इस लेख में आपको समास ( हिंदी व्याकरण ) से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। जिसमे अर्थ, परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण शामिल हैं। इस विषय पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
समास का अर्थ:- ‘संक्षिप्त’ या ‘संछेप‘ होता है। समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। कम से कम दो शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ प्रकट करना समास का लक्ष्य होता है। जैसे – रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं।
समास का प्रयोग
- संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है।
- जर्मन आदि भाषाओं में भी इस का बहुत अधिक प्रयोग होता है।
- समासिक शब्द अथवा पद को अर्थ के अनुकूल विभाजित करना विग्रह कहलाता है।
सरल भाषा में पहचानने का तरीका
- पूर्व प्रधान – अव्ययीभाव समास
- उत्तर पद प्रधान – तत्पुरुष , कर्मधारय व द्विगु
- दोनों पद प्रधान – द्वंद समास
- दोनों पद प्रधान – बहुव्रीहि इसमें कोई तीसरा अर्थ प्रधान होता है
सामान्यतः समास छह प्रकार के माने गए हैं। १ अव्ययीभाव, २ तत्पुरुष, ३ कर्मधारय, ४ द्विगु, ५ द्वन्द्व और ६ बहुब्रीहि.
१. अव्ययीभाव = पूर्वपद प्रधान होता है।
२. तत्पुरुष = उत्तरपदप्रधान होता है।
३. कर्मधारय = दोनों पद प्रधान।
४. द्विगु = पहला पद संख्यावाचक होता है।
५. द्वन्द्व = दोनों पद प्रधान होते है , विग्रह करने पर दोनों शब्द के बिच (-)हेफन लगता है।
६. बहुब्रीहि = किसी तीसरे शब्द की प्रतीति होती है।
समास की संपूर्ण जानकारी
सामासिक शब्द, समास विग्रह और पूर्व पद – उत्तर पद की जानकारी आपको नीचे दी जा रही है। उसके बाद आपको समास के भेद की विस्तार में जानकारी प्राप्त होगी।
सामासिक शब्द
समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे-राजपुत्र।
समास विग्रह
सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।
जैसे-
- राजपुत्र – राजा का पुत्र
- देशवासी – देश के वासी
- हिमालय – हिम का आलय
पूर्वपद और उत्तरपद
समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे- गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है। संस्कृत में समासों का बहुत प्रयोग होता है। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समास उपयोग होता है। समास के बारे में संस्कृत में एक सूक्ति प्रसिद्ध है:
वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः। तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥
यह भी जरूर पढ़ें
हिंदी व्याकरण की संपूर्ण जानकारी
समास के भेद
सामान्यतः समास छह प्रकार के माने गए हैं। १ अव्ययीभाव, २ तत्पुरुष, ३ कर्मधारय, ४ द्विगु, ५ द्वन्द्व and ६ बहुब्रीहि. अब हम बारीकी से समाज के प्रति एक भेद को समझेंगे और उसका गहराई से विश्लेषण करेंगे। आपको साथ ही साथ अनेकों उदाहरण भी देखने को मिलेंगे जिसके बाद आपको हर एक भेद अच्छे से समझ आएगा।
1. अवययीभाव समास
जिस सामासिक पद का पूर्वपद (पहला पद प्रधान) प्रधान हो , तथा समासिक पद अव्यय हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इस समास में समूचा पद क्रियाविशेषण अव्यय हो जाता है।
जैसे प्रतिदिन , आमरण , यथासंभव इत्यादि।
अन्य उदाहरण
प्रति + कूल = प्रतिकूल
आ + जन्म = आजन्म
प्रति + दिन = प्रतिदिन
यथा + संभव = यथासंभव
अनु + रूप = अनुरूप।
पेट + भर = भरपेट
आजन्म – जन्म से लेकर
यथास्थान – स्थान के अनुसार
आमरण – मृत्यु तक
अभूतपूर्व – जो पहले नहीं हुआ
निर्भय – बिना भय के
निर्विवाद – बिना विवाद के
निर्विकार – बिना विकार के
प्रतिपल – हर पल
अनुकूल – मन के अनुसार
अनुरूप – रूप के अनुसार
यथासमय – समय के अनुसार
यथाक्रम – क्रम के अनुसार
यथाशीघ्र – शीघ्रता से
अकारण – बिना कारण के
2. तत्पुरुष समास ( Tatpurush samas )
तत्पुरुष समास का उत्तरपद अथवा अंतिम पद प्रधान होता है। ऐसे समास में परायः प्रथम पद विशेषण तथा द्वितीय पद विशेष्य होते हैं। द्वितीय पद के विशेष्य होने के कारण समास में इसकी प्रधानता होती है।
ऐसे समास तीन प्रकार के हैं तत्पुरुष , कर्मधारय तथा द्विगु।
तत्पुरुष समास के छः भेद हैं
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- संप्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- संबंध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
तत्पुरुष समास में दोनों शब्दों के बीच का कारक चिन्ह लुप्त हो जाता है।
राजा का कुमार = राजकुमार
धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ
रचना को करने वाला = रचनाकार
कर्म तत्पुरुष
इसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो जाता है।
- सर्वभक्षी – सब का भक्षण करने वाला
- यशप्राप्त – यश को प्राप्त
- मनोहर – मन को हरने वाला
- गिरिधर – गिरी को धारण करने वाला
- कठफोड़वा – कांठ को फ़ोड़ने वाला
- माखनचोर – माखन को चुराने वाला।
- शत्रुघ्न – शत्रु को मारने वाला
- गृहागत – गृह को आगत
- मुंहतोड़ – मुंह को तोड़ने वाला
- कुंभकार – कुंभ को बनाने वाला
करण तत्पुरुष
इसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’ , ‘के’ , ‘द्वारा’ का लोप हो जाता है। जैसे – रेखा की , रेखा से अंकित।
- सूररचित – सूर द्वारा रचित
- तुलसीकृत – तुलसी द्वारा रचित
- शोकग्रस्त – शोक से ग्रस्त
- पर्णकुटीर – पर्ण से बनी कुटीर
- रोगातुर – रोग से आतुर
- अकाल पीड़ित – अकाल से पीड़ित
- कर्मवीर – कर्म से वीर
- रक्तरंजित – रक्त से रंजीत
- जलाभिषेक – जल से अभिषेक
- करुणा पूर्ण – करुणा से पूर्ण
- रोगग्रस्त – रोग से ग्रस्त
- मदांध – मद से अंधा
- गुणयुक्त – गुणों से युक्त
- अंधकार युक्त – अंधकार से युक्त
- भयाकुल – भय से आकुल
- पददलित – पद से दलित
- मनचाहा – मन से चाहा
संप्रदान तत्पुरुष
इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘ के लिए ‘ लुप्त हो जाती है।
- युद्धभूमि – युद्ध के लिए भूमि
- रसोईघर – रसोई के लिए घर
- सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह
- हथकड़ी – हाथ के लिए कड़ी
- देशभक्ति – देश के लिए भक्ति
- धर्मशाला – धर्म के लिए शाला
- पुस्तकालय – पुस्तक के लिए आलय
- देवालय – देव के लिए आलय
- भिक्षाटन – भिक्षा के लिए ब्राह्मण
- राहखर्च – राह के लिए खर्च
- विद्यालय – विद्या के लिए आलय
- विधानसभा – विधान के लिए सभा
- स्नानघर – स्नान के लिए घर
- डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी
- परीक्षा भवन – परीक्षा के लिए भवन
- प्रयोगशाला – प्रयोग के लिए शाला
अपादान तत्पुरुष
इसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ लुप्त हो जाती है।
- जन्मांध – जन्म से अंधा
- कर्महीन – कर्म से हीन
- वनरहित – वन से रहित
- अन्नहीन – अन्न से हीन
- जातिभ्रष्ट – जाति से भ्रष्ट
- नेत्रहीन – नेत्र से हीन
- देशनिकाला – देश से निकाला
- जलहीन – जल से हीन
- गुणहीन – गुण से हीन
- धनहीन – धन से हीन
- स्वादरहित – स्वाद से रहित
- ऋणमुक्त – ऋण से मुक्त
- पापमुक्त – पाप से मुक्त
- फलहीन – फल से हीन
- भयभीत – भय से डरा हुआ
- संबंध तत्पुरुष
इसमें संबंध कारक की विभक्ति ‘का’ , ‘के’ , ‘की’ लुप्त हो जाती है।
- जलयान – जल का यान
- छात्रावास – छात्रावास
- चरित्रहीन – चरित्र से हीन
- कार्यकर्ता – कार्य का करता
- विद्याभ्यास – विद्या अभ्यास
- सेनापति – सेना का पति
- कन्यादान – कन्या का दान
- गंगाजल – गंगा का जल
- गोपाल – गो का पालक
- गृहस्वामी – गृह का स्वामी
- राजकुमार – राजा का कुमार
- पराधीन – पर के अधीन
- आनंदाश्रम – आनंद का आश्रम
- राजपूत्र – राजा का पुत्र
- विद्यासागर – विद्या का सागर
- राजाज्ञा – राजा की आज्ञा
- देशरक्षा – देश की रक्षा
- शिवालय – शिव का आलय
अधिकरण तत्पुरुष
इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘ में ‘ , ‘ पर ‘ लुप्त हो जाती है।
- रणधीर – रण में धीर
- क्षणभंगुर – क्षण में भंगुर
- पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
- आपबीती – आप पर बीती
- लोकप्रिय – लोक में प्रिय
- कविश्रेष्ठ – कवियों में श्रेष्ठ
- कृषिप्रधान – कृषि में प्रधान
- शरणागत – शरण में आगत
- कलाप्रवीण – कला में प्रवीण
- युधिष्ठिर – युद्ध में स्थिर
- कलाश्रेष्ठ – कला में श्रेष्ठ
- आनंदमग्न – आनंद में मग्न
- गृहप्रवेश – गृह में प्रवेश
- आत्मनिर्भर – आत्म पर निर्भर
- शोकमग्न – शोक में मगन
- धर्मवीर – धर्म में वीर
3. कर्मधारय समास
जिस तत्पुरुष समाज के समस्त पद समान रूप से प्रधान हो , तथा विशेष्य – विशेषण भाव को प्राप्त होते हैं। उनके लिंग , वचन भी समान हो वहां कर्मधारय समास होता है।
कर्मधारय समास चार प्रकार के होते हैं –
१ विशेषण पूर्वपद ,
२ विशेष्य पूर्वपद ,
३ विशेषणोभय पद तथा ,
४ विशेष्योभय पद।
आसानी से समझे तो जिस समस्त पद का उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्वपद व उत्तरपद में उपमान – उपमेय तथा विशेषण -विशेष्य संबंध हो कर्मधारय समास कहलाता है।
पहला व बाद का पद दोनों प्रधान हो और उपमान – उपमेय या विशेषण विशेष्य से संबंध हो
कर्मधारय समास के उदाहरण
- अधमरा – आधा है जो मरा
- महादेव – महान है जो देव
- प्राणप्रिय – प्राणों से प्रिय
- मृगनयनी – मृग के समान नयन
- विद्यारत्न – विद्या ही रत्न है
- चंद्रबदन – चंद्र के समान मुख
- श्यामसुंदर – श्याम जो सुंदर है
- क्रोधाग्नि – क्रोध रूपी अग्नि
- नीलकंठ – नीला है जो कंठ
- महापुरुष – महान है जो पुरुष
- महाकाव्य – महान काव्य
- दुर्जन – दुष्ट है जो जन
- चरणकमल – चरण के समान कमल
- नरसिंह – नर मे सिंह के समान
- कनकलता – कनक की सी लता
- नीलकमल – नीला कमल
- महात्मा – महान है जो आत्मा
- महावीर – महान है जो वीर
- परमानंद – परम है जो आनंद
4. द्विगु समास ( Dwigu samas )
जिस समस्त पद का पहला पद (पूर्वपद) संख्यावाचक विशेषण हो वह द्विगु समास कहलाता है। द्विगु समास दो प्रकार के होते हैं १ समाहार द्विगु तथा २ उपपद प्रधान द्विगु समास।
- नवरात्रि – नवरात्रियों का समूह
- सप्तऋषि – सात ऋषियों का समूह
- पंचमढ़ी – पांच मणियों का समूह
- त्रिनेत्र – तीन नेत्रों का समाहार
- अष्टधातु – आठ धातुओं का समाहार
- तिरंगा – तीन रंगों का समूह
- सप्ताह – सात दिनों का समूह
- त्रिकोण – तीनों कोणों का समाहार
- पंचमेवा – पांच फलों का समाहार
- दोपहर – दोपहर का समूह
- सप्तसिंधु – सात सिंधुयों का समूह
- चौराहा – चार राहों का समूह
- त्रिलोक – तीनों लोकों का समाहार
- त्रिभुवन – तीन भवनों का समाहार
- नवग्रह – नौ ग्रहों का समाहार
- तिमाही – 3 माह का समाहार
- चतुर्वेद – चार वेदों का समाहार
5. द्वंद समास ( Dvandva Samas )
द्वंद समास जिस समस्त पदों के दोनों पद प्रधान हो , तथा विग्रह करने पर ‘और’ , ‘ अथवा ‘ , ‘या’ , ‘एवं’ लगता हो वह द्वंद समास कहलाता है। इसके तीन भेद हैं – १ इत्येत्तर द्वंद , २ समाहार द्वंद , ३ वैकल्पिक द्वंद।
- अन्न – जल = अन्न और जल
- नदी – नाले = नदी और नाले
- धन – दौलत = धन दौलत
- मार-पीट = मारपीट
- आग – पानी = आग और पानी
- गुण – दोष = गुण और दोष
- पाप – पुण्य = पाप या पुण्य
- ऊंच – नीच = ऊंच या नीचे
- आगे – पीछे = आगे और पीछे
- देश – विदेश = देश और विदेश
- सुख – दुख = सुख और दुख
- पाप – पुण्य =पाप और पुण्य
- अपना – पराया = अपना और पराया
- नर – नारी = नर और नारी
- राजा – प्रजा = राजा और प्रजा
- छल – कपट = छल और कपट
- ठंडा – गर्म = ठंडा या गर्म
- राधा – कृष्ण =राधा और कृष्ण
6. बहुव्रीहि समास ( Bahubrihi Samas )
जिस पद में कोई पद प्रधान नहीं होता दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं उसमें बहुव्रीहि होता है।
बहुव्रीहि समास में आए पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधानता हो तब उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जिस समस्त पद में कोई पद प्रधान नहीं होता , दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं , उसमें बहुव्रीहि समास होता है। जैसे –
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव इस समास के पदों में कोई भी पद प्रधान नहीं है , बल्कि पूरा पद किसी अन्य पद का विशेषण होता है।
- चतुरानन – चार है आनन जिसके अर्थात ब्रह्मा
- चक्रपाणि – चक्र है पाणी में जिसके अर्थात विष्णु
- चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसकीअर्थात विष्णु
- पंकज – पंक में जो पैदा हुआ हो अर्थात कमल
- वीणापाणि – वीणा है कर में जिसके अर्थात सरस्वती
- लंबोदर – लंबा है उद जिसका अर्थात गणेश
- गिरिधर – गिरी को धारण करता है जो अर्थात कृष्ण
- पितांबर – पीत हैं अंबर जिसका अर्थात कृष्ण
- निशाचर – निशा में विचरण करने वाला अर्थात राक्षस
- मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाला अर्थात शंकर
- घनश्याम – घन के समान है जो अर्थात श्री कृष्ण
- दशानन – दस है आनन जिसके अर्थात रावण
- नीलांबर – नीला है जिसका अंबर अर्थात श्री कृष्णा
- त्रिलोचन – तीन है लोचन जिसके अर्थात शिव
- चंद्रमौली – चंद्र है मौली पर जिसके अर्थात शिव
- विषधर – विष को धारण करने वाला अर्थात सर्प
- प्रधानमंत्री – मंत्रियों ने जो प्रधान हो अर्थात प्रधानमंत्री
यह भी जरूर पढ़ें
क्रिया की परिभाषा, भेद, उदाहरण
हिंदी मुहावरे अर्थ एवं उदाहरण सहित
लोकोक्तियाँ अर्थ एवं उदाहरण सहित
समास में अंतर – विस्तार में समझें
अब हम एक जैसे दिखने वाले समास में अंतर उदाहरण सहित विस्तार में समझेंगे।
कर्मधारय और बहुव्रीहि में अंतर
कर्मधारय में समस्त-पद का एक पद दूसरे का विशेषण होता है। इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है।
जैसे – नीलकंठ = नीला कंठ।
बहुव्रीहि में समस्त पाद के दोनों पादों में विशेषण-विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञादि का विशेषण होता है।
इसके साथ ही शब्दार्थ गौण होता है और कोई भिन्नार्थ ही प्रधान हो जाता है।
जैसे – नील+कंठ = नीला है कंठ जिसका शिव ।.
इन दोनों समासों में अंतर समझने के लिए इनके विग्रह पर ध्यान देना चाहिए , कर्मधारय समास में एक पद विशेषण या उपमान होता है , और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है।
जैसे –
नीलगगन में – नील विशेषण है , तथा गगन विशेष्य है।
इसी तरह
चरणकमल में – चरण उपमेय है , कमल उपमान है।
अतः यह दोनों उदाहरण कर्मधारय समास के हैं।
बहुव्रीहि समास में समस्त पद ही किसी संज्ञा के विशेषण का कार्य करता है।
जैसे –
चक्रधर – चक्र को धारण करता है जो , अर्थात श्री कृष्ण।
द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतर
बहुव्रीहि समास में समस्त पद ही विशेषण का कार्य करता है , जबकि द्विगु समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है। और दूसरा पर विशेष्य होता है। जैसे –
दशानन – दश आनन है जिसके अर्थात रावण। बहुव्रीहि समास
चतुर्भुज – चार भुजाओं का समूह द्विगु समास
दशानन – दश आननों का समूह द्विगु समास।
चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसकी अर्थात विष्णु , बहुव्रीहि समास
संधि और समास में अंतर
संधि वर्णों में होती है। इसमें विभक्ति या शब्द का लोप नहीं होता है।
जैसे – देव + आलय = देवालय।
समास दो पदों में होता है। यह होने पर विभक्ति या शब्दों का लोप भी हो जाता है।
जैसे – माता और पिता = माता-पिता।
संधि और समास में अंतर
अर्थ की दृष्टि से यद्यपि दोनों शब्द समान है। अर्थात दोनों का अर्थ मेल ही है , तथपि दोनों में कुछ भिन्नता है जो निम्नलिखित है।
- संधि वर्णों का मेल है और समास शब्दों का मेल है।
- संधि में वर्णों के योग से वर्ण परिवर्तन भी होते हैं , जबकि समास में ऐसा नहीं होता समास में बहुत से पदों के बीच के कारक चिन्हों का अथवा समुच्चयबोधक का लोप हो जाता है।
- जैसे विद्या + आलय = विद्यालय संधि
- राजा का पुत्र = राजपुत्र समास
समास-व्यास से विषय का प्रतिपादन
यदि आपको लगता है कि सन्देश लम्बा हो गया है (जैसे, कोई एक पृष्ठ से अधिक), तो अच्छा होगा कि आप समास और व्यास दोनों में ही अपने विषय-वस्तु का प्रतिपादन करें अर्थात् जैसे किसी शोध लेख का प्रस्तुतीकरण आरम्भ में एक सारांश के साथ किया जाता है, वैसे ही आप भी कर सकते हैं।
इसके बारे में कुछ प्राचीन उद्धरण भी दिए जा रहे हैं।
- विस्तीर्यैतन्महज्ज्ञानमृषिः संक्षिप्य चाब्रवीत्।
- इष्टं हि विदुषां लोके समासव्यासधारणम् ॥ (महाभारत आदिपर्व १.५१)
— अर्थात् महर्षि ने इस महान ज्ञान (महाभारत) का संक्षेप और विस्तार दोनों ही प्रकार से वर्णन किया है, क्योंकि इस लोक में विद्वज्जन किसी भी विषय पर समास (संक्षेप) और व्यास (विस्तार) दोनों ही रीतियाँ पसन्द करते हैं।
- ते वै खल्वपि विधयः सुपरिगृहीता भवन्ति येषां लक्षणं प्रपञ्चश्च।
- केवलं लक्षणं केवलः प्रपञ्चो वा न तथा कारकं भवति॥ (व्याकरण-महाभाष्य २। १। ५८, ६। ३। १४)
— अर्थात् वे विधियाँ सरलता से समझ में आती हैं जिनका लक्षण (संक्षेप से निर्देश) और प्रपञ्च (विस्तार) से विधान होता है। केवल लक्षण या केवल प्रपञ्च उतना प्रभावकारी नहीं होता।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रतियोगिता के अनुरूप ( Questions for competitive government jobs )
यह सभी प्रश्न आपको परीक्षा के लिए तैयार करेंगे। अभी यहां पर थोड़े बहुत ही प्रश्न उत्तर है। धीरे-धीरे यहां पर बहुत सारे प्रश्न देखने को मिलेंगे जो आपको बड़ी परीक्षा के लिए तैयार करेंगे।
प्रश्न – ‘पंचपात्र’ शब्द में कौन सा समास है ?
१ कर्मधारय २ बहुव्रीहि ३ द्विगु ४ तत्पुरुष
उत्तर – द्विगु
प्रश्न – ‘शोकाकुल’ शब्द में कौन सा समास है ?
१ कर्मधारय २ तत्पुरुष ३ द्वंद्व ४ द्विगु
उत्तर – तत्पुरुष
प्रश्न – ‘आजकल’ शब्द में कौन सा समास है ?
१ अव्ययीभाव २ तत्पुरुष ३ कर्मधारय ४ द्वंद्व
उत्तर – द्वंद्व
For more examples read below article – Samas ke udahran
यह भी जरूर पढ़ें
हिंदी काव्य ,रस ,गद्य और पद्य साहित्य का परिचय।
हिंदी व्याकरण , छंद ,बिम्ब ,प्रतीक।
अक्षर। भाषा के दो रूप हैं लिखित और मौखिक।
बलाघात के प्रकार उदहारण परिभाषा
अगर कोई भी समस्या हो हिंदी से समन्धित | तो नीचे कमेंट जरूर करें | जहाँ तक बन पड़ेगा हम सहायता करेंगे | अगर आपको कोई गलती नजर आये तब भी न भूलें | ये प्लेटफार्म विद्यार्थियों के लिए बनाया गया है | इसलिए हम नहीं चाहते कोई भी गलत सामग्री उन्हें मिले | इसमें आपका योगदान महत्त्वपूर्ण होगा |
धन्यवाद
आप हमे नीचे दिए गए सोशल मीडिया एकाउंट्स पर फॉलो कर सकते हैं | और अगर आपको लगता है की यह वेबसाइट लाभदायक व उपयोगी है | तो अपने दोस्तों को बी जरूर बताएं |
हमने समास को पूरा समझने का प्रयास किया है | अगर तब भी कुछ समझ न आय तो यह कमेंट करके बताएं | धन्यवाद
Very nice. Sir kushasan m kaunsa samas hota h? Pls reply.
कुशासन में अव्ययीभाव समास होगा
sir ku ek avyay hai toh tatpurus samas hona chahiye.
क्षमा चहूंगा
यह अव्ययीभाव समास होगा
कु (बुरा) है जो शासन
पंचगंगम में कोन सा समास है
पंचगंगम मैं द्विगु समास होगा क्योंकि संख्या का आभास हो रहा है पंच अर्थात 5 इसलिए द्विगु समास होगा
पंजाब में कौन सा समास होगा
बहुत अच्छी जानकारी दी है सर आपने समास के ऊपर. कृपा करके और उदाहरण जोड़ने का प्रयास अवश्य करिएगा ताकि हम जैसे स्टूडेंट्स को फायदा हो.
दिए गए शब्दो को विग्रह करके समास के भेद लिखिए
१. कोशकार
२. मदमाता
३. मार्गव्यय
४. दीनानाथ
५. आपबीती
६. रातदिन
७, कृष्णपक्ष
८ चरमसीमा
९, गजानन
११, गिरिधर
१२. कमलनयन
१३. तिरंगा
१५. चौरहा
१५. त्रिवेणी
Hello, Hindi vibhag,
Thank you for the knowledge on subject samas
बहुत धन्यवाद आदरणीय
You’re welcome piyush
Very good
Thanks sir keep visiting
Nice collection of hindi vyakarn for learn hindi vyakaran
Thanks indradev
All contains r very beneficial for students and teachers who are going to be able in Hindi grammar.
Thanks divyansh, keep sharing and visiting
धन्यवाद भैया
keep loving jay
अश्वारूढ: कूपपतित: मे कौन सा समास होगा.. संस्कृत मे
Good
Thanks nidhi
कर्मधार्य समास
Keep supporting , we will write more such
thanks
this helped me a loy to understand and write.
It is good to hear from you that it helped you
thanks
this helped me a lot to understand and write.
It’s really osm and better for us
Thanks sakshi Singh. We hope that you have read our other Hindi vyakran posts too. Every article has detailed knowledge
Thanks it is very useful for me .I complete my homework using this site ,so I like it .
Thanks hemant. Check out our other blog posts too in case if you have homework to write on other parts of grammar. We have already written alankar , sandhi viched , vilom shabd and various other things.
sanskrit ekshesh samas ka example रामयोः ka solution
चक्रायुध, हलायुध में कोनसे समास है
बहुत ही उत्तम जानकारी, हार्दिक आभार.
Samas ka isse achha post khi uplabdh nhi.
bahut bahut dhanyavaad sir.
aise hi likhte rahiye.
Keep visiting and sharing your views
This is one of the best articles I ever read on samas
Thansk
Too good sir it’s so beneficial for understanding smaas
A very good and informative article written by you sir.
If you have any queries then do ask here. We will resolve it for you.
Thank you sir
You are most welcome
आपकी व्याख्या स्पष्ट है
Sir pratyaksh aur digambar me konsa samas ha please reply
प्रत्यक्ष – प्रति अक्ष /आँखों के सामने – अव्ययीभाव समास (प्रथम पद ‘प्रति’ अव्यय है)
दिगम्बर – दिक् (दिशा) है अम्बर (वस्त्र) जिसका अर्थात शिव/ जैन मुनि – बहुव्रीहि समास
Sir plz add the examples also it is also useful for us
बहुत ही अच्छी जानकारी साझा की है आदरणीय |
Thanks, sir for such huge information on the topic samas and its types with examples in the Hindi language.
हिंदी विभाग को मैं समास की संपूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद करना चाहती हूं. समास के सभी भेद को बारीकी से समझाने के लिए एवं उन सबके उदाहरण देने के लिए भी मैं आभार प्रकट करना चाहती हूं. इस वेबसाइट को मैंने सेव कर लिया है ताकि आगे भी मुझे कभी मदद की जरूरत पड़े तो मैं यहां पर आ सकूं
जब किसी शब्द में द्विगु और बहुब्रीहि दोनो समास हो और विकल्प में द्विगु ओर बहुब्रीहि दोनो है तो हम किसको सही उत्तर में लिखे
समास के भेद परिभाषा और उदाहरण पर बहुत ही अच्छी जानकारी है. इस लेख को पढ़ने के बाद अब समास के भेद को पहचानने में किसी प्रकार की मुश्किल नहीं आनी चाहिए ऐसा मेरा मानना है.
कर्मधारय समास और द्विगु समास को किस समास का उपभेद माना जाता है ॽ
समास के ऊपर बहुत ही बढ़िया जानकारी. जानकारी साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुशासन में आपने अव्ययीभाव समास बताया लेकिन इसमें कर्मधारय समास होना चाहिए|
कु = बुरा (विशेषण) शासन (विशेष्य)
विग्रह – (बुरा) है जो शासन – (कर्मधारय समास)
कृपया स्पष्ट करें|
तत्पुरुष, बहुब्रीहि और कर्मधारय समास पर अलग से पोस्ट लिखिए तथा इन सभी टॉपिक को बारीकी से समझाइए क्योंकि यहां पर मुझे लगता है कि थोड़ी और जानकारी होनी चाहिए
मिठाईवाला और दुकानदार में कौन सा समास है?
उनतीस में कौनसा समास है?
Dhanyavaad aapka
Ise padh kar hame atyant sahayta mili
Hum aapke abhari hain
भाई हिंदी व्याकरण से जुडी आपको यह पोस्ट बहुत ही कारगर है .
आपने हिंदी में काफी आर्टिकल लिखे है जो स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी है .