HIndi notes on Meaning & Definition of Education – अनेक विद्वानों ने विभिन्न प्रकारों से शिक्षा की परिभाषा द है। समय के साथ-साथ शिक्षा की परिभाषा भी बदलती रहती है। वैदिक काल में शिक्षा सर्वांगीण विकास का एक अंग था , मध्यकाल में शिक्षा का अर्थ संकुचित हुआ वह धर्म से जुड़ गया। आधुनिक युग में शिक्षा का उद्देश्य सर्वांगीण विकास की ओर बढ़ता जा रहा है।
शिक्षा की परिभाषा
डॉ राधाकृष्णन ने शिक्षा को परिभाषित करते हुए कहा था कि
” शिक्षा व्यक्ति को और सामाजिक के सर्वतोन्मुखी विकास की सशक्त प्रक्रिया है। “
डॉक्टर थॉमस ने लिखा है
” शिक्षा भारत में विदेशी नहीं है , ऐसा कोई भी देश नहीं है जहां ज्ञान के प्रति प्रेम इतने प्राचीन समय में प्रारंभ हुआ हो या जिसने इतना स्थाई और सशक्त प्रभाव को उत्पन्न किया हो। वैदिक युग के साधारण कवियों से लेकर आधुनिक युग के बंगाली दार्शनिक तक शिक्षकों एवं विद्वानों की एक अविरल परंपरा रही है।”
भारत के आधुनिक शिक्षा शास्त्रियों की भांति प्राचीन शिक्षा शास्त्रियों ने भी शिक्षा की परिभाषा अनेक प्रकार से दी है –
1. शिक्षा का व्यापक अर्थ Wider meaning of education –
वैदिक कालीन शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया थी , जिसके लिए व्यापक दृष्टिकोण से अवधि की सीमा निश्चित नहीं थी। वैदिक काल में शिक्षा आयु के साथ-साथ समानांतर चलती थी। वैदिक कालीन शिक्षा में कक्षा , वर्ग का महत्व नहीं था। वैदिक कालीन शिक्षा जीवन , राजनीतिक , सामाजिक , संगीत आदि पर आधारित थी। आधुनिक शिक्षा कक्षा , वर्ग अथवा आयु के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। जिसके कारण शिक्षा के स्तर में कमी आई है।
वैदिक कालीन शिक्षा जीवन पर्यंत चलती रहती थी।
मनुष्य जीवन पर्यंत विद्यार्थी का जीवन जीता था।
डॉ ए एस अलतेकर के अनुसार
” वैदिक युग से लेकर आज तक भारत में शिक्षा का मूल तात्पर्य यह रहा है कि शिक्षा प्रकाश का वह स्रोत है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदर्शक करती है। “
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शिक्षा का आलोक स्रोत – वैदिक कालीन शिक्षा गुरुकुल में प्राप्त की जाती थी।
शिक्षा प्राप्ति से पूर्व विद्यार्थी का उपनयन संस्कार किया जाता था उसके उपरांत गुरु को विद्यार्थी समर्पित हो जाया करता था। गुरु विद्यार्थी के जीवन को संवारने उसमें ज्ञान की ज्योति जलाने के लिए पूरी निष्ठा से यत्न किया करते थे।
गुरुकुल में
- राजनीति ,
- संगीत ,
- जीवन दर्शन ,
- शस्त्र कौशल
आदि की उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान की जाती थी।
विद्यार्थी सभी क्षेत्रों में परांगत हो ऐसा गुरु का विशेष ध्येय रहता था। वैदिक काल में शिक्षा का महत्व ज्ञान की प्राप्ति था वह ज्ञान जो आत्मा और परमात्मा में भेद कर सके। विद्यार्थी के लिए शिक्षा वह शिक्षा हुआ करती थी जिसको पाकर वह मोक्ष की प्राप्ति स्वयं कर सकता था। ” सा विद्या या विमुक्तये “ |
शिक्षा सुधार का अभिकरण –
प्राचीन काल में शिक्षा का अर्थ व्यापक रूप में लिया जाता था , शिक्षा आत्मविकास , आत्ममंथन अथवा सुधार की प्रक्रिया थी जो जीवन पर्यंत चलती थी। इसके माध्यम से एक व्यक्ति जीवन भर विद्यार्थी रहता था। शिक्षा के द्वारा व्यक्ति का निरंतर सुधार तथा संस्कार होता रहता था। एक विद्वान का कथन है कि ” एक शिक्षक आजीवन छात्र बना रहता है। शिक्षा ज्ञान का वह भंडार है जो मनुष्य को मानव बनाती है और उसे पशु की तरह स्वार्थ परायण होने से रोकती है। ”
इसलिए विद्या विहीन व्यक्ति को पशुतुल्य कहा गया है।
विद्या के बिना मनुष्य विप्र का पूज्य पद कदापि प्राप्त नहीं कर पाता।
2. शिक्षा का संकुचित अर्थ Narrower meaning of education –
वैदिक काल में शिक्षा का जिस प्रकार व्यापक रूप से महत्व था उसी प्रकार शिक्षा का संकुचित रूप भी था। वैदिक कालीन शिक्षा का एक संकुचित अर्थ भी था , जिसके अनुसार शिक्षा के तात्पर्य उस शिक्षा से था जो बालक अपने प्रारंभिक जीवन के कुछ वर्षों तक गुरुकुल में रहकर गुरु का सानिध्य पाकर ब्रह्मचर्य जीवन को व्यतीत करता था और अपने गुरु से शिक्षा प्राप्त करता था। इस दौरान वह केवल उच्च शिक्षा को ही प्राप्त करता था जो उसके जीविकोपार्जन के लिए काफी नहीं था।
अर्थात शिक्षा संकुचित रूप में प्राप्त करता था।
इस शिक्षा का अर्थ औपचारिक शिक्षा से जो अधिकांश तक उसको पुस्तकों के द्वारा प्राप्त होती थी। मनुष्य ज्ञान के विभिन्न अंगों का अध्ययन करने के उपरांत भी अशिक्षित रह जाता था। वास्तविक शिक्षा जीविकोपार्जन की समस्या को हल नहीं करती थी। किंतु शिक्षा केवल जीविकोपार्जन ही नहीं है इस प्रकार शिक्षा प्रकाश अंतर्दृष्टि तथा संस्कृति को प्रदान करते हुए हमें स्वावलंबी तथा आत्मनिर्भर नागरिक बनाती थी।
समग्रतः कह सकते हैं की – वैदिक कालीन शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत शिक्षा का तात्पर्य उस प्रक्रिया या अंतर्ज्योति तथा शक्ति से है जो विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास या व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं जैसे शारीरिक बौद्धिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं को संतुलित विकास करती है।
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Sikha ek aisi amul anokhi chij h jo hme srvangin vikas me aage bdati hai
शिक्षा वह धन जो हमे अज्ञान से ज्ञान की तरफ अग्रसर करे