह रहा है ,
ऐसी जवानी का क्या मतलब
अगर वह मातृभूमि के काम ना आए। ।
जो व्यक्ति अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पित नहीं होता , उनके कष्टों उन पर होने वाले अत्याचारों के प्रति आवाज नहीं उठाता उसके शरीर में खून नहीं पानी की धारा बह रही है। ऐसी जवानी व्यर्थ है जो मातृभूमि के काम ना आए। स्वयं मातृभूमि को संकट में छोड़कर अपने ऐश्वर्य मे खोना किसी काम का नहीं।
5
तुम्हारा नाम क्या है?
मेरा नाम आजाद है
तुम्हारे पिता का क्या नाम है?
मेरे पिता का नाम स्वाधीनता है
तुम्हारा घर कहां है?
मेरा घर जेलखाना है। ।
चंद्रशेखर के विचारों का इस पंक्ति से प्रमाण मिलता है। जब उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया गया तब उन्होंने स्वयं का नाम आजाद बताया। पिता का नाम स्वाधीनता और घर जेलखाना बताकर। उन्होंने अपने विचारों को स्पष्ट कर दिया था , वह तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक उसकी मातृभूमि संकट में है।
6
यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा
नहीं करता तो उसका जीवन व्यर्थ है। ।
उन युवाओं के प्रति कड़ा संदेश चंद्रशेखर आजाद का था , जो अपनी मातृभूमि के प्रति लापरवाही बरतते थे। शत्रुओं के साथ मिलकर कार्य करते थे। उनके जीवन को धिक्कार बताते हुए उनकी भर्त्सना करते थे। वह कहते थे उनका जीवन व्यर्थ है जो अपनी मातृभूमि के खातिर ना हो।
7
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है , मेरी कलम
मैं इश्क़ लिखना चाहूं , तो इंकलाब लिख जाता है। ।
आजाद जी के रगों में इस कदर क्रांति की लहर दौड़ रही थी। उनके जज्बात इतने ऊंचे थे कि , वह अपने कलम को भी प्रेमी बनाए हुए थे। जब वह इश्क लिखना चाहते तब , भी उसकी कलम इंकलाब लिख जाती। ऐसे महान क्रांतिकारियों को शत-शत नमन है।
Inspirational Chandra Shekhar Azad Quotes in Hindi
8
ग़र इश्क करना ही है तो वतन से करो
मरना ही है तो वतन की खातिर मरो। ।
आजाद जी का मानना था अगर युवाओं को इश्क ही करना है , तो अपने मातृभूमि से करो , अपने वतन से करो। अगर मरना ही है तो इसी मातृभूमि की खातिर मरो। जिसके खातिर शहीद होने पर अनेकों महबूब आए आंसू बहाएंगी ।
9
मातृभूमि की इस दुर्दशा को देखकर
जो तुम चुप बैठे रहे
तो तुम्हारा मान-सम्मान और
स्वाभिमान दुश्मनों के अधीन है। ।
जो युवा मातृभूमि की दुर्दशा को देखकर चुप बैठा है , उसका मान क्या, सम्मान क्या। वह अपने स्वाभिमान का दंभ भी नहीं भर सकता , क्योंकि वह स्वतंत्र नहीं बल्कि गुलाम है। शत्रुओं की गुलामी कर रहा है , ऐसे लोगों को वह धिक्कारतें हैं। मातृभूमि के प्रति युवा को अपने कर्तव्य याद दिलाते हैं।
10
मैं जीवन की अंतिम सांस तक
देश के लिए लड़ता रहूंगा। ।
चंद्रशेखर में अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी निष्ठा को समर्पित किया था। उन्होंने यह प्रण लिया था वह जब तक जीवित हैं लड़ते रहेंगे और आजाद रहेंगे। वह कभी भी शत्रुओं के गिरफ्त में नहीं आएंगे और शत्रुओं से आमना सामना कर उनका मान मर्दन करेंगे।
चंद्रशेखर आजाद के सुविचार
11
मैं ऐसे धर्म और संस्कार का पालन करता हूं
जो स्वतंत्रता समानता और भाईचारा दिखाता है। ।
देश जिस समय आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। उसी समय देश में अनेकों जाति , धर्म , पंथ मौजूद थे। लोग आपस में एक-दूसरे को जाति से श्रेष्ठ और नीचा दिखाने में लगे हुए थे। वह इन झगड़ों में उलझे हुए थे , इसलिए उन्होंने अपने को इन सभी झगड़ों से ऊपर बताते हुए कहा। मैं ऐसे भारत देश का हूं जहां मेरा धर्म मेरे संस्कार स्वतंत्रता और भाईचारा दिखाते हैं। इससे प्रेरित होकर कितने ही क्रांतिकारियों ने उनका साथ दिया था।
12
शत्रु के साथ कैसी नम्रता
हमारी नम्रता का ही फल है
आज हमारी मातृभूमि संकट में है। ।
भारत देश सदैव से अतिथियों का स्वागत सत्कार करने तथा शत्रुओं को भी प्रश्रय देने में सर्वथा आगे है। यही कारण है हमारी नम्रता को शत्रु हमारी कमजोरी समझते हैं , आज हमारी मातृभूमि इसी कारण संकट में।
13
जो दुश्मन हमारे धन संपदा
और संस्कृति को लूट रहे हैं,
उन्हें लूटना और उनसे अपने
धन संपदा का रक्षा करना कोई गुनाह नहीं है। ।
अंग्रेज हमारे देश में हमारे धन-संपदा और संस्कृति को लूट रहे थे , उसको तहस-नहस कर रहे थे। यहां के सामानों को विदेश में ले जाकर उसे ऊँचे दामों पर बेच रहे थे। इस प्रकार वह भारत में दोहन करने की नीति तथा शोषण और अपना वर्चस्व फैला रहे थे। चंद्रशेखर आजाद इसके विरोध में थे और उनके पास एकत्रित धन-संपदा को उनसे छीन ना किसी अपराध में नहीं मानते थे।
चंद्रशेखर आजाद के अनमोल वचन
14
जीवित रहते मैं अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए
निरंतर संघर्ष करता रहूंगा
किसी भी क्षण मैं मातृभूमि की खातिर
अपने प्राण न्योछावर करने से पीछे नहीं हटूंगा। ।
चंद्रशेखर फौलादी इरादों वाले व्यक्ति थे , उन्होंने अपनी मातृभूमि के खातिर स्वयं को आजाद रखने की घोषणा की थी और मरते दम तक वह आजाद रहे थे। वह अपनी मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने को सदैव तत्पर रहते थे। किंतु वह अपने प्राण को इतने सस्ते रूप में लूटाना नहीं चाहते थे। इसलिए वह अंग्रेजों के प्रति निरंतर संघर्ष करते और उन शत्रुओं को भारत से भागने पर विवश करते रहे।
15
जो युवा अपनी मातृभूमि की खातिर संघर्ष नहीं कर सकते
वह अपनी जननी की खातिर समर्पित नहीं हो सकते। ।
जो युवा अपनी मातृभूमि की खातिर लापरवाह रहते हैं , वह अपनी स्वयं की जननी के प्रति समर्पित नहीं हो सकते। जो स्वयं की जननी के प्रति समर्पित रहते हैं वह मातृभूमि की खातिर सदैव तत्पर रहते हैं। ऐसे युवाओं ने स्वाधीनता संग्राम में अपने योगदान को सिद्ध किया है।
16
मेरा यह छोटा सा संघर्ष ही
कल के लिए महान बन जाएगा। ।
चंद्रशेखर आजाद जी ने जब अपनी टोली बनाई थी , वह बहुत छोटी थी। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी काफी समय तक कार्य किया। उनका यह मानना था उनका छोटा सा संघर्ष भी , कल के लिए महान क्रांति को उत्पन्न करेगा। इस क्रांति के प्रभाव से शत्रु मातृभूमि से बेदखल हो सकेंगे।
Inspirational Chandra Shekhar Azad Quotes
17
जब तक मेरे शरीर में प्राण है
मैं अंग्रेजों की गुलामी नहीं करूंगा। ।
चंद्रशेखर जी ने यह प्रण लिया था , वह जीवन भर आजाद रहेंगे। अंग्रेजों के हाथ कभी नहीं आएंगे और आजाद रहते हुए वह कभी भी अपने शत्रुओं अर्थात अंग्रेजों की गुलामी नहीं करेंगे। ऐसा युवा शक्तियों में भी संदेश देंगे , वह भी किसी की गुलामी ना करें।
18
देश अगर हाथ जोड़ने से आजाद हो जाता
तो यह जान लें भारत कभी गुलाम नहीं होता। ।
स्वाधीनता संग्राम में देश दो दल में कार्य कर रहा था जैसे नरम दल और गरम दल। चंद्रशेखर आजाद गरम दल के कार्यकर्त्ता थे। उन्होंने नरम दल से यही प्रश्न किया था – अगर हाथ जोड़ने और पैर पकड़ने से ही देश आजाद हो जाता , तो भारत कभी गुलाबी नहीं होता। क्योंकि भारत सदैव से हाथ जोड़कर ही बात करता है। उसकी वाणी में मधुरता होती है , नम्रता होती है। तो गुलाम होने का कोई प्रश्न ही नहीं होना चाहिए था।
19
आज का युवा संगठित हो रहा है
यह मेरे देश की शक्ति का संगठन है। ।
स्वाधीनता संग्राम में युवा शक्ति ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इस उत्साह और क्रांति को देखकर आजाद जी ने कहा था – यह मेरे देश की शक्ति एकत्रित हो रही है।
20
अगर मातृभूमि को आजाद करना है
तो अंग्रेजों की बोली बोलना छोड़ दो
उनका आचरण करना छोड़ दो। ।
अगर मातृभूमि की स्वतंत्रता चाहिए तो शत्रुओं की भाषा और उनके आचरण को अपने स्वभाव से त्यागना ही होगा। बिना त्यागे मातृभूमि की स्वतंत्रता संभव नहीं है , यह स्वतंत्रता की पहली सीढ़ी है कि आप पहले स्वयं में पूर्ण हो।
21
किसी भी एक भारतवासी के जख्म का
बदला हजारों जख्मों से लिया जाएगा
यह चेतावनी नहीं घोषणा है। ।
मातृभूमि को कब्जाने वाले शत्रुओं ने यहां की जनता का खून बड़ा ही सस्ता समझ लिया था। वह किस क्रांतिकारी को अथवा युवा को पकड़ते उनकी हत्या कर देते या जेल में डाल देते। इस प्रकार यहां के क्रांतिकारी दल काफी नाराज थे , उन्होंने इसको रोकने के लिए उन्हें कड़े स्वरों में घोषणा की थी , जिससे शत्रुओं के दल में खलबली मच गई थी।
22
आजाद सी वो आन हो और वैरियों से वैर हो
ताव मूछों को देता चले कि दुश्मन सारे ढेर हो
और बची आखरी पिस्टल की गोली भी चीख-चीख कर बोले
चलाने वाला मुझे कोई फिर आजाद जैसा शेर हो। ।
23
भारत माता के वीर सपूतों उठो
तुम कब तक यूँ ही बैठे रहोगे
मातृभूमि का संकट
क्या तुम्हे दिखाई नहीं देता। ।
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आशा है आपको चंद्रशेखर आजाद जी के यह सुविचार पसंद आए होंगे और आप इन से प्रेरित हुए होंगे। आप अपने विचार हम तक कमेंट करके पहुंचा सकते हैं और अगर आपको चंद्रशेखर आजाद जी के अन्य सुविचार यहां जोड़ने हैं तो भी आप हमें नीचे कमेंट में बता सकते हैं। अगर हमें सही लगा तो हम जरूर जोड़ेंगे।
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