15 august speech in hindi – Independence Day speech

स्वतंत्रता दिवस पर लिखा गया यह भाषण विद्यालय , विश्वविद्यालय , या सामाजिक समारोह जैसे स्थलों पर बोला जा सकता है। पूरे भाषण का प्रारूप तो यथावत रहेगा , किंतु स्थान के आधार पर अतिथि या श्रोता को संबोधित आप स्वयं के अनुसार कर सकते हैं। जैसे विद्यालय में प्रधानाचार्य और अतिथि गण , शिक्षक तथा विद्यार्थियों को संबोधित किया जाता है। वैसे ही सामाजिक स्थल पर आयोजक मुख्य अतिथि तथा श्रोता गण को किया जाएगा

यह लेख पंद्रह अगस्त पर किस प्रकार से भाषण दें , उसके प्रारूप को व्यक्त करता है। इससे प्रेरणा लेकर आप स्वयं अपने शब्दों में भी 15 अगस्त के भाषण की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।

Independence Day speech in Hindi

श्रद्धेय प्रधानाचार्य जी , आगंतुक गण , गुरु जन तथा मेरे छोटे-बड़े भाइयों। स्वतंत्रता दिवस की इस पावन बेला में आप सभी का हार्दिक अभिनंदन एवं स्वागत है। आज हम लोग स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए हैं।

सभी का उत्साह और मुख पर हर्ष की आभा देखकर मेरा मन भी प्रसन्न चित्त है। विशेषकर विद्यालय में इस समारोह के लिए काफी पूर्व तैयारियां आरंभ हो जाती है।  विद्यार्थियों में इस कार्यक्रम की तैयारी और प्रतिभागी बनने की उत्सुकता चरम पर होती है। विद्यार्थी होने के नाते मेरी भी तैयारियां लगभग एक माह पूर्व आरंभ हो गई थी। विद्यार्थियों में ऐसी प्रसन्नता आखिर क्यों ना हो ? क्योंकि उनका बचपन किसी गुलामी का मोहताज नहीं है। वह एक ऐसी आजादी को महसूस कर सकते हैं , जिस पर किसी का जोर नहीं चलता।

स्वतंत्रता दो शब्दों के मेल से बना है स्व (अपना ) + तंत्र (शाशन )

अर्थात वह तंत्र जो अपना हो , वह शासन व्यवस्था जो स्वयं के लिए हो और स्वयं की हो।

भारत सदैव से सोने की चिड़िया मानी जाती है।

सोने की चिड़िया से आशय यह है कि , भारत सदैव संपन्न रहा है। उसे किसी प्रकार की धन-संपदा की बाहर से आवश्यकता नहीं पड़ती। भारत की भूमि सदैव हरी-भरी , शस्य श्यामल रही है। भारत विश्व गुरु के नाम से विख्यात था। दूर-सुदूर देश से विद्यार्थी भारत आकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। यहां के खनिज , मसाले , ऊन , सिल्क जैसे दुर्लभ वस्तुओं को अपने देश ले जाया करते।

भारत की धन संपदा और अक्षय भंडार को देखकर लुटेरे और आक्रांताओ ने भारत के अक्षय भंडार पर अपनी दृष्टि जमा ली। कल-बल-छल आदि सभी प्रकार की योजना से भारत में समय-समय पर आकर लूटपाट करते। भारत की शासन व्यवस्था , राजा-महाराजा और सामंतों में बंटी हुई थी। आपसी वैमनस्य और निरंतर संघर्ष के कारण भारत की सीमाएं कमजोर होती जा रही थी। एक-दूसरे के प्रति शत्रु के भाव ने उन लुटेरों और आक्रांताओं को भारत में पैर जमाने का सुंदर अवसर दे दिया।

अरब देश के लुटेरे जो भूखे-नंगे थे , वह दोनों हाथों से निरंतर भारत को लूटने लगे।

अनेकों आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया। अनेकों-अनेक युद्ध लड़े गए।हल्दी घाटी , पानीपत का युद्ध प्लासी का युद्ध जैसे बड़े युद्ध भारत भूमि पर हुआ। भारत की विरासतें खंड-खंड में बंटी हुई थी। पड़ोसी राज्य आपस में वैमनस्य का भाव रखते थे , किसी ने एक साथ होकर लड़ने की कोशिश नहीं की। इसी कारण सभी एक-एक कर राज्य , विरासतें परास्त होती रही ।

इसी क्रम में अंग्रेजों ने भारत की धन-संपदा को खोज निकाला था।

वह भारत से कच्चा माल ले जाकर उसका विश्व भर में व्यापार करते थे। इसका उन्हें मोटा लाभ सीधे तौर पर मिलता था। भारत में दुर्लभ मसाले , चंदन , खनिज , सोने , चांदी आदि संपदा का भंडार था। ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से अंग्रेजों ने भारत में पैर पसारा और धीरे-धीरे अंग्रेजी हुकूमत ने भारत पर अपना आधिपत्य जमा लिया।  अंग्रेजों की गुलामी करने वाले और कोई नहीं स्वयं अपने ही लोग थे। यह चापलूसी और लालच के वशीभूत होकर अंग्रेजों का साथ देते रहे। यह लोग अपने ही जनता पर कठोरता करते , उनका आर्थिक , सामाजिक शोषण करते। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीयों को गुलाम बनाने का भरसक प्रयास किया।

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रथम छापाखाना खोला। जिसका एकमात्र उद्देश्य धर्म प्रचार करना था। ईसाई धर्म की पुस्तकें तथा धार्मिक ग्रंथों को छाप कर वह ईसाई धर्म की श्रेष्ठता को बताना चाहते थे। अंग्रेजों द्वारा जितने भी विद्यालय खोले गए वह केवल नौकर बनाने वाले थे। उसमें ईसाई धर्म की शिक्षा अनिवार्य थी , अंग्रेजी को भी अनिवार्य बनाया गया। अंरेजी शिक्षा के माध्यम से अंग्रेजों को उनके मन मुताबिक नौकर मिल सके। भारतीयों को इस गुलामी से उनके धर्म-संस्कृति , धन-संपदा आदि का ह्रास हो रहा था , जिसकी पहचान धीरे-धीरे उजागर की गई।

भारत में अनेकों बलिदानों ने अंग्रेजों के प्रति विद्रोह जारी किया।

असहयोग आंदोलन , नवजागरण , पूर्ण स्वराज , अंग्रेजों भारत छोड़ो , स्वदेशी अभियान आदि अनेक प्रकार के बड़े-बड़े क्रांतियों ने जन्म लिया। इस क्रांति को पूर्ण करने के लिए कितने ही क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति इस यज्ञ में दे दी। आज हम जिन क्रांतिकारियों को जान पाते हैं , वह इतिहास में दर्ज है। लाखों-करोड़ों ऐसे क्रांतिकारी हुए जिनके नाम कहीं दर्ज नहीं हुए , वह गुमनामी में कहीं खो गए हुए हैं। भारत में शहीद भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु , महात्मा गांधी , आजाद चंद्रशेखर , सुभाष चंद्र बोस , खुदीराम बोस आदि। अनेकों अनेक ऐसे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया। उनकी जड़ें हिला दी , अंग्रेजी हुकूमत इन क्रांतिकारियों से परेशान हो गई थी।

1857 की क्रांति मंगल पांडे ने जो ही छेड़ा भारत में इसकी लहर फैल गई।

मंगल पांडे की प्रेरणा लेकर अंग्रेजी शासन व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का प्रण ले लिया। उस प्रथम क्रांति ने भारत की जनता को विश्वास दिलाया। चाह लेने पर अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंका जा सकता है।भारतीय क्रांति तथा यहां के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को असहयोग और उनके सामानों का पूर्ण बहिष्कार कर भारत छोड़ने पर विवश कर दिया।  भारत में सभी धर्म-संप्रदाय-पंथ आदि के लोग रहा करते थे। अंग्रेजों ने उनकी एकजुटता को पहचान लिया था। भविष्य में वह एकजुट ना रह सके , इसलिए उनकी कुटिल चाल फूट डालो राज करो कार्य कर गई। भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद तो हुआ किंतु उसका दो खंड अंग्रेजों ने कर दिया।

एक खंड पाकिस्तान दूसरा हिंदुस्तान बनाया गया।

15 अगस्त सन 1947 को औपचारिक रूप से भारत स्वतंत्र राष्ट्र हुआ।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किला की प्राचीर से भारत के ध्वज को फहराया। स्वतंत्रता की घोषणा की , यह किसी उत्सव से कम नहीं था। लोग रात-रात भर जाग कर इस उत्सव को मना रहे थे , क्योंकि उन्हें गुलामी से मुक्ति मिली थी। इस आजादी को वह हवाओं में महसूस कर सकते थे। वह एक स्वतंत्र राष्ट्र में अपने स्वयं के मालिक थे।

यहां किसी की कोई पाबंदियां नहीं थी।

1947 से भारत निरंतर प्रगति की राह पर बढ़ता जा रहा है। भारत जहां प्राचीन समय में विश्व गुरु और सोने की चिड़िया मानी जाती थी। उस मान-मर्यादा को प्राप्त करने के लिए दिन-प्रतिदिन कठिन परिश्रम करता जा रहा है। भारत की सीमाएं चारों ओर से सुरक्षित हो सके इसके लिए भारत के सेना दिन-रात भारत की सरहदों को सुरक्षित करते हैं। भारतवासी भी भारत माता के प्रति एक पुत्र का व्यवहार करते हुए भारत भूमि की वंदना करते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने उद्योग , शिक्षा , कृषि , विज्ञान आदि क्षेत्रों में नए-नए बुलंदियों को प्राप्त किया है। भारत अंतरिक्ष में भी अपनी पहुंच बना चुका है।

यहां के वैज्ञानिकों ने भारत का परचम पूरे विश्व में लहराया है।

अंत में अपने शब्दों को इन पंक्तियों के साथ विराम देना चाहूंगा –

“जो भरा नहीं है भावों से , बहती जिसमें रसधार नहीं

वह हृदय नहीं पत्थर है , जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। ।”

भारत माता की सेवा में हम सभी पूर्ण रूप से स्वच्छ मन और पूरी निष्ठा से लगे रहे , एक दिन भारत विश्व गुरु बनेगा और समर्थ वान बनेगा। भारत फिर सोने की चिड़िया कहलाए कि इस विश्वास के साथ मैं अपने शब्दों को विराम देता हूं।

जय हिंद , जय भारत।

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नोट –

यह भाषण एक प्रारूप स्वरूप है , आप अपने समारोह अनुसार इस लेख को तैयार कर सकते हैं। जैसा कि उपर्युक्त बताया गया है कार्यक्रम विद्यालय में हो तो आप संबोधन करते हुए प्रधानाचार्य , शिक्षक और विद्यार्थियों का नाम लेंगे।

This independence day speech in hindi can be used for school students, teachers, and others.

वहीं सार्वजनिक स्थल पर अतिथि गण , आयोजक और श्रोता आदि का नाम लेंगे।

स्वतंत्रता दिवस के विषय में आप जितनी भी जानकारी रखते हैं , वह अपने भाषण में बोल सकते हैं। महापुरुषों के नाम लेते हुए उनके योगदान , उनके संघर्ष की गाथा को भी जोड़ा जा सकता है। किसी सुंदर कहानी , देशभक्ति की प्रेरणा के गीत तथा पंक्तियों को भी आप अपने समय अनुसार जोड़ सकते हैं।

भाषण देते समय किसी विशेष प्रकार की रूपरेखा और शब्दों की आवश्यकता नहीं होती है।

स्वतंत्रता दिवस मुख्य रूप से भारत की आजादी के दिन के रूप में मनाया जाता है।

आप आजादी से संबंधित अपनी बातों को , महापुरुषों के संघर्षों को बताएं।

वर्तमान समय में नागरिकों के योगदान और उनकी क्या भूमिका होनी चाहिए बताएं।

देश की उन्नति अब किस प्रकार से हो सके ,  सभी बातों को आप अपने भाषण के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं।

जैसा उपर्युक्त भाषण में महापुरुषों के नाम क्रांतिकारी के रूप में प्रस्तुत किए हैं।

आप उनके नाम के साथ उनके घटनाओं को भी विस्तार सहित व्यक्त कर सकते हैं।

भाषण को बोलते समय छोटे-छोटे वाक्य और सरल वाक्यों का प्रयोग करें , ताकि आपकी बात श्रोताओं तक स्पष्ट पहुंच सके। इस प्रकार श्रोता बोर नही होगे , आपकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनेगे।  अन्यथा आप भाषण निरंतर बोलते जाएंगे , श्रोता आपकी बातों पर ध्यान नहीं देंगे।  इसलिए आवश्यकता है , स्वतंत्रता दिवस की बात करते-करते उससे संबंधित कहानी , कुछ काव्य की पंक्तियों को बताएं / उल्लेखित करें जिससे रोचकता-रंजकता सदैव बनी रहे।

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