हुमायूं का मकबरा
भारत पर 16वीं शताब्दी में शासन करने वाला हुमायु दूसरा मुगल बादशाह था। चित्र में दिखाए गए विशाल मकबरे का निर्माण हुमायूं की मृत्यु के लगभग 8 वर्ष पश्चात उसकी बेगम बेगा जिसका प्रचलित नाम हाजी बेगम था ने करवाया था।
राजधानी के प्रसिद्ध मार्ग मथुरा रोड पर स्थिति यह मकबरा पत्थरों की जड़ाऊ कार्य कि उस कला का पहला दर्शन कराता है जो कि लगभग एक शताब्दी पश्चात ताजमहल की सजावट में भी दृष्टिगोचर होती है।
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अहाते के बीच में बहुत ऊंचा मकबरा है यह एक ऊंचे मंच पर बनाया हुआ है। बीच के अष्टकोणीय कमरे में नकली कब्र है और उसके चारों तरफ जाली वाले कमरे और मेहराबों वाले बरामदे हैं कमरे के चारों तरफ तीन मेहराबें हैं जिनमें बीच वाले मेहराब सबसे बड़ी है। इसी नक्शे को दूसरी मंजिल पर भी दोहराया गया है।
यह विशाल भवन लाल पत्थरों से बना है। इसके किनारों पर काला और सफेद संगमरमर लगा हुआ है। भारतीय वास्तुकला के दोहरे गुबंद वाली संभवतः प्रथम इमारतों में से एक है। आंतरिक गुबंद मकबरे के कमरों की मेहराबदार छत है तो बाहरी गुबंद इसे बाह्य भव्यता प्रदान करता है। हुमायु की बेगम को भी यही दफनाया गया है।
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