History of old cities of Delhi in Hindi.
दिल्ली के प्राचीन नगर Delhi old town / city
भारत की राजधानी दिल्ली भारत के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक नगरों में से एक है। यह यमुना नदी के किनारे स्थित है। दिल्ली की पश्चिम – दक्षिण -पश्चिम सीमा पर राजस्थान का रेगिस्तान है। पूर्व में उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदान और उत्तर में हिमालय श्रृंखला 100 किलोमीटर से अधिक दूरी पर नहीं है। दिल्ली नाम इस नगर के पुराने नामों जैसे – दिली , दिल्ली और ढील्ली से लिया गया है।
इस शहर का इतिहास महाभारत के पौराणिक युद्ध के समय से जाना जाता है। 12 वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी तक दिल्ली के इतिहास में 8 नगरों का उत्थान देखने को मिलता है। आज दिल्ली के 8 प्राचीन मध्यकालीन नगर राजधानी की सीमाओं के भीतर ही सम्मिलित हो गए हैं।
- किला राय पिथौड़ा / RAI PITHODA QUILA
- सिरि / SIRI
- तुगलकाबाद / TUGHLAQUBAD
- जंहापनाहबाद / JAHANPNAHBAD
- फ़िरोज़ाबाद / FIROZABAD
- दीन पनाह / DIN PANAH
- शाहजहानाबाद / SHAJAHANABAD
- नई दिल्ली / NEW DEHII
किला राय पिथौरा / RAI RAYGADH PITHAUDA QUILA
सन 1192 में बनी यह पहली शाही राजधानी थी इसका निर्माण दूर मध्य एशिया के मोहम्मद बिन सेम जोकि मोहम्मद गौरी के नाम से प्रसिद्ध है। उसने तथा उसके गवर्नर कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। सन 1064 में तोमर वंश के हिंदू राजा अनंगपाल ने जहां पर लाल फोर्ट का निर्माण करवाया था। उसी स्थान पर उसकी सीमाओं को बढ़ाकर इस शहर का पुनर्निर्माण कराया गया। कुत्तुव – दीन – ऐबक ने जब इस शहर पर विजय प्राप्त की थी तो उसने यहां के 27 हिंदू और जैन मंदिरों के पत्थर तथा उसके उत्कीर्ण स्तंभों से कुवत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण करवाया।
कुव्वत-उल-इस्लाम का अर्थ है – “इस्लाम की शक्ति” |
उसने सन 1200 में प्रसिद्ध कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था , पर उसके निर्माण कार्य को उसके दामाद और उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने सन 1220 में पूरा कराया। 72.5 मीटर ऊंची एक मीनार को आज 5 मंजिले है। 27 लंबी धारियां लेखों से सुसज्जित है , और इसमें बाहर की तरफ निकलने वाले चार छज्जे हैं। निचली मंजिल लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है तथा उनकी अर्ध गोलाकार तथा कोणीय धारी है। सबसे ऊपर की दो मंजिले लाल पत्थर के साथ मकराने के संगमरमर से निर्मित है।
इस शहर के अन्य भग्नावशेष में लौह स्तंभ और अलाई दरवाजा मुख्य है।
बलुआ पत्थर से बनाया गया। दरवाजा अलाई दरवाजा कुवत – उल – इस्लाम मस्जिद में दक्षिण दिशा से प्रवेश करने के लिए बनवाया गया था।
सिरी / SIRI
अलाउद्दीन खिलजी ने सन 1303 में वर्तमान हौज खास के समीप दूसरे नगर सिरी की नींव रखी थी। यह खलीफा के निवास के नाम से भी प्रसिद्ध है। यद्यपि अलाउद्दीन के समय में यह किला अलाई के नाम से जाना जाता था।
यह गोलाकार शहर बड़ी मजबूती से बनाया गया था , तथा इसके 7 दरवाजे थे।
यह मूलतः मुसलमानों द्वारा बनाया गया पहला नगर था।
अलाउद्दीन खिलजी एक बहुत अच्छा प्रशासक और योजनाकार था।
उसने हौज खास में एक विशाल जलाशय का निर्माण किया जिसे हौज – ए – अलाई के नाम से जाना जाता है। और इसे सिरी के नए नगर की सिंचाई तथा पानी की आवश्यकता की पूर्ति के उद्देश्य से बनाया गया था।
आज इस विशाल नगर के जो भग्नावशेष बचे हैं.
उनमें से केवल कुछ एक पत्थर की दीवारों के हिस्से हैं।
वक्त के साथ आज
श्री इंस्टिट्यूट एरिया ( SIRI INSTITUTE AREA )
श्री एशियाड गांव
तथा श्री फोर्ट ऑडिटोरियम ( SIRI FAURT AUDITORIYAM ) के रूप में इसका नाम पुनः उभर कर आया है।
यह भवन दिल्ली के बदलते चेहरे को दर्शाता है।
तुगलकाबाद / TUGHLAQUBAD
ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1321 में दिल्ली के तीसरे नगर का निर्माण किया जिसे तुगलकाबाद के नाम से जाना जाता है। कुतुब परिसर के दक्षिण में लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर दिल्ली के तीसरे मध्यकालीन नगर का निर्माण हुआ था।
यह किला अपनी योजना में लगभग अष्टभुजा है तथा इसकी भारी दीवारें 10 से 15 मीटर ऊंची है , जिसमें 13 दरवाजे तथा बुर्ज है। इसके दक्षिण दरवाजे के सम्मुख लाल पत्थर से निर्मित स्वयं गयासुद्दीन का मकबरा है। स्वयं बनाए गए इस मकबरे की दीवारों पर संगमरमर का सीमित प्रयोग किलेनुमा भवन को भव्य बनाता है। वृत्ताकार बलुआ पत्थर की चोटी पर सफेद संगमरमर का गुबंद इस मकबरे का गौरव चिह्न है।
इसने आने वाले वर्षों में मकबरों के निर्माण को काफी प्रभावित किया
जैसे कि – ताजमहल , हुमायूं का मकबरा आदि।
जंहापनाहबाद / JAHANPNAHBAD
ग्यासुद्दीन के उत्तराधिकारी मोहम्मद बिन तुगलक ने ” जहांपनाहबाद “ नामक चौथे नगर का निर्माण करवाया जो मोटे तौर पर किला राय पिथौरा और सिरी के प्राचीन नगरों के बीच दीवारों के घेरे के रूप में था। इसका वर्णन अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता ने किया है। सन 1327 में मोहम्मद बिन तुगलक अपनी सारी प्रजा समेत राजधानी को दिल्ली से दक्कन में दोलताबाद ले गया। पर जब वह वापस आया तो उसने दिल्ली में आदिलाबाद शहर के नाम से एक और नया शहर बसाया।
ऐसा विश्वास है कि यही उसने कश – ए – हज़ार – सतून अर्थात हजार स्तंभों वाला अपना महल भी बनवाया।
साथ ही यहां उसने सात दरवाजों वाला सतपुरा पुल भी बनवाया उसके जलाशय का विपुल पानी जहांपनाह नगर के काम आता था। मोहम्मद बिन तुगलक की एक अन्य आकर्षक इमारत विजय मंडल मीनार है जिसका उपयोग वह अपनी सेना का जायजा लेने के लिए किया करता था।
आज भी यह उस युग के साक्षी के रूप में खड़े हैं।
फिरोजाबाद / FIROZABAD
तुगलक वंश के तीसरे बादशाह फिरोजशाह तुगलक ने अपनी नई राजधानी सन 1354 में यमुना नदी के दाएं किनारे पर बनाई इसे फिरोजाबाद कहा जाता था। तथा यह दिल्ली का पांचवा नगर था यह एक घनी बसी राजधानी थी तथा यह दक्षिण में हौजखास से लेकर उत्तर की पर्वत श्रेणी और पूर्व में यमुना के किनारे तक फैली हुई थी।
कुशक – ए – फिरोज या फिरोजशाह का महल राजधानी की मुख्य इमारत थी।
इसे अब फिरोजशाह कोटला के नाम से जाना जाता है।
फिरोजशाह कोटला के नाम से इस नगर के किनारे वर्तमान में फिरोजशाह कोटला क्रिकेट स्टेडियम / FIROZSHAH KOTLA CRICKET STADIYAM भी है , जो दिल्ली का मुख्य स्टेडियम है।
यहाँ हर प्रकार के क्रिकेट खेले जाते है।
फिरोजशाह अंबाला के निकट टोपरा तथा मेरठ के निकट से दो होते हुए सम्राट अशोक के समय के स्तंभ दिल्ली लाया और उन्हें दिल्ली में ही स्थापित किया। एक स्तंभ को उसने फिरोजशाह कोटला में तथा दूसरे को पर्वत श्रेणी बाड़ा हिंदू राव के समीप स्थापित करवाया था।
उसने कुतुबमीनार की मरम्मत करवाई तथा नहरें और सड़के बनवाई।
तुगलक का शासन समय 1414 में समाप्त हुआ और उसके बाद उनका स्थान सय्यद ने लिया और तत्पश्चात लोदी वंश ने शासन किया। सैयद और लोदी वंश के शासन काल के अंतर्गत निर्माण विधियां कम हुई। सन 1526 में मुग़ल बादशाहों ने बाबर प्रथम ने उत्तर भारत के क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी आगरा में बनाई।
दीन पनाह /DEEN PANAH
बाबर के पुत्र और उत्तराधिकारी द्वितीय मुगल सम्राट हुमायूं ने दिल्ली की छठी राजधानी नगरी दीनपनाह के नाम से यमुना नदी के दाएं किनारे पर बसा है। उस नगर में एक पुराना किला / PURANA QUILA था जहां राजसी परिवार रहता था , और नगर की जनता का रिहायशी क्षेत्र और नगर भी था। यह नगर दुर्ग अष्टकोणीय है तथा कोणों पर विशाल बुर्ज है।
इसमें प्रवेश इसके पश्चिमी दरवाजे बड़ा दरवाजा से किया जाता है।
सन 1540 में शेरशाह सूरी ने हुमायूं को युद्ध में पराजित किया तथा उसे भारत से भागने पर मजबूर किया था। आज भी शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित किला – ए – कुन्हा मस्जिद और एक अष्टभुजाकार शेरमंडल इस पुराने किले किस क्षेत्र में मौजूद है। 15 वर्षों के पश्चात शेरशाह सूरी की मृत्यु के बाद हुमायूं ने पानीपत में ‘ सुरियों ‘ को हराकर इस शहर पर पुनः कब्जा कर लिया। लेकिन 1557 में शेर मंडल की सीढ़ियों से फिसल कर उसकी मृत्यु हो गई। सन 1565 में उसकी पत्नी हमीदा बानू ने उस के मकबरे को बनवाना शुरू किया था। इस मकबरे को बनाने में लगभग 9 वर्ष लगे तथा यह भारत में इस्लामी वास्तुकला के विकास का एक जगमगाता प्रतीक चिन्ह है।
शाहजहानाबाद / SHAHJHANABAD
अकबर के पुत्र शाहजहां ने जब आगरा को भी बहुत भीड़ भाड़ वाला पाया तो यमुना के दाएं किनारे पर एक स्थान चुना और सातवीं दिल्ली का निर्माण किया जिसका नाम शाहजहानाबाद था। आज इसे पुरानी दिल्ली कहा जाता है। लाल किले का निर्माण 16 अप्रैल 1639 में शुरू हुआ था तथा नौ वर्षों में बनकर तैयार हुआ। योजना में यह लगभग और सामान अष्टभुजाकार है। ऊंची प्राचीरों वाली दीवारें चारों तरफ से होती हुई नदी के सम्मुख उत्तरी एवं दक्षिणी चोरों पर तीन मंजिली मीनार के रूप में खत्म होती है।
इसके वैसे तो 12 दरवाजे हैं पर प्रमुख है लाहोरी दरवाजा तथा दिल्ली दरवाजा।
किले के अंदर दीवान – ए – आम , दीवान – ए – खास जैसी इमारतें हैं।
जहां मुगल राज्य से परिवार शासन किया करता था।
लाल किले के बाहर जामा मस्जिद और अंदर में मोती मस्जिद दिल्ली के सातवें नगर की भारत इस्लामी वास्तुकला के कुछ श्रेष्ठ उदाहरण है।
शाहजहानाबाद सन 1857 तक मुगलों की राजधानी के रूप में रहा।
नई दिल्ली / NEW DELHI
राजधानी नई दिल्ली ब्रिटिश काल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दिल्ली के इस आठवें नगर के डिजाइन तथा प्रदर्शित रूप तैयार करने का काम दो वास्तुकारों सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर को सौंपा गया।
सन 1911 में दिल्ली ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी बनी तथा सन 1916 में आधिकारिक तौर पर इसे नई दिल्ली नाम मिला। जनवरी 1931 में इसे औपचारिक रूप से अधिकार के लिए उद्घाटित किया गया।
इस समय की अन्य महत्वपूर्ण इमारतें हैं –
पार्लियामेंट हाउस , सेक्रेटेरियट हाउस , ब्लॉग्स , गोलाकार खरीदारी केंद्र कनॉट प्लेस और अन्य कई बहुत से गुरुद्वारे , मंदिर , मस्जिद , गिरजाघर और आधुनिक इमारतें हैं।
जो आज भी इस महान नगर की जीवित शक्ति के प्रति सबूत के रूप में खड़ी है।
दिल्ली की सैर शुरू करने का सर्वाधिक योग्य स्थल ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल अर्थात इंडिया गेट , राजपथ के पूर्वी किनारे पर स्थित है। सर एडविन लुटियंस द्वारा प्रतिपादित किए गए इस पत्थर से निर्मित विशाल मेहराबदार स्मारक का निर्माण उन 70000 शहीदों की याद में बनाया गया था। जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में अपने प्राणों का बलिदान दिया था। 340 कमरों तथा हरे भरे मैदान वाला राष्ट्रपति भवन किसी भी शासनाध्यक्ष के निवास के सर्वथा उपयुक्त है यह भारत के महामहिम राष्ट्रपति का सरकारी निवास होता है।
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