डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय Teachers day special

शिक्षक दिवस डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है। उनका जन्म 5 सितंबर को हुआ था। शिक्षा के क्षेत्र में डॉक्टर साहब ने उत्कृष्ट कार्य किया था। उन्होंने शिक्षा के द्वार सभी वर्गों के लिए खोला था। अनेकों दर्शन की किताबें उन्होंने लिखी निस्वार्थ भाव से शिक्षा का कार्य किया।उनके सफलता को हम उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति के रूप में भी जानते हैं। आज इस लेख में हम डॉ राधाकृष्णन जी के संपूर्ण जीवन पर अवलोकन करने वाले हैं।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय sarvepalli radhakrishnan biography

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

जन्म 5 सितंबर 1888

मृत्यु 17 अप्रैल 1975

पद भारत के दूसरे राष्ट्रपति 1962 से 1967

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति (1962 से 1967) थे। मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू करने वाले राधाकृष्णन आगे चलकर मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हुए। उन्होंने देश के कई विश्व विद्यालयों में शिक्षण कार्य किया।1939 से लेकर 1948 तक वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बीएचयू के कुलपति भी रहे। वह एक दर्शनशास्त्री भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिंदू विचारक थे।इस मशहूर शिक्षक के सम्मान में उनका जन्मदिन भारत के शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

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राधाकृष्णन जी का प्रारंभिक जीवन

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म मद्रास के तिरुतिन में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता गरीब थे इसलिए सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा छात्रवृति के सहारे हुई थी। उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण  की और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई।

इसके बाद उन्होंने 1906 कला संकाय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर में दर्शनशास्त्र को प्रमुख विषय के रूप में चुना। उन्हें मनोविज्ञान, इतिहास और गणित विज्ञान में उच्च अंकों के साथ ऑनर्स प्राप्त हुआ।इसके अलावा क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास में उन्हें छात्रवृत्ति भी दी।

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षण कार्य

दर्शन शास्त्र में एम ए करने के पश्चात 1919 में वह मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। कॉलेज में उन्होंने ” पौराणिक गाथा “जैसे उपनिषद, भगवत गीता, ब्रह्म सूत्र और राम अनुजा महादेव आदि पर विशेष योग्यता हासिल की थी।

उन्होंने इस दौरान खुद को बुद्ध, जैन  शास्त्र और पाश्चात्य विचारक प्लेटो, प्लाटिंस और बर्गसन  मैं अभ्यस्त रखा। 1919 में मैसूर विश्वविद्यालय में उनको दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक चुना गया। 1921 में राधा कृष्ण को कोलकाता विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र का प्राध्यापक मनोनीत किया गया।

1923 में डॉक्टर राधाकृष्णन की किताब “भारतीय दर्शनशास्त्र प्रसाद” प्रकाशित हुई इस पुस्तक को सर्वश्रेष्ठ दर्शन, दर्शनशास्त्र साहित्य की ख्याति मिली सर्वपल्ली को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हिंदू दर्शनशास्त्र पर भाषण देने के लिए बुलाया गया।उन्होंने अपने भाषण को आजादी की मुहिम तेज करने के लिए भी इस्तेमाल किया वर्ष 1931 में सर्वपल्ली ने आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति के पद का चुनाव लड़ा। उन्हें 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति बने और सन 1948 तक किसी पद पर बने रहे।

राधाकृष्णन की कहानियां

यह कहानी उस समय की है जब सर्वपल्ली राधाकृष्णन साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हुआ करते थे। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया था। साहित्य के क्षेत्र में वह बड़ा कार्य करना चाहते थे जिससे उनका देश सक्षम तथा सशक्त हो सके। वह प्रत्येक बैठक में उपस्थित रहते और अपने दूरगामी सोच सदस्यों के सामने रखते। उनके मन में काफी समय से साहित्य भवन के रूप में एक बड़ा विशाल क्षेत्र बनाना चाहते थे जहां साहित्य कला को सम्मान मिल सके और लोग वहां से जुड़ सकें। इस कार्य में काफी धन की आवश्यकता थी। इस समय भारत की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी कई जगह भुखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो रहे थे आर्थिक अस्थिरता के कारण वह सरकार से बड़ा डिमांड नहीं कर सकते थे। जब वह एकांत में बैठे थे उन्होंने विचार किया शिमला के गवर्नर हाउस का प्रयोग साल में कुछ ही दिन किया जाता है और फिर उसे सरकारी खर्चे पर पूरे साल के लिए छोड़ दिया जाता है।

उन्होंने अपनी मनसा तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के समक्ष रखी। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा यह भवन अंग्रेजी हुकूमत की विलासिता के लिए बनाया गया था अब सत्ता परिवर्तन हो चुका है हमें उस भवन को उचित उपयोग में लाना चाहिए। मैं चाहता हूं उस भवन में एक विशाल लाइब्रेरी बने साहित्य भवन बने जिससे भारत की जनता जुड़ सके।

प्रधानमंत्री बातों को समझ चुके थे उन्होंने इस दिशा में कार्य करने का आदेश दिया कुछ समय बाद सरकार ने गवर्नर हाउस को साहित्य भवन में तब्दील किया। इस साहित्य भवन के उद्घाटन का श्रेय सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को दिया गया। तब से शिमला का गवर्नर हाउस साहित्य भवन के रूप में स्थापित है।

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनैतिक जीवन

भारत की आजादी के बाद यूनेस्को में उनहोने देश का प्रतिनिधित्व किया। 1949 से लेकर 1952 तक राधाकृष्णन सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे। वर्ष 1952 में उन्हें देश का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया। सन 1954 में उन्हें भारत रत्न देकर सम्मानित किया गया इसके पश्चात 1962 में उन्हें देश का दूसरा राष्ट्रपति चुना गया।

जब वे राष्ट्रपति पद पर आसीन थे उस वक्त भारत का चीन और पाकिस्तान से युद्ध भी हुआ वह 1967 में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हुए और मद्रास जाकर बस गए।

डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियां

प्रश्न- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के माता पिता का क्या नाम है?

उत्तर- सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के पिता का नाम वीरासमियाह और माता का नाम सीताम्मा था।

प्रश्न- राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा क्या है?

उत्तर- सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया। वह शिक्षा को मनुष्य के लिए अनिवार्य मानते थे वह व्यवसाय शिक्षा के बदले प्राकृतिक शिक्षा पर जोर दिया करते थे। उनका मानना था कि बालक अपने भीतर अनेकों कलाएं और कुशलता लेकर पैदा होता है। वह प्रकृति के साथ जुड़कर उनको बाहर निकालता तथा कुशल बनता है।

शिक्षक उसके भीतरी गुणों को बाहर निकालने में मदद करता है, इसलिए वह करके सीखने (लर्निंग बाय डूइंग) पर विश्वास किया करते थे।

प्रश्न- राधाकृष्णन कौन से राष्ट्रपति थे?

उत्तर- राधाकृष्णन जी स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति थे।

प्रश्न- सर्वपल्ली राधा कृष्ण का जन्म कब हुआ था?

उत्तर- सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था।

प्रश्न- सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर- सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म तमिलनाडु के तिरुवल्लुर जिले के तिरुतनी गांव में हुआ था।

प्रश्न- राधाकृष्णन द्वारा लिखित पुस्तकों की कुल संख्या कितनी है?

उत्तर- प्रमाणिक तौर पर अध्ययन करने पर राधाकृष्णन की 40 से अधिक उनकी लिखित पुस्तकों की संख्या है।

प्रश्न- राधा कृष्ण का दर्शन क्या है?

उत्तर- राधाकृष्णन महान शिक्षाविद हिंदू संस्कृति के संरक्षक और दार्शनिक थे। उनके रचनाओं तथा साहित्य का अध्ययन करने पर स्पष्ट होता है कि वह भारतीय संस्कृति को बचाना तथा उसका पुनरुद्धार करना चाहते थे। विगत कुछ वर्षों में भारतीय संस्कृति पर जितने प्रहार हुए चाहे वह मुगल, अंग्रेज के द्वारा किए गए हो उन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अपने शिक्षा को और मजबूत करना चाहते थे।

जैसा कि आचार्य चाणक्य के युग में तक्षशिला जैसा विश्वविद्यालय विश्व भर में कहीं नहीं था। भारत में गुरुकुल की प्रथा थी जहां विद्यार्थी और गुरु एक साथ निवास करते थे और शिक्षा का आदान प्रदान किया करते थे उस परंपरा और संस्कृति को राधाकृष्णन पुनः जीवित करना चाहते थे। पाश्चात्य शिक्षा जो विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए उपयोगी नहीं थी, उसका काफी हद तक विरोध करते थे। बालक को वैदिक शिक्षा के साथ-साथ अपने संस्कृति को समझने के लिए प्रेरित करते थे।

प्रश्न 5 सितंबर शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं?

उत्तर- 5 सितंबर 1888 को शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले महान हस्ती डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनके शिक्षा में सराहनीय योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

प्रश्न- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक का नाम क्या है?

उत्तर- ‘भारतीय दर्शन’ राधा कृष्ण जी की प्रसिद्ध पुस्तक है जिसका विमोचन 1923 में किया गया था।

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निष्कर्ष –

उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन बेहद ही साधारण परिवार से उभरकर राष्ट्र सेवा में आए थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किया था। निस्वार्थ भाव से विद्यालय, विश्वविद्यालय में शिक्षण किया।

वह जानते थे देश को मजबूत बनाना है तो विद्यालय और शिक्षण प्रणाली का मजबूत होना आवश्यक है। आज उनके दार्शनिक विचारों का अध्ययन उच्च पाठ्यक्रम में भी किया जाता है। उन्होंने जो समाज सुधार का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया आज उस पर शोध किया जाता है।

राधाकृष्णन जी ने अपने जीवन काल में शिक्षण का कार्य कभी नहीं छोड़ा। चाहे वह उपराष्ट्रपति हुए या राष्ट्रपति बने वह आजीवन शिक्षण कार्य से जुड़े रहे जो उनकी प्रतिभा को भी प्रदर्शित करती है।

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3 thoughts on “डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय Teachers day special”

  1. देश के पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन देश की महान हस्ती थे. राधाकृष्णन जी ने देश की भलाई के लिए अनेक कार्य किये थे, देश में शिक्षा को नयी दिशा इन्होने ही दी थी. तभी राधाकृष्णन के जन्म दिन को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते है. राधाकृष्णन जी 1952 में पहली बार उपराष्ट्रपति बने थे, फिर 1962 में उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया था. ये कभी राजनीती में नहीं आना चाहते थे, लेकिन कुछ स्थति के चलते उन्हें आना पड़ेगा.

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    • बहुत ही अच्छा कमेंट किया है आपने | अच्छी जानकारी दी है |

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  2. क्या डा०सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की सम्पूर्ण, विस्तृत जीवन गाथा, अधिकतम जीवन तथ्य यहां उपलब्ध कराये जा सकते हैं? यदि हां तो बहुत बहुत धन्यवाद।
    यदि ऐसा उपलब्ध कराने में कोई कठिनाई हो तो कृपया उन/उस पुस्तकों/पुस्तक का नाम दीजिए जिससे मेरे उद्देश्य की पूर्ति हो पाये।
    धन्यवाद!

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