God Vishnu quotes in Hindi ( भगवान विष्णु सुविचार )

श्री विष्णु,हरि,नारायण,महालक्ष्मी पति आदि नामों से विख्यात आराध्य श्री विष्णु जी के उत्तम विचारों और आदर्शों को आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं। इन्हें पढ़कर आप जीवन के वास्तविक रूप को समझ सकेंगे। ईश्वर की महत्ता को जानकर अपने सदकर्मों से जीवन को एक नई दिशा प्रदान कर सकेंगे इसी आशा के साथ यह लेख प्रस्तुत है।

विष्णु कोट्स ( Hindu God Vishnu quotes in Hindi )

भगवान विष्णु को चतुर्भुज भी कहा जाता है,यह सृष्टि के समस्त कर्मों को संचालित करते हैं। उत्सर्जन-विसर्जन सब इनके अधीन है ,सृष्टि के पालनकर्ता श्री भगवान विष्णु जिनकी सेवा में सदैव लक्ष्मी जी उपस्थित रहती हैं। ऐसे श्रीहरि को पूरा विश्व अनेकों रूप में पूजता है, जानता है। भक्ति की अनेकों पद्धति से उसे प्रसन्न करता है। आज के लेख में हम श्री विष्णु जी के सुविचार,कोट्स,अनमोल वचन आदि को पढ़ेंगे।

1

पांच पहर तक कर्म किया तीनपहर है सोए

एक घड़ी ना हरि भजै तो मुक्ति कैसे होए। ।

2

उत्सर्जन विसर्जन का दाता हरि

कर्म अच्छे किए, क्यों चिंता करी। ।

3

विष्णु नाम जपने से मिलता एक सहारा 

दुखो से दूर हो जाते मिलता एक किनारा। । 

4

सदैव कर्म से डरना चाहिए

हमें वह कर्म ही करना चाहिए

जो अच्छे हैं

ईश्वर तो अंतिम निर्णायक है। ।

5

श्रीहरि की पूजा से कट जाते हैं दुख के बंधन

कृपा उनकी हो जाए तो दूर हो जाते मोह के बंधन। ।

6

सुख और दुख का चयन

व्यक्ति स्वयं अपने कर्मों से करता है

अच्छा कर्म करे तो सुख

बुरा कर्म करे तो दुख ही मिलता है। ।

7

श्रीहरि तो कहते हैं

तुम किसी से मत बिगाड़ना

मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ने दूंगा। ।

8

शत्रु के बीच घिर जाओ तो

हिम्मत से हारना , हिम्मत मत हारना। ।

9

ऊंच-नीच,छोटा-बड़ा,मेरा-तेरा का भाव

मन से निकालो

फिर सब तुम्हारा और तुम सबके। ।

10

व्यक्ति का शरीर जल से पवित्र होता है

उसका मन सत्य से और बुद्धि ज्ञान से

वही आत्मा की शुद्धि धर्म से होती है। ।

11

प्रेम से तो मुझे केले के पेड़ पर भी पा सकते हो

गुड़ चना के भोग से मेरी भक्ति पा सकते हो। ।

12

सुबह हो या हो दोपहरी 

मेरे जीने का सहारा,हरि। ।  

13

मै ही आदि में ही अंत 

मै ही सृष्टि का धारक हु

धर्मियों को पार लगाता  

पापियों का संहारक हु। । 

14

सत्यनाराण के पाठ से हो जाते पूरण काज है 

श्रद्धा भाव से जो कोई जो पुकारे आ जाते महाराज है। । 

15

हे माँ लक्ष्मी के आराध्य में भव बाधा हरो 

मेरे दुखो को दूर करो में भक्ति की लाज रखो। ।  

16

हरि नाम जपने से मिलता एक सहारा 

दुखो से दूर हो जाते मिलता एक किनारा। । 

17

श्री हरि है पावन नाम 

इसे जपो तुम सुबह शाम। ।  

18

सृष्टि का हे पालनकर्ता ,

पल भर में यह दुःख है हरता। । 

19

मेरा तुम ही सहारा हो हरि

मेरी नाव तुम्हारे हाथ है

चाहो तो इसे पार लगा दो

या मजधार में डूबा दो। । 

20

दुःख हर्ता सुख करता ,

तुम ही तो नारायण हो 

कभी राम तो कभी कृष्ण 

तुम ही तो महानायक हो। । 

21

प्रेम की राह में न जाने कितनी बाधा मिली

उन बाधा के परे मुझे केवल राधा मिली। ।

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निष्कर्ष

उपरोक्त कोट्स,सुविचार,अनमोल वचन आदि को पढ़कर ज्ञात होता है कि श्री हरि नारायण ,लक्ष्मीपति के कारण ही यह पूरा सृष्टि है उनके एक इशारे पर यह ब्रह्मांड टिका है। उत्सर्जन-विसर्जन सब इन्हीं के द्वारा संचालित है। प्रभु का वास कण-कण में है इनके दर्शन करने के लिए कहीं अन्यत्र भटकने की आवश्यकता नहीं। बल्कि स्वयं के भीतर श्री विष्णु भगवान को ढूंढा जा सकता है। जो भी कर्म चाहे वह अच्छा हो या बुरे सब इन्हीं के द्वारा संचालित है। मनुष्य अपने विवेक से कर्म करता है , चाहे अच्छा हो या बुरा उसके अनुसार उसे फल भी मिलता है। इसलिए श्री हरि के अनुसार कर्म मनुष्य के हाथों में है किंतु फल उसके हाथ में नहीं है। वह चाहे कोई भी कर्म करें उसके अनुसार उसे फल अवश्य मिलेगा। इसीलिए मनुष्य को कर्म करते समय सतर्कता बरतनी चाहिए और सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। वह कर्म जो समाज के हित में हो जिससे किसी को दुख ना हो। संबंधित लेख के विषय में अपनी राय देने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें।

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