हर वर्ष बिहार दिवस बिहार राज्य की स्थापना के उपलक्ष में मनाया जाता है। आज इसी विषय पर संपूर्ण रूप से अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
इस लेख में बिहार राज्य की पौराणिक मान्यता, उसका इतिहास और बिहार दिवस मनाने के पीछे प्रमुख कारण तथा बिहार राज्य की कुछ विशेषताओं पर भी हम इस लेख में प्रकाश डालेंगे जो आपके ज्ञान को और बड़ा सकेगा।
बिहार दिवस की संपूर्ण जानकारी
22 मार्च को प्रतिवर्ष बिहार दिवस के रूप में बड़े धूमधाम और सरकारी अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इसका क्षेत्र केवल बिहार ही नहीं अपितु देश-विदेश में भी फैला हुआ है। बिहार दिवस आज संपूर्ण भारत में मनाने के साथ-साथ विदेशों में भी मनाया जाता है, कारण यह है कि बिहार के लोग जगह-जगह रहते हैं। विदेशों में वह प्रवासी नागरिक के तौर पर भी हैं, इसलिए बिहार से जुड़ी संस्कृति को वह भूलते नहीं बल्कि उसको एक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
बिहार दिवस के दिन संपूर्ण बिहार में सरकारी अवकाश रहता है।
इस दिन कार्यालय, विद्यालय, बैंक आदि सभी बंद रहते हैं। जगह-जगह कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। बिहार के इतिहास और विशेषताओं पर आलोक डाला जाता है। यहां तक की वर्ष 2021 को नरेंद्र मोदी जी ने इसे और विशेष बनाया था। राज्य की मान्यता को बढ़ाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निरंतर प्रयत्न कर रहे हैं।
बिहार का पौराणिक इतिहास
बिहार राज्य की मान्यता पौराणिक काल से चली आ रही है। वेद-पुराणों में उल्लेख गंगा नदी की धारा बिहार राज्य से भी बहती है। इस कारण यहां की विशेषता और बढ़ जाती है।
भगवान महावीर, गौतम बुद्ध आदि ने बिहार राज्य के पावन भूमि पर अपने ज्ञान को प्राप्त किया था।
इतिहास में लौटे तो अशोक और चंद्रगुप्त जैसे महा प्रतापकी चक्रवर्ती सम्राट ने इस भूमि पर काफी वर्षों तक राज्य किया।अपने शौर्य पराक्रम से विदेशी आक्रमणकारियों को अपनी भूमि से काफी दूर रखा। आज भी जब बिहार राज्य की बात होती है तो बुद्धिमान लोगों की संख्या वहीं से निकलती है। हम जितने भी प्रतिष्ठित भारतीय नौकरी को देखें तो पाएंगे अधिकतर संख्या में बिहार के लोग उच्च पदों पर स्थापित है।
कारण यह है कि यहां की धरती एक सच्चा किसान पुत्र और पढ़ा लिखा कर्मवीर पैदा करती है।
यहां की जलवायु का भी कोई सानी नहीं है, यहां की जलवायु का प्रभाव है कि सबसे स्वस्थ और मजबूत शरीर के लोग बिहार राज्य में पाए जाते हैं, जो किसी भी विषम परिस्थिति में अपने आप को डालने की क्षमता रखते हैं।
बिहार दिवस का इतिहास
जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत में अंग्रेजों ने अपने प्रभाव को इतना समृद्ध और शक्तिशाली किया था कि इसे किसी भी रियासत के लिए चुनौती देना साधारण कार्य नहीं था। इसी क्रम में 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर का युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी, बंगाल के नवाब, अवध के नवाब, तथा मुगल शासकों की मिली-जुली सेना ने लड़ा था। इसमें ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत हासिल की और बहुत बड़ा भूभाग बंगाल प्रेसिडेंसी के अंतर्गत ले लिया। जिसमें बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम तथा आसपास के और क्षेत्र भी शामिल थे।बाद में जब शासन व्यवस्था को संभालना बड़े तौर पर कठिन होता गया तब अंग्रेजों ने 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी ने चार राज्यों में विभाजन कर दिया।
बांग्ला, बिहार, उड़ीसा और असम इन सभी को राज्यों के रूप में विभाजित कर बंगाल प्रेसिडेंसी से मुक्त कर दिया गया। तब से बिहार राज्य के स्थापना दिवस के रूप में 22 मार्च को मनाया जाता है। 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार स्थापना दिवस का 109 वी वर्षगांठ मनाई थी
22 मार्च को बिहार दिवस क्यों मनाया जाता है
क्योंकि 22 मार्च 1912 को बिहार राज्य बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर स्थापित हुआ था। तब से बिहार दिवस, स्थापना दिवस, के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बिहार ही नहीं विश्व के विभिन्न देशों जहां-जहां बिहार के लोग प्रवास करते हैं, वहां बिहार दिवस का कार्यक्रम मनाया जाता है और उसके इतिहास तथा गौरवशाली यादगार क्षण को याद किया जाता है।
बिहार दिवस पर निबंध
बिहार राज्य को पूर्व समय में पाटलीपुत्र, मगध आदि नामों से जाना गया है। इसकी सभ्यता मुख्य रूप से गंगा के तट पर विकसित हुई थी। पुरानी सभी सभ्यताएं नदी के किनारे ही विकसित हुई है क्योंकि व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक पानी है, जिस पर उनका जीवन निर्भर करता है। गंगा की शीतल धारा उन्हें पीने के लिए जल देती है। वही मानव अपने भोजन के लिए भी जल पर निर्भर करता है। अतः उसे कृषि के लिए भी जल की आवश्यकता थी जिसके कारण यह सभ्यता गंगा के किनारे देखने को मिली।
मगध राज्य पर काफी समय से नंद वंश का शासन था।
आचार्य चाणक्य जो तक्षशिला के गुरु थे उन्होंने मगध की ओर बढ़ती आक्रांत शक्तियों को पहचान लिया था, जिसके लिए उन्होंने महाराज धनानंद से मिलकर इस क्रूर शक्तियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए निवेदन किया। किंतु उस समय तक नंद वंश अपने मद में खोए हुए थे उन्हें आचार्य चाणक्य की बात समझा और उन्हें अपने दरबार से बेइज्जत कर निकलवा दिया गया।
इसके बाद
आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त को ऐसी शक्तियों से लोहा लेने के लिए तैयार किया। चंद्रगुप्त को इतना रण कौशल और चतुर बनाया कि उसने देखते ही देखते मगध पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। तदुपरांत आचार्य चाणक्य के दिशा-निर्देश में उसने आसपास के राज्यों को ही नहीं भारत को एक अखंड भारत बनाया। तदुपरांत चंद्रगुप्त के वंशजों में बिंबिसार, अशोक आदि जैसे प्रतापी राजा हुए।
अंग्रेजों के भारत आगमन पर यह राज्य धीरे-धीरे खंडित होता गया और अंग्रेजों ने इस पर आधिपत्य जमा लिया। 22 अक्टूबर 1764 बक्सर युद्ध के बाद इस क्षेत्र को बंगाल प्रेसिडेंसी के नियंत्रित किया। किंतु बंगाल प्रेसिडेंसी का क्षेत्र काफी विस्तृत था। अतः उन्होंने 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी के चार भाग कर दिए – बंगला, बिहार, उड़ीसा और असम। इन चार बड़े राज्यों को बांट कर बंगाल प्रेसिडेंसी ने अपना नियंत्रण सीमित कर लिया।
तब से प्रत्येक 22 मार्च को बिहार दिवस या बिहार स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार जब सत्ता में आई उन्होंने इसके महत्व को और बढ़ाने के लिए सरकारी अवकाश के साथ-साथ कार्यक्रम के आयोजन को भी सहमति दी। आज विद्यालय, सामुदायिक भवन तथा समाज के बीच बिहार दिवस मनाया जाता है। बिहार के संस्कृति से जुड़े लोगों को एकजुट किया जाता है और अपनी संस्कृति से जुड़ने के लिए प्रेरित भी किया जाता है।अपने बिहार के पौराणिक, ऐतिहासिक मान्यताओं को साझा करते हुए एक समृद्ध शक्तिशाली विरासत के प्रहरी बनने के लिए लोगों को आमंत्रित किया जाता है।
कुल मिलाकर इस कार्यक्रम को मनाने के पीछे बिहार संस्कृति को मजबूती के साथ-साथ उसकी घटती महत्ता को पुनः स्थापित करने का उद्देश्य रहता है। बिहार दिवस कार्यक्रम भारत में ही नहीं अपितु विदेश में भी मनाया जाता है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, यूरोप आदि अनेक देशों में जहां-जहां भी बिहार संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं, वहां वह सभी इस दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इसका प्रमाण हमें सोशल मीडिया पर भी देखने को मिलता है, जब वह अपने वीडियो, फोटो लोगों के साथ साझा करते हैं और अपनी संस्कृति से जुड़े होने का एक अनुभव पेश करते हैं।
बिहार की प्रमुख बोलियां/भाषा
वर्तमान समय में बिहार में अनेक भाषाओं और बोलियों का प्रचलन है क्योंकि आज वैश्वीकरण का दौर जारी है अतः यहां हिंदी भाषी लोग बहुतायत मात्रा में है। वहीं इनकी प्रमुख बोलियां – अवधि, मगधी, भोजपुरी, मैथिली, प्रमुख है
बिहार के प्रमुख त्योहार
यहां के निवासी मुख्य रूप से जमीनी स्तर से जुड़े रहते हैं। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है, अतः यहां के लोग कृषि से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। यहां के लोग प्रकृति की उपासना काफी हद तक करते हैं। यह सूर्य, चंद्रमा, पीपल के वृक्ष, वटवृक्ष, नदी, सरोवर आदि की पूजा के साथ साथ यह पशुओं की पूजा भी करते हैं।
साथ ही यहां की संस्कृति में भारत के सभी त्योहारों को मनाने का प्रचलन है।
जैसे
- दीपावली,
- होली,
- दशहरा(दुर्गा पूजा)
- इसे बड़े तौर पर मनाया जाता है।
साथ ही साथ बिहार संस्कृति से जुड़ा अपना कुछ प्रमुख त्यौहार है, जिसे केवल बिहार के लोग मनाते हैं। जैसे मकर संक्रांति, छठ पूजा, जिसका साल में दो बार विधान है। (चैती छठ तथा दीपावली के 6 दिन बाद वाला छठ) यह सभी कुछ प्रमुख त्यौहार है, जिसे बिहार तथा उस संस्कृति से जुड़े लोग पूरे विश्व में मनाते हैं। विशेषकर छठ का आयोजन तो पूरे विश्व में मनाया जाता है, बिहार संस्कृति से जुड़े लोग अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में भी छठ पूजा मनाते हैं।
बिहार से लगने वाली प्रमुख राज्यों की सीमा
इस राज्य की प्रमुख सीमाएं उत्तर प्रदेश, झारखंड, नेपाल, तथा पश्चिम बंगाल से लगती है। इस राज्य को पाटलीपुत्र, मगध, द्वार बंग (बंगाल का दरवाजा) आदि अनेक नामों से जाना गया है।
बिहार की प्रमुख जातियां
बिहार राज्य में 82% हिंदू जिसमें 51% ओबीसी की जातियां है।
2011 में हुए जनगणना के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ थी।
- इसमें 82.94% हिंदू तथा 16.87% आबादी मुस्लिम समुदाय की थी।
- हिंदू आबादी में 17%
- सवर्णों 51%
- ओबीसी 15.7%
- करीब 1% अनुसूचित जनजाति थी।
इनकी प्रमुख जातियां
- यादव,
- कुशवाहा,
- कोइरी,
- कुर्मी,
- भूमिहार,
- ब्राह्मण,
- राजपूत,
- कायस्थ की है।
बिहार की जनसंख्या कितनी है ?
2021 के अनुसार बिहार की जनसंख्या लगभग अनुमानित – 128500364 की है जिसमें –
पुरुषों की संख्या -66997061 तथा
महिलाओं की जनसंख्या – 61503302 है।
कुछ सुविचार
1
जहां के लोगों ने कभी न मानी हार
वही तो है अपना श्रेष्ठ बिहार। ।
2
मौर्य सी विस्तार हो, मांझी सी पहाड़ हो
चाणक्य का विवेक हो, और बिहार की माटी हो। ।
3
इस भूमि ने सिद्धार्थ को ज्ञान देकर
उन्हें भगवान महात्मा बुध बनाया
यही बिहार के भूमि की ताकत है
समस्त बिहार वासियों को बधाई ।
4
चंद्रगुप्त के अखंड भारत का केंद्र जहां था
विश्व के विद्यार्थी का ज्ञान केंद्र जहां था
विश्व के सबसे बड़े पुस्तकालय, तक्षशिला
सभी बिहार की संस्कृति की ही देन है।
5
विश्व भर को प्रथम लोकतंत्र अहिंसा का उपदेश,
सद्भावना, करुणा और प्रेम का संदेश देने वाला
बिहार के स्थापना दिवस पर कोटि कोटि बधाई। ।
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निष्कर्ष
बिहार राज्य का महत्व राजनीतिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक तौर पर सदैव बना रहा है। इतिहास के पन्नों में आज भी दर्ज है विश्व का एक ऐसा विश्वविद्यालय जहां विश्व भर के विद्यार्थी आकर अपना अध्ययन तथा ज्ञानार्जन किया करते थे। यहां के द्वारपाल भी संस्कृत में वार्तालाप किया करते थे, उस पृष्ठभूमि बिहार राज्य का कोई पूरे विश्व में सानी नहीं था।
तक्षशिला के आचार्य विश्व विख्यात थे जिसमें आचार्य चाणक्य एक थे।
आज उनके विचारों और उपदेशों का पूरा विश्व अध्ययन करता है।
वह समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र आदि अनेक क्षेत्रों में प्रकांड विद्वान थे। उन्होंने अपने नीतियों के बल पर एक छोटे से बनवासी वेसहाय लड़के को एक चक्रवर्ती सम्राट के रूप में स्थापित किया था। आज चंद्रगुप्त मौर्य को कौन नहीं जानता जिसने मगध पर अपना अधिकार कर एक अखंड भारत का निर्माण किया था।
उसकी राजधानी लाहौर, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल आदि अनेक दूर सुदूर देशों तक फैली हुई थी।
उपरोक्त अध्ययन से हमने बिहार राज्य की विशेषता और उसके कर्मशील, बुद्धि शील, प्रगतिशील विचारों को समझने का प्रयास किया है। आप अपने प्रश्न तथा विचारों को नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं जिससे अन्य लोग भी आपके विचारों के साथ जुड़ सकेंगे।