यहां आप उपमा अलंकार के भेद , उदाहरण तथा पहचान करने की विधि को जान पाएंगे। इस लेख के अध्ययन उपरांत आप उपमा अलंकार के विषय में गहनता से समझ विकसित कर पाएंगे।
उपमा अलंकार के अतिरिक्त अन्य अलंकारों के विषय में भी संक्षिप्त परिचय प्राप्त करेंगे।
यह लेख परीक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया है। विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को पहचान करते हुए यहां सरल बनाने का प्रयत्न किया गया है।
उपमा अलंकार – Upma alankar
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है। वहाँ उपमा अलंकार माना जाता है | उसके कुछ उद्धरण नीचे दिए गए हैं –
जैसे –
= “चाँद सा मुख ”
पीपर पात सरिस मन डोला
उपमान वाचक शब्द उपमेय साधारण धर्म ‘
उपमा अलंकार के भेद Upma alankar ke bhed
उपमा अलंकार के तीन भेद हैं – १ पूर्णोपमा २ लुप्तोपमा ३ मालोपमा
- पूर्णोपमा – जिस वाक्य में उपमा के चारों अंग अर्थात – उपमेय , उपमान ,समान धर्म तथा वाचक शब्द उपस्थित रहते हैं , वह पूर्णोपमा अलंकार कहलाते हैं।
नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा।
इस काव्य पंक्ति में उपमा के चारों अंग – उपमेय हृदय , उपमान नील गगन , समान धर्म शांत और वाचक शब्द सा विद्यमान है। अतः यह पूर्णोपमा अलंकार है।
- लुप्तोपमा – जिस पंक्ति में उपमा अलंकार के चारों अंग में से एक या अधिक अंग लुप्त हो वहां लुप्तोपमा अलंकार माना जाता है।
कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा
इस काव्य पंक्ति में उपमा के तीन अंग – उपमेय वचन , उपमान कुलिस और वाचक शब्द सम विद्यमान है। किंतु समान धर्म का लोप है। अतः यह लुप्तोपमा का उदाहरण है।
- मालोपमा – जिस पंक्ति में एक से अधिक उपमेय तथा उपमान उपस्थित हो। जिससे ऐसा प्रतीत हो कि काव्य में उनकी माला बन गई हो। वहां मालोपमा अलंकार माना जाता है।
हिरनी से मीन से , सुखखंजन समान चारु
अमल कमल से , विलोचन तिहारे हैं।
नेत्र उपमेय के लिए उपमान प्रस्तुत किए गए हैं। अतः यह मालोपमा अलंकार है।
उपमा अलंकार के अंग Upma alankar ke ang
१ उपमेय अलंकार, ( प्रत्यक्ष /प्रस्तुत )
वस्तु या प्राणी जिसकी उपमा दी जा सके अथवा काव्य में जिसका वर्णन अपेक्षित हो उपमेय कहलाती है। मुख ,मन ,कमल ,आदि
२ उपमान ,( अप्रत्यक्ष / अप्रस्तुत )
वह प्रसिद्ध बिन्दु या प्राणी जिसके साथ उपमेय की तुलना की जाये उपमान कहलाता है –
छान ,पीपर ,पात आदि
३ साधारण कर्म
उपमान तथा उपमेय में पाया जाने वाला परस्पर ” समान गुण ” साधारण धर्म कहलाता है जैसे –
चाँद सा सुन्दर मुख
४ सादृश्य वाचक शब्द
जिस शब्द विशेष से समानता या उपमा का बोध होता है उसे वाचक शब्द कहलाते है।
उपमा अलंकार के उदाहरण
जैसे –
सम , सी , सा , सरिस , आदि शब्द वाचक शब्द कहलाते है।
उदहारण | पहचान |
हाय फूल सी कोमल बच्ची , हुई राख की ढेरी थी। | बच्ची की कोमलता फूल के समान बताया है |
यह देखिये , अरविन्द – शिशु वृन्द कैसे सो रहे। | शिशु को फूल के समान माना गया है। |
मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाला – सा हुआ बोधित। | मुख के लाली को सूर्य के समाना बताया है |
नदियां जिनकी यशधारा सी बहती है अब निशि -वासर | नदी के धारा को यश बहाने वाला बताया है |
पीपर पात सरिस मन डोला | पीपल के पत्तों के समान मन के डोलने का वर्णन |
उतर रही है संध्या सुंदरी परी सी | संध्या को परी के रूप में चित्रित किया है |
उपमा अलंकार के उदाहरण – Upma alankar ke udahran –
उदहारण | पहचान संकेत |
मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला | टीले की तुलना हाथी से की गई है। |
तब बहता समय शिला सा जम जायेगा | समय को पत्थर सा जमने के लिए कहा गया है |
सहसबाहु सम रिपु मोरा। | शत्रु को सहत्रबाहु के सामान माना है |
चाँद की सी उजली जाली | चांद के समान ऊजली बताया गया है |
वह दीपशिखा सी शांत भाव में लीन | दीप से उठने वाली ज्वाला के समान शांत बताया है |
कमल सा कोमल गात सुहाना | गाल के कोमलता की तुलना कमल पुष्प से की है |
कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा। | |
एही सम विजय उपजा न दूजा | |
दिवस का समय ,मेघ आसमान से उतर रही है ,
वह संध्या सुंदरी सी ,धीरे धीरे। |
संध्या के समय के दृश्य को परी के समान कहा है |
सिंधु सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह | निर्वाचित होने के उत्साह को सिंधु नदी के समान विस्तृत बताया है |
असंख्य कीर्ति रश्मियों विकीर्ण दिव्य दाह सी। | |
निर्मल तेरा अमृत के सम उत्तम है | |
मृदुल वैभव की रखवाली सी |
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चंवर सदृश दोल रहे सरसों के सर अनंत | सरसों के पौधे चंवर की भांति डोल रहे हैं |
पट पिट मानहुँ तड़ित रूचि सूचि नौमी जनक सुतांवर | |
नभ मंडल छाया मरुस्थल सा दल बाँध के अंधड़ आवे चला। | |
अति मलिन वृषभानुकुमारी ,अधोमुख रहति ,उरध नहीं चितवत , ज्यों गथ हारे थकित जुआरी ,छूटे चिहुर बदन कुम्हिलानो , ज्यों नलिनी हिमकर की मारी | |
कुन्द इन्दु सन देह , उमा रमन वरुण अमन | चंद्रमा के समान दमकता देह बताया गया है। |
माँ सरीखी अभी जैसे मंदिरों में चढ़कर खुशरंग फूल | |
नीलोत्पल के बीच सजाये मोती से आंसूं के बून्द | कमल पुष्प के बीच ओस की बूंदे आंसू के समान प्रतीत हो रही है। |
वेदना बोझिल सी | वेदना को बोझिल के समान माना है। |
हो भरष्ट शील के से शतदल | |
हरिपद कोमल कमल से | ईश्वर के चरण कोमल कमल पुष्प जैसे बताया है |
स्वान रूप संसार हे | |
लघु तरनि हंसिनी सी सुन्दर | नदी के तट को हंस के समान माना है |
उपमा अलंकार के अन्य उद्धरण भी पढ़ें –
उदहारण | पहचान संकेत |
भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित छण | |
मुख बाल रवि सम होकर ज्वाला सा बोधित हुआ | बालक का मुख सूर्य के समान लाल बौद्धित हो रहा है |
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निष्कर्ष –
उपरोक्त अध्ययन के उपरांत यह ज्ञात होता है कि मोटे तौर पर उपमा अलंकार के अंतर्गत तुलना की जाती है। किसी भी प्रसिद्ध या प्रधान वस्तु से जब तुलना की जाती है वहां उपमा अलंकार होता है। ऊपर अनेकों उदाहरण से स्पष्ट हुआ है। सा , सी , जैसा जिस वाक्य में प्रयोग होता है वहां उपमा अलंकार का आभास होता है।
जैसे – उसका चांद से मुख है।
वाक्य में चांद के समान मुख को माना गया है जबकि वास्तविक रूप से चांद और मुख का कोई संबंध नहीं है। किंतु उसके समान शीतल और चमक होने के कारण मुख की तुलना चांद से की है अतः यहां उपमा अलंकार होता है।
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हाय फूल सी कोमल बच्ची में उपमेय और उपमान कौन है
उपमा अलंकार होगा
उपमा अलंकार के भेद सादृश्य वाचक उपमा अलंकार के अंतर्गत आता है
हाय फूल सी कोमल बच्ची हुई राख की ढेरी थी
पूरा अलंकार पढ़ने के लिए हिंदी विभाग पर अलंकार भेद प्रकार परिभाषा उदाहरण सहित नाम से एक पोस्ट प्रकाशित है उसे देख सकते हैं
Bacchi – upmey &
Fool – upman hoga
दूर्यधनः ऊरगः इव नतानन व्यथते।
इसमें कौन सा अलंकार है कृपा करके जरूर बताएं
Upmay;-pul
Upman:-bacchi