मोर सिंहासन तख्त – ए – ताऊस – दीवान – ए – खास
लाल किले में प्रसिद्ध दीवान – ए – खास में राजसी दरबार था जहां बादशाह शाहजहां खास दरबारियों और मेहमानों से मिलते थे।
बड़े आयताकार हाल के तीन तरफ प्रभावशाली खुली हुई मेहराब हैं। चौथी तरफ दीवार और खिड़कियों के बीच जाली बनी हुई है। इसके बीच में स्तंभों पर मेहराबों से बना एक कक्ष है , स्तंभों के निचले हिस्से मैं रंगीन पत्थरों से फूल खोदे हुए हैं। जबकि ऊपरी भाग में रंग किया हुआ है।दीवान – ए – खास के चारों कोनों में चार स्तंभ छतरी नुमा बने हुए हैं।
क्यों 27 हिन्दू मदिर को तोड़कर क़ुतुब मीनार बनाया गया
फ़िरोज़शाह कोटला मध्य युगीन पांचवा शहर
यह हाल खूबसूरत मोर सिंहासन तख्त – ए – ताऊस के लिए विख्यात है। जो कि इसके बीच में संगमरमर के मंच पर रखा हुआ था। यह सिंहासन सोने का बना हुआ था। जिसमें मोर पंख बने हुए थे और अनगिनत कीमती पत्थर जुड़े हुए थे। मोर के बीच मैं अगले पन्ने से तराशा हुआ तोता था।
इस सिंहासन को नादिरशाह सन 1739 में इरान ले गया था। इसके बीच में नहर – ए – वसीहत बहती थी। शाहजहां के समय इस इमारत की खूबसूरती देखते ही बनती थी। तभी तो यहां की दीवारों पर खुदवाया गया है कि ” अगर फिरदौस – बर – रूह – ज़मी – अस्तो , हमी अस्तो , हमी अस्तो , हमी अस्त ,” – ( अर्थात धरती पर यदि कहीं स्वर्ग है तो यहीं है , यहीं है। )
अलाई दरवाजा क़ुतुब मीनार से सम्बंधित जानकारी
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