Jadu wali nadi ki story in hindi- नदी जादू वाली की कहानी आज हम पढ़ेंगे। जादू वाली नदी ने किस प्रकार के कारनामे किए, जानने के लिए अंत तक पढ़े। यह कहानी बाल मनोरंजन पर आधारित है, कहानी शिक्षाप्रद भी है। कहानी में निहित शिक्षा द्वारा बालक के चरित्र निर्माण में सहायता मिल सकती है। अतः ऐसी कहानी जो दादी-नानी, पंचतंत्र आदि पर आधारित हो बालकों के समक्ष अवश्य ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए और उसकी शिक्षा से बालक को अवगत किया जाना चाहिए।
नदी जादू वाली की कहानी
अब्दुल इमामबाड़े के पीछे वाली बस्ती में रहता था। वह पेशे से धोबी था, पड़ोस के गांव जाकर अब्दुल कपड़े धोने के लिए लाता और नदी के उस पार जाकर कपड़े को धोकर, सुखा कर रात तक लौटकर आता था। यह सब बोझ उठाने के लिए उसके पास एक गधा ( मतंग्गू ) था।
अब्दुल का काम अब धीरे-धीरे मंदा पडता जा रहा था, क्योंकि लोगों ने अब अपने घर कपड़े धुलाई करने वाली मशीन को लगा लिया था। जिसके कारण अब धोबी की जरूरत नहीं पड़ती थी। यही अब्दुल की उदासी का कारन था।
शहर में एक बड़े सेठ का दुकान था, उसका व्यापार काफी दूर तक फैला हुआ था इसलिए सभी उसे नामी सेठ कहा करते थे। सेठ की यहां नौकरों की भीड़ लगी रहती थी।
अब्दुल- मालिक को नमस्कार
सेठ- नमस्कार! कहो अब्दुल कैसे आना हुआ
अब्दुल- बस मालिक काम बड़ा मंदा हो गया है
सेठ कैसे? क्या हुआ?
अब्दुल- आप जानते ही है,सबके घर में कपडे की मशीन लग गई तो काम अब मिलता नहीं
सेठ- हाँ! ये तो है। तो अब क्या करने का विचार है ?
अब्दुल- कुछ भी काम मिल जाये करूंगा
सेठ- मेरे यहां काम करोगे?
अब्दुल- जी हुजूर मेहरबानी होगी।
सेठ ने अब्दुल की ईमानदारी के बारे में जनता था इसलिए उसे माल पहुंचाने के लिए रख लिया।
अब्दुल अब सेठ के यहां काम करने लगा था। माल ढुलाई में उसका गधा ( मतंग्गू ) उसके बहुत काम आता। अब्दुल को जल्दी पैसा कामना था इसलिए अधिक से अधिक माल उसके पीठ पर रखता मतंग्गू के ठीक से काम न करने पर पिटाई करता, बिना दाना – पानी के दिन भर काम कराता।
मतंग्गू ने भी ठान लिया था कि वह अब अब्दुल को सबक सिखाएगा और पिटाई का बदला जरूर लेगा।
एक दिन की बात है अब्दुल को नमक की बोरी नदी के उस पार बाजार तक पहुंचाना था। झटपट गोदाम से माल उठाया और मतंग्गू के पीठ पर बांधकर बाजार की और निकल गया।
बाजार के रास्ते में एक नदी पड़ती थी उस नदी को पार करके ही बाजार जा सकते थे, नहीं तो पुल के लिए छः किलोमीटर चलना पड़ता था।
मतंग्गू जैसे ही पानी में उतरा उसने अपनी प्यास बुझाने की सूझी। कुछ देर ठहर कर पानी पीने लगा, जैसे ही बाहर निकला तो पीठ पर वजन काफी हल्का था। मतंग्गू के पीठ पर नमक की बोरी थी वह पानी में रहने के कारण घुल कर बह गया। मतंग्गू को समझ आया कि यह जादू की नदी है, इसमें उतरने पर वजन घट जाता है और शरीर हल्का हो जाता है।
मतंग्गू ने अब नित्य-निरंतर यही करने का अभ्यास बना लिया था। इस कारण अब्दुल काफी परेशान रहता, क्योंकि सामान ठीक प्रकार से सही जगह नहीं पहुंचता। रास्ते में ही सारा माल बह जाता या खराब हो जाता था।
अब्दुल काफी दिनों से परेशान था, अब उसने मतंग्गू को सबक सिखाने का मन बना लिया था।
अब्दुल बाजार से एक बोरी रुई भरकर ले आया और मतंग्गू के पीठ पर बांध दिया। आज मतंग्गू बेहद खुश था क्योकि मालिक ने उसके पीठ पर आज काफी हल्का वजन बांधा था। मतंग्गू आज मस्तानी चाल में चल रहा था, आज उसे खुशी थी, कि उसके मालिक ने उसे तंग करना छोड़ दिया।
मतंग्गू अपनी पुरानी आदत से मजबूर था, वह पानी में उतरा और कुछ देर आराम करने लगा। जैसे ही बाहर निकला उसके पीठ पर वजन पहले से अधिक था। यह आम दिनों के मुकाबले और अधिक वजनदार था। उसका एक भी पैर आगे बढ़ने को तैयार नहीं था, क्योंकि वजन के कारण मतंग्गू का शरीर नीचे बैठा जा रहा था। मतंग्गू को कुछ समझ पाता उससे पहले मालिक ने अपने सोंठे (डंडा) से मारना शुरू किया।
मतंग्गू को अब समझ आ चुका था कि उसकी करनी का यह फल है। जिस प्रकार वह प्रतिदिन मालिक को परेशान करता था, आज मालिक ने बदला लिया है।
आज की पिटाई के बाद फिर मतंग्गू ने दोबारा कभी मालिक को परेशान नहीं किया। जादुई नदी के चक्कर में मतंग्गू की शामत आ गई थी।
शिक्षा- किसी भी परिस्थिति का फायदा उठाकर अपने विश्वासी और मित्र को धोखा नहीं देना चाहिए। क्योंकि समय पड़ने पर वह आपसे बदला ले सकता है।