लाहोरी दरवाजा
दिल्ली के प्रसिद्ध लाल किले की लाल पत्थरों से बनी यह विशाल इमारत सन 1648 में शाहजहां ने बनवाई थी। इसका भव्य दरवाजा लाहोरी दरवाजा कहलाता है। जिसे आप चित्र में भी देख सकते हैं। यह दरवाजा प्रसिद्ध शहर लाहौर को मुखातिब है जो कि अब पाकिस्तान में है। इसी कारण इसका नाम लाहोरी दरवाजा पड़ा।
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लाहोरी दरवाजा इस तरह से बनाया हुआ था कि जब बादशाह अपने सिंहासन पर दीवान-ए-आम में बैठते थे तो वह प्रसिद्ध चांदनी चौक का पूरा नजारा देख सकते थे। बाद में औरंगजेब ने उस दरवाजे को बंद करवा कर उसके दाएं तरफ एक नया दरवाजा बनाया था। लाहोरी दरवाजे के अंदर के रास्ते में दोनों तरफ बाजार आता है जिसे मीना बाजार कहा जाता है। यह बाजार एक समय में राज घराने की स्त्रियों के लिए था।
आज भी हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाहोरी दरवाजे के सामने लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराया जाता है। इसका डिजाइन बड़ा ही सुरुचिपूर्ण है। दरवाजे के ऊपर की क्षत्रियां बड़ी ही भव्य है , यह अत्यधिक लंबी अथवा चौड़ी है तथा इसकी निर्मित सजावट अत्यंत मनमोहक है।
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लाहोरी दरवाजे के अतिरिक्त लाल किले में एक और तीन मंजिला दरवाजा है जिसे दिल्ली दरवाजा कहा जाता है।अर्ध अष्टभुज मीनारों से बने दिल्ली दरवाजे में कई कक्ष हैं जिनके बाहर दो हाथियों की मूर्ति बनी हुई है।
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