क्रिया की परिभाषा, भेद, उदाहरण, सहित समस्त जानकारी इस लेख में प्राप्त करेंगे। साथ ही कुछ प्रश्न-उत्तर और उदाहरण विशेष रूप से प्राप्त करेंगे।
जिससे आपको क्रिया के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
व्यक्ति अपने विचारों को शब्दों तथा वाक्य के रूप में प्रकट करता है। यह शब्द तथा वाक्य भाषा के प्रमुख अंग माने जाते हैं। इन वाक्यों में उद्देश्य तथा विधेय दो खंड माने जाते हैं
जैसे –
बच्चा खेल रहा है
इस वाक्य में बच्चा उद्देश्य है , तथा खेल रहा है विधेय है। क्रिया वाक्य का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। इस के बिना वाक्य अधूरा ही प्रतीत होता है।
वह वाक्यांश हो सकता है, वाक्य नहीं। कुल मिलाकर कहें तो वाक्य में उद्देश्य तथा विधि का होना आवश्यक है। जिससे क्रिया के रूप के प्रतीति होती है।
क्रिया की परिभाषा
जो शब्द किसी वस्तु के अस्तित्व या घटना, व्यापार आदि के होने का ज्ञान कराता है, उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे –
- राम दौड़ रहा है।
- पक्षी आसमान में उड़ रहे हैं।
उदहारण
- राम पतंग उड़ा रहा है।
- विवेक पढता है।
- बच्चे फुटबाल खेलेंगे।
- पतंग उड़ रही है
- बालक सो रहे हैं।
- छत पर कोई है।
क्रिया के भेद कितने होते हैं? सभी के उदाहरण
अकर्मक तथा सकर्मक, क्रिया के दो भेद माने गए हैं।
1 अकर्मक क्रिया
जिस क्रिया के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं होती है, इन क्रियाओं में कर्ता की भूमिका स्वयं में निहित होती है वह अकर्मक क्रिया कहे जाते हैं।
जैसे –
- गीता सो रही है
- बच्चा जाग रहा है
- युवक हंस रहे हैं
- रमा हंसती है
- श्याम दौड़ता है
- बच्चा रोता है
- विभा सोती है
इसमें सोना,जागना,हंसना यह सभी अकर्मक है। क्योंकि यह कर्म स्वभाविक है इसको करने के लिए कोई विशेष आग्रह की जरूरत नहीं होती है। यह सभी स्वतः ही होते हैं।
इसके अतिरिक्त रोना, चलना, सोना, उठना, बैठना, डरना, होना, चमकना, मरना आदि भी अकर्मक है।
- सीता चल रही है
- बच्चा रो रहा है
- गाय बैठी है
- सांप रेंग रहा है
- ट्रेन चल रही है।
2 सकर्मक क्रिया
सकर्मक का शाब्दिक अर्थ है कर्म के साथ अर्थात जिस कार्य को करने के लिए कर्त्ता को छोड़कर कर्म पर बल पड़ता हो। अर्थात जिस क्रिया के साथ कर्म का होना आवश्यक है उसे सकर्मक कहते हैं।
जैसे –
- मोहन फल खा रहा है
- छात्र फुटबॉल खेल रहे हैं
- राधा गाना गा रही है
- कृष्ण बांसुरी बजा रहे हैं
- मैंने एक पुस्तक लिखी
इन सभी वाक्य में कर्ता ने कर्म किया है। यह सभी कर्म स्वतः नहीं हो सकते,इसके लिए विशेष आग्रह की जरूरत होती है। अतः यह सभी सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया के भेद
सकर्मक क्रिया के दो भेद माने गए हैं – 1 एककर्मक 2 द्विकर्मक
1 एककर्मक
जिन सकर्मक क्रियाओं में एक ही कर्म होता है, उसे एक कर्मक कहते हैं।
जैसे –
- उषा फूल तोड़ रही है।
- माली माला गूथ रहा है
2 द्विकर्मक
जिस सकर्मक क्रिया में दो कर्म होते हैं उसे द्विकर्मक कहा जाता है।
जैसे
- दादी ने बच्चों को कहानी सुनाई।
- पिताजी ने हमें आइसक्रीम खिलाई
इस वाक्य में दो पक्ष की उपस्थिति प्रतीत होती है।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि इन वाक्यों में दो प्रकार के कर्म होते प्रतीत हो रहे हैं।
पहला मुख्य कर्म तथा दूसरा गौण कर्म।
1 मुख्य कर्म –
वाक्य में मुख्य कर्म,गौण कर्म के बाद आता है। यह अप्राणीवाचक होता है तथा विभक्ति से रहित होता है।
2 गौण कर्म –
मुख्य कर्म से पहले आता है ,यह प्राणीवाचक होता है। यह विभक्ति के साथ प्रयोग किया जाता है। जैसे – अध्यापक छात्रों को पुस्तक पढ़ाते हैं।
इस वाक्य में छात्रों को गौण कर्म है तथा पुस्तक मुख्य कर्म है।
कुछ क्रियाएं अकर्मक तथा सकर्मक दोनों के साथ प्रयोग की जाती है उदाहरण निम्नलिखित है।
क्रिया | अकर्मक | सकर्मक |
लजाना | सुशीला लजा रही थी | नालायक तु सबको क्यों लगा रहा है |
घिसना | उसका जूता घिस गया | मैं चंदन घिस रहा हूं |
भरना | बूंद बूंद से तालाब भरता है | वह घड़ा भरती है |
बोलना | तोता बोलता है | तोता राम राम बोलता है |
भूलना | तुम तो सब भूल गए थे | मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकता |
शर्माना | राधा शर्माती है | तुम क्यों शर्मा रहे हो |
पढ़ना | विद्यार्थी पढ़ते हैं | राम कॉलेज में पढ़ता है |
घबराना | सांप को देखकर घबराहट होती है | सांप को देखकर नहीं घबराता |
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क्रिया की पहचान कैसे करें
जैसा कि हमने अध्ययन से जाना कि क्रिया दो प्रकार की होती है अकर्मक तथा सकर्मक।
विस्तृत उदाहरण तथा परिभाषा का अध्ययन हमने उपरोक्त किया है।
यहां कुछ संक्षिप्तीकरण के माध्यम से हम इस की पहचान करना सीखते हैं। क्रिया अकर्मक है या सकर्मक इसको जानने के लिए – क्या,किसको, किसे, कहा, जैसे प्रश्न के साथ पहचान कर सकते हैं।
इनके उत्तर के साथ संज्ञा तथा सर्वनाम के पद आते हैं तो सकर्मक क्रिया और अगर इनके उत्तर में संज्ञा तथा सर्वनाम से परे कुछ आता है तो अकर्मक माना जाता है।
साथ ही यदि क्या और किसको दोनों में से अलग-अलग उत्तर आते हैं तो वह द्विकर्मक क्रिया होगी।
इस माध्यम से अकर्मक तथा सकर्मक क्रिया की पहचान की जा सकती है –
वाक्य | प्रश्न | उत्तर | क्रिया भेद |
मोहन ने भिक्षुक को खाना खिलाया | क्या खिलाया? , किसको खिलाया? | खाना , भिक्षुक को | द्विकर्मक |
मोहन गया है | कहां गया है? | अकर्मक | |
बच्चा सो रहा है | क्या सो रहा है | अकर्मक | |
लता खाना पकाती है | क्या पकाती है? | खाना | सकर्मक |
पक्षी उड़ते हैं | क्या उड़ते हैं | अकर्मक | |
बंदर केले खाते हैं | क्या खाते हैं? | केले | सकर्मक |
इस प्रकार प्रश्न करते हुए आप क्रिया के भेद को आसानी से पहचान सकते हैं।
अकर्मक क्रिया का सकर्मक रूप में प्रयोग
कुछ ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है जब अकर्मक के साथ भाववाचक संज्ञा जोड़ दी जाती है, तब वहां उसका स्वरूप सकर्मक क्रिया के रूप में परिवर्तित हो जाता है। जैसे –
- बालक जोर से हंसा – अकर्मक
- बालक जोर की हंसी हंसा – सकर्मक
सकर्मक क्रिया का अकर्मक के रूप में प्रयोग
जिस वाक्य में सकर्मक केवल कार्य के लिए होता है जिसमें कर्म की आवश्यकता नहीं समझी जाती। वहां सकर्मक क्रिया अकर्मक बन जाती है। जैसे –
- अध्यापिका लिख रही है – अकर्मक
प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के अन्य भेद
मुख्य रूप से इसके दो भेद माने गए हैं किंतु सामान्य प्रयोग में सात प्रकार का उपयोग किया जाता है।
1. सामान्य क्रिया
जिस वाक्य में केवल एक ही क्रिया का प्रयोग होता है वह सामान्य कहा जाता है।
जैसे –
- गीता ने खाया,
- उसने लिखा,
- वह गया।
2. संयुक्त क्रिया
जिस वाक्य में मुख्य तथा सहायक क्रिया साथ में मिलकर आता है, वहां संयुक्त क्रिया होती है।
जैसे
- गाता है
- हंसता होगा
- सोता था, आदि
साधारण शब्दों में समझें तो ‘जिस वाक्य में किसी अर्थ को प्रकट करने के लिए दो से अधिक क्रियाएं मिलकर योगदान दे वहां संयुक्त होता है।
3 नामधातु क्रिया
मूल धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों (जैसे संज्ञा सर्वनाम तथा विशेषण) में प्रत्यय लगाकर बनने वाली क्रिया को नामधातु कहते हैं।
इसमें –
- दुखाना,
- हथियाना,
- लजाना,
- ठगना,
- शर्माना,
- चिकनाना,
- खटखटाना,
- भिनभिनाना,
- गिड़गिड़ाना
आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जो मूल धातु से भिन्न है।
अर्थात मूल शब्द इन के कुछ और होते हैं उनके यह भावार्थ या उपसर्ग आदि के माध्यम से निर्मित शब्द होते हैं।
4 प्रेरणार्थक क्रिया
जिस वाक्य में कर्ता किसी कार्य को स्वयं ना करके किसी दूसरे को प्रेरित करता हो,उसे प्रेरणार्थक कहते हैं।
जैसे-
माता बहन से भाई को राखी बंधवाती है।
यहां माता स्वयं राखी नहीं बांधी थी बल्कि बहन से बंधवाने के लिए प्रेरित करती है,अतः यह प्रेरणार्थक है।
इसमें दो प्रकार के कर्ता होते हैं १ प्रेरणा देने वाला २ प्रेरणा पाकर कार्य करने वाला।
5 पूर्वकालिक क्रिया
जिस वाक्य में एक से अधिक क्रिया का प्रयोग हो और दूसरी से पूर्व कोई पहली क्रिया हुई हो वहां पहली पूर्व मानी जाती है
जैसे – उसने खेल कर दूध पिया
यहां खेलकर पूर्वकालिक है, जबकि दूध पिया बाद की है।
6 कृदंत क्रिया
कृत प्रत्यय के योग से बनने वाली क्रियाओं को कृदंत कहते हैं।
जैसे – पढता,पढ़ा,पढ़कर।
7 तात्कालिक क्रिया
जब पहली क्रिया के तुरंत बाद मुख्य क्रिया होती है तो पहले को तत्कालीक कहा जाता है।
जैसे – बच्चा बिस्तर पर जाते ही सो गया
यहां जाते ही तत्कालिक है।
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निष्कर्ष
उपर्युक्त अध्ययन से हमने जाना की क्रिया की स्थिति वाक्य में क्या होती है तथा वाक्य में उद्देश्य तथा विधेय के बिना वाक्य की पूर्ति नहीं होती। साथ ही इस के दो भेद का भी हमने अध्ययन किया और उसे बनाने की विधि भी हमने सीखी।
वैसे तो इसके मुख्यता दो भेद होते हैं परंतु सामान्य तौर पर सात अन्य भेज भी होते हैं जिसके बारे में हमने अध्ययन किया. अभी उनको संक्षेप में समझाया गया है परंतु हम भविष्य में इसे विस्तार में समझाएंगे अन्य पोस्ट के माध्यम से.
आप नियमित हिंदी विभाग पर आकर पढ़ाई करते रहे आपको इसी प्रकार अन्य विषय पर भी संपूर्ण जानकारी दी जाएगी.
आशा है आपको इस विषय में जानकारी प्राप्त हुई होगी, किसी भी प्रकार के प्रश्न पूछने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखें।
भाई, बहुत ही कमाल का पोस्ट लिखा है आपने, आपके समझाने का तरीका भी बहुत ही अच्छा है, आप ऐसे ही लिखते रहिए, धन्यवाद
आपका प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आप जैसे पाठकों द्वारा ऐसे शब्दों को सुनना हमें गर्व की अनुभूति कराता है.
अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया दोनों ही समझने में हमेशा दिक्कत होती है परंतु यहां सब स्पष्ट हो गया
Great information on Kriya
Thank you
क्रिया की अधूरी जानकारी है। सभी प्रकार नहीं हैं