In this post you will get full detail knowledge about Insurance in Hindi and its types with example. Read this article till the end to understand everything.
बीमा (इंश्योरेंस) अर्थात जहां जोखिम हो उससे सुरक्षा की गारंटी – भारत में बीमा का चलन बेहद ही चरम सीमा पर है। आज बीमा का क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है , जहां पहले जीवन बीमा अथवा वाहन तक दायरा सीमित था। आज बीमा कंपनियों ने उन सभी क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बना ली है जहां-जहां जोखिम हो सकता है।
आज बीमा के दायरे में – शिक्षा , दुर्घटना , कृषि , घर , जीवन आदि तक फैला हुआ है। व्यक्ति को चाहे – अनचाहे बीमा लेना ही पड़ता है , क्योंकि दुर्घटना अथवा जोखिम किसी के भी जीवन में घट सकती है। उसकी क्षतिपूर्ति कुछ हद तक बीमा के द्वारा संभव हो सकता है।
आज हम बीमा से संबंधित लेख लिख रहे हैं , जिसमें बीमा के क्षेत्र व उसके लाभ अथवा हानि के बारे में बताने की कोशिश करेंगे –
बीमा इंश्योरेंस का पूरा ज्ञान – Insurance in Hindi
कोई भी बीमा (इंश्योरेंस) जोखिम के अधीन रहता है। बीमा का मुख्य उद्देश्य किसी दुर्घटना अथवा जोखिम की क्षतिपूर्ति करना होता है। किंतु इसके पीछे बहुत सी शक्तियां कार्य करती है। इंश्योरेंस कंपनी विश्व स्तर पर कार्य कर रही है , उसमें अनगिनत कर्मचारी , कार्यालय अथवा पारिश्रमिक लगता है। यह सब आपके इंश्योरेंस में दिए गए पैसों के द्वारा ही कार्य करती है , साथ ही आपके किसी भी दुर्घटना अथवा जोखिम की क्षतिपूर्ति भी करती है। तो आप मोटे तौर पर समझ जाएं आपके पैसे के माध्यम से ही यह सब कंपनियां कार्य करती है।
यहां तक कि बड़े-बड़े धनाढ्य सेठ भी आपके पैसों से ही बनते हैं।
मोटे तौर पर आपको यह समझना होगा कि बीमा (इंश्योरेंस) आपके जीवन में भी अहम भूमिका निभाती है। आप अपने मेहनत – मजदूरी की कमाई को बीमा (इंश्योरेंस) के लिए देते हैं , जिसके बदले में कंपनी आपको कुछ हद तक जोखिम की भरपाई करने का दावा करती है। कभी-कभी यह कंपनी अपनी चालबाजी के द्वारा ग्राहकों को उनके हक से वंचित भी कर देती है।
बीमा लेते समय ग्राहक उन सभी महीन लिखाई नियम व शर्तों को नहीं पढता और अपनी स्वीकृति हस्ताक्षर के रूप में देता है। कभी भविष्य में ग्राहक दुर्घटना अथवा क्षतिपूर्ति के लिए जब इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क करता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसकी भरपाई करने से हाथ खड़ा कर देती है , अथवा उसे मना कर देती है। अधिक कार्यवाही करने पर कंपनियां उस हस्ताक्षर अथवा स्वीकृति को दिखाती है जो ग्राहक स्वयं किया हुआ होता है , उसके आगे वह लाचार हो जाता है।
ग्राहक के तौर पर आपको आवश्यकता है कंपनी की शाख अथवा प्रचलित बीमा कंपनी में ही अपनी गाढ़ी कमाई को लगाएं।
जीवन बीमा Life Insurance
माना जाए तो भारत में जीवन बीमा से ही अन्य बीमा का आरंभ हुआ है। जीवन बीमा भारत में प्रचलित है , यह जीवन मैं निहित जोखिमो को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जीवन बीमा व्यक्ति के जीवन भर का साथ माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवित रहने पर भी बीमा के अनुसार व्यक्ति को राशि उपलब्ध करवाती है अथवा व्यक्ति के मृत्यु के उपरांत उससे जुड़े नॉमिनी को सुरक्षा मुहैया कराती है। भारत में ऐसी कई बीमा कंपनियां है जो जीवित रहते हुए भी वार्षिक , त्रि वार्षिक अथवा अन्य रूप से समय-समय पर राशि उपलब्ध कराती है।
व्यक्ति की दुर्घटना अथवा अपंगता की स्थिति में भी यह कंपनी सहारा बन कर सामने आती है।
व्यक्ति को जहाँ आर्थिक रूप से आवश्यकता होती है , तो यह कंपनी उनकी आवश्यकता को पूरा करती है। किसी दुर्घटना अथवा जोखिम के तहत व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो यह कंपनी उसके परिवार के सदस्यों अथवा नॉमिनी को आर्थिक रूप से सहायता उपलब्ध कराती है।
उपर्युक्त जीवन बीमा में आर्थिक राशि वह राशि होती है जो व्यक्ति अपने हैसियत के अनुसार उन बीमा कंपनियों से बीमा इंश्योरेंस लेती है। यह बीमा काफी हद तक व्यक्ति के जीवन में अहम योगदान देती है। कई बार देखने में आया है कि व्यक्ति जो घर का मुखिया था , उसकी असमय मृत्यु हो जाती है। जिसके बाद उसका परिवार बेसहारा हो जाता है। ऐसे समय में बीमा कंपनी बीमा लिए हुए व्यक्ति के घर वालों को आर्थिक सहायता मुहैया कराती है।
आप अपनी हैसियत और सुविधा के अनुसार जीवन बीमा ले सकते हैं।
किंतु इन सभी बीमा में जोखिम सदैव रहता है। आप जरूरी कागजात को ध्यानपूर्वक पढ़ें उनके नियम व शर्तों को भलीभांति परख लें तभी अपने जीवन की संचित पूंजी को इसमें निवेश करें।
स्वाथ्य बीमा Health Insurance
व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य संबंधी उतार-चढ़ाव सदैव लगा रहता है। कभी-कभी व्यक्ति उन बीमारियों से ग्रसित हो जाता है , जिसके कारण व्यक्ति का जीवन , सामान्य जीवन भी प्रभावित होता है। इस बीमारी के कारण कभी-कभी वह लाचार और भी बेबस हो जाता है। बेरोजगारी का कारण भी कई बार यह बीमारियां बन जाती है। इन बीमारियों के कारण रोजगार तो चला ही जाता है , साथ ही इसके इलाज के लिए इतनी पूंजी लगती है जो सामान्य व्यक्ति के बस की बात नहीं होती।
सरकार ऐसी बीमारियों के लिए कुछ हद तक सहायता तो करती है , किंतु वह नाकाफी सिद्ध होती है। जटिल और गंभीर बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पताल में सामान्य तौर पर उतने कारगर नहीं होते। अगर होते भी हैं तो पैसे की आवश्यकता वहां भी अवश्य पड़ती है। ऐसे में व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का बेहतर ध्यान रखने के लिए निजी अस्पताल की ओर रुख करता है। निजी अस्पताल में व्यक्ति के इलाज के लिए पूंजी एक बड़ी बाधा बन कर सामने खड़ी हो जाती है। जटिल और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए निजी अस्पताल इतनी पूंजी की मांग करते हैं जो सबके बस की बात नहीं होती।
यहां स्वास्थ्य बीमा कंपनियां ऐसे व्यक्तियों की सहायक सिद्ध होती है।
अगर व्यक्ति ने इन गंभीर बीमारियों के लिए अपने जीवन में इंश्योरेंस अथवा बीमा लिया हुआ होता है तो काफी हद तक स्वास्थ्य बीमा उसके लिए वरदान साबित होता है। यह कंपनियां निजी अस्पताल के बिल का भुगतान करती है और व्यक्ति के बेहतर इलाज के लिए प्रयत्न करती है।
यहां ध्यान देने वाली बात एक और है कि स्वास्थ्य बीमा हर एक व्यक्ति को नहीं दिया जाता।
अगर एक स्वस्थ व्यक्ति और कम आयु का व्यक्ति है तो उसे स्वास्थ्य बीमा यथाशीघ्र मिल जाता है।
किंतु वहीं बुजुर्ग और कमजोर व्यक्ति हो उन्हें स्वास्थ्य बीमा कंपनी बीमा नहीं अथवा काफी मुश्किल से देती है। स्वास्थ्य बीमा कराते समय आपको उससे जुड़े दस्तावेजों को ध्यान पूर्वक पढ़ना होगा , क्योंकि बीमा कंपनियां कुछ हद तक ही व्यक्तियों को आर्थिक तौर पर सहायता करती है। कई कंपनियां चालाकी करती है और गंभीर रूप से बीमारियों को अलग-अलग श्रेणी में रखती है अगर आप उन श्रेणियों के अंतर्गत नहीं आते तो आपको उन से वंचित रखा जाता है।
कई केस में यह देखने को भी मिला है व्यक्ति अपने इलाज के लिए अस्पताल में जाता है वहां उसे बीमा की आवश्यकता होती है तब यह कंपनियां यह कहकर अपना हाथ पीछे कर लेती है व्यक्ति ने इंश्योरेंस के समय उनसे यह बीमारियां छिपाई थी।
इस प्रकार की चालाकियां कंपनियां करती है जिससे आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है।
घर बीमा Home Insurance
वर्तमान समय में घर का बीमा भी प्रचलन में है। आप सोच रहे होंगे घर का बीमा यह क्यों आवश्यक है। यह पाश्चात्य देशों से प्रेरित है जहां कई प्रकार की घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए इस प्रकार के बीमा की आवश्यकता पड़ी है। कितनी ही ऐसी आपदाएं जो प्राकृतिक होती है उसमें व्यक्ति का सब कुछ नष्ट हो जाता है। जमा पूंजी लुट जाती है , ऐसे में व्यक्ति की इतनी हैसियत नहीं होती कि वह दोबारा अपने घर का निर्माण करा सके।
ऐसी स्थिति में बीमा कंपनियां , व्यक्ति का सहारा बनती है और उसके घर के निर्माण में सहायता करती है।
कितनी ही ऐसी घटनाएं देखने को मिली है जहां घर में बिजली के द्वारा आग लग जाने के कारण अथवा असामाजिक तत्वों द्वारा घर के सभी सामानों का चोरी हो जाना आपने अवश्य ही देखा होगा। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने घर का इंश्योरेंस करा लेता है। घर में चोरी अथवा आग लगने अथवा प्राकृतिक आपदा में घर के तबाह हो जाने के हालात में इंश्योरेंस कंपनी इसकी भरपाई करती है।
इंश्योरेंस कंपनी इस प्रकार की भरपाई तभी करती है जब भली-भांति परख लेती है कि इसमें व्यक्ति की कोई साजिश नहीं हो। कई बार व्यक्ति इंश्योरेंस कंपनी से वसूली के लिए अपने घर का नुकसान स्वयं करते हैं ताकि उन्हें इंश्योरेंस कंपनी उनके पैसे दे सके। ऐसी स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी अब और स्मार्ट हो गई है वह सभी प्रकार से खोजबीन कर कानूनी रूप से सलाह लेते हुए ही उस क्षतिपूर्ति की भरपाई करती है।
घर के बीमा की आवश्यकता सभी को नहीं पड़ती , इसलिए व्यक्ति जल्द अपने घर की बीमा नहीं लेता। किंतु कई बार जब ऐसी प्राकृतिक घटना अथवा लूटपाट की घटना के द्वारा घर तबाह हो जाता है , तब उसे इस प्रकार के इंश्योरेंस की आवश्यकता पड़ती है।
जब व्यक्ति के पास किसी प्रकार की कोई सहारा नहीं होता।
सरकार द्वारा भी वह वंचित होता है , तब यही बीमा कंपनियां सहारा बनकर सामने आखरी होती है।
यह बीमा कई प्रकार के नियम अथवा शर्तों से बंधी हुई है।
जब भी आप इस प्रकार की बीमा ले उससे जुड़ी हुई सभी जानकारी अथवा नियम शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। मेरे अनुसार आप किसी जानकार की मदद भी ले सकते हैं क्योंकि आपको जानकार बहुत ही सटीक और दोष अथवा गुण को बता सकने की क्षमता रखता है।
गाड़ी बीमा Vehicle Insurance
गाड़ी के बीमा की आवश्यकता वर्तमान समय में आवश्यक अति आवश्यक है। सर्वेक्षण के अनुसार दुर्घटना की गिनती में गुणात्मक वृद्धि हो रही है। गाड़ी का शौक सभी को होता है सभी की यही आशा होती है कि वह एक घर और एक गाड़ी अवश्य लेगा। लोगों ने इसे अपने स्टेटस सिंबल के तौर पर लीया है। व्यक्ति के पास गाड़ी का ना होना उसकी मजबूरी अथवा आर्थिक स्थिति को दर्शाता है , ऐसी सोच समाज में व्याप्त है। उसकी पूर्ति करने के लिए व्यक्ति जैसे – तैसे करके गाड़ी खरीदता है।इस दौड़ में सभी के पास गाड़ियां उपलब्ध है।
भारत जैसे देश में गाड़ियां जहां बहुतायत संख्या में है वहां सड़कों की स्थिति कैसी है यह जगजाहिर है।
लोगों के चलने तक की जगह नहीं होती , वह भी अवैध रूप से लोगों के कब्जे में होती है तो सड़कों की स्थिति कैसी होगी यह आप समझ सकते हैं। भारत के सर्वेक्षण में ही देखेंगे तो 50% से ज्यादा दुर्घटना सड़क की खराब स्थिति अथवा गड्ढों की वजह से होती है। इन दुर्घटनाओं में केवल गाड़ी का नुकसान नहीं होता , साथ ही व्यक्ति उसके परिवार अथवा तीसरी पार्टी जिसका एक्सीडेंट हुआ है।
इतने लोग इस दुर्घटना में प्रभावित होते हैं।
इस दुर्घटना में शारीरिक तथा आर्थिक रूप से क्षति पहुंचती है।
शारीरिक भरपाई करना तो किसी के लिए भी असंभव कार्य है किंतु आर्थिक रूप से कुछ हद तक भरपाई की जा सकती है। जिसके लिए सरकार ने वाहन मोटर अधिनियम के तहत गाड़ियों का बीमा अनिवार्य किया हुआ है। गाड़ी की बीमा के अंतर्गत गाड़ी ड्राइवर तथा थर्ड पार्टी तक की क्षतिपूर्ति का प्रावधान है।
इस बीमा के ना होने पर आपके ऊपर जुर्माना लगाया जा सकता है।
दुर्घटना की स्थिति में बीमा कंपनियां आर्थिक क्षति की पूर्ति करती है।
चाहे वह गाड़ी ड्राइवर अथवा थर्ड पार्टी की क्षतिपूर्ति हो।
दुर्घटना के अतिरिक्त वाहन के चोरी हो जाने की स्थिति में भी बीमा कंपनियां वाहन के मूल्य की देनदार होती है। ऐसी स्थिति में कंपनियां गाड़ी के वर्तमान स्थिति को कानूनी रूप से अध्ययन करती है। अगर वह गाड़ी वाकई में चोरी की गई है जिसमें किसी प्रकार की कोई साजिश बीमा धारक द्वारा नहीं की गई तो कंपनियां उसका भुगतान करने के लिए विवश होती है। कितनी ही बार देखने को मिला है कि , चोरी होने की स्थिति में बीमा कंपनियां क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करने से परहेज करती है।
किंतु आपको धैर्य रखते हुए कानूनी मदद लेकर आप अपनी क्षतिपूर्ति कर सकते हैं।
वाहन बीमा आपको आवश्यक रूप से करवाना चाहिए , यह आपके गाड़ी के साथ-साथ आपकी और उस व्यक्ति की जो आपके और गाड़ी के माध्यम से दुर्घटना ग्रसित हुआ है उसकी सहायता हो सके। मोटर यांत्रिक रूप से कार्य करती है जिस पर कई बार व्यक्ति का वश नहीं चलता। वह व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर हो जाती है और किसी बड़ी दुर्घटना के रूप में तब्दील हो जाती है।
ऐसी स्थिति में कुछ हद तक बीमा कंपनियां उसकी भरपाई करती है।
अतः आपको वाहन का बीमा आवश्यक रूप से कराना ही चाहिए , इससे चोरी स्वयं के जीवन से धोखा देने के समान है।
अग्नि , आपदा बीमा Fire Disaster Insurance
आपदा एक ऐसी विनाशकारी घटना है जो बिना बताए घट जाती है।
आपदा का कई रूप है –
आसमानी बिजली ,
बादल का फटना ,
जोरदार बारिश ,
बाढ़ ,
तूफान आदि आदि।
इस प्रकार की आपदा से केवल सतर्क रहा जा सकता है , किंतु ना ही उसे रोक सकते हैं और ना उसके नुकसान से बच सकते हैं। इस प्रकार की आपदा पर मनुष्य का कोई बस नहीं होता। आपदा मे मनुष्य का जीवन तबाह हो जाता है। जीवन भर की जमा पूंजी एक क्षण में बर्बाद हो जाती है। वह ऐसी स्थिति में नहीं होता कि वह पूरे जीवन की जमा पूंजी के लूट जाने पर वह दोबारा वैसी स्थिति में आ सके। अगर क्षति कम हो तो मनुष्य उसकी भरपाई कर सकता है , किंतु भीषण आपदा के बाद उसकी भरपाई करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
जापान और कई ऐसे देश हैं जहां प्राकृतिक आपदा किसी भी समय आ जाती है।
वहां का समाज प्राकृतिक आपदा को अमूमन रोज देखता है और उसका सामना करता है। बाढ़ और ज्वालामुखी के कारण विश्व के कई ऐसे देश हैं जो सदैव प्रभावित रहते हैं। इस प्रकार की आपदा में व्यक्ति जब अपना सब कुछ गंवा बैठता है वैसी स्थिति में बीमा कंपनियां उनके साथ खड़ी होती है और आर्थिक रूप से कुछ हद तक क्षतिपूर्ति करती है।
व्यापार / उद्योग बीमा Industry Insurance
जीवन में यूं तो हमेशा जोखिम रहता है एक पल का कोई भरोसा नहीं कि अगले पल क्या हो जाए। ठीक इसी प्रकार व्यापार में भी जोखिम सदैव बरकरार रहता है। बाजार का रुख कब बदल जाए कब मांग और पूर्ति के बीच गहरा अंतर आ जाए यह सब कहा नहीं जा सकता। व्यापार में जोखिम को देखते हुए बीमा कंपनी इस क्षेत्र में बहुत बड़ा अवसर अपने लिए देखती है। इसी अवसर के तहत बीमा कंपनियों ने व्यापार उद्योग में अपना पैर पसारना आरंभ कर दिया है।
व्यापारी को भी बीमा कंपनियों के इस रुचि से कुछ लाभ तो अवश्य ही मिला है।
व्यापार लगाने के लिए जहां बीमा कंपनियां पैसा देती हैं , ठीक उसी प्रकार व्यापार में हुए हानि के लिए भी वह कंपनियां उन्हें सुविधा उपलब्ध कराती है। बीमा कंपनियां व्यापार के जोखिम की क्षतिपूर्ति अवसर पर करती है बशर्ते आप उनके नियमों अथवा शर्तों के अनुरूप आते हो।
कई बार ऐसा देखने में आया है कि , बाजार में कंपनी के साख गिर जाती है , जिसके कारण कंपनी को भारी नुकसान होता है।
ऐसे समय में बीमा कंपनियां उन्हें आर्थिक रूप से सहायता उपलब्ध कराती है।
उनके आर्थिक क्षति की भरपाई करती है।
कितने ही ऐसे दंगे अथवा प्राकृतिक रूप से व्यापारी का व्यापार प्रभावित होता है।
इस प्रकार की स्थिति में उनके व्यापार की कमर तक टूट जाती है।
सहायता के लिए उनके पास किसी प्रकार का कोई मार्ग अथवा व्यक्ति नहीं होता।
तब व्यक्ति को उनके जीवन में लिए गए बीमा द्वारा ही सहायता उपलब्ध होती है।
यात्रा दुर्घटना बीमा Travel Accident Insurance
यात्रा के समय दुर्घटना की संभावनाएं रहती है , इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
चाहे आप अपने निजी वाहन अथवा सार्वजनिक वाहन से यात्रा करें किंतु दुर्घटनाएं कभी भी हो सकती है। आपने रोज अखबारों में पढ़ा होगा अथवा टेलीविजन पर न्यूज़ में अवश्य ही देखा होगा कितनी ही दुर्घटनाएं यात्रा के दौरान होती है। कई बार पूरी ट्रेन , बस अथवा वायुयान दुर्घटना ग्रसित होती है जिसमें कोई भी यात्री जीवित नहीं बचता। इस दुर्घटना में आर्थिक रूप से क्षति तो होती ही है किंतु जीवन की भी हानि होती है। जीवन की हानि को किसी भी प्रकार से भरपाई करना संभव नहीं है , किंतु आर्थिक रूप से कुछ सहायता उपलब्ध अवश्य किया जा सकता है।
इस प्रकार की आर्थिक सहायता के लिए बीमा कंपनियां यात्रा टिकट पर बीमा का चार्ज लेती है।
उदाहरण के लिए आप देखते होंगे रेलवे टिकट बुक करते समय आपसे यात्रा के जोखिम के लिए कुछ रुपए लेती है। जिसमें लगभग दो – ढाई लाख रुपए के आसपास आपके दुर्घटना की जिम्मेदारी बीमा कंपनी लेती है। दुर्घटना की स्थिति में बीमा कंपनी उस बीमा राशि को टिकट धारक को देने के लिए बाध्य होती है। पहले ऐसा नहीं था , किंतु नई सरकार के बनने के बाद इस प्रकार का नियम लागू किया गया। क्योंकि कई बार ऐसी स्थिति होती है , दुर्घटना के समय कोई भी आर्थिक रूप से सहायता व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाती।
वह केवल सरकार के भरोसे रहती है ऐसे में बीमा कंपनियों ने अपना व्यापार क्षेत्र में तलाश किया।
आज यात्रा दुर्घटना बीमा लगभग सभी प्रकार की यात्रा में शामिल किया गया है।
चाहे वह जल , स्थल अथवा वायु के द्वारा किया गया यात्रा हो।
सभी प्रकार की यात्रा में बीमा कंपनियां बीमा टिकट के साथ ही उपलब्ध कराती है।
चाहे उसकी जानकारी व्यक्ति को हो अथवा नहीं किंतु उसके पृष्ठभूमि को ध्यान से पढ़ें तो यात्रा दुर्घटना बीमा लगभग सभी यात्रा के साथ होता है।
शिक्षा बीमा Education Insurance
व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का अहम रोल है। चाहे कोई भी व्यक्ति हो अपने लिए उत्तम शिक्षा चाहता है और जिसके लिए बड़े से बड़े शैक्षणिक संस्थान में वह जाना चाहता है। कई बार उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। उच्च शिक्षा ग्रहण करने में कितनी ही बार पूंजी बाधा बनकर सामने खड़ी हो जाती है। इस अवसर को बीमा कंपनियों ने बेहतर पहचाना और उन्हें शिक्षा जगत में बीमा देने के लिए अग्रणी भूमिका निभाना आरंभ किया है।
शिक्षा जगत में बीमा कंपनियां विद्यार्थियों को यह अवसर उपलब्ध कराती है और सुनिश्चित करती है उसके उच्च स्तरीय शिक्षा में पूंजी की कोई कमी ना हो। इसके लिए बीमा कंपनियों ने अलग-अलग श्रेणी के प्लान तैयार किए हैं , जिसके तहत व्यक्ति अपने सुविधा और हैसियत के अनुसार उन श्रेणियों की पहचान करता है और अपने अनुसार उसका चयन करता है।
जब व्यक्ति को उच्च शिक्षा के लिए भविष्य में पूंजी की आवश्यकता होती है तो बीमा कंपनी इस अवसर पर व्यक्ति का साथ देती है। कई बार उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जाने की आवश्यकता पड़ती है तब भी बीमा कंपनियां उनका मददगार साबित होती है। शिक्षा बीमा भी जोखिम के अधीन है इससे सतर्क रहने और जरूरी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता होती है , ताकि समय पर आपके लिए वह बीमा कंपनियां बाधा साबित ना हो।
कृषि बीमा Agriculture Insurance
भारत कृषि प्रधान देश है , यहां कृषि भारत की अर्थव्यवस्था में रीड की हड्डी का कार्य करती है। कृषि पर पूरे देश की अर्थव्यवस्था निर्भर करती है। अगर इस क्षेत्र में किसी प्रकार का नुकसान होता है तो वह देश के लिए ठीक नहीं होता।
गाड़ी बीमा के बाद कृषि बीमा का अहम रोल है।
किसान और उसके परिवार का जीवन उनके कृषि पर ही निर्भर करता है।
वह मेहनत मजदूरी करके फसल का उत्पादन करता है और किसी कारण प्राकृतिक आपदा से उसका कृषि तबाह हो जाता है जिसमें उसके पास कुछ भी नहीं बचता। कितनी ही बार देखने में आया है किसान की पूरी फसल बरसात , बाढ़ अथवा भयंकर सुखा के कारण प्रभावित होती है।
इसमें किसान इतना लाचार हो जाता है कि वह आत्महत्या करने के लिए भी बाध्य हो जाता है।
बदली हुई सरकार ने इस क्षेत्र में अपना ध्यान दिया है तथा किसानों के संरक्षण और हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि बीमा का विशेष प्रबंध किया है। जिसमें प्राकृतिक तौर पर हुए कृषि के नुकसान की भरपाई आर्थिक रूप से की जाती है। इस जगत में सरकारी कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है , वहीं निजी कंपनियां भी अपनी किस्मत इस जगत में अपना रही है। किसान अपने खेती का बीमा कराती है जिसमें किसी प्रकार की कोई अप्रिय अथवा प्राकृतिक रूप से प्रभावित होने पर बीमा कंपनी उसका भरपाई करती है।
कृषि बीमा के आगमन से किसानों और उसके परिवार में एक संतोष का भाव जागृत हुआ है।
जहां वह पहले अकेला और बेसहारा समझते थे , वहीं अब किसान के साथ सरकार और अन्य बीमा कंपनियां खड़ी है। किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा और क्षति होने पर सरकार तत्काल किसान को क्षतिपूर्ति करने का प्रयत्न करती है।
वित्तीय बीमा क्रेडिट कार्ड / ऑनलाइन / बैंक अकाउंट Financial Insurance
व्यक्तिगत जीवन में आपने महसूस किया होगा अथवा आसपास समाज में अवश्य सुना होगा। किसी व्यक्ति के साथ वित्तीय धोखाधड़ी हुई है , जिसके सामने वह बेबस और लाचार बना हुआ है। शासन-प्रशासन तक उसकी मदद नहीं कर पाते। इस समस्या ने पूरे देश को प्रभावित किया हुआ है आज जहां बैंक और वित्तीय सुविधा सरल रूप से उपलब्ध है इसके जोखिम भी बढ़ते जा रहे हैं। ऑनलाइन धोखाधड़ी भी बढ़ती जा रही है। लोगों के जेब में क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड रहता है और कहीं दूर बैठा कोई व्यक्ति उनके बैंक में सेंध लगा देता है। इस प्रकार की धोखाधड़ी को सरकार अब अपने नजर में रख रही है , तथा कई प्रकार के नियम भी लागू कर दिया गया है।
वित्तीय लेनदेन की धोखाधड़ी में अगर आप फस गए हो तो 3 कार्य दिवस के भीतर नजदीकी पुलिस थाने में अथवा बैंक में विस्तृत ब्योरे सहित जानकारी उपलब्ध करवानी होगी। जिसके बाद आपके साथ हुए धोखाधड़ी की भरपाई बैंक अथवा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की जाएगी। इस वित्तीय लेनदेन में धोखाधड़ी की भरपाई करने के लिए आज कई सारी बीमा कंपनियां भी उपलब्ध है , जो उन जोखिमो की जिम्मेदारी लेती है। उसके लिए आपको उनसे मिलकर बीमा लेने की आवश्यकता है।
जिसमें क्रेडिट कार्ड अथवा डेबिट कार्ड पर वह बीमा सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
भारत में नोटबंदी के बाद कितने ही बैंक अथवा एजेंसी बंद हो गई अथवा दिवालिया हो गई।
क्योंकि उन्होंने वित्तीय लेनदेन में अनियमितता बरती थी जिसके कारण कितने ही बैंक बंद होने के कगार पर आ गए अथवा बंद हो गए। ऐसी स्थिति में बैंक भी अपने ग्राहक को एक लाख का बीमा देती है। अगर कोई बैंक दिवालिया होती है अथवा बंद होती है तो भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार 100000 रुपए तक की बीमा राशि ग्राहक को लौटानी होगी। अगर किसी खाता धारक का एक लाख से ऊपर कितनी ही राशि हो किंतु बैंक केवल ₹100000 ही देने के लिए बाध्य होगा।
यह भी एक प्रकार की बीमा इंश्योरेंस होता है जो भारतीय रिजर्व बैंक के मार्गदर्शन पर आधारित होता है।
उत्पाद बिमा (टेलीविज़न , मोबाइल , लेपटॉप , एयर कण्डीशनर आदि) Product Insurance
विलासिता भरी जिंदगी में आपने यह तो महसूस किया होगा कोई भी व्यक्ति अपने घर में पड़ोसियों से अधिक साधन की चाहत रखता है। अगर पड़ोसी के घर एयर कंडीशनर लगा है तो आप कूलर अथवा पंखे में अपना जीवन नहीं गुजारना चाहते। पड़ोसी के घर अगर एक एयर कंडीशनर लगा है तो आप एक अथवा उससे अधिक लगाने की चाहत रखते होंगे। ऐसे ही टेलीविजन , फ्रीज अथवा अन्य उपकरण जो आर्थिक रूप से महंगे होते हैं यहां तक कि मोबाइल भी इसमें शामिल कर सकते हैं।
इनके नुकसान अथवा हानि होने पर यह सामान्य व्यक्ति के लिए काफी परेशानी का सबब बन जाता है। जो व्यक्ति इन उपकरणों को काफी कठिनाई अथवा दिक्कतें सहकर खरीद कर अपने घर लाता है। उनके खराब होने अथवा नुकसान होने की स्थिति में वह बिल्कुल असहज महसूस करता है।
इस स्थिति को बीमा कंपनियों ने भली-भांति जांचा परखा और अपने लिए एक अवसर की तलाश की।
आज बीमा कंपनियां उन सभी महंगे उत्पादों पर बीमा इंश्योरेंस करने का दावा करती है जो व्यक्ति के लिए आवश्यक होती है। इन उत्पादों की खराबी अथवा नुकसान होने पर बीमा कंपनी उन उत्पादों को बदलकर ग्राहकों को उपलब्ध कराती है। इन उपकरणों में सबसे ज्यादा जोखिम रहता है , अतः बीमा कंपनियां भी इस इंश्योरेंस में सदैव सतर्क रहती है। वह पूर्ण रूप से जांच परख कर कर ही इन उत्पादों पर बीमा करने को राजी होती है। इसी जोखिम को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियां पुराने उत्पादों पर बीमा करने के बजाय नए उत्पादों पर ही बीमा करना पसंद करती है।
आपने भी अपने घर में इन उत्पादों को अवश्य ही लगाया होगा जिसमें बीमा कंपनियां आपसे खरीदारी करते समय बीमा के लिए बात करती है और उसको लेने के बाद उस उत्पाद के जोखिम को बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के रूप में पूर्ण करती है।
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