नमस्कार मित्रों, आज हम अमृत वचन का संग्रह लिखने जा रहे हैं जिसमें महान लोगों के सुविचार एवं अनमोल वचन आपको प्राप्त होंगे. यह सभी अमृत वचन संघ के लिए खासकर बनाए गए हैं.
महान व्यक्तियों में शामिल है स्वामी विवेकानंद जी, परम पूज्य गुरु जी और परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी. भविष्य में यहां पर और भी महान व्यक्तियों के सुविचार जोड़ने का प्रयास है. आशा है आपको हमारी यह कोशिश बहुत पसंद आएगी.
अमृत वचन
=> १ स्वामी विवेकानद ने कहा ( अमृत वचन ) –
” लुढ़कते पत्थर में काई नहीं लगती ” वास्तव में वे धन्य है जो शुरू से ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित का लेते है। जीवन की संध्या होते – होते उन्हें बड़ा संतोष मिलता है कि उन्होंने निरूद्देश्य जीवन नहीं जिया तथा लक्ष्य खोजने में अपना समय नहीं गवाया। जीवन उस तीर की तरह होना चाहिए जो लक्ष्य पर सीधा लगता है और निशाना व्यर्थ नहीं जाता।
=>२ ( अमृत वचन )
महान संघ याने हिन्दुओं की संगठित शक्ति। हिन्दुओं की संगठित शक्ति इसलिए कि इस देश का भाग्य निर्माता है। वे इसके स्वभाविक स्वामी है। उनका ही यह देश है और उन पर ही देश का उत्थान और पतन निर्भर है।
=> ३ महर्षि अरविन्द ने कहा ( अमृत वचन ) –
“जब दरिद्र तुम्हारे साथ हो , तो उनकी सहायता करो। लेकिन अध्ययन करो। और यह प्रयास भी करो कि तुम्हारी सहायता पाने के लिए दरिद्र लोग न बचे रहे।
=> ४ स्वामी विवेकानंद ने कहा ( अमृत वचन ) –
” जिस उद्देश्य एवं लक्ष्य कार्य में परिणत हो जाओ उसी के लिए प्रयत्न करो। मेरे साहसी महान बच्चों काम में जी जान से लग जाओ अथवा अन्य तुच्छ विषयों के लिए पीछे मत देखो स्वार्थ को बिल्कुल त्याग दो और कार्य करो।”
=> ५ परम पूज्य श्री गुरूजी ने कहा –
” छोटी-छोटी बातों को नित्य ध्यान रखें बूंद – बूंद मिलकर ही बड़ा जलाशय बनता है।
एक – एक त्रुटि मिलकर ही बड़ी बड़ी गलतियां होती है। इसलिए शाखाओं में जो शिक्षा मिलती है उसके किसी भी अंश को नगण्य अथवा कम महत्व का नहीं मानना चाहिए।”
=> ६ परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी ने कहा ( अमृत वचन ) –
” अपने हिंदू समाज को बलशाली और संगठित करने के लिए ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जन्म लिया है। ”
=> ७ स्वामी विवेकानंद ने कहा –
” आगामी वर्षों के लिए हमारा एक ही देवता होगा और वह है अपनी ‘मातृभूमि’ | भारत दूसरे देवताओं को अपने मन में लुप्त हो जाने दो हमारा मातृ रूप केवल यही एक देवता है जो जाग रहा है। इसके हर जगह हाथ है , हर जगह पैर है , हर जगह काम है , हर विराट की पूजा ही हमारी मुख्य पूजा है। सबसे पहले जिस देवता की पूजा करेंगे वह है हमारा देशवासी। ”
=> ८ श्री गुरूजी ने कहा ( अमृत वचन ) –
” संपूर्ण राष्ट्र के प्रति आत्मीयता का भाव केवल शब्दों में रहने से क्या काम नहीं चलेगा।
आत्मीयता को प्रत्यक्ष अनुभूति होना आवश्यक है समाज के सुख-दुख यदि हमें छु पाते हैं तो यही मानना चाहिए कि यह अनुभूति का कोई अंश हमें भी प्राप्त हुआ है। ”
=>९ परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी ने कहा ( अमृत वचन ) –
” हिंदू जाति का सुख ही मेरा और मेरे कुटुंब का सुख है। हिंदू जाति पर आने वाली विपत्ति हम सभी के लिए महासंकट है और हिंदू जाति का अपमान हम सभी का अपमान है। ऐसी आत्मीयता की वृत्ति हिंदू समाज के रोम – रोम में व्याप्त होनी चाहिए यही राष्ट्र धर्म का मूल मंत्र है। ”
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स्वामी विवेकानंद जी के सुविचार
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अति उत्तम वचन। मै भी संघ का एक घटक हूं।
बहुत ही सुंदर विचार हैं। ये सभी अमृत वचनो को पढ़ कर अच्छा लगा। ह्रदय से धन्यवाद
Yes true. These quotes are Treasure of life. Really helpful article
शानदार भाई साहब
Sandar bhai
बहुत बहुत धन्यवाद भाईसाब
बहुत सुंदर अमृत वचन
रोज पढणे के पवित्र उपयुक्त हैं
बहुत ही सुन्दर एवम् प्रेरक Amrit vachan है ं
mai bhi ek swayamsevak hu
अमृत बचन बहुत सुन्दर एवं प्रेरणा के स्रोत हैं! जो व्यक्ति एवं समाज के लिए ऊर्जा एवं दिशा प्रदान करते हैं l माँ भारती की कृपा सदैव बनी रहे l
हमें अपने सपने को पूरा करने का हर प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन में हम अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा बन सके. और एक अच्छे समाज का निर्माण हो. आपने अमृत वचन बहुत अच्छे लिखे हैं. कृपया प्रयास करें कि अन्य अमृत वचन भी जरूर जोड़े जाए
अमृत बचन बहुत सुन्दर एवं प्रेरणा के स्रोत हैं! जो व्यक्ति एवं समाज के लिए ऊर्जा एवं दिशा प्रदान करते हैं l
हमारे महापुरुषो के अमृत वचन हमे जीने की राह सिखाते है, और हमे सशक्त बनते हैं।
धन्यवाद भाईसाब
बहुत सुंदर अमृत वचन अपलोड किया है आपने। मुझे ऐसे अमृत वचन की तलाश थी जो अर्थपूर्ण हो और महान व्यक्तियों द्वारा कहे गए हो. आपने अच्छा काम किया है कि एक ही जगह पर सभी अमृत वचन को लिखा है.