अनुशासन का स्नेह देह की। गीत। हिंदी गीत। आरएसएस। RSS
अनुशासन का स्नेह देह की
होगी अचल अकंम्पित बाती
अर्पण कर देंगे स्वदेश को
हम अपने जीवन की थाती
बलिदानों के इस प्रकार में फिर स्वदेश के भाग्य जागेंगे। ।
अमा निशा का तिमिर चीर कर
उतर रही है किरण धरा पर
वह अपने अतीत वैभव की
अमर – कीर्ति दूतिका मनोहर
जन – जन के मानस में उसके पंकज चरण प्रकाश खिलेंगे। ।
संघर्षो के शिविर पार कर
तैर रक्त के सिंधु निरंतर
महाकाल से भी लेंगे हम
अपने सब अधिकार छीनकर
राष्ट्र – धर्म की इस ध्रुव में हमें धेय्य देवता मिलेंगे। ।
अबलाओं का रुदन श्रवण कर
टूक – टूक होती है छाती
वधिर हो रहे कान देख यह
सहनशीलता है शरमाती
अपने दुर्मद रण प्रयास से अब भूधर के हृदय हिलेंगे। ।
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विद्या ददाति विनयम
कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।
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