साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा के पुजारी थे उन्होंने सदैव सर्वधर्म सम्मान की भावना से कार्य किया। साधारण वेशभूषा रखते हुए एक साधारण से व्यक्ति ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी। अंग्रेजी हुकूमत महात्मा गांधी के द्वारा किए जा रहे निरंतर आंदोलन से परेशान हो गई थी। अंततोगत्वा उन्होंने भारत छोड़ने का मन बना लिया, उस साबरमती के संत को समर्पित यह गीत प्रस्तुत है।

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल lyrics

दे दी हमे आज़ादी बिना खडग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल  २

आंधी में भी जलती रही गांधी  तेरी मशाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

 

धरती पे लड़ी तूने अजब ढब की लड़ाई

दागी न कहीं तोप न बन्दूक चलाई

दुश्मन के किले पर भी न की चढ़ाई

वाह रे फ़क़ीर खूब करामात दिखाये।

चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

 

शतरंज बिछा कर यहां बैठा था ज़माना

लगता था कि मुश्किल फिरंगी को हराना

टक्क्र थी बड़े जोरों की दुश्मन भी था दाना

पर तू भी था बापू उस्ताद पुराना। ।

मारा वो कस के दांव कि उल्टी सभी चाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

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मजदूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े

हिन्दू व मुसलमान सिख पठान चल पड़े

क़दमों पे तेरे कोटि -कोटि प्राण चल पड़े। ।

फूलों कि सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

 

मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी

लाखों में घूमता था लिए सत्य की सौंठी

वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी

लेकिन झुकती थी हिमालय की चोटी। ।

दुनिया में तू बेजोड़ था इंसान बेमिसाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

 

जग में कोई है तो बापू तू ही जिया

तूने वतन की राह में सबकुछ लूटा दिया

माँगा न कोई तख़्त न तो ताज ही लिया

अमृत दिया सभी को मगर खुद ज़हर पिया। ।

जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। ।

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कुछ शब्द एवं विश्लेषण

साबरमती के संत महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वह कुशाग्र बुद्धि के थे उन्होंने भारत ही नहीं अपितु विदेश में भी शिक्षा ग्रहण की वह पेशे से एक वकील थे। उन्होंने विदेश में पढ़ाई करते हुए यह महसूस किया कि भारतीय लोग रंगभेद के शिकार अधिक होते हैं चाहे वह कितने ही संपन्न हो। किंतु रंगभेद के शिकार हुए बगैर नहीं रह सकते। खुद उन्होंने इस पीड़ा को जिला था। एक समय की बात है कि वह ट्रेन में उच्च क्लास में यात्रा कर रहे थे। किंतु अंग्रेजों ने उन्हें रंगभेद का शिकार बनाते हुए ट्रेन से उतार दिया था। उन्होंने तभी पूर्ण कर लिया था के रंगभेद के खिलाफ वह अवश्य ही लड़ेंगे।

वह भारत में आए और यहां भी ढेर सारी कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया। और उससे मुक्ति दिलाई महात्मा गांधी का समय वहीं था। जो भारतीय स्वाधीनता संग्राम का समय था यहां लोग स्वाधीनता के लिए संघर्ष कर रहे थे। महात्मा गांधी ने भी इसमें अपना योगदान दिया और लोगों को सविनय अवज्ञा के लिए आह्वान किया। लोगों ने महात्मा गांधी का भरपूर साथ दिया फिर असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसमें महात्मा गांधी को भरपूर साथ मिला। लोगों ने अपनी जमी जमाई सरकारी नौकरी तक छोड़कर महात्मा गांधी का साथ दिया और स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दिया। इस प्रकार भारत में पूर्ण स्वराज की कल्पना की गई। कुछ लोग महात्मा गांधी के योगदान अथवा महत्व पर प्रश्नचिन्ह उठाते हैं अभी तो यह निश्चित ही कहा जा सकता है। कि उनका भी स्वाधीनता संग्राम में योगदान अग्रणी रूप में रहा।

भारतवासी महात्मा गाँधी को साबरमती के संत के रूप में जानते और पहचानते हैं। जिन्होंने बिना खून खराबे और सत्य के आधार पर पूरी स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई को लड़ना चाहा था। वह अहिंसा के पुजारी थे इसलिए वह किसी भी प्रकार की हिंसा पर खेद व्यक्त करने से पीछे नहीं रहते थे। असहयोग आंदोलन के बाद 1922 में हुए चोरा चोरी की घटना पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए इस आंदोलन को वापस भी लेने से वह पीछे नहीं हटे। यही कारण है कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम में गरम दल और नरम दल की स्थापना हुई। गरम दल का विचार था खून के बदले खून और थप्पड़ के बदले थप्पड़। किंतु नरम दल का विश्वास यह था कि कोई अगला व्यक्ति एक थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल बढ़ा दिया जाए।

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल यह गीत महात्मा गांधी पर आधारित है। इसमें उनके विचारों और स्वाधीनता संग्राम में रही भूमिका को उजागर किया गया है।

समापन

साधारण वेशभूषा, साधारण व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी ने मजबूत तथा बड़ी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन किया था। उनके आंदोलन को उनकी सादगी और नेतृत्व को समर्थन मिला था। अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए नमक कानून, नील खेती शुल्क तथा स्वदेशी आंदोलन आदि के माध्यम से अपने मजबूत इच्छाशक्ति को प्रकट किया। भारत के कच्चे माल से व्यापार कर मोटे मुनाफे के षड्यंत्र को भी पहचान लिया था। इसलिए उन्होंने चरखे से खुद खादी के वस्त्र बनाएं और लोगों को पहनने के लिए प्रेरित किया।

गांधीजी ने साबरमती आश्रम में रहते हुए देश के विभिन्न आंदोलनों को संचालित किया तथा लोगों की भलाई का ईश्वरीय कार्य किया।

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