विशेषण की परिभाषा: जो शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम के गुण-दोष, विशेषता आदि को बताता हो वह विशेषण कहलाता है। जैसे –
- यह फूल खुशबूदार है
- गांव में मिट्टी की झोपड़ियां है
- मुंशी प्रेमचंद विद्वान थे।
विशेषण के प्रमुख चार भेद माने गए हैं
- गुणवाचक
- संख्यावाचक (१ निश्चित २ अनिश्चित )
- परिमाणवाचक (१ निश्चित २ अनिश्चित )
- संकेतवाचक
विशेषण व्याकरण का एक अभिन्न अंग है। संज्ञा और सर्वनाम, के बाद विशेषण का अध्ययन व्याकरण में किया जाता है क्योंकि संज्ञा के अंतर्गत नाम की प्रधानता होती है। नाम के अतिरिक्त जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन्हें सर्वनाम के अंतर्गत रखा जाता है। तथा इन दोनों की विशेषता को बताने वाले शब्दों को हम विशेषण के अंतर्गत अध्ययन करते हैं।
विशेषण के भेद ( विस्तार से समझें )
व्याकरण की दृष्टि से विशेषण के प्रमुख चार भेद माने गए हैं ,जिनमें – गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक तथा संकेतवाचक है। यह सभी वाक्य में विभिन्न प्रकार के विशेषणों के रूप में प्रयोग होते हैं। इन सभी भेद को क्रमसः जानते हैं
1. गुणवाचक विशेषण
किसी वस्तु या प्राणी के गुण-दोष,अवस्था,विशेषता,रंग, आकार-प्रकार आदि को बताने वाले विशेषण गुणवाचक विशेषण कहे जाते हैं। जैसे-
- यह घोड़ा कितना काला है
- लाल रंग के गुड़हल कितने सुंदर हैं
- दुर्जन लोग दुर्बल होते हैं
- भीड़ में भारतीय लोग दूर से पहचाने जाते हैं
- कर्ण की दानवीर था
- सलीम कड़वा वचन बोलता है
- रहीम का शरीर पतला है
- मनोज लंबा है
- अर्जुन वीर योद्धा था
- मोहन मीठे आम खाता है
- यह इमारत कितनी ऊंची है
- अमेरिकन लोग बचत करना जानते हैं
उपर्युक्त यह कुछ उदाहरण गुणवाचक विशेषण के दिए गए हैं आप स्वयं से भी उदाहरणों का निर्माण निम्न शब्दों से कर सकते हैं –
- दिशा – उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम।
- स्थान – भारतीय,अमेरिकन,जापानी,रशियन,चाइनीज आदि।
- गुण – सुंदर, अच्छा, सुशील, शांत, वीर, विद्वान, कुशल, आदि।
- आकार – चौड़ा ,मोटा,दुबला,पतला,गोला,लंबा,त्रिकोण आदि।
- दोष – बुरा,दुर्बल, कायर,दुष्ट,अभिमानी, ईर्ष्यालु, आदि।
- स्वाद – खट्टा,मीठा, विषैला, कड़वा,तीखा आदि।
उपर्युक्त दिए गए शब्दों के आधार पर आप स्वयं गुणवाचक विशेषण के उदाहरणों का निर्माण अपने विवेक से कर सकते हैं तथा आसपास के दृश्यों से भी इसका संबंध स्थापित कर सकते हैं।
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2. संख्यावाचक विशेषण
जो शब्द संज्ञा के क्रम,संख्या,समूह,क्रम,आवृत्ति आदि का बोध कराते हो,वह संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे –
- मेरे पास बहुत सारी किताबें हैं।
- राम के पास ₹100 है।
- मेरे घर में दो स्कूटर एक कार है।
- मेरा विद्यालय चौराहे के बाएं तरफ है।
- साइकिल में दो पहिए होते हैं।
- मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूं।
- मेरे पास एक मोबाइल और लैपटॉप है।
- हर आदमी के पास दो आंख होती है।
- सलीम के छः भाई और चार बहन है।
- सलमा का घर दो किलोमीटर दूर है।
- कैमरे को तीसरी आंख माना जाता है।
उपर्युक्त उदाहरण से हमने समझा हर एक वाक्य में निश्चित संख्या का आभास हो रहा है। कुछ वाक्य निश्चित संख्या नहीं बता पा रहे हैं। अर्थात दो या दो से अधिक की गणना का आभार हो रहा है। अतः यह सभी संख्यावाचक विशेषण के अंतर्गत आते हैं।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद माने गए हैं – १ निश्चित संख्यावाचक,२ अनिश्चित संख्यावाचक।
(१) निश्चित संख्यावाचक – जिन शब्दों से निश्चित संख्या का आभास होता है वह निश्चित संख्यावाचक कहे जाते हैं। जैसे – तीसरी, चौथी, पांचवी, पहली, दूसरी, हजार, वह तीसरी में पढ़ता है , दस विद्यार्थी खड़े हैं आदि। निश्चित संख्यावाचक के अंतर्गत संख्या का स्पष्टीकरण होता है,उसका ठीक से निश्चित संख्या का ज्ञात शब्दों से हो जाता है।
(२) अनिश्चित संख्यावाचक – जिन शब्दों से निश्चित संख्या का आभास नहीं होता वहां अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण होता है। जैसे – थोड़ा, बहुत, अधिक, कुछ, सब, आदि। निम्नलिखित शब्दों के माध्यम से आप स्वयं वाक्यों का निर्माण कर सकते हैं
- गणना बोधक – एक,दो,तीन,चार,पांच,छः, सौ, हजार, लाख, करोड़ आदि।
- आवृत्ति बोधक -दुगना,तिगुना,चौगुना,पांचगुना,आदि।
- समूह बोधक – दोनों,तीनों,चारों,पांचों,तीसरा,छठा,सातो आदि।
- प्रत्येक बोधक – एकाएक ,हर घडी ,हरएक ,प्रतिक्षण आदि।
- क्रम बोधक – पहला,दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा, छठा, दसवां,सातवां,सौवां आदि।
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3. परिमाणवाचक विशेषण
जिन संज्ञा शब्द से नाप-तोल आदि का ज्ञान होता हो वह परिमाणवाचक विशेषण कहे जाते हैं।
जैसे –
- मेरे पास 100 गज का प्लॉट है
- गांधी जी ने हजारों मिल यात्रा की
- गाय रोजाना 25 लीटर दूध देती है
- एक किलोग्राम घी महीने में खर्च होता है
- भिखारी का एक मुट्ठी चावल से भी काम चल जाता है
- मोहन 40 किलो का है
- यह पेड़ 6 मीटर लंबा है
- धान की फसल के लिए 5 बीघा पर्याप्त है
- मेरा कुर्ता 1 मीटर में बन जाता है
- चावल की बोरी 35 किलो की होती है।
उपर्युक्त वाक्यों की भांति आप भी स्वयं वाक्यों का निर्माण निम्नलिखित शब्दों के माध्यम से कर सकते हैं –
नाप – मीटर,बीघा,किलोमीटर,मील,फुट, गज,कट्ठा,बलान आदि ।
तोल – किलो,लीटर,ग्राम,क्यूंट्ल,धड़ी आदि
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद माने गए हैं – १ निश्चित परिमाणवाचक २ अनिश्चित परिमाणवाचक ।
(१) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण: जिन शब्दों से किसी संज्ञा शब्द के निश्चित परिमाण का ज्ञात होता हो वहां निश्चित परिमाणवाचक विशेषण होता है।
जैसे –
- 2 गज जमीन
- 5 फुट लंबा आदि
(२) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण: जिस विशेषण शब्द से किसी वस्तु या पदार्थ की निश्चित मात्रा का बोध ना होता हो वहां अनिश्चित परिमाणवाचक होता है
जैसे
- कुछ गज की दूरी
- कुछ मुट्ठी चावल
- थोड़ा सा जल आदि।
4 संकेतवाचक विशेषण / सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)
वह विशेषण शब्द जो संज्ञा की ओर संकेत करते हैं, वह संकेतवाचक विशेषण कहे जाते हैं। इन्हें सार्वनामिक विशेषण भी कहा जाता है।
जैसे –
- यह पुष्प कितना सुन्दर है।
- वह लड़का पढ़ने में अच्छा है।
- यह घर रमेश का है।
- यह का विकास का है।
- वह अब्दुल के अब्बा है।
- वह रोज मजदूरी करता है।
उपर्युक्त वाक्यों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि यह निश्चित किसी संज्ञा शब्द की ओर संकेत कर रहा है, अर्थात यह संकेतवाचक विशेषण है।
विशेषण के उदाहरण
उदहारण | विशेषता |
बाद में पीले फूल खिले हैं | पीले – फूल की विशेषता है |
कोलकाता शहर में ट्रंप बस सेवा जारी है | ट्रंप बस |
संसद भवन पाश्चात्य शैली पर आधारित है | पाश्चात्य शैली |
दूध गर्म है | गर्म |
स्टेचू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है | सबसे ऊंची |
तालाब में सुनहरी रंग की मछली है | सुनहरी |
अनिश्चित संख्यावाचक और अनिश्चित परिणामवाचक में अंतर
निचे दिए गए टेबल के माध्यम से अंतर समझें
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण | अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण |
बहुत सी चिडया उड़ रही है | बहुत सारा पानी पी लिया |
थोड़ा काजू खाओ | थोड़ा दूध पी लो |
कम विद्यार्थी विद्यालय में हैं | कम नींद आई |
सारे पैसे मेरे पास है | सारा काम खुद ही कर लिया |
कुछ पैसे मेरे पास है और कुछ रमेश पास | कुछ आटा गुन्दा है कुछ बाकी है |
निश्चयवाचक सर्वनाम तथा सार्वनामिक में अंतर
निश्चय वाचक सर्वनाम | सार्वनामिक |
यह उसकी की गाड़ी है | यह गाड़ी मेरी है |
वह घर उसका है | वह घर मेरा है |
यह तुम्हारी पेंसिल है | यह मेरी पेंसिल है |
वह कितना सुंदर उपवन है | वह उपवन सरकारी है |
यह पुस्तक उसकी है | यह पुस्तक किसकी है |
उपर्युक्त वाक्यों में हमने पाया ‘यह’, ‘वह’ शब्द का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों का प्रयोग निश्चयवाचक सर्वनाम तथा सार्वनामिक विशेषण दोनों में हुआ है। जिन वाक्यों में संज्ञा शब्द के स्थान पर प्रयोग किए जा रहे हैं वह निश्चयवाचक सर्वनाम है। जहां संज्ञा की ओर संकेत कर रहे हैं वह सार्वनामिक विशेषण है।
प्रतिवेषण क्या है ?
- हवा बेहद तूफानी है
- भीम अत्यधिक बलशाली था।
- कुआं बहुत गहरा है
उपर्युक्त वाक्यों में ‘बेहद’,’अत्यधिक’,’बहुत’ शब्दों का प्रयोग किया गया है जो विशेषण की विशेषता को बता रहे हैं।
अतः जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते हैं उन्हें प्रतिवेषण कहते हैं।
विशेषण की अवस्थाएं
विशेषण की प्रमुख तीन अवस्थाएं है १ मूलावस्था २ उत्तरावस्था ३ उत्तमावस्था। प्रत्येक प्राणी या वस्तु में कुछ विभिन्न प्रकार की विशेषताएं होती है ,जिनका हम परस्पर तुलना करते हैं। यह तुलना ही विशेषण की अवस्था माने जाते हैं।
(१) मूलावस्था (Positive Degree)
मूल अवस्था के अंतर्गत किसी व्यक्ति वस्तु या पदार्थ के गुण दोष या किसी विशेषता का कथन मात्र होता है इसके अंतर्गत तुलना नहीं की जाती है जैसे
- घनश्याम बहादुर है
- सीता सुंदर है
- यह मेरा प्रिय है
- वह कितना कठोर है।
(२) उत्तरावस्था (Comparative Degree)
उत्तरावस्था के अंतर्गत दो व्यक्ति,वस्तु,प्राणी आदि के बीच तुलना की जाती है और एक-दूसरे से अच्छा या बुरा बताया जाता है। जैसे –
- नरेश, रोहित से अच्छा गाता है
- महाराणा प्रताप का घोड़ा अन्य घोड़े से ज्यादा चालाक था
- कल जो खाना खाया था उससे ज्यादा अच्छा है।
(३) उत्तमावस्था (Superlative)
उत्तमावस्था के अंतर्गत बहुत से वस्तु तथा प्राणियों की तुलना करके उनमें से सर्वश्रेष्ठ एक को बताया जाता है ,वहां उत्तमावस्था होता है। जैसे-
- भारतीय सेना अन्य देशों की सेना से बेहतर है
- भारत सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक देश है
- कर्ण की दानवीरता उसे श्रेष्ठ बनाती है
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निष्कर्ष
उपर्युक्त अध्ययन से हमने विशेषण को विस्तृत रूप से जाना उसके भेद, परिभाषा, उदाहरण आदि की सूक्ष्मता से पहचान की तथा उनके विभिन्न अवस्थाओं आदि पर भी जानकारी हासिल करते हुए इसके शब्द निर्माण को भी आसानी से समझा। विशेषण मुख्य रूप से विशेषता बताते हैं। किसी भी वस्तु या प्राणी मैं कुछ भिन्नता अवश्य होती है ,यह भिन्नता उनकी विशेषता होती है। बेहद साधारण रूप से समझे तो जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें हम विशेषण कहते हैं। इसके प्रमुख चार भेद माने गए हैं जिनका हमने उपरोक्त विस्तृत रूप से अध्ययन किया है।
संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं।
वास्तव में आपने बहुत बढ़िया लिखा है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Bhot hi achcha likha he Padh ke achcha laga
Thank you admin
मुझे विशेषण की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई
मैं आपको धन्यवाद करता हूं