जुलाई माह हेतु गीत
जय घोष संस्कृति का ,हम आज मिल करेंगे ।
हम धर्म के पुजारी ,जग को सुखी करेंगे ।।धृ।।
विज्ञान के पैरों में ,दे शक्ति संस्कृति की ।
आध्यात्म नीवं होगी ,समृद्धि हिंदू भू की।
हम विश्व के विभव की ,व्याख्या नई लिखेंगे।।१।।
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हम गर्व से कहेंगे ,हिंदुत्व प्राण अपना ।
सहयत्न से हो पूरा ,अपना महान सपना ।
यह संघ शक्ति देवी ,हम साधना करेंगे।।२।।
उलझे हुए हृदय का ,फिर हास्य लौट आये।
भटके हुए पथिक को सन्मार्ग फिर दिखाये ।
सेवा स्वभाव अपना ,हम नित्य ही स्मरेंगें।।३।।
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आकाश में निनादित ,एकात्म स्वर हमारा ।
वर्षों की साधना का ,सार्थक प्रयास सारा ।
है दृष्टि लक्ष्य पथ पर ,विजय चरण भरेंगे।।४।।
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विद्या ददाति विनयम
कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।
साथियों संघ के गीत का यह माला तैयार किया गया है , जो संघ के कार्यक्रम में ‘ एकल गीत ‘ व ‘ गण गीत ‘ के रूप में गाया जाता है। समय पर आपको इस माला के जरिए गीत शीघ्र अतिशीघ्र मिल जाए ऐसा हमारा प्रयास है। आप की सुविधा को ध्यान में रखकर हमने इसका मोबाइल ऐप भी तैयार किया है जिस पर आप आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
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बहुत बढ़िया लेख है मुझे पढ़ने में अच्छा लगा
बहुत बढ़िया 🙏
जय श्री राम 🙏