आज सभी स्वयंसेवक मनमोहक लग रहे हैं ,क्योंकि आज एक विशेष दिन है। यह विशेष दिन वर्ष भर में एक बार आता है। इस दिन के लिए सभी स्वयंसेवक तन्मयता से उत्साह से वह अपनी आस्था से इंतजार करते हैं। यह विशेष दिन है गुरु दक्षिणा का।
आज दायित्ववान कार्यकर्ता निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व आकर सभागार को सजाते हैं। सभी स्वयंसेवक के बैठने का इंतजाम करते हैं। एक टेबल या ऊंचे स्थान को सजाकर पूर्ण आदर से परम पूजनीय श्रद्धेय डॉक्टर हेडगेवार जी व भारत माता की तस्वीर को पुष्पमाला से सजाते हैं। ध्वज मंडल की साज-सज्जा करते हैं। रंगोली बनाकर और आकर्षक बनाते हैं। सभी स्वयंसेवक गुरुदक्षिणा स्थल पर निर्बाध रुप से पहुंच सके उसके लिए मार्ग पर रेखांकन और रंगोली बनाते हैं इस 1 घंटे में सभी स्वयंसेवक का उत्साह व एक दूसरे के प्रति आदर सहयोग की भावना दिखाई देती है। इस सहयोगात्मक क्रियाकलाप को देखकर आम व्यक्ति भी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता ।
समय पर सभी स्वयंसेवक बंधुओं अपने गुरुदक्षिणा स्थल पर पहुंच जाते हैं फिर मुख्य शिक्षक सभी को संबोधित करते हैं उन्हें आरंभ में (विश्राम) मुद्रा में होने का आदेश देते हैं अग्रसर को निमंत्रित करते हैं। उसके बाद की प्रक्रिया के अनुसार सभी स्वयंसेवक बंधु अग्रेसर के पीछे पंक्ति बनाकर खड़े हो जाते हैं। मुख्य शिक्षक के आदेश से ध्वज लगाया जाता है। ध्वज प्रणाम कर सभी स्वयंसेवकों की संख्या गिनती दी जाती है ।
बैठक होने पर गीतसंगीत , एकल गीत ,अमृत वचन ,सुभाषित वचन ,बोला जाता है उसके उपरांत वक्ता का मार्गदर्शन मिलता है। वह आज के दिन का महत्व आवश्यकता व अन्य प्रकार से सभी स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन करते हैं। उसके उपरांत अध्यक्ष का भी मार्गदर्शन मिलता है।
गुरु दक्षिणा की महत्वपूर्ण बात
प्रथम गुरु दक्षिणा मुख्य अतिथि व अध्यक्ष करते हैं यह नए स्वयंसेवक को इस पद्धति को बताने के लिए भी किया जाता है। अध्यक्ष /मुख्य अतिथि अपनी गुरु दक्षिणा लेकर गुरु दक्षिणा स्थल मुख्य मंडप या ध्वज की ओर आते हैं परम पवित्र भगवा ध्वज को गुरु के रुप में प्रणाम कर अपने वर्ष भर में जमा की गई दक्षिणा को वहां रखे कलश में डाल देते हैं। और भारत माता को प्रणाम कर अपने स्थान पर आ जाते हैं ।
यही प्रक्रिया सभी स्वयंसेवक दोहराते हैं साथ ही साथ गण गीत गाते रहते हैं देशभक्ति ,संस्कृति की रक्षा व अन्य जोशीले गीत गाते हुए सभी स्वयंसेवक प्रसन्नचित अपने गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम आगे बढ़ाते हैं। गुरु दक्षिणा के उपरांत सभी स्वयंसेवक पंक्ति में खड़े होकर संघ की प्रार्थना ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’ का गान करते हैं। ध्वज प्रणाम कर ध्वज को उतारा जाता है उसके बाद सभी स्वयंसेवक भारत माता को प्रणाम कर अपने अपने स्थान पर बैठ जाते हैं। उसके उपरांत प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होता है सभी स्वयंसेवक प्रसाद लेकर अपने साथी से मिलकर बैठकर धन्यवाद देकर अपने अपने घर की ओर निकलते हैं।
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विद्या ददाति विनयम
कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।
साथियों संघ के गीत का यह माला तैयार किया गया है , जो संघ के कार्यक्रम में ‘ एकल गीत ‘ व ‘ गण गीत ‘ के रूप में गाया जाता है। समय पर आपको इस माला के जरिए गीत शीघ्र अतिशीघ्र मिल जाए ऐसा हमारा प्रयास है। आप की सुविधा को ध्यान में रखकर हमने इसका मोबाइल ऐप भी तैयार किया है जिस पर आप आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
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