महादेवी वर्मा – छायावादी काव्यधारा की प्रसिद्ध कवयित्री | जाग तुझको दूर जाना है कविता जरूरी जानकारी सहित |
महादेवी वर्मा
जीवन परिचय – छायावाद के चार स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ .इनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा तथा माता श्रीमती हेमरानी थी। इनका विवाह 12 वर्ष की अल्पायु में डॉ स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ , इन्होंने 1933 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम.ए किया इसके बाद वहीं महिला विद्यापीठ की प्रचार्या बनी इनका देहावसान 1987 में हुआ।
रचनाएं – काव्य ग्रंथ ‘नीहार’ , ‘रश्मि’ , ‘निरजा’ , ‘संध्यागीत’ व ‘दीपशिखा’ आदि।
गद्य रचनाएं – ‘पथ के साथी’ , ‘अतीत के चलचित्र’ , ‘स्मृति की रेखाएं’ व ‘श्रृंखला की कड़ियां’ आदि।
काव्यगत विशेषताएं – महादेवी को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है। इनके काव्य में रहस्यवाद की छाप है , उन्होंने अपनी प्रेम अनुभूति में अज्ञात असीम प्रियतम को संबोधित किया है। जिसके कारण इन्हें रहस्यवादी कवित्री कहा जाता है। लाक्षणिकता , संगीतात्मकता , चित्रात्मकता , रहस्यवाद , काल्पनिकता तथा प्रकृति सौंदर्य इनके काव्य की विशेषता है। विम्बों और प्रतीकों की सुंदर योजना है। महादेवी की भाषा स्वच्छ , कोमल , मधुर , सुसंस्कृत तथा तत्सम शब्दों से युक्त खड़ी बोली है। इनकी भाषा में लोकोक्तियां एवं मुहावरों का सटीक प्रयोग होता है।
जाग तुझको दूर जाना कविता
प्रस्तुत गीत महादेवी की प्रसिद्ध रचना ‘संध्यागीत’ से लिया गया है। यह गीत जागरण गीत है , जिसमें कवित्री ने स्वाधीनता प्राप्ति के लिए भारतीय वीरों का राष्ट्रीय विघ्न बाधाओं और कठिनाइयों की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य पर निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी गई है। कवित्री ने अपने स्वर्णिम अतीत और साहसी निडर और कर्मवीर महापुरुषों की याद दिलाते हुए वह उनसे प्रेरणा लेते हुए निरंतर लक्ष्य की प्राप्ति की तरफ बढ़ने के प्रेरणा दी है। कवित्री ने देशवासियों को विषम परिस्थितियों सांसारिक बंधनों व मोह – माया से प्रभावित होते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है।
कवित्री ने आत्मा की अमरता का ज्ञान कराते हुए मृत्यु से ना डरने की सलाह दी है।
कवित्री ने पतंगे का उदाहरण देकर बलिदान का महत्व समझाया है। कवित्री का कहना है कि देशवासियों को बलिदान के मार्ग पर अपनी कोमल भावनाओं को बलिदान करना होगा।
काव्य सौंदर्य – भाव पक्ष – कवित्री ने विघ्न बाधाओं मुसीबतों और विषम परिस्थितियों में भी निरंतर लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा दी है। स्वाधीनता की चाह रखने वाले विपरीत परिस्थितियों में विचलित ना होकर निरंतर आगे बढ़ते जाते हैं। कवित्री ने आत्मा की अमरता और भारतीयों की दृढ़ता वह शक्ति सामर्थ्य की याद दिलाई है।
शिल्प सौंदर्य –
- तत्सम शब्द प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग
- ओज गुण व गीत शैली में लिखा गीत
- लक्षणा शब्द शक्ति
- वीर रस में लिखा उद्बोधन गीत
- ‘हिमगिरि के हृदय’ , ‘बाधा बनेंगे’ , ‘मधुर की मधुर’ और ‘मदिरा मांग’ में अनुप्रास अलंकार है।
- ‘जीवन सुधा’ में रूपक तथा ‘सो गई आंधी’ में मानवीकरण अलंकार है
- ‘सजेगा आज पानी’ में श्लेष अलंकार है
- बिम्बो और प्रतीकों का प्रयोग है।
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nice
महादेवी वर्मा पर थोड़ी और जानकारी आप जरूर डालिए ताकि हमें परीक्षा में मदद हो
Pure chapter ki vyakhya daaliye..alag alag taki hume pariksha mein madad ho
मैं महादेवी वर्मा की बहुत बड़ी फैन हूं और उनकी कविताएं पढ़ने का मुझे बचपन से ही शौक रहा है. यह कविता भी मुझे बहुत पसंद है.
बहुत ही अच्छी कविता है ।