प्रस्तुत लेख में हम परी की कहानी का एक संकलन तैयार कर रहे हैं जो विशेष रूप से छोटे बच्चों को पढ़ने में रुचि कर और आकर्षक लगेगा। वह दादी-नानी की कहानियां को इन कहानियों के माध्यम से पुनः सुन सकेंगे अथवा पढ़ सकेंगे।
यह कहानियां बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। इतना ही नहीं इन कहानियों के माध्यम से बालक में नैतिक और चारित्रिक विकास भी संभव है।
1. रंग-बिरंगे फलों का पेड़ ( परी की कहानी )
स्वर्ण पूर्व नगरी में एक नन्ही परी जिसका नाम सोनम था अपनी मां के साथ रहती थी। वह देखने में बहुत ही सुंदर लगती थी अन्य परिया उसकी सुंदरता से ईर्ष्या करती थी। सोनम ने अपने जादू से एक पेड़ लगाया जिसपर रंग-बिरंगे ,मीठे मीठे फल हमेशा लगे रहते थे। वह रोज शाम को उस पेड़ पर सवार होकर घूमने जाया करती थी। वह पेड़ हवा में उड़ सकता था।
नन्ही परी उसे ऐसी जगह उतारती जहां गरीब और भूखे लोग होते थे। नन्ही परी उन लोगों को जाकर बताती थी उस पेड़ पर खूब सारे फल लगे हैं उसे खाकर अपना पेट भर सकते हो। वह लोग वहां जाकर फल तोड़कर खाते और अपनी भूख मिटा लेते। जब सभी लोग वहां से चले जाते नन्ही परी फिर अपने जादू से उस पेड़ को उड़ा कर अपने घर आ जाती।
अगले दिन फिर उस पेड़ पर ढेर सारे फल लग जाते थे।
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2. नन्ही परी की कहानी
परियों के देश में एक मोटी परी रहा करती,जिसका नाम चित्रा था। वह मां-बाप की इकलौती बेटी थी जो-जो खाने का मन करती उसकी मां जादू से उन पकवानों को ले आती। इस लाड प्यार के कारण चित्र मोटी हो गई थी। उसकी सहेलियां और आस-पड़ोस की परियां भी उसका उपहास करती और मोटी-मोटी कह कर दिन रात चिड़िया करती थी। सभी सहेलियां संध्या के समय वन विहार के लिए उपवन में जाया करती थी।
उस उपवन में मीठे शरबत का झरना बहा करता,पेड़ पर रंग-बिरंगे पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता। सभी सहेलियां आपस में खेलकूद कर रही थी। चित्रा अकेली उदास बैठी थी कोई भी सहेली उसके साथ खेलना पसंद नहीं करती थी। चित्रा को यूं उदास बैठा देख परियों की राजमाता वहां आती है और चित्र के उदासी का कारण पूछती है। चित्रा को वह खूब सारी टॉफियां देकर चली जाती है।
उस टॉफी को चित्र रोज सुबह-शाम खाने लगी। देखते देखते वह पतली दुबली और सुंदर सफेद चमचमाती हुई परी के रूप में बदल गई। अब उसकी खूबसूरती के चर्चे होने लगे। उसकी सहेलियां जो उससे जलती थी वह उससे दोस्ती करना चाहती,उसके साथ खेलना चाहती थी।
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3. परी को भाया दोस्तों का प्यार
कार्नेलिया परी लोक की राजकुमारी थी। वह एक दिन रात्रि के समय पृथ्वी पर घूमने के लिए आती है। एक घर से खूब हंसने की आवाज आती है। कार्नेलिया जाकर देखती है तो पता चलता है बच्चे आपस में खेल रहे हैं। अपना रूप बदल कर उन बच्चों से दोस्ती कर ली। खेलते खेलते काफी देर हो गया। कार्नेलिया को अब यहां मन लग गया था। वह अपने परी लोक नहीं जाना चाहती थी। उसने बहाना बनाकर अपने दोस्तों के साथ रुकने का मन बना लिया। वह अब पृथ्वी पर ही रहने लगी।
अपने दोस्तों के साथ खेलती,खाना खाती और जरूरत पड़ने पर अपने जादू का इस्तेमाल कर उनके सभी होमवर्क जैसे काम को भी कर दिया करती थी। कार्नेलिया को ढूंढते हुए उसके माता-पिता आए। उन्होंने पाया कार्नेलिया पृथ्वी पर बच्चों के साथ खेल रही है। काफी समझाया तो वह परी लोग जाने को तैयार हो गई,किंतु इस शर्त पर कि
वह रोज रात को अपने मित्रों के साथ खेलने के लिए पृथ्वी पर आएगी।
4. परियों का सुंदर देश
गोलू अपनी मां से डांट खाकर चुपचाप और गुमसुम था। वह काफी रात तक जगा हुआ था क्योंकि उसने आज गुस्से में खाना नहीं खाया था। तभी एक परी आती है और उसे अपने परियों के देश ले जाती है। गोलू खूब भूखा था उसने वहां बहते हुए मीठे शरबत की नदी देखी उसने झटपट खूब सारा शरबत पिया। नदी के किनारे सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे वृक्ष लगे हुए थे,उन पर मीठे-मीठे स्वादिष्ट फल लगे थे।
यह फल आज से पहले उसने कहीं नहीं देखा था। उन्हें तोड़कर भरपेट खाता है। गोलू का पेट स्वादिष्ट फल और शरबत से भर जाता है। पेड़ गोलू से कहता है – पेट भर गया या और खाना है ? गोलू चौंक जाता है अरे परियों के देश में तो पेड़ आपस में बात भी करते हैं। वह अब और घूमना चाहता था लेकिन पेट भरने के कारण वह चल नहीं पा रहा था। परी ने उसे एक खूबसूरत मोर पर बिठाया और पूरे परी देश का भ्रमण कराया। वह भ्रमण करते करते न जाने कब सोया की सवेरे मां की आवाज आई – ‘उठो गोलू बेटा स्कूल नहीं जाना है क्या?’
गोलू आंख मलता हुआ बाहर आया,वह कल के गुस्से को भूल गया था।
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समापन
यह सभी कहानियां बाल मनोविज्ञान पर आधारित होती हैं। यह एक कल्पना की दुनिया में ले जाती है। जहां परीयाँ अपने व्यवहार के कारण एक विशेष होने का आभास कराती है। यह कहानियां बच्चों के मन पर प्रभाव डालने का कार्य करती है। बच्चे सकारात्मक रूप से इन कहानियों को ग्रहण करते हैं।
उन परियों के साथ अपना संबंध जोड़कर एक आदर्श बालक बनाने के लिए प्रेरित होते हैं। यह कहानियां बालकों के मन मस्तिष्क को सोचने-विचारने और कल्पनाशील होने में मदद करते हैं। आशा है यह कहानियां आपको पसंद आई हो,आपके बच्चों को भी पसंद आया हो। अपने सुझाव और विचार व्यक्त करने के लिए कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।