आज हम पढ़ेंगे 3 powerful short Hindi stories for class 8 students with moral in Hindi and English.
Below we have written hindi stories for class 8 students in lucid way.
1. ज्ञान प्राप्ति की लगन – Hindi stories for class 8 with moral values
हरिद्वार के एक संत जो वृद्धावस्था में आने के कारण कुछ समय से चिंतित थे , कि उनके पास जो ज्ञान का भंडार है , वह कैसे अपने भावि पीढ़ी को कैसे सुपुर्द करें।
इसके लिए वह काफी समय से ऐसे छात्र का चयन कर रहे थे जो उनका उत्तराधिकारी बन सके ।
संत एक दिन अपने सभी शिष्यों को लेकर दूर कहीं जंगल जाने को निकले , जहां वह अपनी विद्या अपने शिष्यों को दे सके। संत चलते रहे दुर्गम पहाड़ – पठार आते गए नदियां आई किंतु संत नहीं रुके।
एक दिन हुआ दो दिन हुआ , वह निरंतर चार दिन चार रातें चलते रहे।
इस बीच रास्ते में कुछ छात्रों ने शिक्षा लेने का विचार बदल दिया और वापस लौट गए , कुछ छात्र दो दिन साथ चलते रहे फिर वापस लौट गए।
कुछ छात्र भूख – प्यास से व्याकुल वापस अपने घर लौट आए और कुछ छात्र जो रास्ते में ही बेहोश हो गए।
किंतु संत नहीं रुके
वह निरंतर चलते रहे अंततः ऋषि एक कुटिया में पहुंचे।
अब उनके पास केवल दो ही शिष्य थे। वह उन शिक्षकों को लेकर उस कुटिया में गए और प्रसन्नता पूर्वक कहा मैं ! तुम्हें अपनी सारी विधाएं सुपुर्द करूंगा तुम्हें गेहूं से हीरा बनाने की विद्या का अभ्यास कराऊंगा।
यह कहते हुए उन्होंने अपने दोनों शिष्यों को गेहूं का एक-एक दाना दिया और मंत्र पढ़ने को कहा। एक शिष्य मंत्र पढ़ते – पढ़ते बेहोश हो गया जिसके कारण उसका मन्त्र अधूरा रह गया और हीरा नहीं बन सका। किंतु दूसरे शिष्य ने पूरा मंत्र पढ़कर उस गेहूं से हीरा बना दिया क्योंकि इस विषय में ज्ञान लेने के लिए इस शिष्य की इच्छा शक्ति थी , लगन थी जिसके कारण भूख , प्यास , थकान सभी पर शिष्य ने विजय पा लिया था।
वह शिष्य अपने गुरु के कहे हुए हर एक शब्द का , हर एक आज्ञा का पालन करता था। जिसके कारण वह अन्य शिष्यों से अलग था। संत ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए अपने शिष्य को संपूर्ण ज्ञान अपने शिष्य की झोली में डाल दिया।
क्योंकि यह शिष्य अपने गुरु के ज्ञान का सच्चा अधिकारी था।
निष्कर्ष –
- ज्ञान प्राप्त करना कोई साधारण कार्य नहीं है , इसके लिए एकनिष्ठ का भाव आवश्यक है ।
- अपने गुरु के समक्ष सर्वस्व समर्पित कर लगन से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। कबीर ने भी कहा है –
- ” यह घर है प्रेम का खाला का घर नाही , शीश उतार भुइँ धरो फिर पैठो घर माहिं।
Moral of this story
- To get the right knowledge in your life devotion is important.
- Devotion to whom?
- You should devote yourself to your mentor to get the right knowledge and education in your desired field.
- Devotion is also important because there remains no space for unnecessary questions.
- Everything you understand is only based on a right belief without any previous mix-ups.
Akbar birbal stories in hindi with moral
2. शिव का धनुष किसने तोड़ा ( Hindi stories for class 8 )
This story is very interesting.
एक समय की बात है कक्षा 6 के विद्यार्थी शरारत कर रहे थे। अचानक विद्यालय में शिक्षा अधिकारी के आगमन की सूचना मिली। सभी शिक्षक अपनी अपनी कक्षाओं में जा पहुंचे। विद्यार्थी शांत और होनहार विद्यार्थी की भांति पुस्तक पढ़ने लगे।
शिक्षा अधिकारी का आगमन जब कक्षा 6 B में हुआ सभी विद्यार्थी पढ़ने में मग्न थे। अध्यापक सभी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। शिक्षा अधिकारी के आगमन पर पूरी कक्षा शांत भाव से खड़ी हो गई। अधिकारी के आदेश पर सभी विद्यार्थी यथास्थान बैठ गए। शिक्षा अधिकारी ने देखा विद्यार्थी इतने होनहार हैं। विद्ययार्थियों से कुछ प्रश्न किया जाए। उन्होंने एक प्रश्न किया बच्चों
शिव का धनुष किसने तोड़ा था ?
पूरी कक्षा में ऐसा सन्नाटा पसरा जैसे अमावस की रात को घने वन में सन्नाटा पसरा हुआ होता है। शिक्षा अधिकारी ने एक बालक को खड़ा किया और उनसे आग्रह किया कि वह उत्तर दें। बालक अभी शरारत करके ही बैठे थे , इसलिए वह बालक समझा कि हमारी शरारत पकड़ी गई। किसी विद्यार्थी ने धनुष तोड़ दिया होगा। इस पर वह बालक बालोचित रोते हुए बोला सर यह धनुष मैंने नहीं तोड़ी कहकर तीव्र / जोर से रोने लगा।
शिक्षा अधिकारी ने चुप करा कर उसे बिठाया कोई बात नहीं आप बैठ जाओ फिर उन्होंने दूसरे तीसरे कई विद्यार्थियों को खड़ा करके प्रश्न का उत्तर मांगा , किंतु सभी विद्यार्थी वही प्रक्रिया दोहराते रहे जो पहले विद्यार्थी ने दोहराई थी। इस पर शिक्षा अधिकारी अचंभित हो गए , कि इतना छोटा सा जवाब किसी विद्यार्थी को नहीं पता ?
उन्होंने कक्षा में उपस्थित शिक्षक महोदय से ही वह प्रश्न पूछ लिया। अब शिक्षक महोदय भी अभी-अभी कक्षा में ही पधारे थे , उन्होंने भी जवाब दिया श्रीमान किसी बच्चे ने तोड़ दिया होगा। प्रिंसिपल साहब से मिल लीजिए वह ठीक कर देंगे। अब शिक्षा अधिकारी और चक्कर खा गए और शिक्षा व्यवस्था का हाल जान गए।
कुछ समय के उपरांत
शिक्षा अधिकारी , प्रधानाचार्य कार्यालय में गए। कक्षा में पूछे गए प्रश्न – शिव का धनुष किसने तोड़ा ? प्रधानाचार्य जी से पूछा। इस प्रश्न के जवाब में प्रधानाचार्य ने उत्तर दिया श्रीमान किसी विद्यार्थी ने खेलते-खेलते तोड़ दिया होगा। कोई बात नहीं नया धनुष मंगवा देंगे।
अंततः शिक्षा अधिकारी को एक छोटे से प्रश्न का जवाब भी ना मिल सका। विद्यालय में मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को वह जान चुके थे , वास्तविकता को पहचान चुके थे। इस पर शिक्षा अधिकारी नाराज होते हुए शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा के गुणवत्ता को सुधारने के लिए प्रधानाचार्य को आदेश देकर गए और निरंतर औचक निरीक्षण की बात भी कह गए।
Moral of this short hindi story –
There are many lags in our education system. And that is what students are learning which is not good. By this hindi stories for class 8 students will get value of learning things themselves.
3. क्या जीत से खुशियां हासिल होती है
सिकंदर अपनी भारी-भरकम सेना को लेकर विश्व को जीतने निकला था। एक के बाद एक वह अनेक राज्यों को जीत चुका था , कितने ही देश अपने तलवार के नोक पर जीत चुका था। उसकी सेना भारी मात्रा में नरसंहार करती और अपने शक्ति का परिचय देती हुई पूरब के देशों की ओर शीघ्रता से बढ़ती हुई चली आ रही थी। सिंधु नदी के उस पार अफगान की सेनाओं ने भारी मात्रा में जमावड़ा लगाया हुआ था , शायद थके हुए थे कुछ दिन विश्राम करना चाहते थे।
सामने शस्य श्यामल भारत माता का आंचल जो प्रेम , सौहार्द और भक्ति से परिपूर्ण थी। जिसके कण-कण में देवताओं का वास था , विशाल हृदय से भारत माता दोनों बाहें फैलाकर अपने अतिथियों का स्वागत करती। सिंधु नदी के पार बैठा सिकंदर सेल्यूकस और उसके अन्य महान मंत्री गण भारत की ओर देखते हुए भारत की अद्वितीय छटा को निहार रहे थे।
वह जल्द ही भारत पर आक्रमण कर उसे अपना हिस्सा बनाना चाह रहे थे।
शायद वह इसका स्वप्न भी पूर्व में देखा करते थे आज वह जीत हासिल करने का समय आ गया था।
सामने ही एक पर्वत पर तपस्वी का आश्रम था। वह तपस्वी विश्व विख्यात था , सिकंदर ने उन तपस्वी से मिलने की इक्छा लेकर आश्रम में पहुंच गया । सिकंदर चुकी तपस्वी के बारे में पूर्व जानता था , उसने तपस्वी को अपने रोबदार अंदाज में कहा ! तपस्वी मैंने आपकी प्रशंसा सुनी हुई है आपको किसी बात की कोई कमी हो मुझसे कुछ आपको प्राप्त करना हो तो अवश्य कहिएगा।
तपस्वी ने शांत चित्त भाव से सिकंदर की संपूर्ण बातों को सुना और कहां , क्या तुम्हें युद्ध करना और जीतना पसंद है ? सिकंदर ने कहा हां ! मुझे युद्ध करना और जीतना बेहद पसंद है क्योंकि मैंने विश्व विजय का सपना देखा है और ऐसा करने से मुझे खुशी मिलती है।
तपस्वी ने कहा तुम्हें इससे खुशी नहीं मिलेगी , क्योंकि जब तुम संपूर्ण विश्व को जीत जाओगे तब तुम्हारे पास जितने के लिए और कुछ नहीं होगा , तब तुम खुश नहीं रह पाओगे। इसलिए तुम्हें यह कार्य छोड़ देना चाहिए और समाज विश्व बंधुत्व की भावना का विस्तार करो । सिकंदर सोच में पड़ गया आज से पूर्व किसी ने उससे जीत और जीत के बाद दुखी की बात को नहीं कही थी।
वह कुछ सोचते हुए वहां से अपने शिविर लौट आया।
जल्द ही सिकंदर और उसके सैनिकों का सामना पोरस तथा चंद्रगुप्त जैसे योद्धा और चाणक्य जैसे विद्वानों से हुआ। जिसमें उसे पराजय का सामना करना पड़ा और अपना विश्व विजय का सपना बीच में ही छोड़कर वापस प्राण लेकर भागने पड़े।
4. संत की खुशी का राज
राज्य से बाहर एक छोटे से टीले पर एक संत काफी दिनों से पेड़ की छांव में बैठा था। लोग उससे मिलने के लिए दूर-दूर से आया करते थे। कुछ ही समय हुआ होगा कि उसकी ख्याति दूर-दूर के राज्यों तक फैल गई थी। उस संत महात्मा से मिलने कितने ही राजा आ गए थे।
पड़ोसी राजा को भी मिलने का मन हुआ। राजा ने सोचा आखिर चलकर देखना चाहिए किस प्रकार का संत यहां ठहरा हुआ है और उसमें क्या विशेषता है। राजा ने यह विचार करते हुए संत से मिलने के लिए अपने मंत्रियों के साथ पहुंच गए।
राजा और संत के बीच काफी देर वार्तालाप हुई राजा संत की बातों से बेहद ही प्रभावित हुए और उन्हें अपने महल चलने के लिए आग्रह करने लगे।
संत तुरंत ही राजा के साथ चलने को राजी हो गए राजा आश्चर्यचकित रह गया। उसने यह कल्पना भी नहीं की थी कि संत तुरंत ही राजा के साथ चलने के लिए राजी हो जाएगा किंतु राजा ने स्वयं ही आग्रह किया था तो वह अपने बातों से कैसे पलट सकता था।
राजा संत को लेकर महल में आए
महल के शाही भोजन संत के सामने परोसे गए संत बेहद प्रसन्नता पूर्वक उन सभी व्यंजनों को इच्छा अनुसार खाते रहे। खाने के लिए उन्हें आज से पूर्व इतने व्यंजन नहीं मिले थे तो उन्हें बेहद ही आनंद आया। सोने के लिए उन्हें महल के मखमली बिस्तर मिले जिसे संत ने स्वीकार करते हुए महल में विश्राम किया।
इस प्रकार के सुख सुविधाओं में संत का जीवन चलने लगा 1 दिन राजा ने संत से अपने भीतर उठ रहे प्रश्नों का निवारण संत से चाहा। संत ने कहा स्पष्ट तुम अपने प्रश्न को मुझसे पूछ सकते हो
राजा कहता है महात्मा आप संत हैं मैंने सोचा था आप मेरे महल नहीं चलेंगे किंतु आप महल भी आ गए और शाही व्यंजन जो साधु संत नहीं करते वह भी आपने किया साधु-संत मखमली राजशी विस्तलों पर विश्राम नहीं करते वह भूमि पर ही अपने लिए बिस्तर लगाते हैं वह भी आपने नहीं किया क्या आप संत नहीं है।
संत के चेहरे पर प्रश्न सुनते ही एकाएक मुस्कान आ गई और अपने उत्तर के लिए राजा से कहा आपको मेरे साथ बाहर चलना होगा।
राजा को लेकर संत पूर्व दिशा की ओर चल दिए 15 मिनट चलने के उपरांत राजा ने संत से पूछा आप मेरे प्रश्नों के उत्तर कब देंगे ?
कुछ दूर और चलिए आपको आपके उत्तर मिल जाएंगे संत ने कहा।
आधा घंटा हो गया धूप के मारे राजा के प्राण निकलने को हो गए गला सूख गया पसीने से पूरा शरीर तरबतर हो गया राजा ने पुनः पूछा महाराज आप मेरे प्रश्नों के उत्तर कब देंगे मेरे मरने के बाद ?
संत ने कहा मैं संत हूं मुझे चाहे किसी प्रकार की परिस्थितियां हो किसी प्रकार का समय हो मुझे जीना आता है और तुम राजा हो तुम्हारे भीतर सुख-सुविधाओं का वास है तुम कठिन परिस्थितियों में नहीं जी सकते।
संत जहां भी रहते हैं वह खुश रहते हैं वह अपने परिस्थितियों से नहीं घबराते वह सदैव ईश्वर की आराधना में लगे रहते हैं इसलिए वह सदैव खुश रहते हैं। संत को यह फर्क नहीं रहता कि वह जंगल में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है या महल में। यही संतों के सुख का राज है।
राजा को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था वह संत के बातों को भलीभांति जान गया था उसने संत से अपने मन में आए विचारों के लिए क्षमा मांगा और उन्हें अपने राज्य लाकर राज्य का पंडित राजपुरोहित बनाया
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Purpose of this hindi stories for class 8 students is only that students should learn, and know the basic values. Which they should must have in their character.
कृपया अपने सुझावों को लिखिए | हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है |
super story bro
Thanks harish
superb story i loved it, and i even copied it and shared it to my friends even they loved it THANK YOU
Thanks for your appreciation
I like story very much
It’s our pleasure. Keep coming and keep loving Radha kaushik
कुछ और नैतिक शिक्षा वाली कहानियां भी जरूर लिखिए क्योंकि यहां पर बहुत कम कहानियां है
Very good stories , sir. Amazing content I just loved it. I want more such hindi stories in future on your website.
Ok rakesh we will upload more such hindi stories in future.
Loved these stories. Hope to see more stories on your website.
Thanks mansi negi. We have already written hundreds of stories in our website. Have you checked them? They are placed as internal links in this article. You can read them too.
Mujhe yah kahani bahuth hi achchi lgi
It is great to hear that we write lovable stories.
This is really a wonderful stories. I love it.
Keep writing more
Thanks nosheen for such wonderful words.
We will keep writing these type of stories in future too.
sach me kahani se bahut badi seekh de di aapne ,, koi bhi cheej bina mehnat ke hasil nhi hoti ,chahe wo gyan ho ya koi manjil
Apka comment padh ke bahut khushi hui.
मेरी इन कहानियों ने बहुत सहायता की है मैं आपका पूरे दिल से आभार व्यक्त करता हूं
Fabulous story sir, I love it very much
thanks for uploading this type of story
please upload more
I like to read all stories in my future