उपन्यास के उदय के कारण -> उपन्यास यूरोप की देन है , जो बांग्ला साहित्य में अनुवाद के माध्यम से आया। उपन्यास शब्द बांग्ला साहित्य की देन है।
- मुद्रण व गद्य के विकास ने ही उपन्यास को जन्म दिया।
- उपन्यास को आधुनिक जीवन का ‘ महाकाव्य ‘ कहा जाता है।
- आरंभ में उपन्यास मनोरंजन , आदर्श व शिक्षा देने के उद्देश्य से लिखा जाता था। आज उपन्यास साहित्य यथार्थ के विविध रूपों में लिखा जा रहा है। यह व्यक्ति केंद्रित तो हुआ ही है समाज के उपेक्षित वर्ग को भी अपने कथानकों में समाहित कर चुका है।
- आधुनिक युग की परिस्थितियों ने ही हिंदी उपन्यास को जन्म दिया।
- उपन्यास कि इस वास्तविक जमीन को सर्वप्रथम ‘ प्रेमचंद ‘ ने पहचाना था।
- उपन्यास शब्द ‘ उप ‘ समीप और ‘ न्यास ‘ थाती के योग से बना है। जिसका अर्थ होता है निकट रखी हुई वस्तु।
- अर्थात वह वस्तु या कृति जिसको पढ़कर ऐसा लगे कि यह हमारी ही है ,
- इसमें हमारी ही जीवन का प्रतिबिंब है ,
- इसमें हमारी ही कथा हमारी ही भाषा में कही गई है।
उपन्यास का अर्थ
उपन्यास शब्द के अर्थ में विविधता है , क्योंकि उसके निहित अर्थ में सदैव परिवर्तन होता रहता है। उपन्यास का पाठक समझता है कि उपन्यास वह गद्य रूप है जिसे आधुनिक युग का ‘ महाकाव्य ‘ कहा जाता है। महाकाव्य में प्रबंध ध्वनित होता है जो जीवन के बहुविध विस्तार को समेटने में सक्षम है। यही परिस्थिति उपन्यास की भी रही है पर उपन्यास का अर्थ और स्वरूप परिवर्तित होता रहता है। कथानक उपन्यास का मूल तत्व है , पर कुछ उपन्यास बिना कथानक के भी लिखे गए हैं वह ‘ आपबीती ‘ और ‘ जगबीती ‘ भी है।
किसी भी साहित्य प्रवृत्ति के पीछे उसकी तात्कालिक परिस्थितियां काम करती है , यह सत्य है यह भी सत्य है कि बिना किसी कारण का कोई भी कार्य संभव नहीं होता। उपन्यास उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्य विधा है।
उपन्यास के उदय के पीछे भी समाज और युग की विशिष्ट परिस्थितियों का योग है। उपन्यास पूंजीवादी युग में विकसित होने वाला साहित्य रूप है।
उपन्यास के उदय के कारण
किसी भी साहित्यिक विधा के उदय के मूल कारण और परिस्थितियां मौजूद होती है उपन्यास भी एक साहित्यिक विधा है , उसके उदय के लिए अनेक कारण उपस्थित रहते हैं
वह कारण निम्नलिखित है –
१. सामंतवाद का ह्रास –
सामंतशाही भारतीय समाज की रीढ़ रही है।
इसकी मूल प्रवृत्ति है ‘ अन्याय ‘ और ‘ शोषण ‘ उपन्यास जनसामान्य ग्राहय विद्या है इसलिए महाकाव्य के पतन के साथ उपन्यास विधा का उद्भव संभव हो सका।
२. पूंजीवादी सभ्यता –
पूंजीवादी सभ्यता अंग्रेजों की देन है। सामंतवाद के ह्रास के साथ पूंजीवाद विकसित हुआ और महाकाव्य के पतन के साथ उपन्यास का उदय।
महाकाव्य प्राचीन साहित्य के रूप में है , जबकि उपन्यास आधुनिक साहित्य रूप में।
३. आधुनिक मध्यम वर्ग का उदय –
सामंतवाद के ह्रास के साथ पूंजीवादी व आधुनिक मध्यवर्ग का उदय हुआ।
यह मध्य वर्ग शिक्षित और बौद्धिक था।
‘ हिगले ‘ने कहा था – ‘ उपन्यास मध्यमवर्ग का महाकाव्य है ‘
वास्तव में उपन्यास आधुनिक युग का और मध्यमवर्ग का महाकाव्य है।
उपन्यास मध्यमवर्ग की दास्तान है , हिंदी का उपन्यास साहित्य भी मध्यवर्ग को समर्पित है। मुद्रण कला का विकास और पत्र-पत्रिकाएं उपन्यास के उदय के कारणों में एक मुख्य कारण है।
मुद्रण कला और पत्र – पत्रिकाओं का प्रकाशित होना।
गद्य के विकास में उपन्यास का महत्व –
गद्द के विकास में प्रेस की स्थापना और मुद्रण कला के विकास का महत्वपूर्ण योगदान है। गद्य के आगमन से पद्य का ह्रास हुआ , और गद्य के अनेक रूप सामने आए।
वस्तुतः गद्य के विकास में हिंदी उपन्यास का महत्व सर्वोपरि है।
नए पाठकों का उदय –
उपन्यास गद्यात्मक विद्या होने के कारण सर्वजन ग्राह्य रही है , इसलिए उपन्यास को उसके जन्म से ही काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई और विशाल पाठक वर्ग मिला। उपन्यास का पाठक मध्यवर्ग का होता है , अक्सर देखा गया है कि नैतिक , धार्मिक व सामाजिक दृष्टि से जिसे प्रतिबंधित करार दिया जाता है
वह विवादास्पद होकर भी सर्वाधिक लोकप्रिय हो जाता है।
किसान चेतना और स्त्री चेतना –
उपन्यास में किसान चेतना की अभिव्यक्ति एक प्रमुख घटना है , इस दृष्टि से उपन्यास किसान जीवन की महागाथा है। होरी के संदर्भ में ‘ गोदान ‘ किसान जीवन का महाकाव्य है।
‘ स्त्री चेतना ‘ का उभार इन उपन्यास में देखने को मिलता है।
गोदान में ‘ धनिया ‘ उत्पीड़न न सहने वाली स्त्री का प्रतीक है।
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